शिक्षा में खेल की भूमिका क्या है? - shiksha mein khel kee bhoomika kya hai?

Spot on with this write-up, I truly think this web site needs a great deal more attention. I'll probably be…

Show
  • fld on Mugdha Agarwal Age, Height, Dob, Boyfriend, Biography, Family, Networth and MoreSeptember 23, 2022

    It's truly very difficult in thjis active life to listedn nws on TV, tthus I just use intsrnet foor that…

  • Maryfar on Mugdha Agarwal Age, Height, Dob, Boyfriend, Biography, Family, Networth and MoreSeptember 7, 2022

    over the counter clomid uk budesonide 160 zofran otc mexico cost of sildenafil in canada price of atenolol

    खेलों एवं शारीरिक शिक्षा को शैक्षिक पाठ्यक्रम के साथ मिलाने तथा इसे सेकेण्डरी स्कूल तक शिक्षा का अनिवार्य विषय बनाने और इसे छात्र की मूल्यांकन पद्वति में सम्मिलित करने के प्रश्न पर राष्ट्रीय खेल नीति-2001 के अनुरूप सक्रिय रूप से कार्यवाही की जायेगी। देश में स्थित सभी स्कूलों में खेल मैदानों /उपस्करो सहित अवस्थापना की उपलब्धता में बढ़ोत्तरी करने हेतु कदम उठाये जायेंगे तथा अन्य बातों के साथ-साथ, इन खेल विधाओं में चुनिन्दा अध्यापकों के प्रशिक्षण के माध्यम से, शैक्षिक संस्थाओं में शारीरिक शिक्षा में अध्यापक कराने हेतु कार्यवाही की जायेगी। विशेषज्ञता प्राप्त खेल स्कूल भी स्थापित किये जायेंगंे। शिक्षा के क्षेत्र में खेलों के विकास एवं प्रोत्साहन की अपार संभावनाएं हैं । शिक्षा विभाग के अन्तर्गत राज्य के सभी जनपदों में काफी संख्या में विद्यालय संचालित है। इन विद्यालयों मे ंजनपद के अधिकांश बालक/बालिकाएं नियमित शिक्षा ग्रहण करने हेतु आते हैं। राष्ट्रीय खेल नीति-2001 में भी खेल एवं शारीरिक शिक्षा को शैक्षिक कार्यक्रम के साथ एकीकृत किये जाने का उल्लेख किया गया है। विद्यालयों में राष्ट्रीय शारीरिक स्वस्थता (फिटनेस) कार्यक्रम को लागू करने के साथ ही इसका मूल्यांकन भी किया जाये। इसी प्रकार उच्च शिक्षा विभाग के माध्यम से विश्वविद्यालय, महाविद्यालय एवं अन्य उच्च शैक्षिक संस्थाओं में खेल कार्यक्रमों को नियमित संचालित करने हेतु कार्यवाही की जायेगी। इस योजना से विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में एन.सी.सी. एवं एन.एस.एस. के छात्र भी लाभान्वित होंगे। इन खेल कार्यक्रमों को लागू करने हेतु शिक्षा विभाग द्वारा निम्न बिन्दुओं पर कार्यवाही अपेक्षित होगीः-

    1. ‘‘खेल एवं शारीरिक शिक्षा’’ प्राथमिक से माध्यमिक स्तर तक शैक्षिक कार्यक्रम के साथ अनिवार्य विषय के रूप में लागू करना ।

