कोयला खाने की आदत कैसे छुड़ाएं - koyala khaane kee aadat kaise chhudaen

अगर आपको चॉक खाने की आदत लग गई हो तो इन तरीकों का इस्तेमाल करके आप चॉक खाने की आदत से छुटकारा पा सकती हैं।

बचपन में आप में से कई लोगों ने चॉक या मिट्टी जरूर खाई होगी। मिट्टी की महक और उसका स्वाद कई लोगों को बहुत ज्यादा पसंद आता है, इस कारण लोगों को इसकी लत लग जाती है। बता दें कि कई बार ये आदत केवल बच्चों को नहीं बल्कि बड़ी उम्र के लोगों में भी पायी जाती है।

 वैसे तो चॉक या मिट्टी खाने की आदत को हम गंभीरता से नहीं लेते हैं, मगर कई बार ये आदत बीमारी का रूप भी ले लेती है। चॉक और मिट्टी खाने से पेट में कीड़े और पथरी होने का भी खतरा होता है। 

 ऐसे में अगर आप चॉक खाते हैं तो उसकी आदत को सुधारने के लिए इन तरीकों का इस्तेमाल करना चाहिए। इस आसान तरीकों के इस्तेमाल के बाद आपकी चॉक या मिट्टी खाने की लत खत्म हो सकती है। तो आइए आज के आर्टिकल में जानते हैं चॉक की आदत से छुटकारा पाने के आसान नुस्खों के बारे में।

आदत छोड़ने का करें फैसला-

किसी भी आदत को छोड़ने के लिए सबसे पहले आपको निश्चय करना होगी कि आप इस लत को पूरी से छोड़ देंगी। अगर आपके घर में चॉक रखी हो, तो उसे तुरंत कहीं छुपा कर रख दें। ताकि आपको वो नजर ही ना आए। अक्सर इन चीजों की क्रेविंग सामने से देखकर ही होनी शुरू होती है, इसलिए आदत छोड़ने के लिए जरूरी है कि चॉक को अपनी नजर से दूर रखें।

चॉक की तरफ से भटकाएं अपना ध्यान- 

किसी भी चीज की आदत को छुड़ाने का सबसे आसान तरीका होता है कि हम अपना ध्यान उस सामान से ही हटा दें। जब हम अपना ध्यान किसी और चीज पर लगाएंगे तो खुद ब खुद चॉक खाने पर हमारा ध्यान नहीं जाएगा।

खाएं कैल्शियम से भरपूर खाना-

कैल्शियम(ये हैं कैल्शियम के सबसे बेहतर सोर्स) की कमी के कारण भी कई बार लोगों को चॉक खाने की आदत लग जाती है। जिस वजह से आपके शरीर में कमजोरी आने लगती है। ऐसे में आपको भरपूर मात्रा में आयरन और लेना चाहिए ताकि आपका शरीर स्वस्थ हो। कोशिश करें की आप बेहद हेल्दी डायट लें जिससे आपके शरीर में कैल्शियम और आयरन की कमी को आसानी से पूरा किया जा सके।

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चॉक की जगह खाना शुरू करें च्विंगम-

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समय रहते चेतें

वागीश वैश्य बताते हैं कि यह रोग अधिकतर बच्चों, महिलाओं और किशोरों में होता है। अगर समय रहते इस रोग का उपचार नहीं होता तो यह लंबी उम्र तक बढ़ सकता है। इसमें व्यक्ति का व्यवहार ऐसा हो जाता है कि उसे अखाद्य पदार्थों की आदत पड़ जाती है। बच्चों में मिट्टी खाने की आदत तो होती है, पर इसे महिलाओं में भी इसे देखा जाता है। यह केवल गर्भवती महिलाओं में नहीं बल्कि सामान्य महिलाओं में भी देखी जाती है। इस रोग के पैदा के निम्न कारण हैं :

कुपोषण

जब सही और संतुलित खानपान नहीं हो पाता, तो बच्चे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। कुपोषण की वजह से बच्चों और बड़ों दोनों में यह आदत देखने को मिलती है।

पोषक तत्त्वों की कमी

शरीर में आयरन, कैल्शियम और फोलिक एसिड की कमी की वजह से भी मिट्टी खाने की तलब होती है। महिलाओं में यह आदत प्राय: इसी वजह से विकसित होती है।

अधिक स्तनपान

कोई भी खानपान अगर संतुलित मात्रा में कराया जाए तो वह नुकसानदेह नहीं होता। लेकिन अगर किसी भी चीज की अति हो जाए तो वह हमेशा नुकसान पहुंचाती है। डॉक्टर वागीश का कहना है कि शिशु को छह महीने तक स्तनपान कराना चाहिए। अगर यह स्तनपान दो साल या तीन साल तक कराया जाता है, तो बच्चा एनिमिक हो जाता है यानी उसमें खून की कमी हो जाती है। एनिमिक होने की वजह से भी बच्चा मिट्टी खाता है।

बीमारियां

कोयला, मिट्टी, चॉक आदि जैसे अखाद्य पदार्थ खाने से आगे चल कर इसके गंभीर परिणाम देखने को मिलते हैं। समय रहते अगर बच्चे या बड़े की मिट्टी खाने की आदत को नहीं छुड़ाया गया, तो उन्हें इसके गंभीर परिणाम झेलने पड़ सकते हैं।

आंतों में रुकावट

अगर कोई महिला या बच्चा लगातार मिट्टी खाता है, तो उसकी आंतों में रुकावट हो जाएगी। इसके अलावा लिवर पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। मिट्टी खाने वाले बच्चों और बड़ों के शरीर में सूजन आने लगती है।

भूख न लगना

मिट्टी खाने की वजह से हमारी पाचन क्रिया पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे खाना ठीक से नहीं पच पाता। इसके अलावा भूख लगना या तो बंद हो जाती है या कम हो जाती है।

कमजोरी

मिट्टी खाने की वजह से भूख कम लगेगी तो शरीर में कमजोरी आ जाएगी।

पेट में दर्द

मिट्टी या ऐसे अखाद्य पदार्थ खाने से पेट का पाचन तो बिगड़ता ही है साथ ही पेट में दर्द की समस्या पैदा हो जाती है।

पेट में कीड़े

मिट्टी पेट में जाकर पचती नहीं है। इसकी वजह से पेट में कीड़े होंगे। आप जो भी खाना खाएंगे वह कीड़े खा जाएंगे। इससे बच्चे कमजोर होते चले जाएंगे।

किडनी में पथरी

विशेषज्ञों का मानना है कि मिट्टी पानी के अंदर घुलती नहीं है और इसके कंकड़ धीरे-धीरे किडनी स्टोन में बदल जाते हैं।

एनीमिया

शरीर में हिमोग्लोबिन का कम हो जाना एनीमिया कहलाता है। हिमोग्लोबिन कम होने से खून में आॅक्सीजन नहीं जा पाता। इस वजह से एनीमिया हो जाता है।