Rajasthan Board RBSE Class 12 Economics Chapter 8 लागत की अवधारणाRBSE Class 12 Economics Chapter 8 अभ्यासार्थ प्रश्नRBSE Class 12 Economics Chapter 8 वस्तुनिष्ठ प्रश्नप्रश्न 1. Show
प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. उत्तरमाला:
RBSE Class 12 Economics Chapter 8 अतिलघु उत्तरात्मक प्रश्नप्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. RBSE Class 12 Economics Chapter 8 लघु उत्तरात्मक प्रश्नप्रश्न 1.
परिवर्तनशील लागत के उदाहरण
प्रश्न 2. अस्पष्ट लागतें – अस्पष्ट लागते वह होती है जो उत्पादन द्वारा साधन बाहर से न जुटाकर स्वयं अपने श्रोतों से व्यवस्था की जाती है जैसे-साहस स्वयं प्रबंधक के रूप में कार्य करता है लेकिन कोई वेतन नहीं लेता। इसी प्रकार साहसी स्वयं पूँजी लगाता हैं लेकिन उस पर ब्याज नहीं लेता। अत: स्वयं के साधनों की कीमतें अस्पष्ट लागतें कहलाती हैं। प्रश्न 3.
प्रश्न 4. प्रश्न 5. RBSE Class 12 Economics Chapter 8 निबन्धात्मक प्रश्नप्रश्न 1. (i) मौद्रिक लागत (Monetary Cost) – मौद्रिक लागत को वित्तीय लागत भी कहते हैं। मौद्रिक लागत से आशय मुद्रा के रूप में किए गए उन सभी भुगतानों के योग से लगाया जाता है जो उत्पादन कार्य के लिए उत्पत्ति के साधनों व अन्य को उनके योगदान के लिए दिए जाते हैं। उदाहरण के लिए–नये माल का भुगतान, श्रमिकों की मजदूरी, मशीन खरीदने पर व्यय आदि। इसमें साहसी द्वारा अपने साधनों से उपलब्ध नि:शुल्क सामान व सेवाओं का मूल्य शामिल नहीं किया जाता है। (ii) वास्तविक लागत (Real Cost) – वास्तविक लागत से आशय उन सभी त्याग, कष्ट एवं प्रयासों से है जो किसी वस्तु के उत्पादन में उठाने पड़ते हैं। उदाहरण के लिए उत्पादन की अवस्था में शोरगुल, प्रदूषण तथा धुएँ आदि के कारण समाज को कष्ट उठाना पड़ता है और उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उन सभी की लागत वास्तविक लागत कहलाती है। वास्तविक लागत की गणता करना कठिन कार्य होता है। (iii) अवसर लागत (Opportunity Cost) – अवसर लागत प्रायः दुर्लभ संसाधनों से सम्बन्धित है। जब उत्पादन के साधन के वैकल्पिक प्रयोग हो सकते हों तो उस साधन को वर्तमान प्रयोग में लगाये रखने के लिए उतनी न्यूनतम राशि प्रतिफल के रूप में आवश्यक रूप से चुकानी होती है जितनी वह अन्य सर्वश्रेष्ठ विकल्प से अर्जित कर सकता है। इसे ही उस साधन की अवसर लागत कहते हैं। अवसर लागत को वैकल्पिक लागत कहा जाता है। उदाहरण के लिए–यदि किसी उद्योग में एक मजदूर को ₹300 मजदूरी मिलती है और यदि वह किसी अन्य उद्योग में काम करता तो भी ₹300 ही मजदूरी मिलती तो इस मजदूर की अवसर लागत ₹300 होगी। (iv) व्यक्त या स्पष्ट लागते (Explicit Cost) – वे लागतें जो किसी फर्म की पुस्तकों में शामिल की जाती हैं अर्थात् हिसाब किताब में लिखी जाती हैं उन्हें स्पष्ट लागते कहते हैं; जैसे-कच्चे माल की कीमत, श्रमिक की मजदूरी आदि। (v) अव्यक्त या अस्पष्ट लगातें (Implicit Cost) – जो लागते हिसाब-किताब में शामिल नहीं की जाती है उन्हें, अस्पष्ट लागतें कहते हैं। (vi) अल्पकालीन लागते (Short Period Cost) – अल्पकाल वह समयावधि होती है जिसमें उत्पत्ति के