    2. अवस्थापना सुविधाओं का विकास शिक्षा विभाग के अंतर्गत संचालित उच्चतर माध्यमिक तथा उच्च प्राथमिक विद्यालयों की संख्या राज्य के समस्त 13 जनपदों में 95 विकासखण्डों में वर्तमान में 2707 है। इनके अतिरिक्त निजी क्षेत्र में भी लगभग इतने ही विद्यालय कार्यरत हैं। वर्तमान में खेल अवस्थपना सुविधाओं का विकास एवं सुदृढ़ीकरण नगरीय क्षेत्र में खेल विभाग एवं ग्रामीण क्षेत्र में युवा कल्याण विभाग द्वारा किया जा रहा है, जनपद, नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ खेल मैदानों के विकास से सभी बालक/बालिकाओं हेतु पर्याप्त खेल सुविधाएं उपलबध नहीं हो पा रही हैं। यदि सभी विद्यालयों को जिनके पास भूमि उपलब्ध है, मिनी स्टेडियम उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। यदि सभी विद्यालयों को जिनके पास भूमि उपलब्ध है, मिनी स्टेडियम का स्वरूप दिया जाये, तो खेल सुविधाओं की उपलब्धता के साथ बालक/बालिकाओं हेतु नियमित खेल अभ्यास का सुअवसर प्राप्त हो सकेगा। इस हेतु शिक्षा, खेल एवं युवा कल्याण विभाग मे ंसमन्वय एवं एकजुटता के साथ लक्ष्य प्राप्ति हेतु प्रयास की आवश्यकता हैं प्रत्येक विद्यालय में खेल मैदानों के सृजन एवं सुदृढ़ीकरण से खेल कार्यक्रमों जैसे - नियमित खेलों का अभ्यास कराने हेतु प्रशिक्षकों/व्यायाम शिक्षकों की तैनाती की जानी आवश्यक होगी। जब तक प्रशिक्षकों/व्यायाम शिक्षकों के पदों का सृजन एवं नियुक्तियाॅ नहीं हो जाती है तब तक विद्यालय मे कार्यरत स्वस्थ एवं खेल प्रेमी शिक्षकों को खेल विभाग के माध्यम से प्रारम्भिक खेल प्रशिक्षण प्रदान कर इनकी सेवाएं खेल प्रभारी के रूप में जी जा सकती है। इस अतिरिक्त कार्य हेतु इन शिक्षकों को मानदेय दिये जाने की भी व्यवस्था शिक्षा विभाग द्वारा की जा सकती है। इसी प्रकार उच्च शिक्षा विभाग के माध्यम से महाविद्यालयों एवं अन्य उच्च शैक्षिक संस्थाओं में खेल कार्यक्रमों को नियमित संचालित करने हेतु आवश्यक कार्यवाही की जायें। इस योजना से विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में एन.सी.सी. एवं एन.एस.एस. के छात्र एवं छात्राऐं भी लाभान्वित होंगें। इन खेल कार्यक्रमों पर प्रभावी नियन्त्रण हेतु शिक्षा विभाग द्वारा निम्न बिन्दुओं पर कार्यवाही अपेक्षित हैः-

    समय समय पर हमें छोटी कक्षाओं में या बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में निबंध लिखने को दिए जाते हैं। निबंध हमारे जीवन के विचारों एवं क्रियाकलापों से जुड़े होते है। आज hindiamrit.com  आपको निबंध की श्रृंखला में  शिक्षा में खेलकूद का महत्व पर निबंध | खेलकूद की आवश्यकता और स्वरूप पर निबंध | essay on importance of  games in hindi प्रस्तुत करता है।

    Contents

    • 1 शिक्षा में खेलकूद का महत्व पर निबंध | खेलकूद की आवश्यकता और स्वरूप पर निबंध | essay on importance of  games in hindi
      • 1.1 शिक्षा में खेलकूद का महत्व पर निबंध | खेलकूद की आवश्यकता और स्वरूप पर निबंध | essay on importance of  games in hindi
    • 2 शिक्षा में खेलकूद का महत्व पर निबंध | खेलकूद की आवश्यकता और स्वरूप पर निबंध | essay on importance of  games in hindi
      • 2.1 प्रस्तावना
      • 2.2 स्वास्थ्य: जीवन का आधार
      • 2.3 शिक्षा तथा खेलकूद का संबंध
      • 2.4 खेलकूद के विविध रूप
      • 2.5 शिक्षा में खेलकूद का महत्त्व
      • 2.6 शिक्षा और खेलकूद में सन्तुलन
      • 2.7 उपसंहार
    • 3 सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण पढ़िये ।

    शिक्षा में खेलकूद का महत्व पर निबंध | खेलकूद की आवश्यकता और स्वरूप पर निबंध | essay on importance of  games in hindi

    इस निबंध के अन्य शीर्षक / नाम

    (1) जीवन में खेलकूद का महत्व पर निबंध
    (2) जीवन में खेलकूद की आवश्यकता पर निबंध
    (3) शिक्षा में खेलकूद की आवश्यकता पर निबंध
    (4) importance of games essay in hindi

