पृथ्वी के केंद्र तक क्यों नहीं जा सकते हैं? - prthvee ke kendr tak kyon nahin ja sakate hain?

Solution : हम पृथ्वी के केन्द्र में निम्न कारणों से नहीं जा सकते<br> 1.पृथ्वी के केन्द्र तक पहुँचने के लिए जो बिल्कुल असंभव है। आपको समुद्र की सतह परे 6000 किलोमीटर गहराई तक खोदना होगा।<br> 2.पृथ्वी की सतह से नीचे जाने पर तापमान 1 सेंटीग्रेड प्रति 32 मीटर की दर से बढ़ता जाता है।<br> 3.पृथ्वी के केन्द्रीय क्रोड तरल अवस्था में आग का गोला है एवं वहाँ का दाब भी बहुत अधिक है|<br>

हम पृथ्वी के केंद्र तक क्यों नहीं जा सकते?...


विनोद कुमार चौहान

TEACHER , TEACHING EXPERIENCE 30 YEAR'S , ADVISER http://getvokal.com/profile/vinod_74

0:51

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।

हम पृथ्वी के केंद्र तक क्यों नहीं जा सकते यह हमारा पृथ्वी का केंद्र बहुत अधिक दूर भी है और फिर पृथ्वी के अंदर जो गर्भ में हैं इतना अधिक तापमान और दाग है कि उसको मानव सहन नहीं कर सकता है वर्तमान तकनीकी के माध्यम से जनता को इस तरह की टेक्नोलॉजी हो जाती है कि उसको इतना अधिक तापमान और दाब सहने की क्षमता मिले जिससे वहां तक एक दिल हो सके तभी इस टेक्नोलॉजी को वहां तक जाया जा सकता है ट्रेन की जो कारण है मुख्य वह अत्यधिक ताप और दाब धन्यवाद जय

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पृथ्वी के केंद्र तक क्यों नहीं जा सकते हैं? - prthvee ke kendr tak kyon nahin ja sakate hain?

1 जवाब

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Answer in Brief

कारण बताइए –

हम पृथ्वी के केंद्र तक नहीं जा सकते हैं।

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Solution

  1. पृथ्वी के केंद्र तक पहुँचने के लिए जो बिल्कुल असंभव है।) आपको समुद्र की सतह परे 6000 किलोमीटर गहराई तक खोदना होगा।
  2. पृथ्वी की सतह से नीचे जाने पर तापमान 1 सेंटीग्रेड प्रति 32 मीटर की दर से बढ़ता जाता है।
  3. पृथ्वी के केंद्रीय क्रोड तरल अवस्था में आग का गोला है एवं वहाँ का दाब भी बहुत अधिक है।

Concept: पृथ्वी का आंतरिक भाग

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Chapter 2: हमारी पृथ्वी के अंदर - अभ्यास [Page 11]

Q 4. (क)Q 3.Q 4. (ख)

APPEARS IN

NCERT Social Science (Geography) - Hamaara Paryaavaran Class 7 CBSE [सामाजिक विज्ञान (भूगोल) - हमारा पर्यावरण कक्षा ७]

Chapter 2 हमारी पृथ्वी के अंदर
अभ्यास | Q 4. (क) | Page 11

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विषयसूची

  • 1 हम पृथ्वी के केंद्र में क्यों नहीं जा सकते?
  • 2 पृथ्वी के अंदर क्या होता है?
  • 3 बर्लिभेदी एवं अंतर्भेदी शैल का निर्माण कैसे होता है?
  • 4 अंतर्भेदी शैल का निर्माण कैसे होता है?
  • 5 पृथ्वी के कोर का तापमान कितना है?

हम पृथ्वी के केंद्र में क्यों नहीं जा सकते?

इसे सुनेंरोकेंपृथ्वी का केंद्र अत्यधिक गहराई पर है । यह समुद्र की सतह से लगभग 6000 किलोमीटर नीचे है। इसके अतिरिक्त केंद्र की ओर जाते हुए तापमान इतना अधिक बढ़ जाता है कि हम इसे सहन नहीं कर सकते । इसी कारण हम पृथ्वी के केंद्र तक नहीं जा सकते हैं।

स्लेट में क्या बदलता है?

इसे सुनेंरोकेंस्लेट में, तत्व मुख्य रूप से खनिज क्वार्ट्ज, मस्कोवाइट (अभ्रक), और इलाईट (मिट्टी, एक एलुमिनोसिलिकेट) बनाते हैं। स्लेट में पाए जाने वाले अन्य खनिजों में बायोटाइट, क्लोराइट, हेमेटाइट, पाइराइट, एपेटाइट, ग्रेफाइट, काओलाइट, मैग्नेटाइट, फेल्डस्पार, टूमलाइन और जिरकोन शामिल हो सकते हैं। स्लेट के कुछ नमूने दिखाई देते हैं ।

पृथ्वी के अंदर क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंपृथ्वी की आंतरिक संरचना तीन प्रमुख परतों से हुई है. ऊपरी सतह भूपर्पटी यानी क्रस्ट, मध्य स्तर मैंटल और आंतरिक और बाहरी स्तर – क्रोड. इनमें से बाहरी क्रोड तरल अवस्था में है. यह आंतरिक क्रोड के साथ क्रिया कर पृथ्वी में चुंबकीय क्षेत्र पैदा करता है.

हमारी पृथ्वी के अंदर क्या है?

