UP Board Solutions for Class 9 Social Science History Chapter 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदयThese Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Social Science. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 Social Science History Chapter 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय. Show पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. जर्मनी के सार्वजनिक जीवन में आक्रामक फौजी प्रचार और राष्ट्रीय सम्मान व प्रतिष्ठा की चाह के सामने वाइमरे गणराज्य का लोकतांत्रिक विचार गौण हो गया था। इसलिए वाइमर गणराज्य के समक्ष अस्तित्व को बचाए रखने का संकट उपस्थित हो गया था। रूसी क्रान्ति की सफलता से प्रोत्साहित होकर जर्मनी के कुछ भागों में साम्यवादी प्रभाव तेजी से बढ़ रहा था। वाइमर गणराज्य द्वारा 1923 ई. में हर्जाना चुकाने (UPBoardSolutions.com) से इनकार करने पर फ्रांस ने जर्मनी के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र ‘रूर’ पर कब्जा कर लिया जिसके कारण वाइमर गणराज्य की प्रतिष्ठा को बहुत ठेस पहुँची। 1929 ई. की विश्वव्यापी आर्थिक मंदी के कारण जर्मनी में महँगाई बहुत अधिक बढ़ गई। वाइमर सरकार मूल्य वृद्धि पर नियंत्रण करने में असफल रही। कारोबार ठप्प हो जाने से समाज में बेरोजगारी की समस्या अपने चरम पर पहुँच गई थी। प्रश्न 2. (ii) वर्साय की सन्धि- जर्मनी को प्रथम विश्व युद्ध में पराजय के बाद वर्साय की संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए विवश किया गया। इस कठोर व अपमानजनक संधि को जर्मन कभी मन से स्वीकार न सके। इसी अपमान का प्रतिफल था कि जर्मनी में हिटलर के नाजीवाद का जन्म हुआ। जर्मन लोग हिटलर में अपने जर्मनी की खोई हुई प्रतिष्ठा के पुनरुद्धारक का प्रतिबिम्ब देखते थे। (iii) हिटलर का व्यक्तित्व- वास्तव में हिटलर का व्यक्तित्व आकर्षक एवं प्रभावशाली था। हिटलर एक उत्कृष्ट वक्ता था। इसके जोशवर्द्धक भाषण लोगों पर जादू, जैसा प्रभाव डालते थे। लोग उसके भाषणों को सुनने के लिए दूर-दूर से आया करते थे। उसने अपने भाषणों में वादा किया कि “वह बेरोजगारों को रोजगार और नात्सीवाद और हिटलर का उदय नौजवानों को एक सुरक्षित भविष्य देगा और तमाम (UPBoardSolutions.com) विदेशी साजिशों का मुंहतोड़ जवाब देगा। लोगों ने उसके समर्थन में बड़ी-बड़ी रैलियाँ और जनसभाएँ आयोजित कीं। नासियों ने अपने प्रचार में हिटलर को एक ऐसे मसीहा के रूप में पेश किया जैसे उसका जन्म ही जर्मनों के उत्थान के लिए हुआ हो। (iv) वाइमर गणराज्य की विफलता- वाइमर संविधान में कुछ ऐसी कमियाँ थीं जिनकी वजह से गणराज्य कभी भी अस्थिरता और तानाशाही का शिकार बन सकता था। इनमें से एक कमी आनुपातिक प्रतिनिधित्व से संबंधित थी। इस प्रावधान की वजह से किसी एक पार्टी को बहुमत मिलना लगभग नामुमकिन बन गया था। हर बार गठबंधन सरकार सत्ता में आ रही थी। दूसरी समस्या अनुच्छेद 48 की वजह से थी जिसमें राष्ट्रपति को आपातकाल लागू करने, नागरिक अधिकार रद्द करने और अध्यादेशों के जरिए शासन चलाने का अधिकार दिया गया था। अपने छोटे से जीवन काल में वाइमर गणराज्य का शासन 20 मंत्रिमण्डलों के हाथों में रहा और उनकी औसत अवधि 239 दिन से ज्यादा नहीं रही। इस दौरान अनुच्छेद 48 का भी जमकर इस्तेमाल किया गया। पर इन सारे नुस्खों के बावजूद संकट दूर नहीं हो पाया। लोकतांत्रिक संसदीय व्यवस्था में लोगों को विश्वास खत्म होने लगा क्योंकि वह उनके लिए कोई समाधान नहीं खोज पा रही थी। (v) राजनैतिक उथल-पुथल- यद्यपि जर्मनी में अनेक राजनैतिक दल थे जैसे राष्ट्रवादी, राजभक्त, कम्युनिस्ट, सामाजिक, लोकतंत्रवादी आदि। यद्यपि लोकतंत्रात्मक सरकार (UPBoardSolutions.com) में इनमें से कोई भी बहुमत में नहीं था। दलों में मतभेद अपने चरम पर थे। इसने सरकार को कमजोर कर दिया और अंततः नाजियों को सत्ता हथियाने का अवसर दे दिया। (vi) जर्मनों की लोकतंत्र में आस्था नहीं थी- प्रथम विश्व युद्ध के अन्त में जर्मनी की हार के बाद जर्मनों का संसदीय संस्थाओं में कोई विश्वास नहीं था। उस समय जर्मनी में लोकतंत्र एक नया व भंगुर विचार था। लोग स्वाधीनता व आजादी की अपेक्षा प्रतिष्ठा और यश को प्राथमिकता देते थे। उन्होंने खुले दिल से हिटलर का साथ दिया क्योंकि उसमें उनके सपने पूरे करने की योग्यता थी। प्रश्न 3.
