Show 16वीं शताब्दी के मध्यकालीन समय के बाद, कई राजपूत शासकों ने मुगल सम्राटों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए और विभिन्न क्षमताओं से उनकी सेवा की।[1][2] राजपूतों के समर्थन के कारण ही अकबर भारत में मुगल साम्राज्य की नींव रखने में सक्षम हुआ था।[3] राजपूत रईसों ने अपने राजनैतिक उद्देश्यों के लिए मुगल बादशाहों और उनके राजकुमारों से अपनी बेटियों की शादी करवाई थी।[4][5][6][7] उदाहरण के लिए, अकबर ने अपने लिए और अपने पुत्रों व पौत्रों के लिए 40 शादियां सम्पन्न कीं, जिनमें से 17 राजपूत-मुगल गठबंधन थे।[8] मुगल सम्राट अकबर के उत्तराधिकारी, उनके पुत्र जहाँगीर और पोते शाहजहाँ की माताएँ राजपूत थीं।[9] मेवाड़ के सिसोदिया राजपूत परिवार ने मुगलों के साथ वैवाहिक संबंधों में नहीं जुड़ने को सम्मान की बात बना दिया और इस तरह से वे अन्य सभी राजपूत कुलों से विपरीत खड़े रहे थे।[10] इस समय के पश्चात राजपुतों और मुगलों के बीच वैवाहिक संबंधों में कुुछ कमी आई।[11] राजपूतों के साथ अकबर के संबंध तब शुरू हुए थे जब वह 1561 में आगरा के पश्चिम में सीकरी के चिस्ती सूफी शेख की यात्रा से लौटा था। तभी बहुत राजपूत राजकुमारियों ने अकबर से शादी रचाई थी।[12] राजपूत-मुग़ल वैवाहिक संबंधों की सूचीमुख्य राजपूत-मुग़ल वैवाहिक संबंधों की सूची
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
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