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भोर और बरखा NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 16Class 7 Hindi Chapter 16 भोर और बरखा Textbook Questions and Answersकविता से प्रश्न 1.
प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. कविता से आगे प्रश्न 1. प्रश्न 2. अनुमान और कल्पना प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. भाषा की बात प्रश्न 1. प्रश्न 2. कुछ करने को प्रश्न 1. काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या एवं अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर 1. जागो बंसीवारे ………………………. आयाँ को तारै॥ शब्दार्थ- ललना-प्रिय बालक; मोरे-मेरे; रजनी-रात; भोर-प्रातःकाल/सुबह; किंवारे-किवाड़, सुनियत-सुन रही है; सुर-नर-देवता और मनुष्य; कुलाहल-कोलाहल/शोर; सबद उचारै-शब्द का उच्चारण कर रहे हैं; गउवन-गाय; सरण-शरण; आयाँ-आए हुए को; तारै-उद्धार करे। प्रसंग- प्रस्तुत पाठ मीरा द्वारा रचित व ‘बसंत भांग-2’ में संकलित है। कवयित्री ने इस पद में भोर के समय श्रीकृष्ण जी को सोते से जगाने का वर्णन किया है। यशोदा माता तरह-तरह की बातें बताते हुए कृष्ण जी से जाग जाने एवं बिस्तर त्यागने की बात कहती हैं। व्याख्या- बालक कृष्ण अभी सोए पड़े हैं। माता यशोदा उनको जगाने का तरह-तरह से प्रयत्न कर रही है। यशोदा कृष्ण जी से कहती हैं कि हे मेरे प्यारे पुत्र बंशी वाले तुम जाग जाओ। रात बीत गई है और सवेरा हो गया है अब यह सोने का समय नहीं है। सभी घरों के किवाड़ खुल गए हैं जिससे लगता है कि सभी लोग जाग गए। ग्वालिनों ने उठकर दही मथना (बिलोना) शुरू कर दिया है क्योंकि दही मथने के कारण उनके कंगनों के खनकने की आवाज सुनाई देने लगी है। हे मेरे प्रिय लल्ला सुबह हो गई है। इस समय द्वार पर देवता और मनुष्य दोनों ही आकर खड़े हो गए हैं। सभी ग्वाल-बाल भी जाग गए हैं वे जागकर खेलने लगे हैं इसलिए उनका कोलाहल सुनाई पड़ रहा है। सभी ग्वाले मिलकर जय जयकार का उच्चारण करते हुए तुम्हारी जय बोल रहे हैं। यशोदा माता कहती हैं कि सभी ग्वालों ने माखन रोटी हाथ में ले रखी हैं। वे अपनी गायों की रखवाली कर रहे हैं। मीराबाई अंत में कहती हैं कि श्रीकृष्ण तो गिरधर नागर हैं और मेरे प्रभु हैं वे उन सब का उद्धार करते हैं जो उनकी शरण में आ जाता है। अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. 2. बरसे बदरिया ………………….. गावन की।। शब्दार्थ- बदरिया-बदली/बादल; मन-भावन-मन को अच्छा लगने वाला; उमग्यो-आनंदित होना, उमंग में होना; मनवा-मन; भनक-आहट; दामिन-दामिनी/विद्युत; दमके-चमक रही है; झर लावन-झड़ी लगना; मेहा-मेह-बारिश; सुहावन-अच्छा लगना। प्रसंग- प्रस्तुत पद मीराबाई द्वारा रचित है। इस पद में कवयित्री ने सावन की झड़ी लगने और कृष्ण जी के आगमन की आहट से अपने मन में उत्पन्न सुखद अनुभूति का वर्णन किया है। व्याख्या- कवयित्री कह रही है कि सावन की बदली बरस रही है। सावन का महीना बहुत ही मन को आनंद प्रदान करने वाला होता है। सावन में कवयित्री के मन में उमंगें उठने लगी हैं क्योंकि सावन में कृष्ण जी के आने की आहट मिल गई है। उनके आगमन का समाचार सुनकर मीराबाई का हृदय आनंदित हो उठा है। उमड़-घुमड़ करता हुआ बादल चारों दिशाओं से उठकर आ गया। बादलों से रह-रहकर बिजली चमक रही है। बादलों के लगातार बरसने से झड़ी लग गई है। नन्हीं-नन्हीं बूंदें पड़ रही हैं। शीतल पवन बहुत ही सुहावनी लग रही है। मीराबाई अंत में कहती हैं कि मेरे प्रभु तो गिरधर नागर हैं। उनके आगमन की खुशी में मंगल गीत गाने के लिए मन मचल रहा है। भोर और बरखा की कवयित्री कौन है?प्रस्तुत पाठ ' भोर और बरखा ' की कवियत्री ' मीरा बाई ' हैं। कवियत्री ' मीरा बाई ' अपनी कृष्ण भक्ति के लिए जानी जाती हैं। इस पाठ में भी उनके दो पद दिए दे हैं , जिसमें से पहले पद में कवियत्री मीरा बाई ने यशोदा माँ द्वारा कान्हा जी को सुबह जगाने के दृश्य का अत्यधिक मनोरम दृश्य प्रस्तुत किया है।
भोर और बरखा कविता के रचयिता कौन है * 1 Point महादेवी वर्मा सुभद्रा कुमारी चौहान मन्नू भंडारी मीराबाई?भोर और बरखा मीराबाई | हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika.
भोर और बरखा पाठ से हमें क्या सीख मिलती है?कवयित्री ने माँ यशोदा द्वारा बाल कृष्ण को जगाने का वर्णन किया है। माँ यशोदा कृष्ण को जगाती हुई कहती हैं कि रात बीत गई है और सुबह हो गई| हर घर के दरवाजे खुल गए हैं। गोपियाँ दही को मथकर मक्खन निकाल रही हैं। ... मीराबाई कहती हैं श्रीकृष्ण अपनी शरण में आने वालों का उद्धार करते हैं।
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