नवाब साहब की असुविधा और संकोच के क्या कारण रहे होंगे - navaab saahab kee asuvidha aur sankoch ke kya kaaran rahe honge

इसे सुनेंरोकेंAnswer. Answer: उत्तर- सेकंड क्लास के जिस डिब्बे में नवाब साहब अब तक अकेले बैठे थे वहाँ अचानक लेखक के आ जाने से उनके एकांत चिंतन में विघ्न पड़ गया। उसके बारे में लेखक ने यह अनुमान लगाया कि ये भी शायद किसी कहानी के लिए नई सूझ में होंगे या खीरे जैसी साधारण वस्तु खाने के संकोच में पड़ गए होंगे।

2 नवाब साहब की असुविधा और संकोच के क्या कारण रहे होंगे?`?

इसे सुनेंरोकेंलेखक ने उनकी असुविधा और संकोच के कारण का अनुमान लगाया कि नवाब साहब यह नहीं चाहते होंगे कि कोई उन्हें सेकंड क्लास में यात्रा करते देखें। यह उनकी रईसी के विरुद्ध था। नवाब साहब ने आम लोगों द्वारा खाए जाने वाले खीरे खरीद रखे थे। अब उन खीरों को लेखक के सामने खाने में संकोच आ रहा था।

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14 लेखक ने जूते फटे होने का क्या अनुमान लगाया था?

इसे सुनेंरोकेंफटे जूते में से निकलने वाली अंगुली को देखकर लेखक को लगता है जैसे अंगुली लेखक और समाज पर व्यंग्य कर रही है और संकेत द्वारा उनके प्रति अपनी घृणा को प्रकट कर रही है।

लेखक क्या अनुमान करने लगा?

इसे सुनेंरोकेंलेखक किस बात का अनुमान करने लगा? लेखक इस बात का अनुमान करने लगा कि नवाब साहब अकेले यात्रा करना चाहते होंगे। वे अधिक किराया खर्च नहीं करना चाहते थे इसलिए कुछ बचत करने के विचार से उन्होंने सेकंड क्लास का टिकट ले लिया था।

2 लेखक को नवाबसाहब का मौन रहना भी अखर रहा था और बातें करना भी कचोटने लगा क्यों?

इसे सुनेंरोकेंAnswer. Answer:— नवाब साहब के इन हाव-भावों को देखकर लेखक अनुमान लगा रहा था कि वे बातचीत करने के लिए किंचित भी उत्सुक उन्होंने ऐसा क्यों किया होगा? खीरे खाकर पेट भरने की आदत तो साधारण लोगों की बात है। ..

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नवाब साहब द्वारा लेखक से बातचीत की उत्सुकता न दिखाने पर लेखक ने क्या किया?

इसे सुनेंरोकेंनवाब साहब द्वारा लेखक से बातचीत की उत्सुकता न दिखाने पर लेखक ने क्या किया? नवाब साहब ने लेखक से बातचीत की उत्सुकता उस समय नहीं दिखायी जब वह डिब्बे में आया। लेखक ने इस उपेक्षा का बदला उपेक्षा से दिया। उसने भी नवाब साहब से बातचीत की उत्सुकता नहीं दिखाई और नवाब साहब की ओर से आँखें फेर लिया।

नवाब साहब के संकोच का क्या कारण था?

इसे सुनेंरोकेंAnswer. Answer: खीरे को लेकर नवाब साहब ने इसलिए संकोच किया क्योंकि उनके तोलिए पर दो खीरे रखे हुए थे अचानक लेखक आ गए और उन्होंने खीरे जैसेअपदार्थ वस्तु का शौक करते हुए देख लिए शायद इसलिए नवाब साहब संकोच करने लगे।

खीरा खाने की इच्छा होने पर भी लेखक ने इंकार क्यों कर दिया?

इसे सुनेंरोकेंनवाब साहब की भाव-भंगिमा देखकर लेखक के मन में यह विचार आया कि नवाब साहब का मुँह खीरे के स्वाद की कल्पना से ही भर गया है। पूर्व में इनकार कर चुकने के कारण आत्मसम्मान की रक्षा के लिए लेखक ने खीरा खाने से इंकार कर दिया।

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लेखक ठाली बैठे क्या अनुमान करने लगे *?

इसे सुनेंरोकेंठाली बैठे, कल्पना करते रहने की पुरानी आदत है। नवाब साहब की असुविधा और संकोच के कारण का अनुमान करने लगे। संभव है, नवाब साहब ने बिलकुल अकेले यात्रा कर सकने के अनुमान में किफ़ायत के विचार से सेकंड क्लास का टिकट खरीद लिया हो और अब गवारा न हो कि शहर का कोई सफेदपोश उन्हें मँझले दर्जे में सफर करता देखे।…

नवाब साहब क्यों लेट गए लेखक ने क्या प्रतितिया प्रकट की वह तकस बाि पर गौर कर रहा था?