प्रश्न 4.
प्रश्न 5.
फ्रांसीसी क्रान्ति और नात्सी शासन में औरतों की भूमिका के बीच अन्तर-
प्रश्न 6. (i) जनसंचार माध्यमों का उपयोग- शासन के लिए समर्थन हासिल करने और नात्सी विश्व दृष्टिकोण को फैलाने के लिए मीडिया का बहुत सोच-समझ कर इस्तेमाल किया गया। नात्सी विचारों को फैलाने के लिए तस्वीरों, फिल्मों, रेडियो, पोस्टरों, आकर्षक नारों और इश्तहारी पर्यों का खूब सहारा लिया जाता था। नात्सीवाद ने लोगों के दिलोदिमाग पर गहरा असर डाला, उनकी भावनाओं को भड़का कर उनके गुस्से और (ii) युंगफोक- युंगफोक 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों का नात्सी युवा संगठन था। 10 साल की उम्र के बच्चों का युंगफोक में दाखिला करा दिया जाता था। 14 साल की उम्र में सभी लड़कों को नात्सियों के युवा संगठन हिटलर यूथ की सदस्यता लेनी पड़ती थी। इस संगठन में वे युद्ध की उपासना, आक्रामकता व हिंसा, लोकतंत्र की निंदा और यहूदियों, कम्युनिस्टों, जिप्सियों व अन्य ‘अवांछितों से घृणा को (UPBoardSolutions.com) सबक सीखते थे। गहन विचारधारात्मक और शारीरिक प्रशिक्षण के बाद लगभग 18 साल की उम्र में वे लेबर सर्विस (श्रम सेवा) में शामिल हो जाते थे। इसके (iii) विशेष निगरानी एवं सुरक्षा दस्तों का गठन- पूरे समाज को नात्सियों के हिसाब से नियंत्रित और व्यवस्थित करने के लिए विशेष निगरानी और सुरक्षा दस्ते गठित किए गए। पहले से मौजूद हरी वर्दीधारी पुलिस और स्टॉर्म टूपर्स (एस.ए.) के अलावा गेस्टापो (गुप्तचर राज्य पुलिस), एस.एस. (अपराध नियंत्रण पुलिस) और सुरक्षा सेवा (एस.डी.) का भी गठन किया गया। इन नवगठित दस्तों को बेहिसाब असंवैधानिक अधिकार दिए गए और इन्हीं की वजह से नात्सी राज्य को एक बूंखार आपराधिक राज्य की छवि प्राप्त हुई। (UPBoardSolutions.com) गेस्टापो के यंत्रणा गृहों में किसी को भी बंद किया जा सकता था। ये नए दस्ते किसी को भी यातना गृहों में भेज सकते थे, किसी को भी बिना कानूनी कार्रवाई के देश निकाला दिया जा सकता था या गिरफ्तार किया जा सकता था। दण्ड की आशंका से मुक्त पुलिस बलों ने निरंकुश और निरपेक्ष शासन का अधिकार प्राप्त । (iv) कम्युनिस्टों का दमन- अधिकांश कम्युनिस्टों को रातों-रात कंसन्ट्रेशन कैम्पों में बन्द कर दिया गया। अतिलघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11.
प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16.
प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19. प्रश्न 20.
प्रश्न 21. प्रश्न 22. लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2.
प्रश्न 3.
प्रश्न 4.
प्रश्न 5.
प्रश्न 6. प्रश्न 7.
प्रश्न 8.
प्रश्न 9.
प्रश्न 10. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1.
प्रश्न 2.
प्रश्न 3.
