जयपुरी भाषा का दूसरा नाम क्या है? - jayapuree bhaasha ka doosara naam kya hai?

जयपुर जिसे पिंक सिटी के नाम से भी जाना जाता है बहुत ही सुंदर और प्राचीन शहर है जयपुर पर्यटक स्थल के लिए काफी प्रसिद्ध है जयपुर शहर में भारत के कई राज्यों से पर्यटक घूमने आते हैं साथ ही साथ विदेशों से भी कई पर्यटक इस शहर में पर्यटन करने के लिए आते हैं।

यह भारत देश का सबसे सुंदर शहर है। जयपुर में राजस्थान की प्राचीन संस्कृति दिखाई पड़ती है आप तो जानते ही होंगे कि जयपुर की चूड़ियां और चुनरी पूरे भारत देश में कितनी प्रसिद्ध है। जयपुर शहर को गुलाबी शहर भी कहा जाता है क्योंकि यहां पर आपको हर घर गुलाबी रंग के दिखाई पड़ेंगे जब आप इस शहर में जाएंगे तो सच में आपको यह महसूस होगा कि आप एक गुलाबी शहर में आ चुके हैं।

लेकिन क्या आप जानते हैं जयपुर शहर की स्थापना कब हुई थी? और जयपुर का पुराना नाम क्या था? यदि नही तो आज हम आपको इस लेख में जयपुर के बारे में कुछ जानकारियां प्रदान करेंगे कृपया इस लेख को अंत तक पढ़ें।

जयपुर की स्थापना कब हुई थी?

जयपुर शहर की स्थापना 18 नवंबर 1727 में हुई थी जयपुर शहर की नीव आमेर में महाराजा जयसिंह सवाई द्वारा 1700 रखी गई थी। जहां पर जयपुर शहर 6 गांव को मिला कर बनाया गया है। जयपुर शहर चारों ओर से दीवारों से घिरा हुआ है। केवल दक्षिण दिशा को छोड़कर जयपुर शहर तीनों दिशाओं में अरावली पर्वत माला से घिरा हुआ है। इसलिए शहर में प्रवेश करने के लिए 7 दरवाजे बनाए गए थे बाद में एक 8 वा दरवाजा भी बनाया गया जिसका नाम न्यू गेट रखा गया।

जयपुरी भाषा का दूसरा नाम क्या है? - jayapuree bhaasha ka doosara naam kya hai?
जयपुर का पुराना नाम क्या था? | Jaipur Ka Purana Naam Kya Tha

जयपुर शहर को बताने में जयसिंह की मदद एक बंगाली व्यक्ति विद्याधर ने की थी। विद्याधर ने जयपुर शहर की संरचना पूरे वास्तु शास्त्र एवं शिल्प शास्त्र के अनुसार की थी। सन 1729 ईस्वी में पूरा जयपुर शहर की कुछ इमारत बनकर तैयार हुई थी । जहां बाजार मंदिर और मकान आदि सभी चीजों का निर्माण किया गया था। सन 1730 ईसवी में जयपुर शहर का निर्माण पूरा हुआ था।

गुलाबी शहर होने के साथ-साथ यह राजस्थान की राजधानी भी है। सन यूनेस्को ने जयपुर को सन 2029 में वर्ल्ड हेरिटेज सिटी भी घोषित किया है। इस 2022 सन में जयपुर की स्थापना को कुल 294 साल पूरा हो जाएगा। जयपुर में हर साल 18 नवंबर के दिन इस स्थापना दिवस को मनाया जाता है।

जयपुर केवल गुलाबी शहर के लिए ही प्रसिद्ध नहीं है बल्कि इस शहर में कई सुंदर समृद्ध एवं भव्य भवनों का निर्माण भी किया गया है साथ ही यह राजस्थान की संस्कृति को बहुत ही खूबसूरत एवं आकर्षक तरीके से प्रदर्शित करता है।

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जयपुर का पुराना नाम क्या था?

