भारत देश का पहला आतंकवादी कौन था? - bhaarat desh ka pahala aatankavaadee kaun tha?

AIMIM नेता और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी कर्नाटक दौरे पर पहुंचे हैं. वहां उन्होंने कलबुर्गी जिले में एक रैली को संबोधित किया. वहां उन्होंने आरएसएस, नाथूराम गोडसे से लेकर सावरकर को गांधी हत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया है. ओवैसी ने कलबुर्गी जिले में हुई इस रैली में कांग्रेस पर भी आरोप लगाया है कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने गांधी हत्या की ठीक से जांच नहीं की अन्यथा आरएसएस के बड़े बड़े नेता जेल में होते.

नाथूराम गोडसे को लेकर काफी तल्ख टिप्पणी करते हुए ओवैसी ने कहा, '30 जनवरी, 1948 को महात्मा गांधी मार दिए गए. आजाद हिन्दुस्तान का पहला आतंकवादी नाथूराम गोडसे है.' ओवैसी ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा, 'ये इख़्तेदार की कुर्सियों पर बैठ हिंदू-मुसलमान में नफ़रत पैदा कर रहे हैं, ये गांधी को मानने वाले नहीं, ये अम्बेडकर को मानने वाले नहीं, ये सुभाष चंद्र बोस को मानने वाले नहीं, ये गोडसे के जानशी हैं'

देखें: आजतक LIVE TV

ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी हमला बोलते हुए कहा, 'एक तरफ वे गांधी को श्रद्धांजलि देते हैं और दूसरी तरफ वे गांधी की हत्या के साजिशकर्ता सावरकर की पूजा करते हैं.'

गांधी हत्या में सावरकर और जांच से जुड़े एक कमीशन का नाम लेते हुए ओवैसी ने कहा, 'मैं यहां सावरकर का भी नाम ले रहा हूं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस कपूर ने भी सावरकर का नाम लिया था. जस्टिस कपूर कमीशन की रिपोर्ट में कहा गया था कि सावरकर महात्मा गांधी की हत्या का साजिशकर्ता था.'

ओवैसी ने गांधी हत्या में आरएसएस का हाथ होने का आरोप भी लगाया और कांग्रेस पर भी हमला बोला कि अगर उसने गांधी हत्या की ठीक से जांच कराई होती तो आरएसएस के नेता गिरफ्तार होते.ओवैसी ने कहा, ''उस टाइम पर देश में कांग्रेस की सरकार थी. अगर महात्मा गांधी की हत्या की ठीक से जांच की जाती तो उस समय के संघ परिवार (आरएसएस) के बड़े-बड़े नेता जेल में होते. लेकिन  कांग्रेस ने अच्छे से जांच नहीं की.''

आजाद भारत के लिए वह सबसे बुरा दिन था जब नाथूराम गोडसे ने बापू की गोली मारकर हत्या कर दी थी। “हे राम” कहकर बापू महात्मा गांधी जी ने हम सबको अलविदा बोल दिया था।

नाथूराम गोडसे आजाद भारत का पहला आतंकवादी था इसमें कोई दोहराए नही है और जैसा कृत्य गोडसे ने किया था उसके लिए उसे कभी माफ नहीं किया जा सकता है।

किसी भी आतंकवादी को मजहब/धर्म से जोड़कर देखा जाना गलत है क्योंकि कोई भी धर्म हिंसा में नही मानता है और फिर नाथूराम गोडसे जैसे सिरफिरे आतंकवादियों का तो धर्म से कोई लेना देना नही होता है इनका इंसानियत और धर्म से कोई वास्ता नहीं होता है। किसी भी आतंकवादी को किसी भी धर्म के साथ जोड़ना गलत है। अगर हम आतंकवाद को किसी धर्म से जोड़ेगे तो आतंकवादी अपने मकसद में सफल हो जाएंगे।

आतंकवादी घटनाओं में लिप्त लोग या तो भड़के हुए या भड़काए हुए होते है या अपने वयक्तिगत फायदे के लिए ऐसी घटनाओं को अंजाम देते है। नाथूराम गोडसे ने भी ऐसा ही कृत्य किया।

अगर कोई व्यक्ति धर्म या मजहब में विश्वास करता है तो उसमे दया भाव और करुणा का संचार होगा, उनमें कभी हिंसा का भाव पैदा नहीं होगा। इसका सबसे बड़ा उदाहरण महात्मा गांधी जी है, गांधी जी ने अपने धर्म और भगवान श्री राम में अपनी आस्था प्रकट की और उन्होंने देश और विश्व में सत्य और अहिंसा का सबसे बड़ा संदेश दिया 🙏

– महेन्द्र कुमार

#गाँधीवादी गठबंधन

Gandhiwadi-Gathbandhan

Share

Facebook

Twitter

WhatsApp

Telegram

Previous articleआतंकवाद : इंसानीयत का दुश्मन

Next articleधर्म-मजहब एक व्यक्ति के कारण बदनाम?

