शंकर जी का पिता का नाम क्या है - shankar jee ka pita ka naam kya hai

भगवान शिव को भैरव के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं भगवान शिव, वेद में इन्हें रुद्र के नाम से भी जाना जाता है। शिव इंसान की चेतना के स्वामी हैं यानी इंसान के मन की बात पढ़ने वाले हैं। इनकी अर्धांगिनी अर्थात देवी पार्वती को शक्ति के रूप में पूजा जाता है। उनकी पूजा शिवलिंग और मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है।

भगवान सदाशिव परम ब्रह्म हैं। अर्वाचीन और प्राचीन विद्वान इन्हीं को ईश्वर कहते हैं। सदाशिव ने अपने शरीर से देवी शक्ति की सृष्टि की, जो उनके अपने अंग से कभी अलग होने वाली नहीं थी। देवी शक्ति को पार्वती के रूप में जाना गया और भगवान शिव को अर्धनारीश्वर के रूप में। वहीं देवी शक्ति को प्रकृति, गुणवती माया, बुद्धितत्व की जननी तथा विकार रहित माना गया।

शंकर जी का पिता का नाम क्या है - shankar jee ka pita ka naam kya hai

श्रीमद्‌ देवी महापुराण के मुताबिक, भगवान शिव के पिता के लिए भी एक कथा है। देवी महापुराण के मुताबिक, एक बार जब नारदजी ने अपने पिता ब्रह्माजी से सवाल किया कि इस सृष्टि का निर्माण किसने किया? आपने भगवान विष्णु ने या फिर भगवान शिव ने? आप तीनों को किसने जन्म दिया है यानीआपके तीनों के माता-पिता कौन हैं?

तब ब्रह्मा जी ने नारदजी से त्रिदेवों के जन्म की गाथा का वर्णन करते हुए कहा कि देवी दुर्गा और शिव स्वरूप ब्रह्मा के योग से ब्रह्मा, विष्णु और महेश की उत्पत्ति हुई है। यानी प्रकृति स्वरूप दुर्गा ही माता हैं और ब्रह्म अर्थात काल-सदाशिव पिता हैं।

एक कथा के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु जी का झगड़ा हो गया क्योंकि ब्रह्मा जी ने कहा मैं तेरा पिता हूं, क्योंकि यह सृष्टि मुझसे उत्पन्न हुई है, मैं प्रजापिता हूं। इस पर विष्णु जी ने कहा कि मैं तेरा पिता हूं, तू मेरी नाभि कमल से उत्पन्न हुआ है।

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शंकर जी का पिता का नाम क्या है - shankar jee ka pita ka naam kya hai

सदाशिव ने विष्णु जी और ब्रह्मा जी के बीच आकर कहा, हे पुत्रों! मैंने तुमको जगत की उत्पत्ति और स्थिति रूपी दो कार्य दिए हैं, इसी प्रकार मैंने शंकर और रुद्र को दो कार्य संहार और तिरोगति दिए हैं, मुझे वेदों में ब्रह्म कहा है। मेरे पांच मुख हैं, एक मुख से अकार (अ), दूसरे मुख से उकार (उ), तीसरे मुख से मुकार (म), चौथे मुख से बिन्दु (.) तथा पांचवे मुख से नाद (शब्द) प्रकट हुए हैं, उन्हीं पांच अववयों से एकीभूत होकर एक अक्षर ओम्‌ (ऊं) बना है, यह मेरा मूल मन्त्र है। उपरोक्त शिव महापुराण के प्रकरण से सिद्ध हुआ कि शंकर कीमाता अष्टंगी देवी तथा पिता सदाशिव अर्थात ‘काल ब्रह्म’ है।

भगवान शिव के एक नहीं 108 नाम हैं और हर नाम का एक महत्व और मतलब है। महादेव की पूजा करने से मनुष्य को समस्त सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। भगवान शिव की सात्विक ही तांत्रिक पूजा भी की जाती है। भक्त अपनी-अपनी शक्ति और भक्ति के अनुसार शिवजी के विभिन्न रूप की आरधना करते हैं। भगवान शिव ही एक ऐसे ईश्वर हैं, जिनकी पूजा प्रतिमा और शिवलिंग के रूप में अलग-अलग होती है। भगवान शंकर की पूजा उनके परिवार समेत करना अनिवार्य होता है और शिवलिंग की पूजा में शिवजी को अकेले या देवी पार्वती के साथ पूजा जाता है। शिवजी के जन्म से जुड़ी बातें शिव पुराण में उल्लेखित हैं। शिवजी के माता-पिता कौन है यह जानकारी भी शिव पुराण में मौजूद है। तो आइए आपको शिव जी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य बताएं।