सभी साधनों को परिवर्तित करना सम्भव नहीं होता है। अल्पकाल में, इसका कारण, दो प्रकार की लागतें होती हैं – (a) स्थिर लागतेजो खर्च स्थिर साधन या साधनों पर किया जाता है उसे स्थिर लागत कहते हैं। उत्पत्ति के प्रत्येक स्तर पर ये लागतें समान रहती है, बदलती नहीं है। जैसे – भवन का किराया, प्रबंधक का वेतन आदि। (b) परिवतर्नशील लागते – जो खर्च परिवर्तनशील साधनों पर किया जाता है उसे परिवर्तनशील लागत कहते हैं। यह लागत उत्पादन के स्तर में परिवर्तन के साथ-साथ बदलती जाती है। जैसे—कच्चे माल, बिजली, पानी आदि पर किया जाने वाला व्यय। (vii) दीर्घकालीन लागते (Long Period Cost) – दीर्घकाल में सभी साधने परिवर्तनशील होते हैं, कोई साधन स्थिर नहीं होता है। अत: दीर्घकाल में केवल परिवर्तनशील लागत ही होती है। दीर्घकाल में निम्नलिखित दो प्रकार की लागतें होती है। (i) दीर्घकालीन औसत लागत, (ii) दीर्घकालीन सीमान्त लागत (a) दीर्घकालीन औसत लागत (LAC) – दीर्घकालीन औसत लागत निकालने के लिए कुल लागत में कुल उत्पादन की मात्रा
का भाग दिया जाता है। इस प्रकार एक इकाई उत्पादन की औसत लागत ज्ञात हो जाती है। प्रश्न 2. उत्तर: RBSE Class 12 Economics Chapter 8 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नRBSE Class 12 Economics Chapter 8 वस्तुनिष्ठ प्रश्नप्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. उत्तरमाला:
RBSE Class 12 Economics Chapter 8 अतिलघु उत्तरात्मक प्रश्नप्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16.
प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19. प्रश्न 20. RBSE Class 12 Economics Chapter 8 लघु उत्तरात्मक प्रश्न (SA-II)प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3.
प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. चित्र में सात SAC वक्र हैं जो संयंत्र प्रयोग के विभिन्न पैमानों को बताते हैं। इन्हें स्पर्श करती हुई एक रेखा खींचने पर दीर्घकालीन औसत लागत वक्र (LAC) प्राप्त हो जाता है। प्रश्न 13. प्रश्न 14.
RBSE Class 12 Economics Chapter 8 निबन्धात्मक प्रश्नप्रश्न 1. कुल लागत की संरचना
(Composition of Total Cost) (i) स्थिर लागते तथा (i) स्थिर लागते (Fixed Cost) – स्थिर लागतों को अप्रत्यक्ष लागतें भी कहते हैं। क्योंकि उत्पादित वस्तु की मात्रा इन लागतों पर सीधे रूप में निर्भर नहीं करती है। स्थिर लागत फर्म द्वारा स्थिर साधनों के प्रयोग के कारण आती है। इन लागतों का उत्पादन की मात्रा से कोई सम्बन्ध नहीं होता है। यदि फर्म उत्पादन बन्द कर दे तो भी इन लागतों को तो। वहन करना ही पड़ता है। उदाहरण के लिए बिल्डिग का किराया, स्थायी कर्मचारियों का वेतन, पूँजी पर ब्याज, सम्पत्ति पर ह्रास, बीमे की किश्त आदि खर्चे हैं जिन्हें फर्म को प्रत्येक परिस्थिति में करना होता है। (ii) परिवर्तनशील लागतें (Variable Cost)-परिवर्तनशील लागते या प्रत्यक्ष लागते उत्पादन से सम्बन्धित होती है। यह उत्पादन की मात्रा के साथ-साथ बदलती रहती हैं। उत्पादन करते समय परिवर्तनशील साधनों का प्रयोग करने पर जो व्यय होता है उसे ही परिवर्तनशील लागत कहते हैं। इन लागतों का उत्पादन की मात्रा के साथ सीधा सम्बन्ध होता है। अर्थात उत्पादन बढ़ने के साथ बढ़ती है तथा उत्पादन घटने पर घटती है। जब उत्पादन शून्य होता है तो ये लागतें भी शून्य ही होती हैं। उदाहरण के लिए कच्चे माल का मूल्य, ईंधन की लागत, श्रमिकों की मजदूरी आदि परिवर्तनशील लागत के अंग हैं। अल्पकाल में कुल स्थिर लागत (TFC) तथा कुल परिवर्तनशील लागत (TVC) का योग ही कुल लागत (TC) होती है। सूत्र रूप में – TC = TFC + TVC चित्र में TFC स्थिर लागत रेखा है जो हर उत्पादन स्तर पर समान होने के कारण X अक्ष के समान्तर है। कुल लागत (TC) रेखा तथा स्थिर लागत (TFC) के बीच का अन्तर ही