जयपुर शहर का पुराना नाम “जयनगर” था। इसका नाम जयनगर राजा जयसिंह के नाम पर रखा गया था। प्राचीन समय में लोग किसी भी शहर को नगर कह कर पुकारते थे। इसलिए इसका नाम जयनगर रखा गया था। बाद में इसका नाम बदलकर जयपुर कर दिया गया। इसका नाम बदलकर जयपुर क्यों रखा गया इस पर अभी तक कोई तथ्य प्राप्त नहीं हुआ है।

जयपुरी भाषा का दूसरा नाम क्या है? - jayapuree bhaasha ka doosara naam kya hai?
जयपुर का पुराना नाम क्या था? | Jaipur Ka Purana Naam Kya Tha

सन 1776 ईस्वी में एलिजाबेथ के स्वागत में महाराजा जयसिंह ने पूरे जयपुर शहर को गुलाबी रंग से पेंट करवाया था और तभी से इस शहर को गुलाबी शहर भी कहा जाता है। गुलाबी शहर होने के साथ-साथ जयपुर को भारत का पेरिस भी माना जाता है। भारत का पेरिस होने के लिए एक कहावत भी मशहूर है कि शहर को सूत से नाप लीजिए, नाप जोख में एक बाल के बराबर भी फर्क नहीं मिलेगा।

इस शहर के बारे में ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि जयपुर शहर की संरचना बनाते समय वास्तु शास्त्र का पूर्ण रुप से ध्यान रखा गया है। इसलिए यह कहा जा सकता है कि यह भारत का सबसे व्यवस्थित एवं नियोजित शहर है। इस समय जयपुर शहर को भारत का दसवां सबसे सुंदर शहर माना गया है।

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निष्कर्ष

आशा है या आर्टिकल आपको बहुत पसंद आया हुआ इस आर्टिकल में हमने बताया (-) के बारे मे संपूर्ण जानकारी देने की कोशिश की है अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगे तो आप अपने दोस्तों के साथ भी Share कर सकते हैं अगर आपको कोई भी Question हो तो आप हमें Comment कर सकते हैं हम आपका जवाब देने की कोशिश करेंगे।

FAQ

जयपुर का राजा कौन था?

जयपुर शहर की स्थापना Sawai Jai Singh ने 1727 में की। सवाई प्रताप सिंह से लेकर सवाई मान सिंह द्वितीय तक कई राजाओं ने शहर को बसाया।

राजस्थान का सबसे पहला राजा कौन था?

सबसे पहले ऐतिहासिक चाहमान राजा छठी शताब्दी के शासक वासुदेव हैं। यह क्षेत्र हिमयुग के बाद भीषण बाढ़ के दौरान भी बसा हुआ था। यह क्षेत्र मत्स्य साम्राज्य के नाम से जाना जाता था।

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जयपुर वर्तमान राजस्थान राज्य की राजधानी और सबसे बड़ा नगर है 1947 ई. तक जयपुर नाम की एक देशी रियासत की राजधानी थी कछवाहा राजा जयसिंह द्वितीय का बसाया हुआ राजस्थान का ऐतिहासिक प्रसिद्ध नगर है इस नगर की स्थापना 1728 ई. में की थी और उन्हीं के नाम पर इसका यह नाम रखा गया गया स्वतंत्रता के बाद इस रियासत का विलय भारतीय गणराज्य में हो गया जयपुर सूखी झील के मैदान में बसा है जिसके तीन ओर की पहाड़ियों की चोटी पर पुराने क़िले हैं यह बड़ा सुनियोजित नगर है बाज़ार सब सीधी सड़कों के दोनों ओर हैं और इनके भवनों का निर्माण भी एक ही आकार-प्रकार का है नगर के चारों ओर चौड़ी और ऊँची दीवार है जिसमें सात द्वार हैं यहाँ के भवनों के निर्माण में गुलाबी रंग के पत्थरों का उपयोग किया गया है इसलिए इसे गुलाबी शहर भी कहते हैं जयपुर में अनेक दर्शनीय स्थल हैं जिनमें हवा महल जंतर-मंतर जल महल आमेर का क़िला और कुछ पुराने क़िले अधिक प्रसिद्ध हैं।

जयपुर का निर्माण कार्य 

एक रणनीतिक योजना के साथ 1727 में जयपुर शहर का निर्माण कार्य शुरू हो गया अगले चार वर्षो में मुख्य महल सडके और चौराहों का निर्माण किया गया जयपुर शहर को वास्तुकला के सिधान्तो को ध्यान रखते हुए बनाया गया ये शहर नौ खंडो में विभाजित हो गया जिसमे से दो खंडो का उपयोग नगरीय इमारते और महल बनाने के लिए किया गया और बाकि सात खंडो का उपयोग आम जनता के लिए रखा गया जयपुर नगर की सुरक्षा को देखते हुए इन सात दरवाजो पर बड़ी दुर्ग दीवारों का निर्माण किया गया |

जयपुर की जनसख्या 

19वी सदी में जयपुर शहर का विकास बहुत तेज गति से हुआ और 1900 ईस्वी में जयपुर की आबादी 160,000 थी जयपुर की 1947 में आबादी ढाई लाख थी जो आज 25 लाख से भी ज्यादा हो गयी है अब शहर के मार्गो को पक्का करने का कार्य शुरू हुआ और कई अस्पतालों का निर्माण हुआ उस समय जयपुर का मुख्य उद्योग संगमरमर और धातु निर्माण था |