प्रश्न 4. (ख) जेल में ही उसने एक पुस्तक ‘मेरा संघर्ष’ लिखी। इस पुस्तक में उसने नात्सी आन्दोलन के दर्शन और डरावने विचार व्यक्त किए। इस पुस्तक में उसने बल प्रयोग, बर्बरतापूर्ण व्यवहार, महान् नेता द्वारा शासन की महिमा का गुणगान करने के साथ-साथ अन्तर्राष्ट्रीयता, लोकतंत्र वे शान्ति का मजाक उड़ाया। उसने जर्मन यहूदियों के प्रति बहूत ज्यादा घृणा का प्रचार किया और उन्हें न सिर्फ प्रथम विश्वयुद्ध में (UPBoardSolutions.com) जर्मनी की हार के लिए बल्कि उसकी अनेक आर्थिक समस्याओं के लिए पूरा उत्तरदायी ठहराया। उसने उग्र राष्ट्रवाद का प्रचार किया। (ग) हिटलर के सत्तारूढ़ होने से पूर्व जर्मनी में चुनाव हुए जिसमें नात्सी दल को समाजवादियों व कम्युनिस्टों को कुल मिलाकर जितने मत मिले थे, उससे भी कम मत मिले थे। वह और उसका दल 650 स्थानों में से केवल 196 स्थान ही ले सका। हिटलर राजनीतिक षड्यंत्रों के जरिए सत्ता में आया। चुनावों में विफलता के बावजूद जर्मनी के राष्ट्रपति हिंडेनबर्ग ने 30 जनवरी, 1933 ई. को उसे जर्मनी वा चांसलर नियुक्त किया। हिटलर के सत्ता में आने के कुछ (घ) सत्ता में आते ही हिटलर ने चुनाव कराने के आदेश दिए तथा आतंक का राज्य स्थापित किया। नात्सी-विरोधी नेताओं की हत्या बड़े पैमाने पर कराई गई। नात्सी लोगों ने 27 फरवरी, 1933 ई. को संसद भवन में आग लगा दी। अग्निकाण्ड के लिए जर्मनी की कम्युनिस्ट पार्टी पर दोषारोपण कर उसे कुचल दिया गया। नात्सी लोगों द्वारा आतंक फैलाने के बावजूद नात्सी दल को संसद में बहुसंख्यक स्थान नहीं मिल पाए। फिर भी, हिटलर ने तानाशाही अधिकार ग्रहण कर लिए तथा वह राष्ट्रपति भी बन गया। श्रमिक संघों को प्रतिबन्धित कर दिया गया। हजारों समाजवादियों, कम्युनिस्टों और नात्सी-विरोधी राजनीतिक नेताओं को मंत्रणा शिविरों में भेज दिया गया। नासी लोगों ने पुस्तकों को जलाना शुरू कर दिया। उन्होंने जर्मनी एवं अन्य देशों के प्रतिष्ठित लेखकों की रचनाओं को आग के हवाले कर दिया। समाजवादियों, कम्युनिस्टों, यहूदियों को अपमानित एवं प्रताड़ित किया गया। देश में सैन्यीकरण का एक विशाल (UPBoardSolutions.com) कार्यक्रम आरम्भ किया गया। नात्सीवाद की विजय न केवल जर्मन लोगों के लिए, बल्कि सम्पूर्ण यूरोप एवं विश्व के लिए विपत्ति सिद्ध हुई। द्वितीय विश्व युद्ध को आरम्भ करने में इसकी प्रमुख भूमिका थी। प्रश्न 5.
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नात्सीवाद का उदय कैसे हुआ?❇️ हिटलर का उदय :-
यही पार्टी बाद में नात्सी पार्टी के नाम से जाना गया । महामंदी के दौरान जब जर्मन अर्थव्यवस्था जर्जर हो चुकी थी काम धंधे बंद हो रहे थे । मजदुर बेरोजगार हो रहे थे । जनता लाचारी और भुखमरी में जी रही थी तो नात्सियों ने प्रोपेगैंडा के द्वारा एक बेहतर भविष्य की उम्मीद दिखाकर अपना नात्सी आन्दोलन चमका लिया ।
नात्सीवाद का उदय कब हुआ?(2) हिटलर का जन्म 20 अप्रैल 1889 ई. को बॉन में हुआ था. (3) हिटलर ने नेशनल सोशलिस्ट पार्टी या नाजी दल की स्थापना 1920 ई. में की.
नात्सीवाद क्या है लिखिए?नाज़ीवाद या नात्सीवाद, जर्मन तानाशाह एडोल्फ़ हिटलर की विचार धारा थी। यह विचारधारा सरकार और आम जन के बीच एक नये से रिश्ते के पक्ष में थी। इस के अनुसार सरकार की हर योजना में पहल हो परंतु फिर वह योजना जनता-समाज की भागिदारी से चले।
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