पुखराज कौन से हाथ की उंगली में पहनना चाहिए? - pukharaaj kaun se haath kee ungalee mein pahanana chaahie?

बाएं हाथ की तर्जनी में पुखराज पहनने से क्या होता है – गुरु से जुडी समस्या के निवारण के लिए पुखराज पहनने की सलाह दी जाती हैं. इसलिए पुखराज को बहुत ही अहम और महत्वपूर्ण रत्न माना जाता हैं. इसके अलावा पुखराज धनु और मीन राशि का प्रतिनिधित्व करने वाला रत्न भी माना जाता हैं. ऐसा माना जाता है की जिनकी कुंडली में गुरु अशुभ या कमजोर हैं.

पुखराज कौन से हाथ की उंगली में पहनना चाहिए? - pukharaaj kaun se haath kee ungalee mein pahanana chaahie?

ऐसे जातक को पुखराज धारण करने की सलाह दी जाती हैं. लेकिन कई बार पुखराज धारण करने के बाद भी जातक को लाभ नहीं दिखाई देता हैं. इसके पीछे यह कारण है की जातक ने सही उंगली या फिर सही तरीके से पुखराज धारण नहीं किया हैं.

दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताने वाले हैं की बाएं हाथ की तर्जनी में पुखराज पहनने से क्या होता है. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान करने वाले हैं. तो यह सभी महत्वपूर्ण जानकारी पाने के लिए आज का हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े.

तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं.

Table of Contents

  • बाएं हाथ की तर्जनी में पुखराज पहनने से क्या होता है
  • पुखराज किस धातु में पहने
  • क्यों बाएं हाथ में रत्न पहनना चाहिए
  • पुखराज किस दिन पहनना चाहिए
  • निष्कर्ष                         

बाएं हाथ की तर्जनी में पुखराज पहनने से क्या होता है

काफी लोगो का यह सवाल होता है की बाएं हाथ की तर्जनी में पुखराज पहनने से क्या होता है. तो हम आपको बता रहे ही की आप पुखराज बाए या दाएं किसी भी हाथ की तर्जनी उंगली में पहने शुभ ही माना जाता हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आप किसी भी हाथ की तर्जनी उंगली में पुखराज धारण कर सकते हैं. आपको फायदा ही होगा.

लेकिन एक विशेष बात का ध्यान रखना होता हैं. आप जिस हाथ में पुखराज धारण कर रहे हैं. उस हाथ में नीलम, पन्ना तथा हीरा नहीं धारण करना चाहिए. अगर पुखराज के साथ आप नीलम, पन्ना और हीरा उसी हाथ में पहनते हैं. तो यह आपके लिए अशुभ हो सकता हैं. ऐसा करने से किसी भी रत्न का आपको कोई भी फायदा नहीं मिलेगा.

इसलिए आप दाए या बाए हाथ की किसी भी तर्जनी उंगली में पुखराज धारण करे आपके लिए शुभ माना जाएगा. लेकिन पुखराज के साथ हीरा, नीलम और पन्ना धारण न करे.

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पुखराज किस धातु में पहने

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पुखराज चांदी या सोने की अंगूठी में धारण कर सकते हैं. लेकिन अगर आप सोने की अंगूठी में धारण करते हैं. तो अतिउत्तम माना जाता हैं.

पुखराज कौन से हाथ की उंगली में पहनना चाहिए? - pukharaaj kaun se haath kee ungalee mein pahanana chaahie?

क्यों बाएं हाथ में रत्न पहनना चाहिए

रत्न शास्त्र के अनुसार रत्न में बहुत ही उर्जा पाई जाती हैं. इसलिए पहले के जमाने में भी लोग रत्न धारण किया करते थे. आपने कई बार देखा होगा की पहले के समय में राजा-महाराजा अपने मुकट पर रत्न लगाकर धारण किया करते थे.

ऐसा माना जाता है की दोनों भोहो के बीच में काफी ऊर्जा होती हैं. वह रत्न की उर्जा आकर्षित करने में सक्षम होती हैं. इसलिए रत्न के लिए माथे के बीच वाली जगह सबसे अधिक शुभ मानी जाती थी.

लेकिन आज के समय में ऐसा कर पाना नामुमकिन हैं. इसलिए शरीर के इस अंग के बाद हाथ ही शुभ माने जाते हैं. इसलिए लोग हाथ में रत्न धारण करते हैं. आप रत्न बाएं या दाएं किसी भी हाथ में धारण कर सकते हैं. इसलिए आप बाएं हाथ में भी रत्न धारण कर सकते हैं.

