स्वास्थ्य व शारीरिक शिक्षा का क्या उद्देश्य है? - svaasthy va shaareerik shiksha ka kya uddeshy hai?

शारीरिक शिक्षा का उद्देश्य सक्रिय क्षमता और स्वस्थ जीवन शैली के विकास से संबंधित गतिविधियों की एक विस्तृत श्रृंखला में शारीरिक क्षमता और छात्रों की आवाजाही और सुरक्षा का ज्ञान विकसित करना है।.

यह छात्रों के आत्मविश्वास और सामान्य कौशल को भी विकसित करता है, विशेष रूप से सहयोग, संचार, रचनात्मकता, महत्वपूर्ण सोच और सौंदर्य की प्रशंसा। ये, भौतिक शिक्षा में सकारात्मक मूल्यों और दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के साथ, छात्रों के लिए आजीवन सीखने का एक अच्छा आधार प्रदान करते हैं.

स्वास्थ्य व शारीरिक शिक्षा का क्या उद्देश्य है? - svaasthy va shaareerik shiksha ka kya uddeshy hai?

शारीरिक शिक्षा एक कोर्स है जो युवाओं में शारीरिक फिटनेस के विकास पर केंद्रित है। संगीत, या गणित की तरह, यह प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय में एक अनिवार्य पाठ्यक्रम है। अधिकांश समय, यह विश्वविद्यालय में भी आवश्यक है.

शारीरिक शिक्षा का एक प्रमुख लक्ष्य प्रभावी पारस्परिक कौशल को बढ़ावा देना है, क्योंकि वे परिवार, स्कूल, मनोरंजन, काम और सामुदायिक संदर्भों में सार्थक और संतोषजनक संबंधों में भागीदारी के लिए आवश्यक हैं।.

मुखर संचार, बातचीत, संघर्ष समाधान, सहयोग और नेतृत्व जैसे पारस्परिक कौशल छात्रों को जिम्मेदारी से और प्रभावी ढंग से समूहों और टीमों में योगदान करने की अनुमति देते हैं.

शारीरिक शिक्षा को समझने के लिए, हमें उन कौशलों को समझना चाहिए जो इसे बढ़ावा देना चाहते हैं, जो किसी व्यक्ति में सुधार करने के मुख्य उद्देश्य हैं:

स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ एंव इसके लक्ष्य और उद्देश्य

अनुक्रम (Contents)

    • स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ एंव इसके लक्ष्य और उद्देश्य
  • शिक्षा तथा स्वास्थ्य शिक्षा
  • स्वास्थ्य शिक्षा के लक्ष्य और उद्देश्य
    • Important Links

स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ एंव इसके लक्ष्य और उद्देश्य

स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ एंव इसके लक्ष्य और उद्देश्य- स्वास्थ्य शिक्षा वह शिक्षा है जिसके द्वारा स्वास्थ्य सम्बन्धी ज्ञान को व्यक्तिगत एवं सामाजिक स्तर पर व्यावहारिक रूप में परिवर्तित करने का प्रयास किया जाता है, जिसमें न केवल एक व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा हो बल्कि संपूर्ण समाज के स्वास्थ्य की रक्षा की जा सके। स्वास्थ्य शिक्षा से अभिप्राय उन समस्त साधनों से है जो व्यक्ति को स्वास्थ्य के सम्बन्ध में ज्ञान प्रदान करें। स्वास्थ्य शिक्षा सैद्धांतिक तथा व्यावहारिक रूप से सम्पूर्ण विद्यालयी शिक्षा का एक अभिन्न अंग है। क्योंकि शिक्षा का एक महत्तवपूर्ण सामान्य उद्देश्य स्वास्थ्य निर्माण भी है, इसलिए स्कूल के सभी विषयों का इसमें अपना योगदान करना चाहिए। ऐसा करते समय वे स्वास्थ्य शिक्षा का एक अंग बन जाते हैं। संक्षेप में स्वास्थ्य शिक्षा वह प्रक्रिया है जो अर्जित किए हुए ज्ञान का अनुभव कराती है जिसका उद्देश्य ज्ञान के द्वारा शिक्षा और आचरण पर प्रभाव डालना है जो कि व्यक्ति और लोगां के स्वास्थ्य से सम्बन्धित है।