भगवान शिव की हैं कई और संतान

हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में भगवान शिवजी का स्थान सर्वोच्च है। भगवान शिव मनुष्य के मन को पढ़ने वाले माने गए हैं। कहा जाता है कि शिवजी के शरण में आने भर से भगवान अपने भक्त के कष्ट और कामनाओं को समझ लेते हैं। अड़भंगी कहे जाने वाले भगवान शंकर केवल मनुष्य ही नहीं हर प्राणी की रक्षा करते हैं और उनकी टोली में जीव-जंतु तक शामिल होते हैं। खास बात ये है कि भगवान शिव की पत्नी देवी पार्वती और उनके पुत्र कार्तिकेय और भगवान गणेश जी के बारे में सभी जानते हैं, लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि शिव जी की कई और संतानें हैं। उनकी तीन पुत्रियां हैं, अशोक सुंदरी, ज्योति और मनसा। पुत्र के नाम सुकेश, जलंधर, अयप्पा, भूमा, अंधक और खुजा हैं। इन सभी के जन्म के पीछे दंतकथाएं पुराणों में मौजूद हैं।

कौन हैं भगवान शिव के माता- पिता?

श्रीमद्देवी महापुराण में भगवान शिव के माता-पिता के बारे में उल्लेखित है। श्रीमद्देवी महापुराण के अनुसार एक बार जब नारद जी ने अपने पिता ब्रह्मा जी से पूछा किस सृष्टि का निर्माण किसने किया है?  साथ ही भगवान विष्णु, भगवान शिव और आपके पिता कौन हैं? तब ब्रह्मा जी ने नारद जी से त्रिदेवों के जन्म के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि देवी दुर्गा और शिव स्वरूप ब्रह्मा के योग से ब्रह्मा विष्णु और महेश की उत्पत्ति हुई है। यानी प्रकृति स्वरूप दुर्गा ही हम तीनों की माता है और ब्रह्मा यानी काल सदाशिव हमारे पिता हैं।

एक बार श्री ब्रह्मा जी और विष्णु जी में झगड़ा हुआ। ब्रह्मा जी ने कहा कि सृष्टि मुझसे उत्पन्न हुई है और मैं प्रजापिता हूं। तब विष्णु जी ने कहा कि मैं तेरा पिता हूं क्योंकि आप मेरी नाभि कमल से उत्पन्न हुए हैं। इन दोनों का झगड़ा सुनकर सदाशिव पहुंचे और उन्होंने कहा कि पुत्रों मैंने तुमको जगत की उत्पत्ति और स्थिति रूपी दो कार्य दिए हैं। इसी प्रकार मैंने शंकर और रूद्र को संहार और तिरोगति के कार्य दिए हैं। मेरे पांच मुख हैं। एक मुख से अकार (अ) दूसरे मुख से उकार (उ) तीसरे मुख से मुकार (म) चौथे मुख से बिन्दु (.) तथा पांचवे मुख से नाद (शब्द) प्रकट हुए हैं। उन्हीं पांच अववयों से एकीभूत होकर एक अक्षर "ऊँ" बना है। यह मेरा मूल मंत्र है।

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भगवान शंकर के पिता का नाम क्या था?

उपरोक्त शिव महापुराण के प्रकरण से सिद्ध हुआ कि श्री शकंर जी की माता श्री दुर्गा देवी (अष्टंगी देवी) है तथा पिता सदाशिव अर्थात् “काल ब्रह्म” है।

शंकर जी का जन्म कैसे हुआ था?

शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव को स्वयंभू (सेल्फ बॉर्न) माना गया है जबकि विष्णु पुराण के अनुसार भगवान विष्णु स्वयंभू हैं. शिव पुराण के अनुसार, एक बार जब भगवान शिव अपने टखने पर अमृत मल रहे थे तब उससे भगवान विष्णु पैदा हुए जबकि विष्णु पुराण के अनुसार शिव भगवान विष्णु के माथे के तेज से उत्पन्न हुए बताए गए हैं.

शंकर जी का असली नाम क्या है?

शंकर या महादेव आरण्य संस्कृति जो आगे चल कर सनातन शिव धर्म नाम से जाने जाते है में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव भी कहते हैं। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है।

भगवान शिव की 5 पुत्री का नाम क्या है?

भगवान शिव की इन नाग कन्याओं का नाम जया, विषहर, शामिलबारी, देव और दोतलि है। भगवान शिव ने अपनी पुत्रियों के बारे में बताते हुए कहा कि जो भी सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन इन नाग कन्याओं की पूजा करेगा, उनके परिवार को सर्पदंश का भय नहीं रहेगा।