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यह लेख भारतीय मुद्रा रुपया के बारे में है। सामान्य मुद्रा रुपया जो कई एशियाई देशों में प्रचलित है के लिए, रुपया देखें।
भारतीय रुपया (चिह्न: ₹; कोड: INR) भारत की राष्ट्रीय मुद्रा है। इसका बाज़ार नियामक और जारीकर्ता भारतीय रिज़र्व बैंक है। नये प्रतीक चिह्न के आने से पहले रुपये को हिन्दी में दर्शाने के लिए 'रु' और अंग्रेजी में Re. (१ रुपया), Rs. और Rp. का प्रयोग किया जाता था। आधुनिक भारतीय रुपये को १०० पैसा में विभाजित किया गया है। सिक्कों का मूल्य ५ नामकरणभारत में प्रयुक्त शब्दभारत के अधिकांश भागों में रुपये को इन नामों से जाना जाता है: हिन्दी में रुपया, गुजराती (રૂપિયો) में रुपियो, तेलुगू (రూపాయి), तुलू भाषा (ರೂಪಾಯಿ) और कन्नड़ (ರೂಪಾಯಿ) में रूपाइ, तमिल (ரூபாய்) में रुबाइ, मलयालम (രൂപ) में रूपा, मराठी (रुपये) में रुपये या संस्कृत से निकले अन्य शब्द जैसे रूप्यकम्, रूप्यकं इत्यादि।[3] संस्कृत में रौप्य का अर्थ होता है चाँदी; रूप्यकं का अर्थ होता है चाँदी का सिक्का। हालांकि पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, मिज़ोरम, ओड़िशा और असम में रुपये को आधिकारिक रूप से संस्कृत के तनक नाम से जाना जाता है। इसलिए रुपये को बंगाली में टाका (টাকা), असमिया में टका (টকা) और ओड़िया में टङ्का (ଟଙ୍କା) के नाम से जाना जाता है और रोमन अक्षर 'T' से भारतीय बैंकनोटों में दर्शाया जाता है। आधिकारिक प्रतीक-चिह्नभारतीय रुपये का आधिकारिक प्रतीक-चिह्न भारतीय मुद्रा के लिए एक आधिकारिक प्रतीक-चिह्न दिनांक १५ जुलाई, २०१० को चुन लिया गया है जिसे आईआईटी, गुवाहाटी के प्रोफेसर डी. उदय कुमार ने डिज़ाइन किया है।[4] अमेरिकी डॉलर, ब्रिटिश पाउण्ड, जापानी येन और यूरोपीय संघ के यूरो के बाद रुपया पाँचवी ऐसी मुद्रा बन गया है, जिसे उसके प्रतीक-चिह्न से पहचाना जाएगा। इसके लिए एक राष्ट्रीय प्रतियोगिता आयोजित की गई थी।[5] इसके अन्तर्गत सरकार को तीन हज़ार से अधिक आवेदन प्राप्त हुए थे।[6] रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर की अध्यक्षता में गठित एक उच्चस्तरीय समिति ने भारतीय संस्कृति और भारतीय भाषाओं के साथ ही आधुनिक युग के बेहतर सामंजस्य वाले इस प्रतीक को अंतिम तौर पर चयन करने की सिफारिश की थी। इसे यूनीकोड मानक में शामिल करने हेतु आवेदन कर दिया गया है।[7] इस चिह्न को यूनीकोड में U+20A8 पर स्थान मिलेगा, जो पहले ही रुपये के Rs जैसे दिखने वाले चिह्न के लिए आवंटित है।[8] फिलहाल इस चिह्न को कम्प्यूटर पर मुद्रित करने के लिये कुछ नॉन-यूनिकोड फॉण्ट बनाये गये हैं।[9][10] इतिहासरुपया शब्द का उद्गम संस्कृत के शब्द रुप् या रुप्याह् में निहित है, जिसका अर्थ चाँदी होता है और रूप्यकम् का अर्थ चाँदी का सिक्का है। रुपया शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम शेर शाह सूरी ने भारत मे अपने शासन १५४०-१५४५ के दौरान किया था। शेर शाह सूरी ने अपने शासन काल में जो रुपया चलाया वह एक चाँदी का सिक्का था जिसका भार १७८ ग्रेन (११.