    Tags – शिक्षा में खेलों का महत्व पर निबंध,शिक्षा में खेलकूद का महत्व निबंध,शिक्षा में खेलों का महत्व निबंध इन हिंदी,शिक्षा में खेलों का महत्व निबंध,शिक्षा में खेलकूद का महत्व,शिक्षा में खेल का महत्व,शिक्षा में खेल का महत्व in hindi,शिक्षा में खेल का महत्व लिखो,खेलकूद का महत्व पर निबंध,खेलकूद का महत्व,खेल पर निबंध,खेल के महत्व पर निबंध,खेल कूद का महत्व के बारे में निबंध,खेलकूद का जीवन में महत्व,खेलकूद का महत्व निबंध,खेल nibandh,खेल के निबंध,खेलकूद निबंध,खेल का निबंध,खेल par nibandh,खेल लेखन,खेलकूद का निबंध,essay on importance of games in hindi,खेलकूद की आवश्यकता और स्वरूप पर निबंध,essay on importance of games in hindi,

    essay on importance of playing games in hindi,essay on importance of games and sports in hindi,essay on importance of games in our life in hindi,essay on importance of games in student life in hindi,essay on importance of games,essay on games,इंपॉर्टेंस ऑफ गेम्स,importance of games in hindi,essay on importance of games in hindi in 100 words,essay on importance of games in hindi in 150 words,




    शिक्षा में खेलकूद का महत्व पर निबंध | खेलकूद की आवश्यकता और स्वरूप पर निबंध | essay on importance of  games in hindi

    पहले जान लेते है शिक्षा में खेलकूद का महत्व पर निबंध | खेलकूद की आवश्यकता और स्वरूप पर निबंध | essay on importance of  games in hindi की रूपरेखा ।

    निबंध की रूपरेखा

    (1) प्रस्तावना
    (2) स्वास्थ्य जीवन का आधार
    (3) शिक्षा तथा खेलकूद का संबंध
    (4) खेलकूद के विविध रूप
    (5) शिक्षा में खेल कूद का महत्व
    (6) शिक्षा और खेल कूद में संतुलन
    (7) उपसंहार


    ये भी पढ़ें-  हिंदी भाषा पर निबंध हिंदी में | हिंदी दिवस पर निबंध हिंदी में | essay on hindi diwas | essay on hindi language

    शिक्षा में खेलों का महत्व निबंध इन हिंदी,शिक्षा में खेलों का महत्व निबंध,शिक्षा में खेल का महत्व,शिक्षा में खेल का महत्व in hindi,शिक्षा में खेल का महत्व लिखो,खेलकूद का महत्व पर निबंध,खेलकूद का महत्व,शिक्षा में खेल कूद का महत्व पर निबंध,खेल पर निबंध,खेल के महत्व पर निबंध,खेल कूद का महत्व के बारे में निबंध,खेलकूद का जीवन में महत्व,शिक्षा में खेल का महत्व पर निबंध,खेलकूद का महत्व निबंध,खेल nibandh,खेल के निबंध,खेलकूद निबंध,खेल का निबंध,खेल par nibandh,खेल लेखन,खेलकूद का निबंध,

    शिक्षा में खेल की भूमिका क्या है? - shiksha mein khel kee bhoomika kya hai?




    शिक्षा में खेलकूद का महत्व पर निबंध | खेलकूद की आवश्यकता और स्वरूप पर निबंध | essay on importance of  games in hindi

    प्रस्तावना

    शिक्षा मनुष्य के सर्वांगीण विकास के लिए जीवन की आधारशिला है। व्यक्ति के प्रकृत रूप से संच्चे मानवीय रूप में विकास ही शिक्षा का मूल उद्देश्य है।

    शिक्षा मस्तिष्क को स्वस्थ बनाती है। इस प्रकार शिक्षा की सार्थकता व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, चारित्रिक और आध्यात्मिक विकास में निहित है।

    सर्वविदित है कि स्वस्थ मस्तिष्क स्वस्थ शरीर में ही निवास करता है। स्वस्थ शरीर तभी सम्भव है, जब यह गतिशील रहे; खेलकूद, व्यायाम आदि से इसे पुष्ट बनाया जाए।

    इसीलिए विश्व के लगभग प्रत्येक देश में स्वाभाविक रूप से खेलकूद और व्यायाम पाये जाते हैं।



