अपनी शक्ति के अनुसार योजना बनाने वाला ही सफल होता है”–स्मृति पाठ के अनुसार इस कथन की विवेचना कीजिए। - apanee shakti ke anusaar yojana banaane vaala hee saphal hota hai”–smrti paath ke anusaar is kathan kee vivechana keejie.

इसे सुनेंरोकेंफल देने वाला ईश्वर होता है। मनचाहा फल मिले या नहीं यह देने वाले की इच्छा पर निर्भर करता है। लेकिन यह भी कहा जाता है, जो दृढ़ विश्वास व निश्चय रखते हैं, ईश्वर उनका साथ देता है।

दृढ़ संकल्प से दुविधा की बेड़ियाँ कट जाती हैं इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं पाठ स्मृति के आधार पर बताइए?

इसे सुनेंरोकेंअतः हम इस बात से सहमत हैं कि “दृढ़संकल्प से तो दुविधा की बेड़ियाँ कट जाती हैं।” प्रश्न 10. ‘मनुष्य का अनुमान और भावी योजनाएँ कभी-कभी कितनी मिथ्या और उलटी निकलती हैं’-का आशय स्पष्ट कीजिए। उत्तरः मनुष्य किसी कठिन काम को करने के लिए अपनी बुद्धि से कई योजनाएँ तो बनाता है किंतु यह आवश्यक नहीं कि वे योजनाएँ सफल भी रहें।

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लेखक ने सांप को मारने का निर्णय क्यों लिया?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर : चिट्ठियाँ डाकखाने में डालना बहुत ज़रूरी था। उनके होश गुम हो गए। भाई की पिटाई का डर सामने था और साथ ही झूठ न बोलने की भावना भी थी। इसलिए लेखक ने साँप को मारने का निर्णय लिया।

भाई सा ब ने लेखक को कौन सा काम करने को क ा उसके वलए मुसीबत क्यों खडी ो गई?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: लेखक को उसके बड़े भाई ने चिट्ठी गिराने का काम सौंपा था। लेखक चाहता तो चिट्ठियों को वहीं छोड़ देता और घर जाकर झूठ बोल देता। लेकिन लेखक ने तब तक झूठ बोलना नहीं सिखा था और उसकी उम्र के किसी भी निश्छल बालक की तरह था। वह हर कीमत पर अपनी जिम्मेदारी पूरी करना चाहता था।

लेखक के बड़े भाई ने चिट्ठियाँ कौन से डाकखाने में डालने को कहा?

इसे सुनेंरोकेंलेखक के बड़े भाई ने चिट्ठियों को मक्खनपुर डाकखाने में डालने के लिए कहा था।

लेखक ने कुएँ में उतरने के लिए रस्सी का इंतज़ाम कहाँ से किया था?

इसे सुनेंरोकेंलेखक ने कुएँ में उतरने के लिए रस्सी का इंतज़ाम कहाँ से किया था? (a) अपने पास रखी रस्सी से।

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बच्चों के लिए मक्खनपुर से आते और जाते समय कौन सा स्थान कौतुहल का विषय था?

इसे सुनेंरोकेंमक्खनपुर पढ़ने जानेवाले बच्चों की टोली पूरी वानर टोली थी। उन बच्चों को पता था कि कुएँ में साँप है। वे ढेला फेंककर कुएँ में से आनेवाली उसकी क्रोधपूर्ण फुफकार सुनने में मजा लेते थे।

स्मृति पाठ के लेखक ने ऐसा क्या काम किया कि वह भारी मुसीबत में फँस गया स्पष्ट कीजिएI?

इसे सुनेंरोकें’स्मृति’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। लेखक ने ‘स्मृति’ पाठ में भ्रातृ स्नेह के ताने-बाने को चोट लगने की बात कही है। भाई-से-भाई के स्नेह का कोई अन्य उदाहरण प्रस्तुत करते हुए लेखक के इस कथन का अभिप्राय स्पष्ट करें। “अपनी शक्ति के अनुसार योजना बनाने वाला ही सफल होता है”–स्मृति पाठ के अनुसार इस कथन की विवेचना कीजिए।

लेखक ने कुँए की दीवार से मिट्टी नीचे क्यों डाली?

इसे सुनेंरोकेंO ताकि सांप मर जाए सांप का ध्यान बट जाए

लेखक ने स्वयं को चक्षुश्रवा क्यों कहा है?

इसे सुनेंरोकेंचक्षु श्रवा का अर्थ होता है -आंखों से देखने वाला l सांप को चक्षु श्रवा कहा जाता है l लेखक ने स्वयं को चक्षु श्रवा इसलिए कहा है क्योंकि वह उस समय अपनी पूरी शक्ति आंखों को देकर सांप की प्रत्येक हरकत पर पैनी नजर रखे हुए था।

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स्मृति पाठ के पढ़ने से बच्चों के बारे में क्या पता चलता है?