क्योंकि हर प्रकार की शिक्षा का पहला उद्देश्य अच्छा स्वास्थ्य है। क्रो व क्रो इसके महत्तव पर अपनी टिप्पणी देते हुए कहते हैं, “यदि बच्चों, किशोरों तथा वयस्कों के शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक स्वास्थ्य सुधार की ओर ध्यान न दिया जाए तो स्कूलों के विशाल भवन, शैक्षिक सामग्री का अतुल भंडार, योग्य अध्यापक, निरीक्षक तथा अन्य कार्यकर्ता, विशेषज्ञों द्वारा बनाई गई पाठ्यचर्या, मूल्यांकन के अच्छे ढंग आदि सभी शैक्षिक क्रियाएँ अपने उद्देश्य की प्राप्ति में असफल हो जाती हैं।” शिक्षा के उद्देश्यों की पूर्ति बच्चों के स्वास्थ्य पर निर्भर है। स्वास्थ्य शिक्षा का सम्बन्ध व्यक्ति के शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य दोनों से होता है। इसलिए स्वास्थ्य शिक्षा अध्यापक से सम्बन्ध रखती है और आधुनिक अध्यापक बच्चे के मानसिक विकास तथा उसके भावी निर्माण को ही शिक्षा का लक्ष्य नहीं मानता। वह जितना महत्त्व मानसिक शक्तियों के विकास को देता है उतना ही महत्त्व स्वास्थ्य शिक्षा का होता है क्योंकि मानसिक विकास से पहले बच्चे का शारीरिक विकास होता है यदि बच्चे का स्वास्थ्य ही बिगड़ जाये तो कुशलताएँ सिखाने व पुस्तकें रटाने का कोई लाभ नहीं है। अतः स्वास्थ्य शिक्षा का उद्देश्य छात्र को ऐसे साधन प्रदान करना है जिनकी सहायता से वे अपनी क्षमता तथा शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक व सामाजिक गुणों का पूर्ण विकास कर सकें।

उपरोक्त विवरण के आधार पर हम स्वास्थ्य शिखा के अर्थ को विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर स्पष्ट कर सकते हैं।

साधारण तौर पर – “स्वास्थ्य शिक्षा एक ऐसा साधन है जिसके द्वारा लोगों की स्वास्थ्य सबन्धी आदतों में परिवर्तन लाया जा सकता है और स्वास्थ्य के प्रति उनके दृष्टिकोण और ज्ञान में वांछनीय सुधार किया जा सकता है।”

अतः इस आधार पर स्वास्थ्य शिक्षा जीने की एक कला है’ हम इस कला का प्रयोग स्वास्थ्य शरीर में स्वास्थ्य मन प्राप्त करने के लिए करते हैं।

डॉ. थॉमस वुड के अनुसार, “स्वास्थ्य शिक्षा उन सभी अनुभवों का जोड़ है, जो हमारे व्यक्तिगत, सामाजिक, सामुदायिक स्वास्थ्य से सम्बन्धित आदतों, प्रवृत्तियों तथा ज्ञान पर लाभदायक प्रभाव डालते हैं।”

स्वास्थ्य शिक्षा समिति (1973) न्यूयार्क के प्रतिवेदन के अनुसार- “स्वास्थ्य शिक्षा वह प्रक्रिया है जो स्वास्थ्य सूचना और स्वास्थ्य व्यवहारों के मध्य खाई को पाटती है।”

उपरोक्त परिभाषा के अनुसार स्वास्थ्य शिक्षा को अनुप्रेरित करती है कि वह सूचना लेकर कुद ऐसा करे जिससे वह अधिक स्वस्थ बनने के लिए हानिप्रद कार्यों की अवहेलना कर सके और ऐसी आदतों का निर्माण कर सके जो उपयोगी हैं।