जयपुर के पर्यटन स्थल 

राजस्थान पर्यटन की दृष्टि से पूरे विश्व में एक अलग स्थान रखता है लेकिन शानदार महलों ऊँची प्राचीर व दुर्गों वाला शहर जयपुर राजस्थान में पर्यटन का सर्वोच्च केंद्र है यह शहर चारों ओर से परकोटों दीवारों से घिरा है जिस में प्रवेश के लीये 7 दरवाज़े बने हुए हैं 1876 मैं प्रिंस आफ वेल्स के स्वागत में महाराजा सवाई मानसिंह ने इस शहर को गुलाबी रंग से रंगवा दिया था तभी से इस शहर का नाम गुलाबी नगरी पिंक सिटी पड़ गया यहाँ के प्रमुख भवनों में सिटी पैलेस 18वीं शताब्दी में बना जंतर-मंतर हवामहल रामबाग़ पैलेस और नाहरगढ़ क़िला शामिल हैं अन्य सार्वजनिक भवनों में एक संग्रहालय और एक पुस्तकालय शामिल है।

जयपुर की भाषा 

मुख्य भाषा राजस्थानी है हिन्दी अंग्रेज़ी व पंजाबी भाषा भी काफ़ी बोली जाती है राजस्थानी भाषा की दो शाखाओं का यहाँ ज़्यादा प्रचलन है शेखावटी क्षेत्र में मारवाड़ी का व शेष क्षेत्र में ढ़ूंढ़ाडी का दोनों क्षेत्रों के निवासियों को एक दूसरे की भाषा समझने में कोई कठिनाई नहीं होती है यही बात हिन्दी भाषा वालों के लिए भी है यहाँ की राजभाषा सन् 1943 ई. से हिन्दी तथा उर्दू दोनों घोषित की गई है।

जयपुर के शिक्षण संस्थान 

महाराजा सवाई राम सिंह द्वितीय के शाशन काल में शहर में तीन महाविध्यालयो का निर्माण हुआ जिसमे 1865 में संस्कृत महाविद्यालय और 1867 में बालिका विद्यालय का निर्माण हुआ उस समय ने कई धनवान कम्युनिटी के लोगो जैसे जैन और मारवाड़ीयो ने यहा व्यापार करना प्रारम्भ कर दिया |

जयपुर की कला 

जयपुर के राजा कला प्रेमी थे युद्धों में लगे रहने के बावजूद बीच बीच में जब भी इन्हें मौका मिलता कला व साहित्य की ओर ये ध्यान देते थे अत: यहाँ शौर्य और कला का अपूर्व मिश्रण हुआ है यहाँ के राजाओं ने कलाकारों को अपने दरबार में आश्रय दिया इसमें कोई सन्देह नहीं कि यहाँ के नरेशों का मुग़लों से अत्यधिक सम्पर्क रहने से यहाँ की कला पर भी काफ़ी प्रभाव रहा लेकिन उसमें भी काफ़ी लौकिकता है।

Conclusion:- दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमने जयपुर का इतिहास के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। इसलिए हम उम्मीद करते हैं, कि आपको आज का यह आर्टिकल आवश्यक पसंद आया होगा, और आज के इस आर्टिकल से आपको अवश्य कुछ मदद मिली होगी। इस आर्टिकल के बारे में आपकी कोई भी राय है, तो आप हमें नीचे कमेंट करके जरूर बताएं।

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जयपुरी भाषा का अन्य नाम क्या है?

ढूंढाड़ी के वैकल्पिक नाम हैं: ढूंढाली, ढूंढाडी, झडशाइ बोली, और काई-कुई बोली और जयपुरी

मारवाड़ी किसकी उपबोली है?

मारवाड़ी की उपबोली शेखावटी राज्य के शेखावटी क्षेत्र(सीकर, झुझुनू तथा चूरू जिले के कुछ क्षेत्र) में बोली जाति है। जिस पर मारवाड़ी एवं ढूंढाड़ी का पर्याप्त प्रभाव दृष्टिगोचर होता है।

जयपुर में कौन सी भाषा बोली जाती है?

जयपुर में राजस्थानी बोली जाती है। इसके अलावा धुन्धरी, मारवाड़ी और हिन्दी बोली जाती है।

राजस्थान का सबसे पुराना शहर कौन सा है?

जोधपुर.