इसे सुनेंरोकेंस्मृति पाठ पढ़ने से बच्चो के बारे में पता चलता है कि बच्चे नासमझ , दुस्साहसी तथा शरारती होते हैं। स्मृति पाठ पढ़ने से बच्चो के बारे में पता चलता है कि बच्चे नासमझ , दुस्साहसी तथा शरारती होते हैं। सही विकल्प है (d) उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं।

चिट्ठियों के कुएँ में गिर जाने पर लेखक को माँ की याद क्यों आई?

इसे सुनेंरोकेंलेखक निराशा, पिटने के भय, और उद्वेग से रोने का उफ़ान नहीं सँभाल पा रहा था। इस समय उसे माँ की गोद की याद आ रही थी। वह चाहता था कि माँ आकर उसे छाती से लगा ले और लाड-प्यार करके कह दे कि कोई बात नहीं, चिट्ठियाँ फिर लिख ली जाएँगी। उसे विश्वास था कि माँ ही उसे इस विपदा में सच्ची सांत्वना दे सकती है।

लेखक अपने साथियों के साथ झरबेरी के बेर तोड़ रहा था उसी समय गाँव के एक आदमी ने ज़ोर से पुकारकर कहा कि उनका भाई बुला रहा है, जल्दी घर जाओ। इस पर लेखक डर गया कि भाई ने क्यों बुलाया है? उससे क्या कसूर हो गया है? कहीं बेर खाने पर न नाराज़ हों। उसे मार पड़ेगी और इसी पिटने के भय से वह सहमा-सहमा घर पहुँचा।

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Question 2:

मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली रास्ते में पड़ने वाले कुएँ में ढेला क्यों फेंकती थी?

Answer:

बच्चे स्वभाव से नटखट होते हैं। मक्खनपुर पढ़ने जाने के रास्ते में एक सूखा कुआँ था। उसमें एक साँप गिर गया था। अपने नटखट स्वभाव के कारण साँप को तंग करने और उसकी फुसकार सुनने के लिए बच्चे कुएँ में ढेले फेंका करते थे। उसकी आवाज़ सुनने के बाद अपनी आवाज़ की प्रतिध्वनि सुनने की इच्छा उनके मन में रहती थी।

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Question 3:

'साँप ने फुसकार मारी या नहीं, ढेला उसे लगा या नहीं, यह बात अब तक स्मरण नहीं' - यह कथन लेखक की किस मनोदशा को स्पष्ट करता है?

Answer:

लेखक के साथ यह घटना 1908 में घटी। उसने यह बात अपनी माँ को 1915 में सात साल बाद बताई और लिखा शायद और भी बाद में होगा, इसलिए लेखक ने कहा कि उसे याद नहीं है कि ढेला फेंकने पर साँप को लगा या नहीं, उसने फुसकार मारी या नहीं क्योंकि इस समय लेखक बुरी तरह डर गया था। चिट्ठियाँ कुएँ में गिर गई थी, जिन्हें उनके भाई ने डाकखाने में डालने के लिए दी थी। इससे उसकी घबराहट झलकती है।

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Question 4:

किन कारणों से लेखक ने चिट्ठियों को कुएँ से निकालने का निर्णय लिया?

Answer:

चिट्ठियाँ लेखक के बड़े भाई ने डाकखाने में डालने के लिए दी थी। लेखक अपने बड़े भाई से बहुत डरते थे। कुएँ में चिट्ठियाँ गिरने से उन्हें अपनी पिटाई का डर था और वह झूठ भी नहीं बोल सकता था। इसलिए भी कि उसे अपने डंडे पर भी पूरा भरोसा था। इन्हीं सब कारणों से लेखक ने कुएँ से चिट्ठियाँ निकालने का निर्णय किया।

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Question 5:

साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने क्या-क्या युक्तियाँ अपनाईं?

Answer:

साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने कई युक्तियाँ अपनाईं। जैसे - साँप के पास पड़ी चिट्ठियों को उठाने के लिए डंडा बढ़ाया, साँप उस पर कूद पड़ा इससे डंडा छूट गया लेकिन इससे साँप का आसन बदल गया और लेखक चिट्ठियाँ उठाने में सफल रहा पर डंडा उठाने के लिए उसने कुएँ की बगल से एक मुट्ठी मिट्टी लेकर साँप के दाई ओर फेंकी कि उसका ध्यान उस ओर चला जाए और दूसरे हाथ से डंडा खींच लिया। डंडा बीच में होने से साँप उस पर वार नहीं कर पाया।

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Question 6:

कुएँ में उतरकर चिट्ठियों को निकालने संबंधी साहसिक वर्णन को अपने शब्दों में लिखिए।

Answer:

