Show
भारतीय संघवाद: केन्द्र-राज्य संबंधों में बढ़ता टकराव - यूपीएससी, आईएएस, सिविल सेवा और राज्य पीसीएस परीक्षाओं के लिए समसामयिकीचर्चा का कारणहाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रलय ने दिशा-निर्देशों को जारी करते हुए पश्चिम बंगाल में हिंसा रोकने एवं कानून का शासन सुनिश्चित करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों की रिपोर्ट माँगी है। साथ ही केंद्र ने बंगाल सरकार से राजनीतिक हिंसा और उसके दोषियों पर हुई कार्रवाई का विवरण भी देने को कहा है। परिचयभारत में स्वतंत्रता के उपरांत से ही केंद्र-राज्य संबंध का मसला अत्यधिक संवेदनशील रहा है। विषय चाहे अलग भाषाओं की पहचान, असमान विकास, राज्यों के गठन का हो या पुनर्गठन का, विशेष राज्य का दर्जा देने से जुड़ा हो या फिर राज्यों में आंतरिक हिंसा का। ये सब केंद्र-राज्य संबंधों की सीमा में आते हैं। भारतीय संविधान में भारत को ‘राज्यों का संघ’ कहा गया है न कि संघवादी राज्य। भारतीय संविधान ने विधायी, प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियों का सुस्पष्ट बँटवारा केंद्र और राज्यों के बीच किया है। केन्द्र एवं राज्यों के बीच प्रशासनिक संबंधों का वर्णन संविधान के भाग-11 अनुच्छेद 256 से 263 तक किया गया है। संविधान में इस सिद्धान्त को मान्यता दी गयी है कि कार्यपालिका विधायिका की सहविस्तारी होगी, अर्थात् जिस विषय पर संसद कानून बना सकता है, उस विषय पर केन्द्रीय कार्यपालिका का नियंत्रण होगा और जिस विषय पर राज्य का विधानमण्डल कानून बना सकता है उस विषय पर राज्य की कार्यपालिका का नियंत्रण होगा। समवर्ती सूची के विषयों के संबंध में कानून बनाने का अधिकार संसद और राज्य विधानमंडल दोनों को है, किन्तु संसद तथा राज्य विधानमंडल द्वारा बनाई गयी विधियों में विरोध (Conflict) होने पर संसद द्वारा बनाई गई विधि मान्य होगी तथा राज्य विधानमंडल द्वारा बनाई गयी विधि, विरोध की मात्र तक शून्य होगी (अनुच्छेद 254)। बंगाल की वर्तमान स्थिति
केंद्र व राज्यों के बीच तनाव के कारणयहाँ हम केन्द्र-राज्य संबंधों के परिप्रेक्ष्य में उन कारणों का जिक्र कर सकते हैं जो सामान्यतः दोनों के बीच तनाव के लिए जिम्मेदार होते रहे हैं।
केन्द्र-राज्य के बीच प्रशासनिक संबंधभारत में संघ और राज्यों के बीच प्रशासनिक संबंध निर्धारित करने वाले उपबन्धों को दो वर्गों में विभाजित किया गया है-
संवैधानिक प्रावधानराज्य सरकार को सामान्यतः अपने प्रशासनिक कार्यों में पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त रहती है फिर भी केन्द्र सरकार कुछ सीमा तक उन्हें नियंत्रित व निर्देशित करती है, जैसे-
संविधानेत्तर प्रावधानकेन्द्र और राज्यों के प्रशासनिक संबंधों को प्रभावित करने वाले अन्य कई कारक ऐसे भी होते हैं जो संविधान में वर्णित नहीं होते हैं लेकिन विभिन्न निकायों या सम्मेलनों आदि के रूप में विद्यमान होते हैं। उदाहरण के तौर पर ऐसे सलाहकारी निकाय हैं जो केन्द्र तथा राज्यों के समन्वय को बढ़ाने का प्रयास करते हैं। ऐसे निकायों में अध्यक्षता केन्द्र सरकार द्वारा नियुक्त पदाधिकारी करता है जबकि राज्यों की भूमिका सदस्यों के रूप में होती है। उदाहरण के लिए राष्ट्रीय विकास परिषद्, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग तथा क्षेत्रीय परिषद् आदि। परस्पर समन्वय स्थापित करने वाले उपबंधकेन्द्र-राज्य दोनों मिलकर संघवाद को साकार कर सकें, इसको लेकर संविधान में कई उपबंध किए गए हैं जो इस प्रकार हैं-
केन्द्र तथा राज्यों के प्रशासनिक संबंधों को प्रभावित करने वाले उपबंध
आगे की राहनिष्कर्षतः कहा जा सकता है कि केन्द्र और राज्यों के बीच तनाव विकास एवं जनकल्याण को अवरुद्ध कर सकती है। ऐसे में केन्द्र-राज्य संबंधों में समन्वय आवश्यक हो जाता है। इस संदर्भ में कुछ सुझावों को अमल में लाया जा सकता है जो तनाव कम करने में कारगर साबित हो सकते हैं।
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2
Important Current Affair Articles in English© www.dhyeyaias.in << मुख्य पृष्ठ पर वापस जाने के लिये यहां क्लिक करेंकेंद्र राज्य संबंधों में तनाव के प्रमुख कारण कौन से हैं?पंरन्तु फिर भी शक्तियों के प्रयोग के दौरान कुछ तनाव उभर आते है। जिनका समुचित समाधान जरूरी है। ताकि केन्द्र व राज्य संबंध सुचारू रूप से संविधान के अनुसार क्रियाशील होते रहें। भारतीय संघवाद , संविधान , शक्तियों का बटंवारा , अंतर्राज्यीय परिषद् , निर्वाचन , दलबंदी , असहयोग , राजनीति आदि।
केंद्र राज्य संबंधों के बीच मुख्य बाधा क्या रही है?परिचय भारत में स्वतंत्रता उपरांत केंद्र-राज्य संबंध का मसला अत्याधिक संवेदनशील मामला रहा है। विषय चाहे अलग भाषाओं की पहचान, असमान विकास, राज्यों के गठन का हो, पुनर्गठन का हो या फिर विशेष राज्य का दर्जा देने से जुड़ा हो। ये सब केंद्र-राज्य संबंधों की सीमा में आते हैं।
केंद्र और राज्य में शक्ति विभाजन के लिए भारतीय संविधान में कितनी अनुसूचियां हैं?सातवीं अनुसूची: इसमें केंद्र और राज्यों के बीच शक्ति विभाजन के लिए तीन सूचियों संघ सूची, राज्य सूची, समवर्ती सूची का वर्णन किया गया है। आठवीं अनुसूची: इसमें वर्तमान में 22भाषाओं का उल्लेख किया गया हैं। नौवीं अनुसूची: इसमें न्यायिक समीक्षा प्रतिरोधी प्रावधान, भूमि सुधार संबंधी एक्ट का उल्लेख किया गया है।
भारतीय संविधान में केंद्र और राज्य के बीच शक्तियों का वितरण कैसे किया गया?सामान्य परिस्थितियों में केंद्र और राज्यों में विधान शक्ति के विभाजन को कठोरता से कायम रखना आवश्यक है और कोई भी सरकार किसी दूसरे के क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं कर सकती किंतु कुछ विशेष परिस्थितियों में उक्त शक्ति का वितरण या तो निलंबित कर दिया जाता है यह केंद्र को राज्य सूची के विषयों पर विधि बनाने की शक्ति प्राप्त हो ...
|