सूरत बंदरगाह का क्या नाम है? - soorat bandaragaah ka kya naam hai?

सूरत भारत के गुजरात राज्य में स्थित देश का प्रमुख बंदरगाह शहर है जो किसी समय सूर्यपुर के नाम से जाना जाता था। ये गुजरात की आर्थिक राजधानी भी कहलाता है। सूरत क्षेत्रफल के लिहाज़ से भारत का आठवां और आबादी के हिसाब से 9वां सबसे बड़ा शहर है। शहरी विकास मंत्रालय के अनुसार सूरत भारत का तीसरा सबसे साफ-सुथरा शहर है। ताप्ती नदी शहर के मध्य से होकर गुजरती है।

सूरत अपने कपड़ा और हीरा कारोबार के लिए जाना जाता है। इसलिए इस शहर को सिल्क सिटी और डायमंड सिटी के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर हीरों की कटिंग और पोलिशिंग होती है। एक अनुमान के अनुसार दुनिया के 90% हीरों की पोलिशिंग यहीं पर होती है।

साल 2011 की जनसंख्या के अनुसार सूरत की आबादी लगभग 46 लाख के करीब है जो इसे गुजरात के अहमदाबाद शहर के बाद राज्य का दूसरा सबसे आबादी वाला शहर बनाती है। जनसंख्या का 53% पुरुष जबकि 47% महिलाएं है।

अगर धार्मिक आधार पर जनसंख्या की बात करें तो हिंदुओं की संख्या 87%, मुस्लिमों की 7%, जैनों की 4.7% और ईसाईयों की 0.4% है। इसके सिवाए बाकी समुदाय भी कम संख्या में रहते हैं।

सूरत शहर की साक्षरता दर 89% है जो कि राष्ट्रीय दर 79.5% से ज्यादा है। पुरूषों की साक्षरता दर 93% और महिलाओं की 84% है।

सूरत अपने राज्य की राजधानी गांधीनगर से 284 किलोमीटर, अहमदाबाद से 289 किलोमीटर और मुंबई से 265 किलोमीटर दूर है।

सूरत बंदरगाह का क्या नाम है? - soorat bandaragaah ka kya naam hai?

सूरत का इतिहास – Surat History in Hindi

सूरत का सबसे पहला वर्णन महाभारत में मिलता है, जिसके अनुसार श्री कृष्ण मथुरा से द्वारका जाते समय यहां पर रुके थे। तब इस स्थान को सूर्यपुर के नाम से बुलाया जाता था। लेकिन इसका नाम कब और कैसे बदल कर सूरत पड़ा, इस बात का कोई ठोस सबूत उपलब्ध नहीं है।

स्थानीय हिंदु परंपराओं के अनुसार यह माना जाता है कि सूरत शहर की स्थापना 15वीं सदी के आखरी सालों में गोपी नाम के एक ब्राह्मण द्वारा की गई थी जो इसे सूर्यपुर (सूर्य का शहर) कहता था।

1512 और 1530 में सूरत शहर को पुर्तगालिओं द्वारा काफी नुकसान पहुँचाया गया था। 1513 में आए एक पुर्तगाली यात्री ड्युरटे बारबोसा (Duarte Barbosa) के अनुसार सूरत एक महत्वपूर्ण बंदरगाह जहां पर दुनिया के विभिन्न हिस्सों से कई जहाज आते-जाते रहते है। 1520 तक इस शहर को सूरत के नाम से जाना जाने लगा था।

16वीं सदी के अंत तक पुर्तगाली सूरत के समुंद्र व्यापार के निर्विवाद स्वामी थे। 1540 में इनके द्वारा ताप्ती नदी के तट पर बनाया गया एक किला आज भी मौजूद है।

1608 में अंग्रेज़ी ईस्ट इंडिया कंपनी के जहाजों ने सूरत के तट पर आना शुरू किया। 1615 में स्वाली के युद्ध (Battle of Swally) में पुर्तगालिओं को हराने के बाद उन्होंने यहां पर एक फैक्टरी की स्थापना की।

सूरत जैसी बंदरगाहों में भारतीय व्यापारियों का प्रभुत्व था जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अहम स्थान रखते थे। 17वीं सदी के मध्य में दुनिया का सबसे अमीर व्यापारी वीरजी वोरा को माना जाता था जो कि सूरत के रहने वाले ही थे। माना जाता था कि वो व्यापार में 80 लाख रूपए तक लगा सकते थे।

1662 में जब पुर्तगाल की राजकुमारी ब्रैगांजा की इंग्लैंड के राजा Charles II से शादी हुई तो पुर्तगालिओं ने मुंबई को अंग्रेज़ों को दहेज के रूप में दे दिया। इसके बाद अंग्रेजों ने साल 1668 में मुंबई में फैक्ट्री की स्थापना की और सूरत का महत्व कम होने लगा।

