दिल्ली के घर को क्या कहते हैं? - dillee ke ghar ko kya kahate hain?

दिल्ली के घर को क्या कहते हैं? - dillee ke ghar ko kya kahate hain?

अगर आप जानना चाहते हैं कच्चे घर क्या होते हैं, तो आपको यहां इससे जुड़ी हर जानकारी मिल जायेगी। कच्चे घर (Kutcha houses) मिट्टी, बांस, पटसन, घास, फसलों के अवशेष, गीली घास तथा कच्ची ईंटों से बने होते हैं । ये बिल्डिंग या अपार्टमेंट जैसे स्थाई नहीं होते हैं। कच्चे घर जिनमें लोग रहते हैं, आवश्यकता पड़ने पर बनाए जाते हैं तथा उन्हें स्थायी घर में बदला जा सकता है।

कच्चे मकानों को बनाने के लिए आवश्यक चीजें वनों और आसपास के क्षेत्रों में आसानी से मिल जाती हैं। चूंकि कच्चे घरों को बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री प्राकृतिक होती है, लेकिन वे पर्यावरण से होने वाले नुकसान को रोकने के साथ-साथ लोगों के लिए घर का काम भी करते हैं।

कच्चे घर आमतौर पर ग्रामीण कस्बों या क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहां मजदूर अस्थायी रुप से रहने के लिए उन्हें बनाते हैं। दूसरी ओर, पक्का घर महंगा होता है, यही कारण है कि कई गरीब लोग कच्चे घर ही बनवाते हैं।

कच्चा घर: क्या मतलब है?

Kachcha House या कच्चा घर बांस, मिट्टी, घास, ईख, पत्थर, छप्पर, पुआल, पत्ते व कच्ची ईंटों से बना होता है। कच्चे घरों में इस्तेमाल होने वाली सामग्री प्राकृतिक होती है, इसलिए इनपर पर्यावरण का अधिक प्रभाव पड़ता है। आमतौर पर, ये घर भारत के ग्रामीण इलाकों में पाए जाते हैं और ज्यादातर मजदूर पैसे की कमी के कारण इन घरों को बनवाते हैं। 

कच्चा घर: इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री

कच्चे मकान बनाने के लिए जिन चीजों का इस्तेमाल किया जाता है, वे हैं- कच्ची ईंटें, बांस, मिट्टी, घास, नरकट, पत्थर व छप्पर।

कच्चा घर: सुविधाएं

कच्चे घर में रहने वाले परिवार को चौबीसों घंटे बिजली, साफ पानी और रसोई गैस सिलेंडर जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता है। परिवार को पीने का पानी लेने के लिए मीलों पैदल चलना पड़ता है। इसके अलावा, इन घरों में स्वच्छता का अभाव होता है। 

कच्चे घरों के प्रकार 

कच्चे घर अलग-अलग आकार और प्रकार के होते हैं। इनको बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्रियों के आधार पर ये दिखने में अलग-अलग हो सकते हैं। हालांकि, इन्हें कुछ समय के लिए बनाया जाता है जिनकों प्राकृतिक आपदाओं जैसे तूफान, बाढ़ और भूकंप का खतरा रहता है।  कच्चे घर दो प्रकार - नॉन-सर्विसेबल (टिकाऊ नहीं) और सर्विसेबल (टिकाऊ) के होते हैं। कच्ची मिट्टी की दीवारों और छप्पर वाली छतों के कच्चे मकानों को सर्विसेबल (टिकाऊ) माना जा रहा है। नॉन-सर्विसेबल (टिकाऊ नहीं) कच्चे घर वे होते हैं जिनकी छतें और दीवारें टहनियाँ, घास, बांस या नरकट जैसी चीजों से बनी होती हैं। ऐसे घर टिकाऊ नहीं होते हैं और इन्हें समय-समय पर बदलने की आवश्यकता होती है। जलवायु परिस्थितियों के आधार पर, वे आमतौर पर एक मौसम या सिर्फ एक वर्ष तक बने रहते हैं। 

दिल्ली के घर को क्या कहते हैं? - dillee ke ghar ko kya kahate hain?

नॉन-सर्विसेबल (टिकाऊ नहीं) कच्चा मकान

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सर्विसेबल (टिकाऊ) कच्चा घर

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कच्चा घर और पक्का घर में क्या अंतर है? 