भाई द्वारा दी गई चिट्ठियाँ लेखक से कुएँ में गिर गई थी और उन्हें उठाना भी ज़रुरी था। लेकिन कुएँ में साँप था, जिसके काटने का डर था। परन्तु लेखक ने कुएँ से चिट्ठियाँ निकालने का निर्णय लिया। उसने अपनी और अपने भाई की धोतियाँ कुछ रस्सी मिलाकर बाँधी और धोती की सहायता से वह कुएँ में उतरा। अभी 4-5 गज ऊपर ही था कि साँप फन फैलाए हुए दिखाई दिया। उसने सोचा धोती से लटककर साँप को मारा नहीं जा सकता और डंडा चलाने के लिए पर्याप्त जगह नहीं थी। लेखक ने डंडे से चिट्ठियाँ सरकाने का प्रयत्न किया तो साँप डंडे पर लिपट गया। साँप का पिछला हिस्सा लेखक के हाथ को छू गया तो उसने डंडा पटक दिया। उसका पैर भी दीवार से हट गया और धोती से लटक गया। फिर हिम्मत करके उसने कुएँ की मिट्टी साँप के एक ओर फेंकी। डंडे के गिरने और मिट्टी फेंकने से साँप का आसन बदल गया और लेखक चिट्ठियाँ उठाने में सफल रहा। धीरे से डंडा भी उठा लिया और कुएँ से बाहर आ गया। वास्तव में यह एक साहसिक कार्य था।

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Question 7:

इस पाठ को पढ़ने के बाद किन-किन बाल-सुलभ शरारतों के विषय में पता चलता है?

Answer:

1. मौसम अच्छा होते ही खेतों में जाकर फल तोड़कर खाना।

2. स्कूल जाते समय रास्ते में शरारतें करना।

3. रास्ते में आए कुएँ, तालाब, पानी से भरे स्थानों पर पत्थर फेंकना, पानी में उछलना।

4. जानवरों को तंग करते हुए चलना।

5. अपने आपको सबसे बहादुर समझना आदि अनेकों बाल सुलभ शरारतों का पता चलता है।

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Question 8:

'मनुष्य का अनुमान और भावी योजनाएँ कभी-कभी कितनी मिथ्या और उल्टी निकलती हैं' −का आशय स्पष्ट कीजिए।

Answer:

मनुष्य अपनी स्थिति का सामना करने के लिए स्वयं ही अनुमान लगाता है और अपने हिसाब से भावी योजनाएँ भी बनाता है। परन्तु ये अनुमान और योजनाएँ पूरी तरह से ठीक उतरे ऐसा नहीं होता। कई बार यह गलत भी हो जाती हैं। जो मनुष्य चाहता है, उसका उल्टा हो जाता है। अत: कल्पना और वास्तविकता में हमेशा अंतर होता है।

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Question 9:

'फल तो किसी दूसरी शक्ति पर निर्भर है' − पाठ के संदर्भ में इस पंक्ति का आश्य स्पष्ट कीजिए।

Answer:

लेखक जब कुएँ में उतरा तो वह यह सोचकर उतरा था कि या तो वह चिट्ठियाँ उठाने में सफल होगा या साँप द्वारा काट लिया जाएगा। फल की चिंता किए बिना वह कुएँ में उतर गया और अपने दृढ़ विश्वास से सफल रहा। अत: मनुष्य को कर्म करना चाहिए। फल देने वाला ईश्वर होता है। मनचाहा फल मिले या नहीं यह देने वाले की इच्छा पर निर्भर करता है। लेकिन यह भी कहा जाता है, जो दृढ़ विश्वास व निश्चय रखते हैं, ईश्वर उनका साथ देता है।

स्मृति कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

मित्र हमें स्मृति पाठ से शिक्षा मिलती है कि संकट के समय धैर्य से काम लेना चाहिए। यदि हम किसी मुसीबत में फँस जाए तो बुद्धिमानी से उस मुसीबत का सामना करना चाहिए। लेखक का मानना है कि कर्म करना मनुष्य का कर्तव्य है। उसे परिणाम ईश्वर पर छोड़ देना चाहिए।

स्मृति पाठ के अनुसार लेखक के डंडे की क्या विशेषता थी?

Answer: स्मृति' पाठ में लेखक के डंडे की विशेषताएं यह थीं कि बबूल की लकड़ी का बना वो डंडा लेखक को अत्यंत प्रिय था। उसका डंडा कितने साँपों के लिये नारायण वाहन बन चुका था, यानि लेखक उस डंडे से कितने ही साँपों को ठिकाने लगा चुका था।

लेखक ने कुएँ वाली घटना बताने का निर्णय कब लिया?

Answer: लेखक के साथ यह घटना 1908 में घटी। उसने यह बात अपनी माँ को 1915 में सात साल बाद बताई और लिखा शायद और भी बाद में होगा, इसलिए लेखक ने कहा कि उसे याद नहीं है कि ढेला फेंकने पर साँप को लगा या नहीं, उसने फुसकार मारी या नहीं क्योंकि इस समय लेखक बुरी तरह डर गया था।

स्मृति पाठ में लेखक की उम्र क्या थी?

स्मृति पाठ प्रवेश इस पाठ में लेखक अपने बचपन की उस घटना का वर्णन करता है जब वह केवल ग्यारह साल का था और उसके बड़े भाई ने उससे कुछ महत्वपूर्ण चिठियों को डाकघर में डालने के लिए भेजा था और उसने गलती से वो चिठियाँ एक पुराने कुऍं में गिरा दी थी