निर्देश: नीचे दिए गये गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा गद्यांश में वर्णित तथ्यों के आधार पर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए। हमारे साहित्य पर दो प्रधान रूपों में प्रभाव पड़ा- हमारे साहित्य में एक ओर तो पवित्र भावनाओं तथा जीवन संबंधी गंभीर विचारों की अधिकता हुई और दूसरी ओर साधारण लौकिक भावों का विस्तार अधिक नहीं हुआ। हिन्दी की चरम उन्नति का काल भक्तिकाल का काव्य है, जिसमें ये दोनों विशेषताएँ देखी जा सकती हैं। धार्मिकता के भाव से प्रेरित होकर जिस सरल और सुंदर साहित्य की सृष्टि हुई वह वास्तव में हमारे गौरव की वस्तु है। परन्तु समाज में जिस प्रकार धर्म के नाम पर अनेक दोष घुस जाते हैं, उसी प्रकार साहित्य में भी होता है। हिन्दी साहित्य में हम इसे दो रूपों में पाते हैं- एक तो सांप्रदायिक कविता और नीरस उपदेशों के रूप में तथा दूसरा कृष्ण का आधार लेकर की गई श्रृंगारी कविताओं के रूप में। राधा-कृष्ण को लेकर हमारे श्रृंगारी कवियों ने जिस प्रकार की रचनाएँ की वह समाज के लिए हितकर नहीं हुआ। भारतीय साहित्य की उपर्युक्त दो विशेषताएँ के साथ-साथ कुछ देशगत विशेषताएँ भी हैं। संसार के सब देश एक प्रकार के नहीं होते। जलवायु तथा अन्य भौगोलिक विशेषताओं में भी अंतर पाया जाता है। इन विभिन्न भौगोलिक स्थितियों का उन देशों के साहित्य में जो संबंध होता है उसे ही उसकी देशगत विशेषताएँ कहा जाता है। समस्त भारतीय साहित्य की सबसे बड़ी विशेषता उसके मूल में स्थित समन्वय की भावना है।Question 1: भारतीय साहित्य की सबसे बड़ी विशेषता क्या है?D. अपने कर्तव्य के प्रति समर्पण की भावना Show
SOLUTIONलेखक के अनुसार भारतीय साहित्य की सबसे बड़ी विशेषता है, समन्वय की भावना| इसके बल के कारण ही भारतीय साहित्य समाज में अपनी मौलिकता की पत्रिका निकाल रहा है| साहित्य समाज का प्रतिरूप है अतः उसमें आपसी अंतर्विरोध नहीं हो सकता| अन्य सभी विकल्प साहित्य का एक अंश हैं मगर विशेषता नहीं| UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi गद्य गरिमा Chapter 3 भारतीय साहित्य की विशेषताएँ UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi गद्य गरिमा Chapter 3 भारतीय साहित्य की विशेषताएँलेखक का साहित्यिक परिचय और भाषा-शैली प्रश्न: साहित्यिक सेवाएँ: श्यामसुन्दर दास जी हिन्दी साहित्याकाश के ऐसे नक्षत्र हैं जिन्होंने अपने प्रकाश से हिन्दी साहित्य को प्रकाशित कर दिया। आपने ‘नागरी प्रचारिणी सभा’ के माध्यम से अनेक दुर्लभ और प्राचीन ग्रन्थों की खोज की। महावीरप्रसाद द्विवेदी जी का निम्नांकित कथन इस सत्य की पुष्टि करता हैं मातृभाषा के प्रचारक विमल बी० ए० पास। श्यामसुन्दर दास जी ने अपने जीवन के पचास वर्षों में अनवरत रूप से हिन्दी की सेवा करते हुए, उसे कोश, इतिहास, काव्यशास्त्र एवं सम्पादित-ग्रन्थों से समृद्ध किया। हिन्दी के समस्त अभावों को दूर करने का व्रत लेने वाले इस महान् साहित्यकार ने अपने कुछ मित्रों के सहयोग से सन् 1893 ई० में काशी नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना की। इन्होंने विश्वविद्यालय की उच्च कक्षाओं के लिए हिन्दी का पाठ्यक्रम भी निर्धारित किया। इसके साथ-ही-साथ इन्होंने श्रेष्ठ साहित्य का सृजन भी किया। श्यामसुन्दर दास जी ने हिन्दी को सर्वजन सुलभ, वैज्ञानिक और समृद्ध बनाने के लिए अप्रतिम योगदान दिया। इन्होंने निम्नलिखित रूपों में हिन्दी-साहित्य की स्तुत्य सेवी की (क) सम्पादक के रूप में। कृतियाँ: (1) निबन्ध-संग्रह: ‘हिन्दी का आदिकवि’, ‘नीतिशिक्षा’, ‘गद्य कुसुमावली’ आदि पुस्तकों में इनके विविध विषयों पर आधारित निबन्ध संकलित हैं। कुछ निबन्ध ‘नागरी प्रचारिणी पत्रिका में भी प्रकाशित हुए। ‘साहित्यिक भाषा और शैली (अ) भाषागत विशेषताएँ (ब) शैलीगत विशेषताएँ (1) विवेचनात्मक शैली: श्यामसुन्दर दास जी ने इस शैली का प्रयोग साहित्यिक निबन्धों में किया है। इसमें गम्भीरता तथा तत्सम शब्दावली की प्रचुरता है। साहित्य में स्थान: आधुनिक युग के भाषा और साहित्य के प्रमुख लेखकों में बाबू श्यामसुन्दर दास का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इन्होंने अनुपलब्ध प्राचीन ग्रन्थों का सम्पादन करके तथा हिन्दी-भाषा को विश्वविद्यालय स्तर तक पठनीय बनाकर आधुनिक हिन्दी-साहित्य की अपूर्व सेवा की है। गद्यांशों पर आधारित प्रश्नोत्तर प्रश्न: प्रश्न 1: (ii) रेखांकित अंश की व्याख्या: हमारे नाटकों में, कहानियों में और साहित्य की किसी भी विधा में सर्वत्र यही समन्वय पाया जाता है। हमारे नाटकों में सुख और दु:ख के प्रबल घात-प्रतिघात दिखाये जाते हैं, पर सबका अन्त आनन्द में ही किया जाता है; क्योंकि हमारा ध्येय जीवन का आदर्श रूप उपस्थित कर उसे उन्नत बनाना रहा है। प्रश्न 2: प्रश्न 3: प्रश्न 4: We hope the UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi गद्य गरिमा Chapter 3 भारतीय साहित्य की विशेषताएँ (श्यामसुन्दर दास) help you. भारतीय साहित्य की प्रमुख विशेषता क्या है?(1) समन्वय की भावना को भारतीय साहित्य की पहली विशेषता बताया गया है। (2) भाषा- शुद्ध साहित्यिक हिन्दी। (3) शैली- गंभीर विषय को बोधगम्य विचारात्मक शैली में प्रस्तुत किया गया है। (4) वाक्य-विन्यास सुगठित एवं शब्द-चयन उपयुक्त है।
साहित्य क्या है और साहित्य की विशेषताएं?भाषा के माध्यम से अपने अंतरंग की अनुभूति, अभिव्यक्ति करानेवाली ललित कला 'काव्य' अथवा 'साहित्य' कहलाती है। वैसे साहित्य शब्द को परिभाषित करना कठिन है। जैसे पानी की आकृति नहीं, जिस साँचे में डालो वह ढ़ल जाता है, उसी तरह का तरल है यह शब्द। हिंदी में तीन प्रकार का साहित्य मिलता है- गद्य पद्य और चम्पू।
भारतीय साहित्य का अर्थ क्या है?भारतीय साहित्य से तात्पर्य सन् 1947 के पहले तक भारतीय उपमहाद्वीप एवं तत्पश्चात् भारत गणराज्य में निर्मित वाचिक और लिखित साहित्य से है। विश्व का सबसे पुराना वाचिक साहित्य आदिवासी भाषाओं में मिलता है। इस दृष्टि से आदिवासी साहित्य सभी साहित्य का मूल स्रोत है।
साहित्य कितने प्रकार के होते हैं?हिन्दी में तीन प्रकार का साहित्य मिलता है- गद्य, पद्य और चम्पू।
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