क्या चाँद पर जीवन संभव है - kya chaand par jeevan sambhav hai

वैज्ञानिक वर्षों से हमारी पृथ्वी और ब्रह्मांड के बारे में नई खोज कर रहे हैं जिसमें पृथ्वी के अस्तित्व से लेकर ब्रह्मांड में नए ग्रहों की खोज तक और क्या कहीं और जीवन संभव है, सब शामिल है। नासा ने इसे लेकर एक बार फिर सफल प्रयोग किया है। मंगल या चंद्रमा पर जीवन जीना है या नहीं इस बात को जानने के लिए नासा ने चंद्रमा की सतह से आये मिट्टी में पौधे लगाकर यह देखने की कोशिश कि क्या वहां भूमि पर खेती करना संभव है। ऐसा बताया जा रहा है कि यह प्रयोग सफल रहा।

आपको बता दें कि इस प्रयोग के सहारे नासा ने साबित कर दिया है कि चंद्र थैलस (सफेद फूलों वाला एक छोटा पौधा) विकसित करना संभव है, हालांकि यह प्रयोग चंद्रमा पर नहीं, बल्कि पृथ्वी पर किया गया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि भविष्य में चांद पर पौधे लगाए जा सकते हैं, जो पृथ्वी पर उगने वाले फलों और सब्जियों से ज्यादा सेहतमंद हो सकते हैं। यह प्रयोग फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया था।

यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा के इंस्टीट्यूट फॉर डेफिसिट एंड एग्रीकल्चरल साइंसेज के रॉबर्ट फेरेल का कहना है कि अपोलो लूनर रेसोलिथ में उगाए गए पौधे ट्रांसक्रिप्ट का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो किए गए सभी शोधों में चंद्रमा को एक नई सकारात्मक दिशा में ले जा रहे हैं।

आपको बता दें कि नासा के अपोलो 1,12 और 17 मिशनों द्वारा चंद्र मिट्टी को पृथ्वी पर लाया गया था। रॉबर्ट फेरेल और उनके सहयोगियों ने अपोलो 11 के नील आर्मस्ट्रांग और बज़ एल्ड्रिन और अन्य मूनवॉकर्स द्वारा ली गई चंद्र मिट्टी में आर्बिडोप्सिस के बीज लगाए, जिनमें से सभी अंकुरित हुए। चंद्र मिट्टी के बारे में लूनर रेजोलिथ का कहना है कि चंद्रमा की मिट्टी पृथ्वी की मिट्टी से अलग होती है। अंतरिक्ष में इस प्रकार की खेती में शामिल होने का यह पहला प्रयास नहीं था. जनवरी 2019 में चीन का चांग ई -4 अंतरिक्ष यान अपने साथ कपास के बीज लेकर चंद्रमा की सतह पर उतरा था। चीन द्वारा चंद्रमा पर एक पौधा लगाने का पहला प्रयास था जिसके चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन ने सफल बताया था।

चार दशक पहले अपोलो अभियानों के बाद इंसान के ज़ेहन में चाँद पर बस्तियां बसाने का विचार आया जो अभी तक विज्ञान की कल्पित-कथाओं का विषय बना हुआ है.

लेकिन अंतरिक्ष-विज्ञानी फिल प्लेट का तर्क है कि मुद्दा ये नहीं है कि इंसान वहां रह पाएगा या नहीं, बल्कि ये है कि वो वहां क्यों रहना चाहता है और कैसे रहेगा?

क्या इंसान एक बार फिर चाँद की सतह पर चहलकदमी करेगा, मुझे हां कहने में कोई संकोच नहीं है क्योंकि ये भविष्य की बात है और 1950 के दशक में कौन यह भविष्यवाणी करने का साहस जुटा पाया था कि हम बीस साल के भीतर चाँद की ज़मीन पर अंतरिक्ष यान उतार देंगे.

लेकिन इस मामले में जबाव संभवत: उतना रोचक नहीं होगा जितना ये सवाल रोचक है कि हम कब, क्यों और कैसे चाँद पर बस्तियां बसाएंगे?

मैं ऐसे कई संभावित परिदृश्यों के बारे में सोच सकता हूं जिनकी वजह से हम चाँद पर बस्तियां बसाएंगे, जैसे अर्थव्यवस्था में इतना जबर्दस्त उछाल आए कि हम महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रमों में पैसा लगा सकें, जिसकी लागत अपेक्षाकृत कम हो या फिर ऐसा हो कि चाँद पर बड़ी मात्रा में प्राकृतिक संसाधन खोज निकाले जाएं.

ऐसे में ये एक बेहतर सवाल होगा कि चाँद पर इंसानी बस्ती बसाने का संभावित तरीका क्या होगा. आज हमारे पास जो जानकारी मौजूद है, उसके आधार पर इस संभावना के बारे में मेरे पास एक विचार है.

बस्तियां बसाने के लिए हम चाँद पर ही क्यों जाएं? अंतरिक्ष अन्वेषण की पहल के लगभग 60 वर्ष के इतिहास में इसका जवाब स्वाभाविक है कि हमारे पास संचार के साधन हैं, हम मौसम का पूर्वानुमान लगा सकते हैं, जलवायु परिवर्तनों को समझ सकते हैं,

हमारे पास ग्लोबल पोज़िशनिंग तकनीक है, धरती और इसके पर्यावरण के बारे में गहन जानकारी और संभावित आपदाओं की चेतावनी हैं.

