होम्योपैथिक में बुखार की दवा कौन सी है? - homyopaithik mein bukhaar kee dava kaun see hai?

बुखार के कई कारण हो सकते हैं उसके साथ बुखार के विभिन्न लक्षण हैं। लक्षणों के अनुसार सर्दी खांसी बुखार की होम्योपैथिक दवा ( homeopathic medicine for fever ) की चर्चा नीचे की गई है।

सर्दी खांसी बुखार की होम्योपैथिक दवा ( homeopathic medicine for fever )

कम तापमान वाला बुखार,अचानक बुखार,पीड़ित होने के बाद अचानक बुखार कम हो गया।रोगी की आंखें , चेहरा लाल दिखती है।तापमान बहुत अधिक है,कभी-कभी पसीना भी आता है,पसीना गर्म है।रोगी विनम्रतापूर्वक बात करता है।शरीर में बहुत दर्द।प्यास भी है,नींद में एक भयानक सपने से जागृत – Belladonna 200 ।

बुखार से पहले शरीर में दर्द ,जंभाई लेना, आँख में जलन।बुखार आने पर सबसे पहले ठंड और कंपकंपी आती है,रोगी बहुत छटपट करता है।खांसी, प्यास कुछ भी नहीं है जब तापमान बढ़ता है,शरीर में एक दाने और खुजली की तरह विकसित होता है,रोगी बैठ या सो नहीं सकता – Rhus Tox 200।

बारिश में भीग के बुखार,जुकाम बुखार,बुखार में बिल्कुल पसीना नहीं आता,प्यास भी है, छटपट करता है ,तापमान बहुत अधिक और अंतहीन बुखार है,बुखार के साथ खांसी में वृद्धि,खांसी से सिर और सीने में दर्द बढ़ जाता है – Aconite Nap 30 ।

होम्योपैथिक में बुखार की दवा कौन सी है? - homyopaithik mein bukhaar kee dava kaun see hai?

रोगी अपनी आँखें बंद कर लेता है और पूरी तरह से चुप रहता है,हिलने से दर्द होता है,छाती मरोड़ता है ,आंखें और सिर में दर्द,शरीर में दर्द,शिर उठाने से उलटी आता है और शिर घूमता है,मुंह का स्वाद बेस्वाद हो जाता है और कड़वा हो जाता है,थोड़ा पसीना आ सकता है – Bryonia 30 ।

रोगी नींद में और चुपचाप रहता है ,न तो बोलना और न ही देखना।प्यास उतना नहीं रहता है।तंत्रिका तंत्र की बीमारी से रोगी चुप रहता है । विशेष रूप से,अगर बच्चों में इस तरह के लक्षण हैं – Gelsemium 30 ।

बुखार लगभग एक दिन अंतर में आता है,ठंड से पहले, पैरों और हाथों की हड्डियों के अंदर बहुत दर्द होता है,बुखार के साथ पेशाब में जलन। डेंगू (Dengue) बुखार के मामले में, यह दवा बहुत अच्छे परिणाम देती है – Eupotarium Purp 200।

रोगी पागल की तरह रोता है,रोगी कभी भी स्थिर होके सो नहीं पता है।कब सीधा होकर सोता है तो कब टेढ़ा होकर सोता है,कभी कभी घुटने और पैर मोड़ के सोता है । रोगी अकेले या अंधेरे में रहने से डरता है।रोगी तकिया सिर पर रख के सोता है,अचानक अपना सिर उठाके कुछ देखता है और फिर से सो जाते हैं,गला सूखने पर भी पानी पीना नहीं चाहता।आंखें पूरी खुली रहता हैं,फैला हुआ नेत्रगोलक,पागलों की तरह देखता है,अंग कांपने लगते हैं – Stramonium 30 ।

बेहोशी धीरे-धीरे आती है,उंगलियों और बिस्तर की चादर को खरोंचता है ,कुछ देखने की कोशिश करने के लिए अपना हाथ ऊपर की ओर उठाता है ,जीभ सूखी है,रोगी कुछ बोल नहीं पाता है ,रोगी अनजाने में मूत्र,मलत्याग करता है या पेशाब बंद हो जाता है – Hyoscyamus 30 ।