इसे सुनेंरोकेंAnswer. नवाब साहब खीरे को काटने की तैयारी और इस्तेमाल की प्रक्रिया से थककल लेट गए। लेखक ने मन ही मन सर हिला कहा कि यह है खानदानी तहजीब, नफासत और नजाकत। लेखक नवाब साहब द्वारा खीर काटने और उसको काटकर उसकी सुगंध को केवल सूंघकर मात्र से स्वाद की कल्पना करके संतुष्ट हो जाने की प्रक्रिया को बड़े गौर से देख रहा था।

इसे सुनेंरोकेंलेखक को देखकर उन्हें असुविधा और संकोच हो रहा था। लेखक ने उनकी असुविधा और संकोच के कारण का अनुमान लगाया कि नवाब साहब यह नहीं चाहते होंगे कि कोई उन्हें सेकंड क्लास में यात्रा करते देखें। यह उनकी रईसी के विरुद्ध था। नवाब साहब ने आम लोगों द्वारा खाए जाने वाले खीरे खरीद रखे थे।

लेखक सेकंड क्लास डिब्बे में क्या सोचकर चढ़ा?

इसे सुनेंरोकेंलेखक को नई कहानी के सोच-विचार के लिए एकांत चाहिए था। साथ में प्राकृतिक दृश्य देखते हुए किसी भी तरह की बाधा उत्पन्न नहीं होती। एकांत की इच्छा के कारण लेखक ने सेकंड क्लास का टिकट खरीदा।

खीरे की तैयारी से कौन थक कर लेट गया?

इसे सुनेंरोकेंनवाब साहब खीरे की तैयारी और इस्तेमाल से थककर लेट गए। हमें तसलीम में सिर खम कर लेना पड़ा-यह है खानदानी तहज़ीब, नफासत और नजाकत!

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घ नवाब साहब की असुविधा और संकोच के क्या कारण रहे होंगे?

इसे सुनेंरोकेंलेखक ने उनकी असुविधा और संकोच के कारण का अनुमान लगाया कि नवाब साहब यह नहीं चाहते होंगे कि कोई उन्हें सेकंड क्लास में यात्रा करते देखें। यह उनकी रईसी के विरुद्ध था। नवाब साहब ने आम लोगों द्वारा खाए जाने वाले खीरे खरीद रखे थे। अब उन खीरों को लेखक के सामने खाने में संकोच आ रहा था।

नवाब साहब को क्या गवारा नहीं था?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: नवाब साहब की असुविधा और संकोच के कारण का अनुमान करने लगे। संभव है, नवाब साहब ने बिल्कुल अकेले यात्रा कर सकने के अनुमान में किफ़ायत के विचार से सेकंड क्लास को टिकट खरीद लिया हो और अब गवारा न हो कि शहर का कोई सफेदपोश उन्हें मँझले दर्जे में सफर करता देखे। …

लेखक ने सेकंड क्लास का टिकट क्यों खरीदा Class 10?

इसे सुनेंरोकेंलेखक ने सेकंड क्लास का टिकट इसलिए खरीदा क्योंकि लेखक आरामदायक और सुकून से यात्रा करना चाहता था। उसे यात्रा के दौरान एकांत चाहिए था। सेकंड क्लास का किराया अधिक होने के कारण वहां पर भीड़ कम होती थी।

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नवाब साहब को खीरे की तैयारी और इस्तेमाल में चुपचाप थक कर लेट जाना क्या दर्शाता है?

इसे सुनेंरोकेंExplanation: नवाब साहब ने बहुत नजाकत और सलीके से खीरा काटा, उन पर नमक-मिर्च लगाया। उन नमक-मिर्च लगी खीरे की फाँकों को खाया नहीं अपितु सूँघकर खिड़की से बाहर फेंक दिया था। उनकी इस हरकत का यह कारण होगा कि वे एक नवाब थे, जो दूसरों के सामने खीरे जैसी आम खाद्‌य वस्तु खाने में शर्म भव करते थे।

लेखक ने नवाब साहब की असुविधा और संकोच के कारण का क्या अनुमान लगाया?

लेखक ने उनकी असुविधा और संकोच के कारण का अनुमान लगाया कि नवाब साहब यह नहीं चाहते होंगे कि कोई उन्हें सेकंड क्लास में यात्रा करते देखें। यह उनकी रईसी के विरुद्ध था। नवाब साहब ने आम लोगों द्वारा खाए जाने वाले खीरे खरीद रखे थे। अब उन खीरों को लेखक के सामने खाने में संकोच आ रहा था।

नवाब साहब के संकोच का क्या कारण था?

Answer: खीरे को लेकर नवाब साहब ने इसलिए संकोच किया क्योंकि उनके तोलिए पर दो खीरे रखे हुए थे अचानक लेखक आ गए और उन्होंने खीरे जैसेअपदार्थ वस्तु का शौक करते हुए देख लिए शायद इसलिए नवाब साहब संकोच करने लगे।

नवाब साहब ने अपनी जेब में से क्यों निकाला?

उत्तर- नवाब साहब ने खीरे को खाने योग्य बनाने के लिए पहले उसे अच्छी तरह धोया फिर तौलिए से पोछा। अब उन्होंने चाकू निकालकर खीरों के सिरे काटे और गोदकर झाग निकाला। फिर उन्होंने खीरों को छीला और फाँकों में काटकर करीने से सजाया।

नवाब साहब को लेखक के सामने झििक क्यों हो रह थी?

नवाब साहब को लेखक के सामने झिझक हो रही थीनवाब साहब को देख कर ऐसा लगता था कि उनको एकांत में बैठना था और लेखक के आने से खलल पड़ गया। लेखक से बात करने के लिए, नवाब साहब कोई उत्साह प्रकट नहीं कर रहे थे। अपनी झूठी शान बनाने के लिए नवाब साहब मौन रह रहे थे।