परिवर्तनशील लागत है। जब उत्पादन शून्य होता है। तो TFC, OF के बराबर तथा TVC शून्य होती है लेकिन जब उत्पादन बढ़कर OM हो जाता है तो TVC, MT के बराबर हो जाती है तथा TFC, ST के बराबर और कुल लागत होती है, SM के बराबर जोकि TFC (ST) तथा TVC (TM) का योग है। प्रश्न 2. औसत स्थिर लागत ज्ञात करने का सूत्र निम्न प्रकार है – औसत स्थिर लागत का वक्र नीचे दिया गया है – (a) यह बायें से दायें नीचे की ओर गिरता हुआ होता है। (ii) औसत परिवर्तनशील लागत (Average Variable Cost) – परिवर्तनशील लागत सीधे उत्पादन की मात्रा से सम्बन्धित होती है। यदि उत्पादन शून्य होता है तो यह लागत भी शून्य होती है तथा उत्पादन बढ़ने के साथ-साथ बढ़ती जाती है। औसत परिवर्तनशील लागत से आशये प्रति इकाई परिवर्तनशील लागत से होती है। औसत परिवर्तनशील लागत की गणना कुल परिवर्तनशील लागत में कुल उत्पादित इकाइयों से भाग देकर की जाती है। अत: इसकी गणना निम्न सूत्र द्वारा की जाती है – AVC = \(\frac { TVC }{ Q } \) यहाँ Q का आशय कुल उत्पादित इकाइयों से है। औसत परिवर्तनशील लागत का वक्र U आकार का होता है, क्योंकि उत्पादन के क्षेत्र में प्रारम्भ में
उत्पत्ति वृद्धि नियम फिर उत्पत्ति समता नियम तथा अन्त में उत्पत्ति ह्रास नियम लागू होता है। इस कारण प्रारम्भ में उत्पादन बढ़ने पर औसत परिवर्तनशील लागत गिरती है और एक बिन्दु पर समान रहकर बढ़ना प्रारम्भ हो जाती है। औसत परिवर्तनशील लागत का वक्र आगे दिखाया गया है – (iii) औसत कुल लागत या औसत लागत (Average Total Cost or Average cost) – कुलस्थिर लागत तथा कुल परिवर्तनशील लागत के
योग को कुल लागत कहते हैं। कुल लागत में कुल उत्पादित इकाइयों से भाग देकर औसत कुल लागत या औसत लागत ज्ञात की जाती है। औसत कुल लागत औसत स्थिर लागत तथा औसत परिवर्तनशील लागत को जोड़कर भी ज्ञात की जा सकती है। सूत्र रूप में – औसत लागत वक्र की भी आकृति अंग्रेजी के अक्षर ‘U’ के आकार की ही होती है जैसा कि निम्न चित्र में दिखाया गया है – औसत लागत वक्र का यह आकार औसत स्थिर लागत वक्र तथा औसत परिवर्तनशील लागतं वक्र के व्यवहार के कारण ही होता है। प्रश्न
3. उत्तर: Hint – कुल स्थिर लागत = औसत स्थिर लागत × उत्पादन मात्रा = 24 × 5 = 120 दो इकाई उत्पादन पर परिवर्तनशील लागत = कुल लागत – कुल स्थिर लागत = 164 – 120 = 44 प्रश्न 4. उत्तर: प्रश्न 5. उत्तर: RBSE Solutions for Class 12 Economicsपरिवर्तनशील लागत से आप क्या समझते हैं?Solution : जो लागत उत्पादन स्तर में परिवर्तन होने पर बदल जाती है उसे परिवर्तनशील लागत कहते हैं। <br> परिवर्तनशील लागत-(i) कच्चे माल का मूल्य, (ii) अस्थायी श्रम की मजदूरी आदि।
स्थिर एवं परिवर्तनशील लागत क्या है?स्थिर लागतों का सम्बन्ध अल्पकाल में उत्पादन के स्थिर साधनों से होता है। परिवर्तनशील लागतों का सम्बन्ध अल्पकाल में परिवर्तनशील साधनों से होता है। 2. उत्पादन की मात्रा में परिवर्तन का स्थिर लागतों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
परिवर्तनशील लागत का सबसे अच्छा उदाहरण क्या है?कच्चे माल की लागत, बिजली की लागत, श्रमिक की मजदूरी आदि परिवर्तनशील लागत के उदाहरण हैं।
परिवर्तनशील लागत का दूसरा नाम क्या है?इसके अनुसार लागत जो एक फर्म इन परिवर्ती आगतों को प्रयोग करने के लिए वहन करती है, कुल परिवर्ती लागत कहलाती है। स्थिर तथा परिवर्ती लागतों को सम्मिलित करते हुए हमें एक फर्म की कुल लागत प्राप्त होती है।
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