भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India- ASI) को ओडिशा के कटक ज़िले के जालारपुर गाँव में लगभग 3,600 साल पहले की ग्रामीण बस्ती का पता चला। Show
प्रमुख बिंदु
रेडियो कार्बन डेटिंगRadio Carbon Dating
एक्सेलेरेटर मास स्पेक्ट्रोमेट्रीAccelerator Mass Spectrometry- AMS
अंतर-विश्वविद्यालय त्वरक केंद्रInter University Accelerator Centre
साइट (जालारपुर गाँव) की विशेषता
भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षणArchaeological Survey of India- ASI
स्रोत: द हिंदू14 विधि से आप क्या समझते हैं?कार्बन-१४ के उत्पादन की अधिकतम दर ९-१५ कि. मी. (३०,००० से ५०,००० फीट) की भू-चुम्बकीय ऊंचाइयों पर होती है किन्तु कार्बन-१४ पूरे वातावरण में समान दर से फैलता है और ऑक्सीजन के अणुओं से प्रतिक्रिया कर कार्बन डाईआक्साइड बनाता है।
कार्बन 14 क्या है इतिहास में इसकी क्या उपयोगिता है?कार्बन-14 कार्बन का रेडियोधर्मी आइसोटोप है, इसका अर्धआयुकाल 5730 वर्ष का है। कार्बन डेटिंग को रेडियोएक्टिव पदार्थो कीआयुसीमा निर्धारण करने में प्रयोग किया जाता है। कार्बनकाल विधि के माध्यम से तिथि निर्धारण होने पर इतिहास एवं वैज्ञानिक तथ्यों की जानकारी होने में सहायता मिलती है।
कार्बन डेटिंग की खोज कब हुई?कार्बन डेटिंग की तकनीक का इस्तेमाल भारत ही नहीं दुनिया के अधिकतर देशों में किया जाता है। इस तकनीक की खोज 1949 में शिकागो यूनिवर्सिटी के विलियर्ड लिबी ने की थी। इस खोज के लिए विलियर्ड लिबी को साल 1960 में नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
1 कार्बन डेटिंग पद्धति क्या है?कार्बन डेटिंग कार्बनिक पदार्थों की आयु का पता करने के लिये व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली विधि हैं। सजीवों में विभिन्न रूपों में कार्बन होता है। डेटिंग पद्धति इस तथ्य पर आधारित है कि कार्बन-14 (C-14) रेडियोधर्मी है और उचित दर पर इसका क्षय होता है। C-14 कार्बन का समस्थानिक है जिसका परमाणु द्रव्यमान 14 है।
|