सदियों से दुनिया की अलग-अलग संस्कृतियों (Cultures) और सभ्यताओं में मृत्यु (Death) को लेकर एक डर और रहस्य की स्थितियां किसी न किसी स्तर पर बनी रही हैं. दूसरी तरफ, पिछली कुछ सदियों से विज्ञान (Science) ने मौत से जुड़े रहस्यों से परदा उठाने की चेष्टाएं लगातार की हैं और आधुनिक समय में मौत को लेकर कुछ चौंकाने वाली नई बातें पता चली हैं, जिन्हें जानना आपके लिए दिलचस्प होगा. Show जीवविज्ञान (Biology) के विशेषज्ञों ने कई रहस्यों (Mystery) से परदा तो उठा दिया है, लेकिन मौत से जुड़े कई पहलू अभी भी ऐसे हैं, जिनसे जुड़े सवालों के जवाब नहीं मिले हैं. यह भी समझना चाहिए कि मौत के बारे में जानना, समझना या अध्ययन करना (Study) कोई अपशकुन नहीं बल्कि जीवन को और बेहतर समझने का ही एक उपाय है. बहरहाल, आइए जानें कि हालिया वक्त में मौत को लेकर ऐसे क्या खुलासे हुए हैं, जिनसे पहले लोग वाकिफ़ नहीं थे. 1. मौत के बाद भी रहती है चेतना 2. मौत ही आखिरी पड़ाव है?
वॉशिंग्टन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और अध्ययनकर्ता पीटर नोबल ने न्यूज़वीक को बताया था कि क्या आप सोच सकते हैं कि मौत के 24 घंटे बाद लिये गए सैंपल के अध्ययन में दिखता है कि जीन्स बढ़ रहे हैं. यह वाकई चौंकाने वाला सच था. 3. ऊर्जा कभी नष्ट नहीं होती 4. मौत से पहले आने लगते हैं
विचित्र सपने 5. पहली बार कब दफनाई गई थी लाश? इस अध्ययन के मुताबिक जीवाश्मों से पता चला कि लुप्त हो चुकी पूर्व मानव की एक जनजाति होमिनिन के समय की एक कब्रिस्ताननुमा संरचना दक्षिण अफ्रीका में पाई गई. लेकिन यह संरचना जान बूझकर बनाई गई थी या अनजाने में बन गई थी, इसके बारे में कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है. प्राचीन मानव की होमिनिन प्रजाति के समय में सबसे पहली कब्र के प्रमाण मिलते हैं. फाइल फोटो. 6. चलती फिरती लाश
यानी वॉकिंग कॉर्प्स सिंड्रोम क्या है? 1882 में डॉ. जूल्स कोटार्ड ने इस समस्या को सबसे पहली बार समझा था और इसे कोटार्ड सिंड्रोम कहा था. इस सिंड्रोम से ग्रस्त लोग खुद को मुर्दा समझने लगते हैं या अपने शरीर के अंगों को गुम पाते हैं या अपनी आत्मा को. अस्ल में, बाहरी सच्चाई को न समझ पाने वाली एक स्वास्थ्य समस्या है, जिसमें एक शून्यवादी भ्रांति पनपती जाती है. 7. क्या मौत के बाद बढ़ते हैं नाखून और बाल? आखिरकार, सवाल यह है कि जब मौत के बाद वापसी संभव नहीं है, तो मौत के बारे में इतना अध्ययन करना ही क्यों? एनवायू के डॉ. सैम पार्निया इस सवाल का जवाब इस तरह देते हैं कि इस तरह के अध्ययन से यह समझने की कोशिश की जाती है कि पूरी दुनिया में लोग मौत का अनुभव किस तरह करते हैं. यह ऐसा ही है कि प्रेम जैसे मनुष्यों की श्रेष्ठ भावना या एहसास को समझने के लिए अध्ययन किए जाएं. ये भी पढ़ें :- दस्ताने पहनने के बावजूद कैसे तेज़ी से फैल सकते हैं जर्म्स? कपड़ों पर सर्वाइव करता है कोरोना वायरस? बाज़ार से लौटें तो बरतें ये सावधानियां ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी| Tags: Death, Life Talk, Medical, Science FIRST PUBLISHED : April 06, 2020, 16:33 IST वैज्ञानिक के अनुसार मृत्यु क्या है?हालांकि विज्ञान के अनुसार, मृत्यु का अर्थ है जीवित प्राणी के शरीर की सभी जैविक प्रक्रियाओं का समाप्त हो जाना। जैविक प्रक्रिया को दिल के धड़कने, मस्तिष्क के निर्णय लेने की क्षमता, किडनी और लीवर जैसे अंगों के सुचारु ढंग से काम करने में समझा जा सकता है। ये प्रक्रियाएं समाप्त होते ही हमारी मृत्यु हो जाती है।
क्या वैज्ञानिक आत्मा को मानते हैं?विज्ञान के अनुसार शरीर में आत्मा
शरीर की तंत्रिका प्रणाली से व्याप्त क्वांटम जब अपनी जगह छोड़ने लगता है तो मृत्यु जैसा अनुभव होता है। इस सिद्धांत या निष्कर्ष का आधार यह है मस्तिष्क में क्वांटम कंप्यूटर के लिए चेतना एक प्रोग्राम की तरह काम करती है। यह चेतना मृत्यु के बाद भी ब्रह्मांड में परिव्याप्त रहती है।
वैज्ञानिकों के अनुसार मरने के बाद क्या होता है?वैज्ञानिकों के अनुसार मृत्यु का क्षण वो होता है, जब दिमाग काम करना बंद कर दे और दिल की धड़कन और सांस रुक जाएं, डॉक्टर इसे अपनी भाषा में ब्रेन डेड कहते हैं, वहीं आम भाषा में इसे मौत कहा जाता है। ब्रेन डेथ की बारे में यह देखा जाता है कि दिमाग का हिस्सा ब्रेन स्टेम (brainstem) रिस्पांस दे रहा है या नहीं।
मरा हुआ इंसान वापस आ सकता है क्या?क्या किसी मृत व्यक्ति को फिर से जीवित किया जा सकता है? जी नहीं। मृत व्यक्ति को फिर से जीवित कभी नहीं किया जा सकता। किसी भी जीवित व्यक्ति के भीतर एक सिल्वर कोड होती है जो उसके सूक्ष्म शरीर को भौतिक शरीर से जोड़े रखती है।
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