    स्वास्थ्य: जीवन का आधार

    मानव-जीवन के समस्त कार्यों का संचालन शरीर से ही होता है। हमारे यहाँ तो कहा भी गया है-शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्।’

    सच ही है – शरीर के होने पर ही व्यक्ति सभी प्रकार से साधनसम्पन्न हो सकता है। जान हें,तो जहान है। यहाँ पर जान से तात्पर्य है स्वस्थ शरीर।

    इसलिए प्रत्येक काल में, हर देश, हर समाज में स्वास्थ्य की महत्ता पर बल दिया गया है।

    इसे जीवन का सबसे बड़ा सुख मानते हुए कहा गया है- ‘पहला सुख निरोगी काया।’ इसी सुख की प्राप्ति खेलकूद और व्यायाम से होती है।




    शिक्षा तथा खेलकूद का संबंध

    शिक्षा तथा खेलकूद का परस्पर घनिष्ठ सम्बन्ध है। शिक्षा मनुष्य का सर्वांगीण विकास करती है।

    शारीरिक विकास इस विकास का पहला रूप है, जो खेलकूद में गतिशील रहने से ही सम्भव है ।

    मस्तिष्क भी एक शारीरिक अवयव है; अत: खेलकूद को अनिवार्य रूप से अपनाने पर मस्तिष्क भी परिपक्व होता है और वह शिक्षा में भी आगे बढ़ता है।

    इस प्रकार खेलकूद मानसिक, चारित्रिक और आध्यात्मिक विकास से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं ।

    शिक्षा से खेलकूद की इस घनिष्ठता को दृष्टिगत रखकर ही प्रत्येक विद्यालय में खेलकूद की व्यवस्था की जाती है और इनसे सम्बद्ध व्यवस्था पर पर्याप्त धनराशि व्यय की जाती है।





    खेलकूद के विविध रूप

    कुछ नियमों के अनुसार शरीर को पुष्ट और स्फूर्तिमय तथा मन को प्रफुल्लित बनाने के लिए जो शारीरिक गति की जाती है, उसे ही खेलकूद और व्यायाम कहते हैं।

    ये भी पढ़ें-  बेरोजगारी की समस्या पर निबंध | unemployment essay in hindi 

    खेलकूद और व्यायाम का क्षेत्र बहुत व्यापक है तथा इसके अनेकानेक रूप हैं। रस्साकशी, कबड्डी, खो-खो, ऊँची कूद, लम्बी कूद, तैराकी, हॉकी, फुटबॉल, क्रिकेट, बैडमिण्टन, जिमनास्टिक, लोहे का गोला उछालना, टेनिस, स्केटिंग आदि खेलकूद के ही विविध रूप हैं।

    इनसे शरीर में रक्त का संचार तीव्र होता है और अधिक ऑक्सीजन की आपूर्ति के कारण प्राणशक्ति बढ़ती है। इसीलिए खेलकूद हमारे शरीर को पुष्ट बनाते हैं।

    सभी लोग सभी स्थानों पर नियमित रूप से सुविधापूर्वक खेलकूद नहीं कर सकते, इसीलिए शरीर और मन को पुष्ट बनाने के लिए व्यायाम करते हैं ।







    शिक्षा में खेलकूद का महत्त्व

    केवल पुस्तकीय ज्ञान प्राप्त करके मानसिक विकास कर लेने मात्र को ही शिक्षा मानना निताम्त भ्रम है।

    सच्ची शिक्षा मानसिक विकास के साथ-साथ शारीरिक, चारित्रिक और आध्यात्मिक विकास में सहायक होती है, जिससे मनुष्य सच्चे अर्थों में मनुष्य बनता है।

    शिक्षा के क्षेत्र में खेलकूद अत्यन्त महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मानसिक विकास की दृष्टि से भी खेलकूद बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। खेलकूद से पुष्ट और स्फूर्तिमय शरीर ही मन को स्वस्थ बनाता है।

    एक कहावत है  “There is a sound mind in a sound body.” अर्थात् स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है, बिल्कुल सत्य है।

    रुग्ण और दुर्बल शरीर व्यक्ति को चिड़चिड़ा, असहिष्णु और स्मृति-क्षीण बनाते हैं, जिससे वह शिक्षा ग्रहण करने योग्य नहीं रह जाता।

