Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 5 चिट्ठियों की अनूठी दुनिया Textbook Exercise Questions and Answers. Show
RBSE Class 8 Hindi Solutions Vasant Chapter 5 चिट्ठियों की अनूठी दुनियाRBSE Class 8 Hindi चिट्ठियों की अनूठी दुनिया Textbook Questions and Answersपाठ से - प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. पाठ से आगे - प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. अनुमान और कल्पना - प्रश्न 1. प्रश्न 2. वर्षा ऋतु आने पर उमड़े हुए बादलों को देखकर यक्ष को अपनी पत्नी की याद आ जाती है और वह विकल हो उठता है। ऐसी विरहाकुल स्थिति में वह जड़-चेतन का भेद भूलकर अपनी प्रिया यक्षिणी को मेघ द्वारा यह संदेश भेजता है कि वह शीघ्र ही कुबेर के शाप से मुक्त होकर उससे मिलने आयेगा। यक्ष मेघ को रास्ते में पड़ने वाले महत्त्वपूर्ण स्थानों एवं मार्ग में आने वाली कठिनाइयों के बारे में भी समझाता है। यक्ष की प्रेम-विकलता को देखकर कुबेर उसे शापमुक्त कर देता है। यक्ष पुनः अपनी पत्नी के साथ आनन्दपूर्वक रहने लगता है। प्रश्न 3. प्रीतमजी तूं यूँ कहै रे, थारी बिरहिणी धान न खाई॥ यदि मुझे एक पक्षी को संदेशवाहक बनाकर भेजना हो तो मैं वह पत्र अपने गाँव में रहने वाले मित्र को भेजना चाहूँगा और उसमें लिखूगा कि मेरे गाँव में सब मिल-जुलकर रहें व गाँव दिनों-दिन चौगुनी उन्नति करे। प्रश्न 4. उनके मन में चाह केवल मंजिल पाने की ही होती है। पत्र के पते की तरह विद्यालय को एक लेटर बॉक्स की चिट्ठियों की तरह नहीं कहा जा सकता है। विद्यालय में विद्यार्थी पढ़ने आते हैं और पढ़कर अपना भविष्य बनाते हैं। इसके साथ ही विद्यालय में रहकर आपसी मेल-जोल, सद्भाव और एक-दूसरे के प्रति संबंध और समर्पण आदि की भावनाएँ सीखते हैं। अध्ययन करने के बाद वे अलग-अलग हो जाते हैं लेकिन उनके मन में एक-दूसरे से मिलने की चाह बनी रहती है। यह अलग बात है कि जीविकोपार्जन काल में जीवन का बोझ उनके कन्धों पर आ जाने से उनमें स्वार्थ की भावना पनप जाती है और चिट्ठियों की भाँति वे केवल अपने बारे में ही सोचने को मजबूर हो जाते हैं। भाषा की बात - प्रश्न 1.
प्रश्न 2. प्रश्न 3. (1) विद्या + आलय = विद्यालय गुण सन्धि - (4) नर + इन्द्र = नरेन्द्र वृद्धि सन्धि - (7) सदा + एव = सदैव यण-सन्धि - (9) यदि + अपि = यद्यपि RBSE Class 8 Hindi चिट्ठियों की अनूठी दुनिया Important Questions and Answersप्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. रिक्त स्थानों की पूर्ति - प्रश्न 11.
उत्तर : अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न - प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19. प्रश्न 20. प्रश्न 21. प्रश्न 22. प्रश्न 23. प्रश्न 24. प्रश्न 25. प्रश्न 26. प्रश्न 27. प्रश्न 28. लघूत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 29. प्रश्न 30. प्रश्न 31. प्रश्न 32. प्रश्न 33. प्रश्न 34. प्रश्न 35. प्रश्न 36. निबन्धात्मक प्रश्न - प्रश्न 37. गद्यांश पर आधारित प्रश्न - प्रश्न 38. प्रश्न : 2. पत्र-संस्कृति विकसित करने के लिए स्कूली पाठ्यक्रमों में पत्र लेखन का विषय भी शामिल किया गया। भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में ये प्रयास चले और विश्व डाक संघ ने अपनी ओर से भी काफी प्रयास किए। विश्व डाक संघ की ओर से 16 वर्ष से कम आयुवर्ग के बच्चों के लिए पत्र लेखन प्रतियोगिताएं आयोजित करने का सिलसिला सन् 1972 से शुरू किया गया। यह सही है कि खास तौर पर बड़े शहरों और महानगरों में संचार साधनों के तेज विकास तथा अन्य कारणों से पत्रों की आवाजाही प्रभावित हुई है पर देहाती दुनिया आज भी चिट्ठियों से ही चल रही है। प्रश्न : 3. जहाँ तक पत्रों का