बिहार में समोसे को क्या कहते हैं? - bihaar mein samose ko kya kahate hain?

समोसा एक ऐसा स्नैक्स है जो भारत में बेहद लोकप्रिय है. खासतौर से उत्तर भारत का शायद ही कोई शख्स जिसे समोसा प्रिय ना हो. यहां आपको हर गली हर नुक्कड़ पर एक समोसे की दुकान मिल जाएगी. 5 से 10 रुपए में मिलने वाला यह हर किसी के बजट में आ जाता है. इसीलिए बर्थडे पार्टी हो या प्रमोशन की पार्टी समोसे की एक खास जगह होती है. यह स्नैक्स सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल जैसे देशों में भी खूब फेमस है. इसके साथ-साथ दुनिया के तमाम बड़े देशों में जहां भी भारतीय हैं, वहां आपको बड़ी आसानी से समोसा मिल जाएगा. हालांकि, आपको जानकर हैरानी होगी कि इस दुनिया में एक देश है ऐसा भी है जहां समोसे पर प्रतिबंध है. अगर इस देश में किसी ने समोसा खाया या बनाया तो उसे कठोर सजा मिलती है.

कहां बैन है समोसा

जहां एक तरफ पूरी दुनिया में समोसे को पसंद किया जाता है, वहीं अफ्रीकी देश सोमालिया में समोसे के खाने और इसे बनाने पर पाबंदी है. यहां अगर किसी भी व्यक्ति ने समोसा खाया या इसे बनाकर बेचा, तो उसे कड़ी सजा दी जाती है. इस देश में कई ऐसे लोग हैं जो समोसे की वजह से सजा पा चुके हैं.

क्यों बैन हुआ समोसा

कहा जाता है कि सोमालिया के चरमपंथी समूहों का मानना है कि समोसे कि आकृति तिकोनी होती है और यह ईसाई समुदाय के एक पवित्र चिन्ह से मिलती-जुलती है. यही वजह है कि इस देश में समोसे को बैन कर दिया गया. हालांकि, दूसरी ओर समोसे पर पाबंदी को लेकर कहते हैं कि सोमालिया में समोसे के अंदर सड़े गले मीट को भरकर बेचा जाता था इस वजह से इस पर पाबंदी लगा दी गई.

समोसा कहां से आया है

उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, समोसे की रेसिपी भारत 10वीं सदी के आसपास मध्य एशिया से आए अरबी सौदागरों के साथ आई. ईरानी इतिहासकार अबोलफाजी बेहाकी अपनी किताब 'तारीख-ए-बेहाकी' में इस बात का जिक्र करते हुए कहते हैं कि समोसे का जन्म मिस्र में हुआ और वहां से वह लीबिया पहुंचा, जिसके बाद वहां से पहले ईरान फिर मद्धेशिया और फिर भारत पहुंचा.

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DNA में अब हम दो अलग-अलग ख़बरों का Joint DNA Test करेंगे. ये विश्लेषण पटना और समोसे पर आधारित है. अगर आप बिहार के रहने वाले हैं, तो इस विश्लेषण में आपके लिए एक बहुत बड़ा Surprise छिपा हुआ है. और अगर आप समोसे के शौकीन हैं, तो हमारे पास आपके लिए कई दिलचस्प जानकारियां हैं. इसलिए आपको ये विश्लेषण Miss नहीं करना चाहिए. 

इन इन ख़बरों की शुरुआत हम कुछ सवालों के साथ करना चाहते हैं ? क्या आप जानते हैं, कि बिहार की राजधानी पटना से 11 हज़ार किलोमीटर दूर Scotland में भी पटना नामक एक गांव है ? क्या आपको पता है, कि आज (22 मार्च) ही के दिन बिहार राज्य की स्थापना हुई थी ? और बिहार की राजधानी पटना से 11 हज़ार किलोमीटर दूर Scotland के पटना में भी 'बिहार दिवस' मनाया जाता है ? और क्या आप ये जानते हैं, कि जिस समोसे को भारत का सबसे मशहूर Fast Food माना जाता है, वो देसी नहीं, बल्कि एक विदेशी पकवान है ?