Gandhiwadi Gathbandhan

https://gandhiwadigathbandhan.in/Gandhi-Blog

Gandhiwadi-Gathbandhan is a group of persons who belongs to Gandhian Ideology. We follow the footprints of Mahatma Gandhi.

*🛑 जब मोहनदास कर्मचन्द गांधी ने हत्यारे अब्दुल रशीद को अपना भाई सरीखा माना और उसको निर्दोष बताया।आखिर क्या पूरा मामला है, आप भी जान ले समझ ले ताकि सनद रहे।📍*

*आधुनिक भारत का पहला आतंकवादी :-*

तारीख 23 दिसंबर 1926। दिल्ली के *चांदनी चौक* क्षेत्र में दोपहर के समय *स्वामी श्रद्धानंद* अपने घर में आराम कर रहे थे। वो बेहद बीमार थे। तब वहां पहुंचा एक व्यक्ति। नाम *अब्दुल रशीद*। उसने स्वामी जी से मिलनें का समय मांगा। स्वामी जी ने समय दे दिया। वो उनके पास पहुंचा उन्हें प्रणाम किया और *देसी कट्टे से 4 गोलियां स्वामी जी के शरीर में आर-पार कर दीं*। स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती ने वहीं दम तोड़ दिया। इस तरह भारत के पहले आतंकवादी अब्दुल रशीद ने इस कांड को अंजाम दिया ।

अब ओवैसी बंधुओं, कमल हासन और सेकुलर गैंग के जूतनीय सदस्यों को जानना होगा कि *इस महात्मा (गांधी) से भी पहले एक और महात्मा (स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती) की निर्मम हत्या हुई थी और इस राक्षसी कांड को अंजाम दिया था इस्लाम को मानने वाले अब्दुल रशीद ने*।

इस जघन्य कांड को जानने से पहले आपको ये जानना ज़रूरी है कि स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती थे कौन ?

कितना दुखद है कि आज इस महान व्यक्तिव का परिचय भी करवाना पड़ता है, क्योंकि हम तो अपने इतिहास और अपने अतीत से भागने लगे हैं…. खैर, *स्वामी श्रद्धानन्द 1920 के दौर में हिंदुओं के सबसे बड़े धार्मिक गुरू थे… आर्य समाज के प्रमुख थे और उनकी लोकप्रियता के सामने उस दौर के शंकराचार्य भी उनके सामने कहीं नहीं ठहरते थे…* लेकिन वो केवल हिंदुओं के आराध्य ही नहीं थे, महान स्वतन्त्रता सेनानी भी थे… वो अपनी छत्रछाया में मोहनदास करमचन्द गांधी को भारतीय राजनीति में स्थापित कर रहे थे… असहयोग आंदोलन के समय वो गांधी के सबसे बड़े सहयोगी थे… कुछ इतिहासकारों का दावा है कि स्वामी *श्रद्धानन्द सरस्वती जी ने ही मोहन दास करमचंद गांधी को पहली बार महात्मा की उपाधि दी थी*।

खैर… अब बात करते हैं भारत के पहले आतंकवादी मुस्लिम अब्दुल रशीद की।

अब जानिए… भारत के पहले आतंक-वादी मुस्लिम अब्दुल रशीद ने स्वामी श्रद्धानन्द की हत्या क्यों की थी ???