रूथ ई. ग्राउट का अभिमत स्वास्थ्य शिक्षा के बारे में कुछ और विस्तार से है, उनके अनुसार, “स्वास्थ्य शिक्षा शैक्षिक प्रक्रिया के माध्यम से स्वास्थ्य के विषय में जो कुछ ज्ञात है उसे उचित व्यकिगत एवं सामुदायिक व्यवहार के नमूनों में परिवर्तित करने का नाम हैं।

यह परिभाषा स्वास्थ्य के बारे में तीनों बातों पर ध्यान आकर्षित करती है-

  1. स्वास्थ्य के विषय में जो ज्ञात है— अर्थात् स्वास्थ्य के विषय में मूलभूत अवधारणाएँ ।
  2. उचित व्यक्तिगत एवं सामुदायिक व्यवहार के नमूने – यानी स्वास्थ्य सम्बन्धी अन्तिम लक्ष्य तथा
  3. शैक्षिक प्रक्रिया के माध्यम से परिवर्तन।

सरल शब्दों में बच्चे को स्वास्थ्य सम्बन्धी मूलभूत अवधारणाएँ स्पष्ट होनी चाहिए। उसे यह ज्ञात होना चाहिए कि ‘क्यों करना है’, ‘क्या करना है’ और ‘कैसे करना है’- उदाहरण के तौर पर भोजन करने से पहले हाथ धोना आवश्यक है। क्यों? क्योंकि यह बीमारी के खतरे को कम करता है।

अतः स्वास्थ्य शिक्षा, निःसन्देह एक मानवीय रचना है। यद्यपि यह कई प्रकार से अपरिपक्व है तो भी यह एक ऐसी अवधारणा है जिसे व्यवस्थित किया जा सकता है।

शिक्षा तथा स्वास्थ्य शिक्षा

शिक्षा से अभिप्राय शिक्षा ग्रहण करना ही नहीं बल्कि व्यक्ति की शारीरिक मानसिक तथा भौतिक शक्तियों का निर्माण करना है। इसका उद्देश्य व्यक्ति की आदतों को बदलना है तथा उसके चरित्र को बनाना है—

आधुनिक युग में शिक्षा के तरीके बदल गए हैं तथा संपूर्ण शिक्षा पद्धति में क्रन्ति आ गई है। वह दिन गए जब शिक्षा देते समय व्यक्ति की इच्छा उसके स्वभाव तथा उसकी शक्ति पर ध्यान नहीं दिया जाता था, परन्तु आधुनिक शिक्षा पद्धति में व्यक्ति की आन्तरिक शक्तियों व क्षमता के विकास पर जोर दिया गया है जो कि शिक्षा द्वारा उसकी आदतों, स्वभाव, विचारों पर प्रभाव डालती है तथा मनुष्य का शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, आध्यात्मिक, भावात्मक तथा सर्वांगीण विकास करती है। जबकि स्वास्थ्य शिक्षा का तात्पर्य उन सम्पूर्ण साधनों से है जो मानव को स्वास्थ्य के विषय में जानकारी प्रदान करते हैं।

शिक्षा तथा स्वास्थ्य शिक्षा में घनिष्ट सम्बन्ध है। यद्यपि स्वास्थ्य शिक्षा का क्षेत्र सीमित है, क्योंकि इसका सम्बन्ध केवल मनुष्य के स्वास्थ्य से है और शिक्षा क्षेत्र विस्तृत है क्योंकि यह व्यक्ति का सर्वांगीण विकास करती है तथापि ये दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। एक छात्र को जहां अक्षर ज्ञान के साथ सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षा ग्रहण करना आवश्यक है, वहीं उसको अपने को स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए स्वास्थ्य सम्बन्धी नियमों को जानने के लिए स्वास्थ्य शिक्षा ग्रहण करना भी आवश्यक है। इसके बाद ही शिक्षक छात्रों के शैक्षणिक विकास के साथ-साथ उनका मानसिक तथा शारीरिक विकास करने में सफल हो सकेगा। अतः स्पष्ट है कि शिक्षा व स्वास्थ्य शिक्षा एक दूसरे के बगैर अधूरी हैं।