इन सवालों ने आपकी जिज्ञासा बढ़ा दी होगी. इसलिए अब एक एक करके इनके जवाब आपके साथ शेयर करते हैं. सबसे पहले आपको Scotland के पटना के बारे में बताते हैं और इसके बाद हम विदेशी समोसे की बात करेंगे. 22 मार्च 1912, यानी आज ही के दिन बिहार राज्य वजूद में आया था. इसी दिन ब्रिटिश सरकार ने Bengal Presidency से अलग बिहार प्रदेश का गठन किया था. यही वजह है, कि प्रति वर्ष 22 मार्च को बिहार दिवस या बिहार स्थापना दिवस के तौर पर मनाया जाता है. हैरानी की बात ये है कि इस दिन का जश्न सिर्फ बिहार में ही नहीं.. बल्कि Scotland के एक छोटे से गांव में भी धूम-धाम से मनाया जाता है. 

यानी इस दुनिया में एक नहीं, बल्कि दो पटना हैं. एक है बिहार की राजधानी, तो दूसरा है Scotland के  पूर्वी आयरशायर में बसा एक छोटा सा गांव. और ध्यान देने वाली बात ये है, कि ये नाम अनजाने में नहीं पड़ा. बल्कि इसका नाम, बिहार की राजधानी पटना के नाम पर ही रखा गया है. और इसके पीछे एक इतिहास है. इसकी शुरूआत होती है, सन 1745 से. जब यहां के एक व्यवसायी William Fullarton, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ बिहार गए थे, उस वक्त बिहार बंगाल का ही एक हिस्सा हुआ करता था. William Fullarton वहां से चावल को ब्रिटेन भेजा करते थे.

बाद में उनके भाई John Fullarton भी वहां गए, जो ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में मेजर जनरल थे और पटना में तैनात थे. वहीं पर वर्ष 1774 में उनके बेटे का जन्म हुआ और संयोग से उसका भी नाम William Fullarton ही था. John Fullarton ने भारत में अंतिम सांसें लीं. जिसके बाद उनका परिवार Scotland वापस लौट आया. तब तक ये परिवार काफी संपन्न हो गया था और एक ज़मींदार परिवार बन चुका था. इसके बाद William ने Mining के कारोबार में हाथ डाला, क्योंकि Scotland के इस इलाक़े में कोयला और चूना काफी मात्रा में मौजूद था. कोयला खदान में काम करने वाले लोगों को ध्यान में रखकर William ने सन 1802 में एक गांव बसाया. और अपने पिता की याद में उन्होंने Scotland के इस गांव का नाम, बिहार की राजधानी पटना के नाम पर रख दिया.

Scotland के पटना गांव के लोग, आज तक बिहार के पटना को बस दूर से जानते हैं. न वो कभी पटना गए, न ही बिहार के पटना से कोई वहां गया. लेकिन इतना तय है, कि Scotland के पटना Village से, कभी कोई व्यक्ति अगर भारत आएगा, तो वो सबसे पहले बिहार की राजधानी पटना ही देखना चाहिए. ज़ी न्यूज़ के वो तमाम दर्शक जो ख़ासतौर पर बिहार से ताल्लुक रखते हैं, उनके लिए हमने Scotland वाले पटना की दुर्लभ तस्वीरें निकाली हैं. ये विश्लेषण देखते हुए, आपको अहसास होगा, कि भारत के पटना और Scotland वाले पटना में कितना बड़ा फर्क है. 

ये तो हुई बिहार की राजधानी पटना के Scottish Version की बात. अब वापस हिन्दुस्तान लौटते हैं और आपको ये बताते हैं, कि आपका पसंदीसा समोसा, दरअसल आपका है ही नहीं. समोसे के संदर्भ में हमारे देश में अक्सर एक मज़ाक किया जाता है. कि 'जब तक समोसे में रहेगा आलू, तब तक बिहार में रहेंगे लालू'...वैसे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के दिन इन दिनों अच्छे नहीं चल रहे, वो जेल में हैं. लेकिन समोसे के अच्छे दिन आ गए हैं.