दरअसल *स्वामी श्रद्धानन्द ने हिंदू धर्म को इस तरह से जागृत कर दिया था कि पूरी दुनियां हिल गई थी… वो हिंदू धर्म की कुरुतियों को दूर कर रहे थे, नव-जागरण फैला रहे थे… और उन्होने चलाया था “शुद्धि आंदोलन” जिसकी वजह से भारत के पहले आतंकवादी अब्दुल रशीद ने उनकी हत्या की*।

*शुद्धि आंदोलन* अर्थात् वो लोग जो किसी वजह से हिंदू धर्म छोड़ कर मुस्लिम या ईसाई बन गए हैं, उन्हे स्वामी श्रद्धानन्द वापस हिंदू धर्म में शामिल कर रहे थे… इसे आज की भाषा में घर वापसी कह सकते हैं… ये आंदोलन इतना आगे बढ़ चुका था कि धर्मांतरण करने वाले लोगों की चूलें हिल गईं…

*स्वामी जी ने उस समय के यूनाइटेड प्रोविंस (आज के यूपी) में 18 हज़ार मुस्लिमों की हिंदू धर्म में वापसी करवाई… और ये सब कानून के मुताबिक हुआ… कुछ कट्टरपंथी मुसलमानों को लगा कि तब्लीग में तो धर्मांतरण एक मज़हबी कर्तव्य है लेकिन एक हिंदू संत ऐसा कैसे कर सकता है?? तब कांग्रेस के नेता और बाद में देश के राष्ट्रपति बने डा० राजेंद्र प्रसाद ने अपनी किताब “इंडिया डिवाइडेट (पृष्ठ संख्या 117)” में स्वामी के पक्ष में लिखा कि “यदि मुसलमान अपने धर्म का प्रचार और प्रसार कर सकते हैं तो उन्हे कोई अधिकार नहीं है कि वो स्वामी श्रद्धानंद के गैर हिंदुओ को हिंदू बनाने के आंदोलन का विरोध करें”… लेकिन कुछ कट्टरपंथियों की नफरत इतनी बढ़ चुकी थी कि वो स्वामी जी की जान के प्यासे हो गए… नतीजा एक दिन भारत के पहले आतंकवादी मुसलमान अब्दुल रशीद से स्वामी श्रद्धानन्द की हत्या करवा दी गई*।

अब आगे क्या हुआ…

भारत के पहले आतंकवादी अब्दुल रशीद को जब हत्या के आरोप में फांसी सुना दी गई तो… कांग्रेस के नेता आसफ अली ने उसकी पैरवी की… 30 नवम्बर, 1927 के ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ के अंक में छपा था कि *स्वामी श्रद्धानंद के हत्यारे अब्दुल रशीद की रूह को जन्नत में स्थान दिलानें के लिए देवबंद में दुआ मांगी गई कि “अल्लाह मरहूम (आतंकी अब्दुल रशीद) को अलायें-इल्ली-ईन (सातवें आसमान की चोटी पर) में स्थान दें।”*

लेकिन सबसे चौंकाने वाली थी महात्मा गांधी की प्रतिक्रिया… *स्वामी जी की हत्या के 2 दिन बाद गांधी जी ने गुवाहाटी में कांग्रेस के अधिवेशन के शोक प्रस्ताव में कहा कि- “मैं अब्दुल रशीद को अपना भाई मानता हूं.. मैं यहां तक कि उसे स्वामी श्रद्धानंद जी की हत्या का दोषी भी नहीं मानता हूं*… वास्तव में दोषी वे लोग हैं जिन्होंने एक दूसरे के खिलाफ घृणा की भावना पैदा की… हमें एक व्यक्ति के अपराध के कारण पूरे समुदाय को अपराधी नहीं मानना चाहिए.. *मैं अब्दुल रशीद की ओर से वकालत करने की इच्छा रखता हूं”*

भारत का पहला आतंकवादी कौन है?

भारत का पहला आतंकवादी था अब्दुल रशीद, जिसने की थी एक महात्मा की हत्या

देश का पहला आतंकवादी कौन?

100 साल पूरे हो चुके हैं, हमें इसकी हकीकत जानना बहुत ज़रूरी है।

दुनिया का सबसे बड़ा आतंकवादी देश कौन है?

दुनिया का ऐसा कौन सा देश है जो आतंकवाद से सबसे ज्यादा ग्रसित है? #1 इराक और सीरिया- यह देश 2013 से इस सूची में नंबर एक पर बना है। यहाँ सुन्नी इस्लाम का एक कट्टर संगठन isis सक्रिय है।

भारत में कितने आतंकवादी मारे जाते हैं?

साल 2018 में 417 हमले, 257 मारे गए और 105 गिरफ्तार. साल 2019 में 255 घटनाएं, 157 मारे गए और 115 गिरफ्तार. साल 2020 में 244 हमले, 221 मारे गए और 328 गिरफ्तारियां. साल 2021 में 229 घटनाएं, 180 की मौत और 311 गिरफ्तार और अगस्त 2022 तक 191 आतंकी हमले, 142 मारे गए और 260 पकड़े गए.