बार-बार बुखार आना और पसीना आना,बुखार में बहुत कमजोर हो जाता है,पसीना इतना अधिक है कि ऐसा लगता है जैसे नहा के आ गया है,तपेदिक की बुखार- बहुत भूख और भोजन के बावजूद रोगी दिन-प्रतिदिन सुखा होता जाता है – Arsenic iod 200 ।

टाइफाइड बुखार की होम्योपैथिक दवा

होम्योपैथिक में बुखार की दवा कौन सी है? - homyopaithik mein bukhaar kee dava kaun see hai?

टाइफाइड ( Typhoid ) बुखार, सारे शरीर में भयानक दर्द। सांस, पसीना, मल, मूत्र सब बदबूदार है – Baptisia Q ।

मेरठ. होम्योपैथ दवाइयों के बारे में तो आपने जरूर सुना होगा। होम्योपैथ दवाइयां किसी भी रोग का अचूक इलाज मानी जाती है। इस समय वायरल बुखार (Viral Fever) तेजी से अपने पैर पसारे हुए हैं। चिकित्सकों के यहां वायरल पीड़ितों की लंबी लाइने कहीं भी देखी जा सकती है। लेकिन अगर आप होम्योपैथिक चिकित्सा पर विश्वास करते हैं तो एक बार इन औषधियों का प्रयोग जरू करें। इससे आपका वायरल छूं मंतर हो जाएगा। दरअसल, वायरल बुखार से कभी-कभी पूरा परिवार पीड़ित हो जाता है और कभी-कभी तो यह पूरे मुहल्ले, कस्बे यहां तक कि पूरे शहर को अपनी गिरफ्त में ले लेता है। आखिर क्या है वायरल बुखार? यह जानना बहुत ही आवश्यक है।

लखनऊ, जेएनएन। मौसम लगातार करवट बदल रहा है। दिन में धूप के साथ रात में काफी ठंडक हो रही है। मौसम का यह मिजाज लोगों की सेहत पर भारी पड़ रहा है। विभिन्न अस्पतालों में वायरल फीवर, फ्लू, सर्दी-जुकाम, खांसी, गले में खराश, अस्थमा, जोड़ों में दर्द, डेंगू इत्यादि के मरीजों में 30 फीसद का इजाफा हुआ है। ज्यादातर लोग इन बीमारियों में एलोपैथी दवाएं ले रहे हैं, जिसका साइड इफेक्ट मरीजों की सेहत के लिए नुकसानदेह साबित हो रहा है। होमियोपैथी विशेषज्ञों के अनुसार ऐसी बीमारियों में होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति बेहद कारगर है। यह रोग को जड़ से खत्म करती है और इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता।

होम्योपैथी ओपीडी में मरीज बढ़े

नेशनल होम्योपैथी कालेज के प्राचार्य डॉ अरव‍िंंद वर्मा ने बताया कि इन दिनों ओपीडी में वायरल फीवर, जाड़ा लगने, आंखों से पानी आने, छींकें आने, आंखे लाल होने, शरीर में दर्द, कमजोरी, कब्ज, दस्त, मितली या उल्टी की शिकायत लेकर काफी मरीज पहुंच रहे हैं। सांस के रोगियों व डेंगू मरीजों की संख्या में 30 फीसद तक का इजाफा हुआ है। होम्योपैथी दवाओं से इन मरीजों को लाभ हो रहा है।

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लक्षणों के आधार पर दी जाती हैं ये दवाएं:

केंद्रीय होम्योपैथी परिषद के पूर्व सदस्य एवं राजधानी के वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ अनुरुद्ध वर्मा के अनुसार बरसात के बाद जब जाड़े की शुरुआत हो रही होती है तो वातावरण में नमी रहती है। दिन में गर्मी व रात में ठंडक रहती है। यह मौसम वायरस, बैक्टिरिया फैलने के लिए ज्यादा मुफीद होता है। बदलते मौसम में लक्षणों के आधार पर अलग-अलग रोगों में होम्योपैथी की ऐकोनाइट, आर्सेनिक, एलियम सीपा, ब्रायोनिया, बेलाडोना, हीपर सल्फ, ऐंटिम टार्ट, एपीटोरिम पर्फ,रस टॉक्स, जेल्सीमियम, यूफ्रेसिया, प्लसटिल्ला , काली बाइ इत्यादि दवाएं प्रमुख तौर पर दी जाती हैं। इनका इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह पर करना चाहिए।

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सांस रोगियों का दुश्मन है यह मौसम

इस मौसम में सुबह-शाम तापमान में गिरावट व वातावरण में नमी के कारण धूल के कण ऊपर नहीं जा पाते हैं। यह प्रदूषित कण सांस के जरिये स्वशन तंत्र में प्रवेश कर जाते हैं। फलस्वरू दमा एवं सीओपीडी की समस्या बढ़ जाती है। सुबह शाम पारे का उतार चढ़ाव दमा के साथ ह्रदय रोगियों के लिए भी नुकसानदायक हो सकता है।

बरतें यह सावधानी

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पर्याप्त कपड़े पहन कर ही बाहर निकलें। सुबह देर से व मास्क लगाकर ही टहलें। हाथों को साफ करते रहें। भीड़-भाड़ में जाने से बचें। सेनिटाइजर का प्रयोग करें। बीमार एवं वृद्ध लोग ज्यादा सतर्कता रखें। खांसी हो तो गर्म पानी में हल्दी नमक मिलाकर से गरारा करें। ठंडा पानी ,आइस क्रीम, कोल्ड ड्रि‍ंंक आदि से दूर रहें। धूल, धुआं, फूलों के पराग कण फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है। नहाने के लिए गुनगुना पानी प्रयोग करें। इस मौसम में डेंगू बुखार की संभावना अधिक रहती है। इसलिए आस पास पानी न एकत्र होने दें। मच्छरदानी लगा कर सोएं। पूरे पैरों को ढकने वाले कपड़े पहनें। पर्याप्त व गुनगुना पानी पिएं। 

बुखार के लिए कौन सी होम्योपैथिक दवा सबसे अच्छी है?

बुखार के लिए होम्योपैथिक उपचार में से कुछ हैं:.
एकोनाइट: यह अस्वस्थता और चिंता के साथ बुखार के लिए है. ... .
ब्रायोनिया अल्बा: यह शरीर के दर्द के साथ बुखार में प्रयोग किया जाता है. ... .
नक्स वोमिका: यह बुखार के साथ बुखार के लिए एक समग्र इलाज है. ... .
गेलसेमीयम: यह प्राकृतिक उपचार बुखार के लिए बहुत फायदेमंद है..

बुखार के लिए सबसे अच्छी दवा कौन सी है?

सोनिया रावत कहती हैं कि अगर अचानक बुखार आ जाए तो ऐसी कंडीशन में पैरासिटामोल टेबलेट ले सकते हैं.

बुखार उतारने के लिए क्या करें?

इन घरेलू उपचार से आप इस इंफेक्शन से राहत पा सकते हैं....
हल्दी और सौंठ का पाउडर अदरक में एंटी आक्सिडेंट गुण बुखार को ठीक करते हैं. ... .
तुलसी का इस्तेमाल तुलसी में एंटीबायोटिक गुण होते हैं जिससे शरीर के अंदर के वायरस खत्म होते हैं. ... .
धनिया की चाय ... .
मेथी का पानी ... .
नींबू और शहद.

होम्योपैथिक दवा कितने दिन में काम करता है?

वहीं, होम्योपैथी में भी 5 दिन में इलाज पूरा होता है और इसके रिजल्ट भी अच्छे देखे जाते हैं। होम्योपैथी में थोड़ा समय जरूर लगता है, लेकिन इसमें बीमारी जड़ से खत्म हो जाती है। डॉ.