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पुखराज किस दिन पहनना चाहिए

पुखराज गुरु का प्रतिनिधित्व करने वाला रत्न माना जाता हैं. इसलिए गुरूवार के दिन पुखराज रत्न धारण करना शुभ माना जाता हैं. इस दिन भगवान विष्णु का भी दिन होता हैं. इसलिए आप गुरूवार के दिन रत्न धारण करते हैं. तो भगवान विष्णु का नाम लेते हुए रत्न पहने. इससे भगवान विष्णु के आशीर्वाद की प्राप्ति आपको होती हैं. इससे पुखराज रत्न पहनने के लाभ दुगुना मिलता हैं.

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निष्कर्ष                         

दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताया है की बाएं हाथ की तर्जनी में पुखराज पहनने से क्या होता है. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान की हैं.

हम उम्मीद करते है की आज का हमारा यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा. अगर उपयोगी साबित हुआ हैं. तो आगे जरुर शेयर करे. ताकि अन्य लोगो तक भी यह महत्वपूर्ण जानकारी पहुंच सके.

दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह बाएं हाथ की तर्जनी में पुखराज पहनने से क्या होता है आर्टिकल अच्छा लगा होगा. धन्यवाद

इसे सुनेंरोकेंपुखराज तर्जनी में ही क्यों पहनने की सलाह देते हैं, क्योंकि कोई भी व्यक्ति धमकी, निर्देश आदि देता है तो इसी उंगली से देता है। यही उंगली लड़ाई का भी कारण बनती है, तो होशियार करने के लिए भी काम आती है। इसलिए गुरु का रत्न पुखराज पहनने की सलाह दी जाती है।

धनु राशि वाले कौन सी अंगूठी पहने?

इसे सुनेंरोकेंधनु राशि वालों के लिए भाग्यशाली रत्न पुखराज होता है अतः इन्हें गुरु खराब रहने पर पुखराज पहनना चाहिए। गुरुवार के दिन सोने या तांबे की अंगूठी में 3-4 रत्ती का पुखराज जड़वाकर गुरुदेव का ध्यान कर तर्जनी अंगुली में पहनें। यह शुभ एवं फलप्रद होता है।

पुखराज कितने रत्ती का पहने?

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इसे सुनेंरोकेंपुखराज- कम-से-कम तीन रत्ती से चार रत्ती का होना चाहिए। 6,11 या 15 रत्ती का पुखराज कभी नहीं पहनना चाहिए। मोती- कम-से-कम 4,6,2 या 11 रत्ती का होना चाहिए, परन्तु 7 अथवा 8 रत्ती का कभी नहीं पहनना चाहिए।

पुखराज रत्न के साथ कौन सा रत्न पहनना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंपुखराज के साथ माणिक पहना जाए तो अति शुभ फल भी मिल सकते हैं। मध्यमा में नीलम धारण करते है व इसके अलावा कोई भी रत्न नहीं पहनना चाहिए अन्यथा शुभ परिणाम नहीं मिलते।

पुखराज कब नहीं पहने?

इसे सुनेंरोकेंधनु व मीन राशि वालों की भाग्यवृद्धि के लिए यह रत्न बहुत उपयोगी माना गया है। साथ ही वृष, मिथुन, कन्या, तुला, मकर व कुम्भ लग्न वाले लोगों को पुखराज नहीं पहनना चाहिए।

धनु राशि वालों की आयु कितनी होती है?

इसे सुनेंरोकेंइस राशि को 14 से 21 वर्ष तक, 35 से 42 वर्ष तक तथा 56 से 63 वर्ष की आयु के बीच अपने स्वास्थ्य के संबंध में विशेष सावधान रहना चाहिए। 28 से 35 तथा 42 से 49 की आयु का समय इनके लिए सर्वश्रेष्ठ रहता है। 57 से 63 वर्ष की आयु के बीच या तो इनका पहले से अधिक भाग्योदय होता है अथवा फिर जीवन कष्टमय हो जाता है।

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धनु राशि के लिए कौन सा पत्थर?

इसे सुनेंरोकेंधनु राशि का भाग्‍य रत्‍न (Birthstone of Sagittarius Sign) चूंकि, बृहस्‍पति इस राशि का स्‍वामी ग्रह है इसलिए पुखराज रत्‍न (Pukhraj stone) को इस राशि का भाग्‍य रत्‍न माना गया है।

6 रत्ती पुखराज की कीमत क्या है?

