उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन में कौन कौन से पेड़ आते हैं? - ushnakatibandheey sadaabahaar van mein kaun kaun se ped aate hain?

उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन ऐसे वन क्षेत्र हैं जो भूमध्य रेखा से दक्षिण या उत्तर में लगभग 5° अक्षांश के भीतर पाए जाते हैं। ये एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, मध्य अमेरिका, और प्रशांत द्वीपों पर पाए जाते हैं। विश्व वन्यजीव निधि के बायोम वर्गीकरण के भीतर उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन को उष्णकटिबंधीय वर्षावन वन (या उष्णकटिबंधीय नम चौड़े पत्ते के वन) का एक प्रकार माना जाता है और उन्हें विषुवतीय सदाबहार तराई वन भी कहा जाता है।

इस जलवायु क्षेत्र में न्यूनतम सामान्य वार्षिक वर्षा 175 cm (69 इंच) और 200 cm (79 इंच) के बीच होती है। औसत मासिक तापमान वर्ष के सभी महीनों के दौरान 18 °से. (64 °फ़ै.) से ऊपर होता है। धरती पर रहने वाले सभी पशुओं और पौधों की प्रजातियों की आधी संख्या इन सदाबहार वन में रहती है। सदाबहार वन कई क्षेत्रों में भूमि स्तर पर सूरज की रौशनी न पहुंच पाने के कारण बड़े वृक्षों के नीचे छोटे पौधे और झाड़ियां बहुत कम उग पाती हैं। इस कारण वन से होते हुए लोगों और अन्य जानवरों का चलना संभव हो जाता है। यदि पत्तों के विस्तार को किसी कारण से नष्ट या पतला कर दिया जाता है तो नीचे की ज़मीन शीघ्र ही घनी उलझी लताओं, झाड़ियों और जंगल कहे जाने वाले छोटे पेड़ों से भर जाती है। उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन वर्तमान में मानव गतिविधि के कारण बिखर रहे हैं। भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं, जैसे कि ज्वालामुखी और जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाला वास विखंडन अतीत में हुआ है और इन्हें प्रजातीकरण के चालक के रूप में पहचाना गया है। हालांकि, मानव प्रेरित तीव्र अधिवास विनाश को प्रजातियों के विलुप्त होने के प्रमुख कारणों में से एक माना जाता है। उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन में अधिकतम जैव विविधता पाई जाती है| पश्चिमी घाट उत्तर पूर्वी घाट अंडमान निकोबार दीप समूह मैं इन वनों की अधिकता पाई जाती है इन वनों में महोगनी रोज वुड आयरन वुड रबड़ इत्यादि के वृक्ष पाए जाते हैं। अधिक वर्षा होने के कारण यह भूम कृषि योग्य नहीं होती।

सन्दर्भ[संपादित करें]

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Last updated on Dec 12, 2022

UPSSSC Moharir Recruitment has been postponed till further notice as per the latest notice released on 23rd December 2022. UPSSSC PET 2022 Objection Link for Provisional Answer Key was active till 22nd December 2022. Also note, UPSSSC PET 2021 Scores Validity was extended till 8th January 2023 or till the declaration of UPSSSC PET 2022. The Uttar Pradesh Subordinate Services Selection Commission (UPSSSC) conducts UPSSSC PET as the eligibility test to apply for recruitment to various posts under the Government of Uttar Pradesh. Candidates who qualify the PET can apply for the recruitment and further selection process for the post of their choice.

उत्तर :

भूमिका:


प्राकृतिक वनस्पति एवं जलवायु परिस्थिति का अंतर्संबध बताते हुए उत्तर प्रारंभ करें-

प्राकृतिक वनस्पति का अर्थ उस पौधा समुदाय से लिया जाता है, जो लंबे समय तक बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के उगता है और इसकी विभिन्न प्रजातियाँ वहाँ पाई जाने वाली मिट्टी और जलवायु परिस्थितियों में बहुत हद तक स्वयं को ढाल लेती हैं।

विषय-वस्तु


विषय-वस्तु के मुख्य भाग में भारतीय वनों के प्रकारों को विस्तारपूर्वक बताएंगे-

भारत में विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक वनस्पतियाँ पाई जाती हैं, मिट्टी और जलवायु में विभिन्नता के कारण भारतीय वनस्पति में क्षेत्रीय भिन्नताएँ पाई जाती हैं। हिमालय पर्वतों पर जहाँ शीतोष्ण कटिबंधीय वनस्पति उगती है वहीं, पश्चिमी घाट एवं अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में उष्ण कटिबंधीय वन पाए जाते हैं तथा राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की झाड़ियाँ और काँटेदार वनस्पति पाई जाती है।

प्रमुख वनस्पति प्रकार तथा जलवायु परिस्थिति के आधार पर भारतीय वनों को निम्न प्रकारों में बाँटा जा सकता है-

1. उष्णकटिबंधीय सदाबहार एवं अर्द्ध-सदाबहार वन

  • पश्चिमी घाट के पश्चिमी ढाल, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र की पहाड़ियों एवं अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में ये वन पाए जाते हैं।
  • उष्ण एवं आर्द्र प्रदेशों में, जहाँ वार्षिक वर्षा 200 सेंटीमीटर से अधिक और औसत तापमान 22° सेल्सियस से अधिक हो।
  • ये वन सघन होते हैं, जहाँ भूमि के नज़दीक झाड़ियाँ और लताएँ, इनके ऊपर अधिपादप और सबसे ऊपर लंबे और विशाल वृक्ष होते हैं।
  • इन वनों में पत्तों के झड़ने, फूल आने और फल लगने का समय अलग-अलग होता है, इसलिये ये वर्ष भर हरे-भरे दिखाई पड़ते हैं।
  • मुख्य वृक्ष प्रजातियाँ - रोजवुड, महाेंगनी, ऐनी और एबनी।
  • अर्द्ध-सदाबहार वन सदाबहार और पर्णपाती वनों के मिश्रित रूप हैं जिनकी मुख्य वृक्ष प्रजातियाँ साइडर, होलक और कैल हैं।

2. उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन

  • ये वन प्रायद्वीप में अधिक वर्षा वाले भागों और उत्तर प्रदेश व बिहार के मैदानी भागों में पाए जाते हैं।
  • भारत में ये वन बहुतायत में पाए जाते हैं। इन्हें मानसून वन भी कहा जाता है।
  • ये वन 70 से 200 सेंटीमीटर वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र में पाए जाते हैं।
  • जल उपलब्धता के आधार पर इन वनों को आर्र्द और शुष्क पर्णपाती वनों में बाँटा जाता है।

• आर्द्र पर्णपाती वन : जहाँ वर्षा 1000 से 200 सेंटीमीटर हो।

♦ ये वन उत्तर-पूर्वी राज्यों और हिमालय के गिरिपद, पश्चिमी घाट के पूर्वी ढालों और ओडिशा में पाए जाते हैं।
♦ मुख्य वृक्ष : सागवान, साल, शीशम, महुआ, आँवला, कुसुम।

• शुष्क पर्णपाती वन : जहाँ वर्षा 70 से 100 सेंटीमीटर होती है

♦ ये वन उत्तर प्रदेश व बिहार के मैदानी भागों में पाए जाते हैं।
♦ मुख्य वृक्ष : पलास, अमलतास, बेल, खैर और अक्साइड।

3. उष्णकटिबंधीय कांटेदार वन

  • ये वन दक्षिण-पश्चिमी पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
  • 50 सेंटीमीटर से कम वर्षा वाले क्षेत्र में ये वन पाए जाते हैं।
  • इनमें कई प्रकार की घास और झाड़ियाँ शामिल हैं, यथा- बबूल, बेर, खजूर, खैर, नीम, खेजड़ी और पलास।

4. पर्वतीय वन: इन वनों को 2 भागों में बाँटा गया है- उत्तरी पर्वतीय वन और दक्षिणी पर्वतीय वन।

  • पर्वतीय क्षेत्रों में ऊँचाई के साथ तापमान घटने के साथ-साथ प्राकृतिक वनस्पति में भी बदलाव आता है।
  • उत्तरी पर्वतीय वन:

♦ हिमालय के गिरिपद पर पर्णपाती वन पाए जाते हैं एवं 1,000 से 2,000 मीटर की ऊँचाई पर आर्द्र्र शीतोष्ण कटिबंधीय वन पाए जाते हैं
♦ ब्ल्यूपाइन और स्प्रूस 2,225 से 3,048 मीटर की ऊँचाई पर पाए जाते हैं। इससे अधिक ऊँचाई पर एल्पाइन वन और चरागाह पाए जाते हैं।
♦ 3,000 से 4,000 मीटर की ऊँचाई पर सिल्वर फर, जूनिपर, पाइन, बर्च और रोडोडेन्ड्रॉन वृक्ष मिलते हैं।
♦ अधिक ऊँचाई वाले भागों में टुण्ड्रा वनस्पति जैसे- मॉस व लाइकेन आदि पाई जाती है।

  • दक्षिणी पर्वतीय वन: ये वन मुख्यत: प्रायद्वीप के तीन भागों यथा- पश्चिमी घाट, विंध्याचल और नीलगिरि पर्वत शृंखलाओं पर पाए जाते हैं।

5. वेलांचली व अनूप वन

  • भारत में विभिन्न प्रकार के आर्द्र व अनूप आवास पाए जाते हैं।
  • भारत में आर्र्द भूमि को आठ वर्गों में रखा गया है। मैंग्रोव वन अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह व पश्चिम बंगाल के सुंदर वन डेल्टा के अलावा महानदी, गोदावरी और कृष्णा नदियों के डेल्टाई भाग में पाए जाते हैं।

निष्कर्ष


अंत में संतुलित, संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें-

उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन में कौन कौन से वृक्ष आते हैं?

मुख्य वृक्ष : पलास, अमलतास, बेल, खैर और अक्साइड। ये वन दक्षिण-पश्चिमी पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में पाए जाते हैं। 50 सेंटीमीटर से कम वर्षा वाले क्षेत्र में ये वन पाए जाते हैं

उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन कौन कौन से हैं?

भारत में नम उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन बड़े पैमाने पर पश्चिमी घाट के पूर्वी ढलानों और छोटा नागपुर पठार में पाए जाते हैं। इसके अलावा, वे झारखंड, पश्चिम ओडिशा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, पूर्वोत्तर राज्यों में हिमालय की तलहटी के साथ और अंडमान और निकोबार द्वीप के कुछ हिस्सों में भी पाए जाते हैं

उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन कहाँ पाए जाते हैं?

Solution : भारत में उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन केरल में पाए जाते हैं। भारत में उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन असम, बंगाल, केरल और कर्नाटक के तटीय क्षेत्रों, मैसूर के पठार, कुर्ग तथा अण्डमान के द्वीपों में मिलते हैं

उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन की क्या विशेषता है?

Solution : (1) उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन घने वन होते हैं। काफी घने वृक्षों की मोटी वितान के कारण दिन के समय भी सूर्य का प्रकाश वन के अन्दर नहीं पहुँच पाता है। <br> (2) ये वन भूमध्य रेखा एवं उष्णकटिबंध के पास पाए जाते हैं। ये क्षेत्र गर्म होते हैं एवं पूरे वर्ष अत्यधिक वर्षा होती है।