५३४ ग्राम) के लगभग था। उसने तांबे का सिक्का जिसे दाम तथा सोने का सिक्का जिसे मोहर कहा जाता था, को भी चलाया। कालांतर में मुगल शासन के दौरान पूरे उपमहाद्वीप में मौद्रिक प्रणाली को सुदृढ़ करने के लिए तीनों धातुओं के सिक्कों का मानकीकरण किया गया। शेर शाह सूरी के शासनकाल के दौरान आरम्भ किया गया 'रुपया' आज तक प्रचलन में है। भारत में ब्रिटिश राज के दौरान भी यह प्रचलन में रहा, इस दौरान इसका भार ११.६६ ग्राम था और इसके भार का ९१.७ प्रतिशत तक शुद्ध चाँदी थी। १९वीं शताब्दी के अंत में रुपया प्रथागत ब्रिटिश मुद्रा विनिमय दर, के अनुसार एक शिलिंग और चार पेंस के बराबर था वहीं यह एक पाउण्ड स्टर्लिंग का १/१५ भाग था। १९वीं सदी मे जब दुनिया में सबसे सशक्त अर्थव्यवस्थाएं स्वर्ण मानक पर आधारित थीं तब चाँदी से बने रुपये के मूल्य में भीषण गिरावट आई। संयुक्त राज्य अमेरिका और विभिन्न यूरोपीय उपनिवेशों में विशाल मात्रा में चाँदी के स्रोत मिलने के परिणामस्वरूप चाँदी का मूल्य सोने के अपेक्षा बहुत गिर गया। अचानक भारत की मानक मुद्रा से अब बाहर की दुनिया से अधिक खरीद नहीं की जा सकती थी। इस घटना को 'रुपये की गिरावट' के रूप में जाना जाता है। पहले रुपया (११.६६ ग्राम) १६ आने या ६४ पैसे या १९२ पाई में बाँटा जाता था। रुपये का दशमलवीकरण १९५७ में भारत मे, १८६९ में सीलोन (श्रीलंका) में और १९६१ में पाकिस्तान में हुआ। इस प्रकार भारतीय रुपया १०० पैसे में विभाजित हो गया। भारत में पैसे को पहले नया पैसा नाम से जाना जाता था। भारत में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मुद्रा जारी की जाती है, जबकि पाकिस्तान में यह स्टेट बैंक आफ़ पाकिस्तान के द्वारा नियंत्रित होता है। भारतीय बैंक नोटों की सुरक्षा विशेषताएँईस्ट इण्डिया कम्पनी द्वारा प्रचालित २ मोहर वाटरमार्क सुरक्षा धागा अप्रकट छवि सूक्ष्मलेखन उत्कीर्णन पहचान चिह्न प्रतिदीप्ति प्रकाश में परिवर्तनीय स्याही अंकन को समझझना जालसाजी के विरूद्ध विधिक प्रावधान वाटरमार्कबैंक नोटों की महात्मा गाँधी श्रृंखला में वाटरमार्क विण्डो में एक हल्का और बिम्ब प्रभाव तथा विविध दिशाओं वाली रेखाओं के साथ महात्मा गाँधी का वाटरमार्क है। सुरक्षा धागाअत्तूबर 2000 में लागू किए गए 1000 रूपए के नोटों में पठनीय, मुखपृष्ठ पर `भारत' (हिंदी में), `1000' और `आरबीआइ' अंकन के साथ वैकल्पिक रूप से दृश्यमान लेकिन पृष्ठ भाग पर पूर्णतë अंतर्विष्ट विण्डो वाला सुरक्षा धागा है। 500 रूपए और 100 रूपए के नोटों में भी उसी प्रकार की दृश्यमान विशेषता तथा अंकन `भारत' (हिंदी में) और `आरबीआइ' के साथ एक सुरक्षा धागा है। प्रकाश के सामने रखने पर 1000 रूपए, 500 रूपए और 100 रूपए में एक रेखा लगातार दिखाई देती है। 