स्वास्थ्य शिक्षा के लक्ष्य और उद्देश्य

स्वास्थ्य शिक्षा के लक्ष्य व उद्देश्यों को समझने से पहले हमें अनके आधार को जानना होगा। सामान्यतः हम इन दोनों का अर्थ एक ही लेते हैं जबकि यह दोनों भिन्न हैं।

लक्ष्य- स्वास्थ्य शिक्षा का लक्ष्य शारीरिक तथा माँसपेशियों का ही विकास नहीं है, बल्कि इसका लक्ष्य शारीरिक, मानसिक, सामाजिक तथा सांवेगिक पक्षों का भी विकास करना है। स्वास्थ्य शिक्षा का उद्देश्य (लक्ष्य) लोगों को सक्रिय रूप से उन कार्यक्रमों और उन सेवाओं में लगाना और भागीदार बनाना है जिनका आयोजन स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं को हल करने के लिए किया जाता हैं अर्थात् लोगों को अपने स्वास्थ्य सुधार के लिए सिखाना और सीखने में सहायता देना स्वास्थ्य शिक्षा का उद्देश्य है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्वास्थ्य शिक्षा पर विशेषज्ञ समिति के अनुसार — “स्वास्थ्य शिक्षा का उद्देश्य लोगों की अपने कार्यों और प्रयासों द्वारा स्वास्थ्य प्राप्त करने में सहायता करना है।”

इस प्रकार स्वास्थ्य शिक्षा जीवन का वह गुण उत्पन्न करने का उद्देश्य सामने रखती है जो कि एक व्यक्ति को अधिक जीने और अच्छे से अच्छे ढंग से सेवा करने योग्य बनाए। अतः स्वास्थ्य शिक्षा के लक्ष्य का अभिप्राय यह हुआ कि यह मनुष्य को समाज में सुखी, व्यवस्थित, संतोषजनक और स्वस्थ जीवन व्यतीत करने के ढंगों का ज्ञान कराती है। सी दी. गुड के अनुसार, “लक्ष्य पूर्व निधारित साध्य होता है, जो किसी क्रिया का मार्गदर्शन करता है। “

उद्देश्य (Objectives) – उद्देश्य को परिभाषित करते हुए सी.वी. गुड कहते हैं, “स्कूल . द्वारा निर्देशित अनुभवों के द्वारा छात्रों के व्यवहार में आया वांछित परिवर्तन ही उद्देश्य है। ” 

सी.ई. टर्नर के अनुसार- “छात्रों का समुचित विकास स्वास्थ्य शिक्षा पर निर्भर करता है।” अतः उनके लिए शिक्षा के निम्न उद्देश्य होने चाहिए-

  1. विद्यालय में स्वास्थ्यपूर्ण वातावरण बनाए रखना।
  2. सभी छात्रों के स्वास्थ्य का निरीक्षण करना व निर्देश देना।
  3. व्यक्तिगत सफाई व स्वच्छता के बारे में न केवल ज्ञान प्रदान करना बल्कि अभ्यास भी कराना।
  4. बच्चों में ऐसी स्वाभाविक आदतों का विकास करना जो स्वास्थ्यप्रद हों।
  5. स्कूल, घर और समाज में उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए आपसी सहयोग की भावना विकसित करना।
  6. संक्रामक रोगों से बचने के उपाय करना।
  7. सभी छात्रों में स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान तथा अभिवृत्ति का विकास करना।

स्वास्थ्य शिक्षा के सामान्य लक्ष्य की पूर्ति के लिए – रूथ ई. ग्राऊट ने भी कुछ विशिष्ट उद्देश्य बताए हैं जो सामान्य शिक्षा के उद्देश्यों से सम्बद्ध हैं। ग्राऊट के अनुसार ये उद्देश्य हैं-

  1. व्यक्ति का सर्वाधिक विकास (शारीरिक व भावनात्मक)
  2. स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से मानवीय सम्बन्धों की बेहतर व्यवस्था |
  3. स्वास्थ्य सम्बन्धी तथ्यों एवं सिद्धांतों का आर्थिक दक्षता के संदर्भ में प्रयोग |
  4. नागरिक उत्तरदायिकत्व (विशेषकर स्वास्थ्य के क्षेत्र में)