कच्चे घर और पक्के घर के बीच प्रमुख अंतर इस प्रकार हैं -

कच्चा घर 

पक्का घर 

यह घर आमतौर पर ईख, मिट्टी, लकड़ी तथा पत्थर जैसी चीजों का इस्तेमाल करके बनाया जाता है। 

पक्का निर्माण जो ईंटों, लोहे, धातु और अन्य मजबूत सामग्री से बना होता है। 

इन घरों के मालिक आमतौर पर आर्थिक और सामाजिक रूप से वंचित क्षेत्रों से होते हैं। 

मालिक अमीर और समृद्ध होते हैं।  

कभी-कभी आपराधिक कृत्य और प्राकृतिक आपदाएं इन अस्थिर घरों को गंभीर क्षति पहुंचाती हैं। 

ये इमारतें ठोस होती हैं। इन घरों को नुकसान पहुंचाना या तोड़ना मुश्किल होता है। 

कच्चे मकान अक्सर बनाए जाते हैं और लंबे समय तक नहीं रखते हैं। 

पक्के घर स्थायी घर होते हैं और इन्हें निवेश माना जाता है। 

कच्चे घरों में बहुत कम सुविधाएं होती हैं। 

निवासियों/मालिकों को मालिक के आय स्तर के अनुसार सुविधाएं प्राप्त होती है। 

कमरे का सीमांकन हो भी सकता है और नहीं भी। 

पक्के घरों में, अलग-अलग बेडरुम वाले कमरे, लिविंग एरिया, गलियारे, रसोई और बॉथरुम जैसे कई सीमांकन होते हैं। 

मिट्टी से बने कच्चे घरों के फायदे

वर्तमान में, भारत में 65 मिलियन से अधिक घर कच्चे घरों की श्रेणी में हैं तथा मिट्टी से बने हैं। हालांकि, ऐसा होना देश में बड़े पैमाने पर गरीबी और बहुत सारी आर्थिक बाधाओं का संकेत है, लेकिन वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो मिट्टी के घरों में रहना पसंद करते हैं क्योंकि इसके कुछ लाभ भी हैं।


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मिट्टी के घर पर्यावरण के अनुकूल होते हैं

हालांकि, वे पक्के घरों की तुलना में बेहतर नहीं हैं, कच्चे घरों के स्टील, सीमेंट की तुलना में कुछ फायदे हैं क्योंकि कच्चे घर नष्ट होने पर कार्बन का उत्सर्जन नहीं करते हैं। शहरी क्षेत्रों में रहने वाले कई लोग पर्यावरण को बचाने के लिए मिट्टी के घरों में रहना पसंद कर रहे हैं।

कच्चे घरों के अतिरिक्त लाभ

कच्चे घर के कुछ अतिरिक्त लाभ इस प्रकार हैं -

टिकाऊ, मजबूत तथा आपदा-रोधी - अगर कच्चे घरों को ठीक से बनाया जाए, तो दीवारों एवं फ्लोर के लिए मिट्टी से बनी ईंट लंबे समय तक चलने वाली और मजबूत सामग्री हो सकती है। यह किसी दरार के बिना कई दशकों तक बाढ़ और भूकंप का बहुत अच्छी तरह से सामना कर सकता है। हालांकि, कच्चे घर मिट्टी से बने होते हैं, बारिश के मौसम में परेशानी हो सकती है। 

ऐसी परेशानी को निर्माण के दौरान दूर किया जा सकता है। किसी भी प्रकार की क्षति को रोकने के लिए पुआल, गेहूं के रेशे, खेती के अपशिष्ट और जिप्सम जैसे कई स्टेबलाइजर्स का इस्तेमाल किया जा सकता है। मिट्टी से बने घर कभी भी बहुत जल्दी खराब नहीं होते क्योंकि उनको बहुत प्रभावी ढंग से रखा जाता है।  

थर्मल इंसुलेशन - मिट्टी से बने घरों में आमतौर पर तापमान हल्का होता है। इसके पीछे कारण यह है कि मिट्टी की दीवारें इन्सुलेट करती हैं और मिट्टी के घर के अंदर आवश्यक थर्मल कंफर्ट प्रदान करती हैं। मिट्टी की दीवार सर्दियों के दौरान राहत देती है।   