तकनीक दिनोदिन उन्नत हो रही हैं. इन्फ्रा-रेड इयर थर्मामीटर और एलईडी आधारित उपरकरण बन रहे हैं जो चाँद पर मददगार साबित होंगे.

इसलिए अंतरिक्ष अन्वेषण न केवल एक उम्दा विचार है बल्कि इसने धरती पर जीवन में भी कुछ वास्तविक बदलाव कर दिए हैं. हम चाँद पर पहले ही छह बार हो आए हैं.

अपोलो 17 मिशन सबसे अधिक तीन दिनों तक चाँद पर रहा था जहां 3.8 करोड़ वर्ग किलोमीटर जमीन है जहां इमारतें बनाई जा सकती हैं.

मनमोहक और दिलचस्प है चाँद

विज्ञान के नज़रिए से देखें तो चाँद बड़ा मोहक और दिलचस्प है. वैसे तो हमें पक्के तौर पर पता है कि अरबों साल पहली हुई कुदरती उथल-पुथल से धरती से जो टुकड़े निकले, चाँद उन्हीं से बना है.

इसमें कोई संदेह नहीं कि चाँद पर जाना बड़ा खर्चीला है. अनुमानित लागत लगभग 35 अरब डॉलर है. वैसे ये भी ध्यान देने वाली बात है कि इंसान वहां जाने के बाद वहीं मौजूद संसाधनों का इस्तेमाल करने लगेगा तो दीर्घकाल में पैसे की बचत ही होगी.

हम जानते हैं कि चाँद पर बड़ी मात्रा में बर्फीला पानी है और चट्टानों में ऑक्सीजन कैद है. इसलिए चाँद के भावी नागरिकों के लिए हवा और पानी की जरूरतें पूरी की जा सकती हैं. इस दिशा में काफी काम पहले ही हो चुका है और आगे भी संभावनाएं अच्छी नज़र आती हैं.

चाँद पर जाने की अन्य वजहें हैं- वहां हीलियम से बड़ी सस्ती ऊर्जा के दोहन की क्षमता है. पर्यटन की संभावनाएं तो हैं हीं.

सूर्य का चक्कर लगाते हुए मंगल और वृहस्पति ग्रह के बीच अरबों उल्का-पिंड घूम रहे हैं, कई ऐसी चट्टानें चक्कर लगा रही हैं जिनका आकार फुटबॉल के बराबर और इससे कई गुना बड़ा भी है. इनमें से अधिकतर चट्टानों में पानी, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन और कई तरह की मूल्यवान धातुएं भी हैं.

प्लेनेटरी रिसोर्सेज़ नामक एक कंपनी इनका दोहन करने की अपनी योजनाओं की घोषणा पहले ही कर चुकी है जिनका इस्तेमाल भावी अंतरिक्ष अभियानों के लिए किया जाएगा. काम खर्चीला है लेकिन दीर्घकाल में इससे मुनाफे की उम्मीद है.

उल्का-पिंडों से काम की चीजें कैसे निकाली जाएं, नासा इस पर अध्ययन कर रहा है. एक विचार ये है कि इस सामग्री का इस्तेमाल कम लागत पर अंतरिक्ष में किसी तरह का ढांचा खड़ा करने में किया जा सकता है.

हमें अंतरिक्ष में जाने का सस्ता और सुलभ जरिया चाहिए. हाल में ही स्पेस एक्स फॉल्कन 9 रॉकेट और ड्रेगन कैप्सूल को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए रवाना किया गया. ये दो कदम बड़े मददगार साबित हो सकते हैं. चीन, भारत और रूस अंतरिक्ष में अपने पांव पसारने के लिए बड़े जतन कर रहे हैं.

क्या चंद्रमा जीवन संभव है?

नई दिल्ली: आज पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा (Moon) पर जीवन के अनुकूल परिस्थितियां (Habitability) बिलकुल नहीं हैं.

चंद्र पर जीवन संभव नहीं है क्यों?

भारत के चंद्रयान प्रथम समेत हाल के चंद्र मिशनों में चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी की खोज के विपरीत वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उसके अंदरूनी क्षेत्र इतने शुष्क हो सकते हैं कि वहाँ जीवन संभव नहीं हो सकता।

क्या चांद पर इंसान रह सकते हैं?

1972 में हुए अपोलो 17 मिशन के बाद इंसान चांद पर नहीं पहुंचे हैं. चांद पर भेजे गए आर्टिमिस रॉकेट के बाद, एक बड़े नासा अधिकारी ने कहा है कि इस दशक के अंत तक इंसान चांद पर रह सकते हैं.

चांद पर कितनी लड़कियां गई है?

इस प्रश्न का उत्तर कोई नहीं दे सकता, क्योंकि आज तक चांद पर किसी भी महिला ने कदम ही नहीं रखा परंतु जल्द ही इस प्रश्न का भी उत्तर मिल जाएगा।