इसे सुनेंरोकेंआमतौर पर भारत में अच्‍छी क्‍वालिटी का पुखराज 2,500 रुपए प्रति रत्ती से लेकर 40,000 प्रति रत्ती तक मिलता है।

ओरिजिनल पुखराज का क्या रेट है?

इसे सुनेंरोकेंआमतौर पर बाजार में पुखराज की शुरूआत कीमत 1 हजार प्रति कैरेट होती है। इसके ऊपर पुखराज की गुणवत्ता के अनुसार इसकी कीमत बढ़ती रहती है।

असली पुखराज की कीमत क्या है?

7 रत्ती पुखराज की कीमत क्या है?

इसे सुनेंरोकें₹16,999.00 नि: शुल्क डिलिवरी।

पुखराज की अंगूठी कौन सी उंगली में पहनना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंपुष्कराज को सदैव तर्जनी उंगली में पहनना चाहिए। अंगूठे और मध्यमा उंगली के बीच जो उंगली होती है, उसे तर्जनी उंगली कहते हैं। इस उंगली के नीचे गुरू पर्वत यानी गुरु का स्थान होता है। इसलिए इस उंगली को धर्म और धन का स्थान भी कहा जाता है।

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पुखराज कौन पहन सकता है?

इसे सुनेंरोकें-पुखराज हमेशा कुंडली में बृहस्पति ग्रह की स्थिति के हिसाब से ही धारण किया जाता है. इसे वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर, कुंभ राशि और लग्न वाले लोगों को धारण करने से बचना चाहिए. -ज्योतिषियों के अनुसार पुखराज उन्हें धारण करने की सलाह दी जाती है, जिनके विवाह में देरी हो रही होती है.

ओरिजिनल पुखराज की पहचान कैसे करें?

इसे सुनेंरोकें-असली पुखराज की पहचान करने के लिए शीशे के गिलास में गाय का दूध डालें। अगर पुखराज असली है तो 1 से डेढ़ घंटे के अंदर पुखराज की किरणें दूध के ऊपर छिटकती हुई दिखने लगेंगी। -दूसरा तरीका ये है कि पुखराज को हथेली पर रखें और इसे हल्का से हिलाकर देखें। अगर पुखराज असली है तो आपको हाथ में कुछ भारीपन सा महसूस होगा।

पुखराज कौन से हाथ में पहनना चाहिए?

पीला पुखराज– पीला पुखराज गुरु ग्रह से संबंधित होता है, तथा इसे गुरु ग्रह के बीज मंत्रों से अभिमंत्रित कर इसे गुरुवार के दिन तर्जनी उंगली में धारण किया जाता है lआप चाहे तो दाएं हाथ या बाएं हाथ की तर्जनी उंगली में धारण कर सकते हैं, किंतु बहुत से विद्वान ज्योतिषियों का मद होता है, कि जो लोग किसी न किसी तरह से धन अर्जन ...

पुखराज की अंगूठी कौन सी उंगली में पहनना चाहिए?

रत्न शास्त्र के अनुसार पुखराज को बृहस्पति का रत्न माना जाता है. इसे सोने की धातु में तर्जनी उंगली में गुरुवार के दिन सुबह 10:00 से 12:00 के बीच धारण करना शुभ होता है.

बाएं हाथ में क्यों पहनते हैं रत्न?

पुरुष को रत्न दाहिने हाथ में एवं स्त्री को बायें हाथ में धारण करना चाहिए। यदि व्यक्ति विशेष बायें हाथ से काम करता है, या कोई स्त्री पुरुष की भांति काम-काज करती है, तो भी स्त्री को बायें एवं पुरुष को दायें हाथ में ही रत्न धारण करना चाहिए।

पुखराज की अंगूठी पहनने से पहले क्या करना चाहिए?

पुखराज को धारण करने के लिए सबसे शुभ दिन एकादशी या फिर बृहस्‍पतिवार का माना गया है। इस रत्‍न को सोने की अंगूठी में इस तरह से जड़वाएं कि यह पहनने पर पीछे से आपकी त्‍वचा को स्‍पर्श करे। गुरुवार के दिन सुबह स्‍नान करने के बाद इस अंगूठी को दूध और गंगाजल में डालें और फिर इसको शहद से स्‍नान करवाएं।