सवाल है, अगर आप बारीकी से उसकी तह में जाएँ तो आपको ऐसा कोई नहीं मिलेगा जिसने कभी किसी को पत्र न लिखा या न लिखाया हो या पत्रों का बेसब्री से जिसने इंतजार न किया हो। हमारे सैनिक तो पत्रों का जिस उत्सुकता से इंतजार करते हैं, उसकी कोई मिसाल ही नहीं। एक दौर था जब लोग पत्रों का महीनों इंतजार करते थे पर अब वह बात नहीं। परिवहन साधनों के विकास ने दूरी बहुत घटा दी है। पहले लोगों के लिए संचार का इकलौता साधन चिट्ठी ही थी पर आज और भी साधन विकसित हो चुके हैं। प्रश्न : 4. महात्मा गाँधी के पास दुनिया भर से तमाम पत्र केवल महात्मा गाँधी-इण्डिया लिखे आते थे और वे जहाँ भी रहते थे वहाँ तक पहुँच जाते थे। आजादी के आन्दोलन की कई अन्य दिग्गज हस्तियों के साथ भी ऐसा ही था। गाँधीजी के पास देश-दुनिया से बड़ी संख्या में पत्र पहुँचते थे। पर पत्रों का जवाब देने के मामले में उनका कोई जोड़ नहीं था। कहा जाता है कि जैसे ही उन्हें पत्र मिलता था, उसी समय वे उसका जवाब भी लिख देते थे। अपने हाथों से ही ज्यादातर पत्रों का जवाब देते थे। जब लिखते लिखते उनका दाहिना हाथ दर्द करने लगता था तो वे बाएँ हाथ से लिखने में जुट जाते थे। प्रश्न : 5. शहरी इलाकों में आलीशान हवेलियाँ हों या फिर झोपड़पट्टियों में रह रहे लोग, दुर्गम जंगलों से घिरे गाँव हों .या फिर बर्फबारी के बीच जी रहे पहाड़ों के लोग, समुद्र तट पर रह रहे मछुआरे हों या फिर रेगिस्तान की ढाणियों में रह रहे लोग, आज भी खतों का ही सबसे अधिक बेसब्री से इंतजार होता है। एक-दो नहीं, करोड़ों लोग खतों और अन्य सेवाओं के लिए रोज भारतीय डाकघरों के दरवाजों तक पहुँचते हैं और इसकी बहुआयामी भूमिका नजर आ रही है। दूर देहात में लाखों गरीब घरों में चल्हे मनीआर्डर अर्थव्यवस्था से ही जलते हैं। प्रश्न चिट्ठियों की अनूठी दुनिया Summary in Hindiपाठ का सार-इस पाठ में लेखक ने चिट्ठियों की अनूठी दुनिया के बारे में वर्णन कर यह बताना चाहा है कि भले ही संचार साधनों में दिन-प्रतिदिन वृद्धि हो रही हो, लेकिन चिट्ठियों की अपनी दुनिया निराली है। फैक्स, एस एम एस, दूरभाष, ई-मेल कितना भी अपना प्रभुत्व जमा लें, लेकिन चिट्ठियों का महत्त्व कभी कम नहीं हुआ है। पत्र जो काम कर सकते हैं उसे संचार के कौन से साधन नहीं कर सकते हैं?पत्र जो काम कर सकते हैं, वह संचार का आधुनिकतम साधन नहीं कर सकता है। पत्र जैसा संतोष फोन या एसएमएस का संदेश कहाँ दे सकता है। पत्र एक नया सिलसिला शुरू करते हैं और राजनीति, साहित्य तथा कला के क्षेत्रों में तमाम विवाद और नयी घटनाओं की जड़ भी पत्र ही होते हैं।
पत्र जो काम कर सकते हैं वह संचार के आधुनिकतम साधन नहीं कर सकते क्यों?Solution : आधुनिक संचार के साधनों में टेलीफोन, एसएमएस, मोबाइल, फैक्स, ई-मेल आदि के द्वारा सन्देश तो भेजे जा सकते हैं, लेकिन उनका रूप स्थायी नहीं होता, जबकि पत्र का रूप स्थायी होता है और पत्र इन साधनों के मुकाबले सस्ता पड़ता है।
पत्रों की आवाजाही प्रभावित होने का कारण क्या है?यह सही है कि खास तौर पर बड़े शहरों और महानगरों में संचार साधनों के तेज़ विकास तथा अन्य कारणों से पत्रों की आवाजाही प्रभावित हुई है पर देहाती दुनिया आज भी चिट्ठियों से ही चल रही है। फैक्स, ई-मेल, टेलीफ़ोन तथा मोबाइल ने चिट्ठियों की तेज़ी को रोका है पर व्यापारिक डाक की संख्या लगातार बढ़ रही है।
पत्र की उपयोगिता हमेशा क्यों बनी रहती है?पत्र जो काम कर सकते हैं, वह संचार का आधुनिकतम साधन नहीं कर सकता है . पत्र जैसा संतोष फोन या एमएमएस का संदेश कहाँ दे सकता। पत्र एक नया सिलसिला शुरू करते हैं और राजनीति,साहित्य तथा कला के क्षेत्रों में तमाम विवाद और नई घटनाओं की जड़ भी पत्र ही होते हैं. ।
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