इसे सुनेंरोकेंपर्पटी के ठीक नीचे मैंटल होता है जो 2900 किलोमीटर की गहराई तक फैला होता है। इसकी सबसे आतरिक परत क्रोड है जिसकी त्रिज्या लगभग 3500 किलामीटर है, यह मुख्यतः निकल एवं लोहे की बनी होती है तथा इसे निफे (नि – निकिल तथा फे – फैरस) कहते हैं । (ख) शैल क्या है? उत्तर :- पृथ्वी की पर्पटी अनेक प्रकार के शैलों से बनी है।

बर्लिभेदी एवं अंतर्भेदी शैल का निर्माण कैसे होता है?

इसे सुनेंरोकें(घ) बर्लिभेदी एवं अंतर्भेदी शैल का निर्माण कैसे होता है? उत्तर बर्लिभेदी आग्नेय शैल का निर्माण – जब पृथ्वी पर ज्वालामुखी का उदगार होता है तब आग की तरह लाल द्रवित मैग्मा पृथ्वी के आंतरिक भाग से निकलकर सतह पर आता है। जब द्रवित लावा पृथ्वी की सतह पर आता है, तो यह तेजी से ठंडा होकर ठोस बन जाता है। पर्पटी पर इस प्रकार ।

पृथ्वी की सतह पर लावा के जमने से कौन सी चट्टान बनती है?

इसे सुनेंरोकेंबहिर्भेदी आग्नेय चट्टानें वे चट्टानें हैं जो मैग्मा के पृथ्वी कि सतह के ऊपर निकल कर लावा के रूप में आकर ठंढे होकर जमने से बनती हैं। चूँकि इस प्रकार के उद्भेदन को ज्वालामुखी उद्भेदन कहा जाता है, अतः ऐसी चट्टानों को ज्वालामुखीय चट्टानें भी कहते हैं।

अंतर्भेदी शैल का निर्माण कैसे होता है?

इसे सुनेंरोकेंअंतर्भेदी आग्नेय शैल – द्रवित मैग्मा कभी-कभी भू-पर्पटी के अंदर गहराई में ही ठंडा हो जाता है। इस प्रकार बने ठोस शैलों को अंतर्भेदी आग्नेय शैल कहते हैं। धीरे-धीरे ठंडा होने के कारण ये बड़े दानों का रूप ले लेते हैं। ग्रेनाइट ऐसे ही शैल का एक उदाहरण है।

शैल चक्र से क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंशैल चक्र एक सतत् प्रक्रिया है, जिसमें पुरानी शैलें परिवर्तित होकर नवीन रूप लेती हैं। आग्नेय शैलें प्राथमिक शैलें हैं तथा अन्य (अवसादी एवं कायांतरित) शैलें इन प्राथमिक शैलों से निर्मित होती हैं। आग्नेय शैलों के अनाच्छादन के फलस्वरूप अवसादी शैलों का तथा अत्यधिक ताप व दाब के फलस्वरूप कायांतरित शैलों का निर्माण होता है।

पृथ्वी के कोर का तापमान कितना है?

इसे सुनेंरोकेंइसके बाद पृथ्वी के केंद्र का तापमान आंका गया जो करीब 6000 डिग्री सेल्सियस था. यह तापमान उतना ही जितना सूर्य की सतह का तापमान होता है.

पृथ्वी की सतह पर कब न्यूनतम तापमान दर्ज किया जाता है?

इसे सुनेंरोकें-89.2 डिग्री C की धरती पर इसका न्यूनतम तापमान प्राकृतिक रूप से मापा जाता है।

हम पृथ्वी के केंद्र में नहीं जा सकते क्यों?

पृथ्वी का केंद्र अत्यधिक गहराई पर है । यह समुद्र की सतह से लगभग 6000 किलोमीटर नीचे है। इसके अतिरिक्त केंद्र की ओर जाते हुए तापमान इतना अधिक बढ़ जाता है कि हम इसे सहन नहीं कर सकते । इसी कारण हम पृथ्वी के केंद्र तक नहीं जा सकते हैं।

पृथ्वी के केंद्र में क्या है?

पृथ्वी का केन्द्र बिन्दु पृथ्वी के “कोर” में ही है। हमारे धरती एक सलिड गोलक है और कोई भी गोलाकार वस्तु जब तेजी से घूमते है तो उसकी गुरूत्याकर्षन शक्ति वो वस्तु के सारे पदार्थ को परस्पर केन्द्र की ओर खिचती है जिसको हम केन्द्राभिमुखी शक्ति के नाम जानते हैं, और किसी भी हिस्से को बाहर जाने से रोकते है ।

क्या हम पृथ्वी के अंदर रहते हैं?

हम पृथ्वी के अंदर ही रहते हैं लेकिन उसके बाहरी स्तर पर रहते हैंपृथ्वी की अंदर का हिस्सा कई धातुओं से बना है सभी धातुएं अलग-अलग एक प्लेट यानी स्तर के रूप में रहती हैं

पृथ्वी के केंद्र की ओर जाने पर घनत्व क्यों बढ़ जाता है?

तापमान की तरह ही, दबाव भी पृथ्वी के केंद्र से सतह की ओर बढ़ता जाता है,जो चट्टानों जैसी अतिव्यापी पदार्थों के भारी वजन के कारण होता है। दबाव में अति वृद्धि और केंद्र की ओर भारी तत्वों जैसे निकल और लोहा की उपस्थिति के कारण, पृथ्वी का घनत्व उसके केंद्र की ओर इसी कारण बढ़ता जाता है।