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मिट्टी के घर गर्मियों में ठंडे और सर्दियों में गर्म होते हैं।

रिसाइकल किए जाने योग्य - हालांकि, रिसाइक्लिंग की अवधारणा विगत कुछ समय से पर्यावरणीय स्थिरता के लिए विश्व स्तर पर अपनाया जाने वाला सबसे नया उपाय रहा है। आधुनिकीकरण की शुरूआत से पहले सदियों से मिट्टी की झोपड़ियाँ लाखों लोगों का घर रही हैं। गिराए जाने के बाद मिट्टी की झोपड़ियों का पुन: इस्तेमाल किया जा सकता है। कच्चे घरों को बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री का फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है और मिट्टी को आसानी से कहीं और इस्तेमाल किया जा सकता है। कच्चे घर को बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पर्यावरण के अनुकूल चीजें निर्माण लागत को काफी हद तक कम कर सकती हैं।

बायोडिग्रेडेबल - कच्चे घरों को बनाने के लिए जिन सामग्रियों का इस्तेमाल किया जाता है, वे आसानी से बायोडिग्रेडेबल हैं और पर्यावरण के अनुकूल हैं। दूसरी ओर, स्टील, प्लास्टिक, तांबा, कांच के बने पदार्थ आदि जैसे पक्के घरों को बनाने में जिन सामग्रियों का इस्तेमाल किया जा रहा है, उन्हें खराब होने में समय लगता है, इसलिए वे पर्यावरण के अनुकूल नहीं हैं। वे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए काफी हद तक जिम्मेदार हैं। इसलिए, मिट्टी वास्तव में बॉयो-इकोनॉमी का एक शानदार उदाहरण है।

लागत प्रभावी - मिट्टी आसानी से बहुत सस्ती कीमत पर प्राप्त की जा सकती है और यह बहुत अधिक उपलब्ध है। मिट्टी एक बहुत ही सुलभ संसाधन है और इसे अधिकांश क्षेत्रों में प्राप्त किया जा सकता है। इससे शिपिंग व कैरिज खर्च को काफी कम हो जाता है। इस प्रकार, यह अनुमान लगाया जाता है कि अगर आप कच्चा घर बनवाते हैं तो इसकी लागत को 30% तक कम किया जा सकता है।

कार्बन फुटप्रिंट - सीमेंट का पूरे वैश्विक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में लगभग 8% हिस्सा है। इक्कीसवीं सदी में कई बिल्डरों के लिए सीमेंट बहुत पसंदीदा संसाधन बन गया क्योंकि यह मिट्टी का स्थिर विकल्प है। इसके विपरीत, मिट्टी में बहुत कम कार्बन फुटप्रिंट होता है क्योंकि इसका फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है और इसे जमीन से निकाला जा सकता है। 

भारत में कच्चे घर

2011 की जनगणना के अनुसार, पूरे भारत में 13% कच्चे घर, 7.8% सर्विसेबल, और 5.2% नॉन-सर्विसेबल कच्चे घर थे। गोवा में पक्के घरों का प्रतिशत सबसे अधिक था जो कि 76 प्रतिशत है और ओडिशा में सबसे कम 29.5% है। सबसे ज्यादा जर्जर मकान पश्चिम बंगाल में और सबसे कम गोवा में थे।

विशेषतः, कच्चा घर प्राकृतिक रूप से उपलब्ध सामग्रियों से बना स्थायी घर होता है। यह पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालता है और रहने का एक स्थायी तरीका है।

बिल्ली कहाँ रहता है?

भारतवर्ष में बिल्ली के दो भेद किए जाते हैं, एक बनबिलाव और दूसरा पालतू बिल्ली । वास्तव में दोनों प्रकार की बिल्लियाँ बस्ती में या उसके आसपास ही पाई जाती हैं ।

बिल्ली को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?

बिल्ला MEANING IN ENGLISH - EXACT MATCHES Usage : Cat, Lion, Tiger, Leopard, Panther etc.

कैट के बच्चों को क्या कहते हैं?

A kitten is a very young cat.

बिल्ली का मतलब क्या होता है?

मानव घरों में पायी जाने वाली बिल्ली को मारवाड़ी भाषा में 'मिनकी' तथा जंगली बिल्ली को 'बलारा' कहा जाता हैं