सूरत के इतिहास से जुड़ी एक महत्वपूर्ण बात और है कि इसे शिवाजी ने 2 बार लूटा था। 1664 में की गई पहली लूट बड़ी थी जिसके बारे में हम विस्तार से बता चुके हैं।

1687 तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपनी सारी प्रैजीडेंसी पूरी तरह से मुंबई में स्थापित कर ली थी। सूरत की उन्नति के सिखर पर इसकी आबादी 8 लाख तक पहुँच गई थी लेकिन 19वीं सदी के मध्य में इसका महत्व इतना कम हो गया कि शहर की आबादी महज 80 हज़ार रह गई। सन 1800 में सूरत की सभी सरकारी शक्तियों पर अंग्रेज़ों का कब्ज़ा हो गया।

1790-91 में एक महामारी की वजह से सूरत में 1 लाख लोगों की मौत हो गई थी।

1837 की एक भयानक आग और बाढ़ ने सूरत की कई इमारतों को नष्ट कर दिया था।

20वीं शताब्दी तक सूरत की आबादी 1,19,000 पर पहुँच गई थी और ये फिर से व्यापार और औद्योगिक केंद्र बन गया। हालांकि इसके कुछ पूर्व उद्योग जैसे कि जहाज निर्माण, अब अस्तित्व में नहीं हैं।

1994 में भारी बारिश और बंद नालियों की वजह से सूरत बाढ़ से प्रभावित हुआ। समय रहते गंदे कचरे और मरे हुए जानवरों को नहीं हटाया गया जिसे भयंकर प्लेग फैल गई। इस वजय से कई देशों ने भारत से आने वाले लोगों पर कुछ समय के लिए प्रतिबंध लगा दिया, विशेष रूप से जो लोग फारस की खाड़ी (Persian Gulf) के जरिए जाते थे।

उस समय के नगरपालिका कमिश्नर और सूरत के लोगों ने शहर को साफ़-सुथरा करने की ठान ली, और आज सूरत भारत का तीसरा सबसे साफ शहर है।

ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय बुनकरों से सूती और रेशमी कपड़ों की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए क्या किया।


ईस्ट इंडिया कंपनी की राजनीतिक सत्ता स्थापित हो जाने के बाद कंपनी व्यापार पर अपने एकाधिकार का दावा कर सकती थी।

(i) उसने प्रतिस्पर्धा खत्म करने, लागतों पर अंकुश रखने और कपास व रेशम से बनी चीज़ों की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए प्रबंधन और नियंत्रण की एक नयी व्यवस्था लागू कर दी। यह काम कई चरणों में किया गया।

(ii) कंपनी ने कपड़ा व्यापार में सक्रिय व्यापारियों और दलालों को खत्म करने तथा बुनकरों पर ज़्यादा प्रत्यक्ष नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश की।

(iii) कंपनी ने बुनकरों पर निगरानी रखने, माल इकट्ठा करने और कपड़ों की गुणवत्ता जाँचने के लिए वेतनभोगी कर्मचारी तैनात कर दिए जिन्हें गुमाश्ता कहा जाता था।

(iv) कंपनी को माल बेचने वाले बुनकरों को अन्य खरीदारों के साथ कारोबार करने पर पाबंदी लगा दी गई। इसके लिए उन्हें पेशगमी रक़म दी जाती थी।

(v) एक बार काम का ऑर्डर मिलने पर बुनकरों को कच्चा माल खरीदने के लिए कर्ज़ा दे दिया जाता था। जो कर्ज़ा लेते थे उन्हें अपना बनाया हुआ कपड़ा गुमाश्ता को ही देना पड़ता था। उसे वे किसी और व्यापारी को नहीं बेच सकते थे।

सूरत बंदरगाह का नाम क्या है?

हज़ीरा सूरत के पास स्थित है और एक महत्वपूर्ण बंदरगाह है

सूरत बंदरगाह कहाँ स्थित है?

सूरत दक्षिण-पूर्वी गुजरात राज्य, पश्चिम भारत में स्थित है। यह 'खंभात की खाड़ी' पर ताप्ती नदी के मुहाने पर स्थित है।

सूरत का प्राचीन नाम क्या था?

सूर्यपुर सूरत का प्राचीन नाम था और कोई सहायक दस्तावेज़ नहीं है जो इस बात पर प्रकाश डालता हो कि यह नाम वर्तमान में कब और कैसे बदल गया। ऐसा माना जाता है कि इस शहर की स्थापना 14वीं शताब्दी के आसपास गोपी नाम के एक ब्राह्मण ने की थी और इससे पहले यहां पर पारसी समुदाय का शासन था

गुजरात तट पर कौन सा बंदरगाह है?

कंडला (Kandla) भारत के गुजरात राज्य के कच्छ ज़िले में स्थित देश का सब से बड़ा बन्दरगाह है।