ब्रिटेन के Leicester में 9 अप्रैल से लेकर 13 अप्रैल 2018 तक, National Samosa Week मनाया जाएगा. विदेशों में लोगों को चॉकलेट और Cheese Day मनाते हुए आपने ज़रुर देखा और सुना होगा. लेकिन Samosa Week मनाना एक अनोखी घटना है. और इसकी वजह ये है, कि ब्रिटेन में समोसा काफी लोकप्रिय हो गया है. 9 से 13 अप्रैल के बीच Leicester में जगह-जगह समोसे की दुकाने लगाई जाएंगी. जहां लोगों को समोसा खरीदने, खाने और बेचने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. इस उत्सव का मकसद, दक्षिण एशियाई व्यंजनों और वहां की संस्कृति का प्रचार-प्रसार करना है. ज्यादातर लोग मानते हैं कि समोसा एक भारतीय नमकीन पकवान है. लेकिन इससे जुड़ा इतिहास कुछ और ही कहता है. जानकारों के मुताबिक, सन 1526 में जब मुगलों ने भारत में प्रवेश किया था, उस वक्त वो अपने साथ खाने-पीने की कई Recipes लेकर आए थे. और उन्हीं में से एक था समोसा. 16वीं शताब्दी के मुगल दस्तावेज आइन-ए-अकबरी में भी समोसे का जिक्र मिलता है. कोई नहीं जानता कि इसे पहली बार तिकोना कब बनाया गया. लेकिन इतना जरूर पता है कि इसका नाम यानी समोसा, फारसी भाषा के 'संबुश्क:' से निकला है.

पहली बार इसका ज़िक्र 11वीं सदी में फारसी इतिहासकार अबुल-फज़ल बेहाक़ी की लेखनी में मिलता है. उन्होंने गजनवी साम्राज्य के शाही दरबार में पेश की जाने वाली 'नमकीन' चीज़ का ज़िक्र किया है.जिसमें कीमा और सूखे मेवे भरे होते थे.  किसी ज़माने में समोसे में मांस भरा जाता था. लेकिन 16वीं सदी में पुर्तगालियों के राज में भारत में बटाटा यानी आलू आने के बाद समोसे में भी इसका इस्तेमाल शुरू हो गया. मध्य एशिया का ये स्वादिष्ट व्यंजन, देखते ही देखते दक्षिण एशिया के लोगों के दिलों पर राज करने लगा. और आज ये समोसा, पूरे एशिया में अलग-अलग नाम और अवतार में पाया जाता है. पूर्वी भारत में समोसे को सिंघाड़ा कहते हैं और इसे बनाने का तरीका थोड़ा अलग है. और हां, ये भी बहुत साफ़ है कि समोसे का सफर सिर्फ भारत में ही ख़त्म नहीं होता है. ब्रिटेन के लोग भी समोसा खूब चाव से खाते हैं. और भारतीय प्रवासी पिछली कुछ सदियों में दुनिया में जहां कहीं भी गए, अपने साथ समोसा ले गए.

समोसा देश क्या है?

समोसा एक तला हुआ या बेक किया हुआ भरवां अल्पाहार व्यंजन है। ... .

Samosa को इंग्लिश में क्या कहते हैं?

समोसा खासकर उत्तर भारतीयों को पसंदीदा स्नैक्स है. इंग्लिश में भी जब इसे लिखना, बोलना होता है तो अक्सर लोग Samosa ही लिखते-बोलते हैं, लेकिन इसका एक प्रॉपर इंग्लिश नाम भी है. आपको नहीं पता तो हम आपको बता देते हैं कि समोसे को ​इंग्लिश में Rissole कहते हैं.

समोसे का आविष्कार कब हुआ था?

समोसे का आविष्कार ईरान में 11 वीं सदी में हुआ था। 14 वीं शताब्दी में इब्नाबतूता से मोहम्मद बिन तुगलक के जमाने में भारत लाया गया। उस समय उसमें मांस भरने का रिवाज था, लेकिन 16 वीं सदी में पुर्तगाली जब भारत आए तो आलू लेकर आए और उसी समय से समोसे में आलू भरकर बनाया जाने लगा।

समोसे कितने प्रकार के होते हैं?

समोसे अनेक प्रकार के बनते हैं.
आलू समोसा.
पनीर समोसा.
मिक्स सब्जी समोसा.
मूंग दाल समोसा.
नूडल्स समोसा.
मेवे का समोसा.
खोया समोसा.