    खेलकूद हमारे मन को प्रफुल्लित और उत्साहित बनाये रखते हैं। खेलों से नियम-पालन का स्वभाव विकसित होता है और मन एकाग्र होता है।

    शिक्षा-प्राप्ति में ये त्त्व महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, परन्तु आज के वातावरण में अधिकतर माता-पिता अपने बच्चों के केवल अक्षर-ज्ञान पर ही विशेष बल दे रहे हैं।

    परीक्षा में अधिक अंकों सहित उत्तीर्ण होना तथा किसी-न-किसी प्रकार अच्छी नौकरी को प्राप्त करना ही उनका उद्देश्य होता है। खेलकूद चारित्रिक विकास में भी योगदान देते हैं।

    खेलकूद से सहिष्णुता, धैर्य और साहस का विकास होता है तथा सामूहिक सद्भाव और भाईचारे की भावना पनपती है। इन चारित्रिक गुणों से एक मनुष्य सही अर्थों में शिक्षित और श्रेष्ठ नागरिक बनता है।

    शिक्षा-प्राप्ति के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों को भी हम खेल में आने वाले अवरोधों की भाँति हँसते-हँसते पार कर लेते हैं और सफलता की मंजिल तक पहुँच जाते हैं।

    इस प्रकार जीवन की अनेक घटनाओं को हम खिलाड़ी की भावना से ग्रहण करने के अभ्यस्त हो जाते हैं।

    खेलकद के सम्मिलन से शिक्षा में सरलता, सरसता और रोचकता आ जाती है शिक्षाशास्त्रियों के अनुसार, खेल के रूप में दी रायी शिक्षा तीव्रगामी, सरल और अधिक प्रभावी होती है। इसे ‘शिक्षा की खेल-पद्धति’ कहते हैं।

    मॉण्टेसरी और किण्डरगार्टन आदि की शिक्षा-पद्धतियाँ इसी मान्यता पर आधारित हैं। इससे स्पष्ट है कि शिक्षा में खेलकूद का अत्यधिक महत्त्व है और बिना खेलकद के शिक्षा सारहीन रह जाती है।







    ये भी पढ़ें-  परोपकार पर निबंध हिंदी में | परहित सरिस धर्म नहीं भाई पर निबंध | paropkar par nibandh in hindi

    शिक्षा और खेलकूद में सन्तुलन

    शिक्षा में खेलकूद बहुत उपयोगी है; किन्तु यदि कोई खेलकूद पर ही बल दे और शिक्षा के अन्य पक्षों की उपेक्षा कर दे तो यह भी अहितकर होगा।

    विद्यार्थी का जीवन तो अध्ययनशील, कार्यशील व व्यस्त होना चाहिए। जिसमें एक क्षण का समय भी प्रदूषित वातावरण में व्यतीत नहीं होना चाहिए।

    हमें बुद्धिजीवी होने के साथ ही श्रमजीवी भी होना चाहिए। पढ़ते समय हम केवल पढ़ाई का ध्यान रखें और खेलकूद के समय एकाग्रचित्त होकर खेलें। यही प्रसन्नता और आनन्द का
    मार्ग है।




    उपसंहार

    खेलकूद से क्षमता, उल्लास और स्फूर्ति मिलती है। इससे जीवन रसमय बन जाता है।

    जीवन-रस से विहीन शिक्षा निरर्थक है; अत: शिक्षा को जीवन्त और सार्थक बनाये रखने के लिए तथा विद्यार्थी के व्यक्तित्व के सम्पूर्ण और समग्र विकास के लिए खेलकूद महत्त्वपूर्ण हैं।

    वर्तमान शिक्षा-प्रणाली में आवश्यक परिवर्तन कर खेलों को उसके पाठ्यक्रम का अनिवार्य अंग बनाने की भी आवश्यकता है। इनकी परीक्षा की भी उचित प्रणाली और प्रक्रिया विकसित की जानी चाहिए।

    बस्तियों के शोर-शराबे और घुटनभरे माहोल से शिक्षालयों को दूर, साफ-सुथरे, शान्त और स्वस्थ वातावरण में ले जाए जाने की भी बहुत बड़ा आवश्यकता है।

    व्यक्तित्व के सम्पूर्ण एवं समग्र विकास का शिक्षा का जो दायित्व है उसकी पूर्ति तभी सम्भव हो सकेगी।