5 रूपए, 10 रूपए, 20 रूपए और 50 रूपए के नोटों में एक पठनीय, अंकन `भारत'(हिंदी में) और `आरबीआइ' के साथ पूर्णतëअंतर्विष्ट विण्डो वाला एक सुरक्षा धागा है। सुरक्षा धागा महात्मा गाँधी के चित्र की बाँयी ओर दिखाई देता है। महात्मा गाँधी श्रृंखला के पूर्व में जारी किए नोटों में एक सादा, अपठनीय पूर्णतë अंतर्विष्ट सुरक्षा धागा है। अप्रकट छवि1000 रूपए,500 रूपए, 100 रूपए, 50 रूपए और 20 रूपए के नोटों के मुखपृष्ठ पर महात्मा गाँधी के चित्र की दाहिनी ओर की उर्ध्वाधर पट्टी में एक अप्रकट छवि संबंधित मूल्यवर्गीय मूल्य को संख्या में दर्शाती है। यह अप्रकट छवि तभी दिखाई देती है जब आँख के सामने नोट को क्षैतिज रूप से पकड़ा जाता है। सूक्ष्म लेखनयह विशेषता उर्ध्वाधर पट्टी और महात्मा गाँधी के चित्र के बीच दिखाई देती है। इसमें 5 रूपए और 10 रूपए के नोटों में शब्द `आरबीआइ' रहता है। 20 रूपए और उससे अधिक के नोटों में भी सूक्ष्म अक्षरों में नोटों का मूल्यवर्गीय मूल्य रहता है। यह विशेषता किसी आवर्धक लेन्स के नीचे भली प्रकार देखी जा सकती है। उत्कीर्ण मुद्रण महात्मा गाँधी के चित्र, रिजर्व बैंक की मुहर, गारंटी और वचन उप-वाक्य, बाँयी ओर अशोक स्तंभ प्रतीक, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के हस्ताक्षर उत्कीर्ण रूप से मुद्रित अर्थात उभरे मुद्रण वाले होते हैं जिन्हें 20 रूपए, 50 रूपए, 100 रूपए 500 रूपए और 1000 रूपए के नोटों में छूकर महसूस किया जा सकता है। पहचान चिह्न10/-रूपए के नोटों को छोड़कर सभी नोटों के वाटरमार्क विण्डो की बाँयी ओर उत्कीर्ण रूप में एक विशेष विशिष्टता डाली गई है। यह विशिष्टता विभिन्न मूल्यवर्गो के लिए विभिन्न आकारों (20 रूपए में उर्ध्वाधर आयताकार, 50रूपए में वर्गाकार, 100रूपए में त्रिकोणाकार, 500 रूपए में वृताकार तथा 1000 रूपए में समचतुर्भुजाकार) है और मूल्यवर्ग की पहचान करने में दृष्टिहीन लोगों की सहायता करता है। प्रतिदीप्तिनोटों के संख्या पटल को प्रतिदीप्त स्याही में मुद्रित किया गया है। नोटों में प्रकाशीय तन्तु हैं। दोनों तब देखे जा सकते हैं जब नोट को परा-बैंगनी (अल्ट्रा-वायलेट) लैम्प के सामने लाया जाता है। प्रकाश में परिवर्तनीय स्याहीयह नवंबर 2000 में लागू संशोधित रंग योजना के साथ 500 रूपए और 1000 रूपए के नोटों में शामिल की गई एक नई सुरक्षा विशेषता है। क्रमशः 1000 रूपए और 500 रूपए के आमुख पर संख्या 1000 और 500 को प्रकाश में परिवर्तनीय स्याही अर्थात रंग बदलने वाली स्याही में मुद्रित किया गया है। संख्या 1000 और 500 का रंग नोट को सीधा देखने पर हरा दिखाई देता है लेकिन इसे तिरछा करने पर रंग बदलकर नीला हो जाता है। अंकन को समझनावाटरमार्क के समीप उर्ध्वाधर पट्टी के मध्य में नोट के सामने (खोखला) और पृष्ठ भाग (भरा हुआ) दोनों ओर मुद्रित एक पुष्पित स्वरूप को दोनों तरफ ठीक-ठीक अंकित किया गया है। इस स्वरूप को प्रकाश में देखने पर एक ही पुष्पित स्वरूप दिखाई पड़ता है। जालसाजी के विरूद्ध विधिक प्रावधानजाली नोटों का मुद्रण और परिचालन भारतीय दण्ड संहिता की धाराओं 489ए से 489इ के अंतर्गत अपराध है तथा किसी विधिक न्यायालय द्वारा आर्थिक दण्ड अथवा कारावास अथवा दोनों के रूप में दण्डनीय है। विनिमय दरऐतिहासिक विनिमय दरभारतीय रूपया प्रति विदेशी मुद्रा इकाई, वर्ष भर का औसत मान[11][12][13][14]
वर्तमान विनिमय दर
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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