प्रो. एण्डरसन ने स्वास्थ्य शिक्षा के उद्देश्यों के बारे में अपने विचार निम्न से व्यक्त किए हैं।-

  1. छात्रों को स्वास्थ्य के सम्बन्ध में ज्ञान प्रदान करना।
  2. विभिन्न प्रकार की बीमारियों तथा दोषों का ज्ञान प्राप्त करना और उनकी रोकथाम करना।
  3. अपने वातावरण की स्वच्छता की महत्ता समझना।
  4. छात्रों के लिए विशिष्ट स्वास्थ्य कार्यक्रम आयोजित करना।
  5. प्रत्येक छात्र के स्वास्थ्य की जांच करना तथा स्वास्थ्य सम्बन्धी आवश्यकताओं को समझना।
  6. छात्रों में अच्छे स्वास्थ्य के प्रति रूचि तथा अभिरूचियाँ विकसित करना।
  7. सामाजिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता विकसित करना।

केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अनुसार स्वास्थ्य शिक्षा के निम्न उद्देश्य दर्शाए गए हैं-

  1. स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं की पहचान करने की क्षमता को विकसित करना।
  2. स्वास्थ्य के सम्बन्ध में वैज्ञानिक विचारधारा को स्वीकार करना।
  3. दूसरों के समक्ष अच्छे स्वास्थ्य का आदर्श प्रस्तुत करने की योग्यता उत्पन्न करना।
  4. स्वास्थ्य के सम्बन्ध में उचित निर्णय लेने की क्षमता पैदा करना ।
  5. स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं के निदान में रूचि विकसित करना।

उपरोक्त विशेषज्ञों द्वारा प्रदत्त स्वास्थ्य शिक्षा के उद्देश्यों के साथ स्कूलों में स्वास्थ्य शिक्षा के मुख्य उद्देश्य भी हैं जो विभिन्न स्तर पर अपना महत्तव रखते हैं- 

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शारीरिक शिक्षा का उद्देश्य क्या क्या है?

शारीरिक शिक्षा का मुख्य लक्ष्य शारीरिक शिक्षा का अभ्यास करने और उन्हें बढ़ावा देने का मुख्य लक्ष्य उन साक्षर व्यक्तियों का विकास करना है जिनके पास शारीरिक रूप से जीवन भर स्वस्थ गतिविधियों का आनंद लेने के लिए उचित कौशल और ज्ञान है ।

स्वास्थ्य और शारीरिक शिक्षा क्या है?

यह वह शिक्षा है जो बच्चों के सम्पूर्ण व्यक्तित्व तथा उसकी शारीरिक प्रक्रियाओं द्वारा उसके शरीर मन एवं आत्मा की पूर्णपण विकास हेतु दी जाती है" । उपर्युक्त परभिाषाओ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि शारीरिक शिक्षा सामान्य शिक्षा का एक अभिन्न अंग है। उत्तम स्वास्थ्य के लिये मनुष्य के लिये अत्यावश्यक है।

स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा का क्या महत्व है?

शारीरिक शिक्षा की आवश्यकता शरीर के समुचित विकास के लिए खेलों में भाग लेना महत्वपूर्ण है. शारीरिक विकास होने से, मन उत्साह और उमंग से भर जाता है, साथ ही किसी भी मानसिक और आध्यात्मिक कार्य के लिए प्रेरणा देता है. इसलिए अपने शरीर, अच्छी सेहत और शरीर की साफ-सफाई का ध्यान रखना जरूरी है.

शारीरिक शिक्षा से आप क्या समझते हैं इसके उद्देश्य और उद्देश्य की व्याख्या कीजिए?

शारीरिक शिक्षा की अवधारणा से अभिप्राय है, अच्छे स्वास्थ्य की कामना से शारीरिक श्रम को महत्त्व देना । शरीर को स्वस्थ और सबल रखने की चाह मानव मन में प्रारंभिक काल से ही रही है। प्रारंभ में हिंसक पशुओं से स्वयं की रक्षा के लिए मनुष्य ने अपनी शारीरिक शक्ति की आवश्यकता और महत्त्व को समझा