    समस्त विश्व ने इस वास्तविकता को स्वीकार किया है तथा प्रत्येक देश में खेलकद शिक्षा का अनिवार्य अंग बन गये हैं। हमारे देश में इस दिशी में कार्य बहुत कम हुआ है।

    बाल-विद्यालयों में भी खेलकद की व्यवस्था का अभाव है। देश की भावी पाढ़ा का सुचाके सुशिक्षित और विकासोन्मुख बनाने के लिए शिक्षा और खेलकूद में समन्वय का होना अत्यावश्यक है।






    दोस्तों हमें आशा है की आपको यह निबंध अत्यधिक पसन्द आया होगा। हमें कमेंट करके जरूर बताइयेगा आपको शिक्षा में खेलकूद का महत्व पर निबंध | खेलकूद की आवश्यकता और स्वरूप पर निबंध | essay on importance of  games in hindi कैसा लगा ।

    आप शिक्षा में खेलकूद का महत्व पर निबंध | खेलकूद की आवश्यकता और स्वरूप पर निबंध | essay on importance of  games in hindi को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर कीजियेगा।

    सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण पढ़िये ।

    » भाषा » बोली » लिपि » वर्ण » स्वर » व्यंजन » शब्द  » वाक्य » वाक्य शुद्धि » संज्ञा » लिंग » वचन » कारक » सर्वनाम » विशेषण » क्रिया » काल » वाच्य » क्रिया विशेषण » सम्बंधबोधक अव्यय » समुच्चयबोधक अव्यय » विस्मयादिबोधक अव्यय » निपात » विराम चिन्ह » उपसर्ग » प्रत्यय » संधि » समास » रस » अलंकार » छंद » विलोम शब्द » तत्सम तत्भव शब्द » पर्यायवाची शब्द » शुद्ध अशुद्ध शब्द » विदेशी शब्द » वाक्यांश के लिए एक शब्द » समानोच्चरित शब्द » मुहावरे » लोकोक्ति » पत्र » निबंध

    खेल का शिक्षा में क्या महत्व है?

    खेल से बच्चों का शारीरिक विकास, संज्ञानात्मक विकास, संवेगात्मक विकास, सामाजिक विकास एवम् नैतिक विकास को बढ़ावा मिलता है किन्तु अभिभावकों की खेल के प्रति नकारात्मक अभिवृत्ति एवम् क्रियाकलाप ने बुरी तरह प्रभावित किया हैं। अतः यह अनिवार्य है कि शिक्षक और माता-पिता खेल के महत्व को समझें।

    विद्यार्थियों के लिए खेल का महत्व क्यों आवश्यक है?

    यह विशेषरुप से विद्यार्थियों के लिए बहुत ही लाभदायक है क्योंकि, यह शारीरिक और मानसिक विकास को सहायता प्रदान करता है। वे लोग जो खेलों में अधिक रुचि रखते हैं और खेलने में अच्छे हैं, वे अधिक सक्रिय और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। वे कार्यस्थल पर बेहतर अनुशासन के साथ ही नेतृत्व के गुणों को विकसित कर सकते हैं।

    खेल का उद्देश्य क्या है?

    खेल और खेलों का महत्व – खेल का मुख्य उद्देश्य, शारीरिक व्यायाम है। यह एक प्रसिद्ध उद्धरण है, “एक ध्वनि शरीर में एक ध्वनि दिमाग होता है”। जीवन में सफलता के लिए शरीर का स्वास्थ्य आवश्यक है। अस्वस्थ व्यक्ति हमेशा कमजोरी महसूस करता है, इस प्रकार आत्मविश्वास खो देता है और इसलिए बहुत सुस्त और सक्रिय हो जाता है।

    खेल एवं शारीरिक शिक्षा का क्या महत्व है वर्णन कीजिए?

    रूसों के अनुसार “शारीरिक शिक्षा शरीर का एक मजबूत ढांचा है जो मस्तिष्क के कार्य को निश्चित तथा आसान करता है । " स्वामी विवेकानन्द के अनुसार "शारीरिक शिक्षा व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के लिए नितान्त आवश्यक है। इसके लिए व्यायामशालाओं एवं खेल मैदानों का होना अति आवश्यक है ।