फरवरी महीने में बच्चे कम क्यों रोते हैं? - pharavaree maheene mein bachche kam kyon rote hain?

बच्चे फरवरी माह में क्यों कम रोते हैं?...


फरवरी महीने में बच्चे कम क्यों रोते हैं? - pharavaree maheene mein bachche kam kyon rote hain?

फरवरी महीने में बच्चे कम क्यों रोते हैं? - pharavaree maheene mein bachche kam kyon rote hain?

फरवरी महीने में बच्चे कम क्यों रोते हैं? - pharavaree maheene mein bachche kam kyon rote hain?

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  • बच्चे फरवरी महीने में कम क्यों रोते हैं - bacche february mahine me kam kyon rote hain

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फरवरी महीने में बच्चे ज्यादा क्यों नहीं रोते हैं?...


Nita Nayyar

Writer ,Motivational Speaker, Social Worker n Counseller.

0:54

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।

यह किसने आपको कहा कि फरवरी महीने में बच्चे ज्यादा नहीं रोते मैंने तो फरवरी के 1 महीने में बच्चों को देखा है खूब रोते हैं जिसको जितना रोना है वह उतना ही रोता है जिसको जितनी तकलीफ होती है उतना रोएगा और वैसे फरवरी का महीना बहुत ही प्रेजेंट महीना है इसमें जनवरी की बहुत कड़ी ठंड के बाद थोड़ी कम ठंडक वाला महीना हो जाता है आपके वहां पता नहीं कैसी ठंड पड़ती है तो प्रेजेंट महीनों में बच्चे कम रोते हैं यह तो मानना पड़ेगा पर फरवरी में बच्चे कम रोते हैं यह मैंने कभी सुना नहीं था आपसे ही सुन रही हूं और यदि बच्चा फरवरी में कम रोता है तो बहुत अच्छी बात है क्योंकि उसको मोड उसका सही रहता होगा उसको अपने कपड़े पहने हुए प्रेजेंट लगते होंगे ना गर्मी ना सर्दी महसूस होती होगी इसलिए वह कम रोता होगा

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फरवरी महीने में बच्चे कम क्यों रोते हैं? - pharavaree maheene mein bachche kam kyon rote hain?

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  • बच्चे फरवरी महीने में ज्यादा क्यों रोते हैं - bacche february mahine me zyada kyon rote hain

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टीवी पर एक विज्ञापन में एक बच्चा अपनी मम्मी से पूछता है कि फरवरी में 28 दिन क्यों होते हैं? क्या आपने कभी सोचा फरवरी के साथ यह अन्याय क्यों किया गया? आखिर क्यों फरवरी सिर्फ 28 दिन का होता है? आइए हम आपको बताते हैं कि ऐसा क्या हुआ जो फरवरी लगातार तीन सालों तक सिर्फ 28 दिन का रखा गया।

फरवरी में हर चौथे साल 29 दिन होने का वैज्ञानिक कारण यह है कि पृथ्वी को सूर्य की परिक्रमा पूरा करने में 365 दिन और 6 घंटे का समय लगता है और हर साल के यह अतिरिक्त 6 घंटे बचाकर रख दिए जाते हैं। तीन सालों के बाद अगले साल में यह घंटे जोड़ दिए जाते हैं और इस तरह फरवरी को एक अतिरिक्त दिन मिल जाता है। परंतु हमारा मुद्दा है कि फरवरी 28 दिन का क्यों होता है? क्यों नहीं अन्य कोई महीना 28 दिन का रखा गया?

जवाब यह है कि इसमें रोमन लोगों का हाथ है। हम अभी जिस कैलेंडर का इस्तेमाल करते हैं वह काफी कुछ रोमन लोगों के बहुत पुराने और समझने में मुश्किल कैलेंडर पर आधारित है। हालांकि इस बात के सबूत ढूंढ पाना मुश्किल है परंतु ऐसी कई कहानियां सदियों से प्रचलित हैं जिनके अनुसार रोम के पहले शासक रोमुलुस के समय में ऐसा कैलेंडर था जो मार्च से शुरू होकर दिसंबर पर खत्म होता था। इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि इस समय दिसंबर की समाप्ति और मार्च के पहले के समय को कैसे गिना जाता था परंतु यहां सर्दी के मौसम में कृषि न हो पाने की वजह से इस समय का रोमन लोगों के लिए कोई महत्व नहीं था और इसे कैलेंडर का हिस्सा बनाना उन्होंने जरूरी नहीं समझा।

रोमन साम्राज्य और कैलेंडर :- रोम के दूसरे शासक, नुमा पोम्पिलियुस, ने कैलेंडर को ज्यादा सटीक बनाने का निश्चय किया और इसे चांद के हिसाब से एक वर्ष पूरा करने का सोचा। उस समय प्रत्येक चंद्र वर्ष 354 दिन लंबा होता था। नुमा ने कैलेंडर में दिसंबर के बाद जनवरी और फरवरी के महीने जोड़े ताकि बचे हुए दिनों की गिनती की जा सके। दोनों नए महीनों को 28 दिनों का बनाया गया क्योंकि चंद्र वर्ष के हिसाब से 56 दिन अतिरिक्त थे।

रोम में 28 नंबर को बुरा समझा जाता था और इससे बचने के लिए नुमा ने जनवरी में एक दिन और जोड़कर इसे 29 दिन बना दिया और हर वर्ष को 355 दिनों का। इस बात का कारण कभी ज्ञात नहीं हो पाया कि आखिर क्यों नुमा ने फरवरी में भी एक और दिन नहीं जोड़ा? प्राचीन रोमन काल से ही फरवरी महीने को बदनसीबी वाला महीना समझा जाता था क्योंकि यह 28 दिन लंबा था।

फरवरी को अशुभ महीना समझे जाने के पीछे एक और कारण यह भी है कि इस महीने में ही रोम में मृत आत्माओं की शांति और पवित्रता कार्य किए जाते थे। यहां तक कि पुरानी सेबाइन जनजाति की भाषा में फेब्रुअरे का मतलब पवित्र करना होता है।

इतने बदलावों के बावजूद कैलेंडर में आने वाली मुश्किलें खत्म नहीं हुई और यह मौसम के बदलावों के हिसाब से नही बन सका क्योंकि नुमा ने इसे चंद्रमा के हिसाब से बनाया था जबकि मौसम में बदलाव पृथ्वी द्वारा सुर्य परिक्रमा से होते हैं। इस समस्या से निजाद पाने के लिए 23 फरवरी के बाद 27 दिनों का एक और महीना जोड़ा गया अगले दो सालों में। परंतु पोंटिफ जिसे कैलेंडर में सुधार सुनिश्चित करने का भार सोंपा गया था, उसने अतिरिक्त महीनों को कैलेंडर में सही समय पर नहीं जोड़ा और इस प्रकार समस्या का कोई उपाय नहीं मिल सका।

रोम के विश्व प्रसिद्ध शासक जुलियस सीजर ने 45 BC में एक विद्वान को नियुक्त कर कैलेंडर को चंद्रमा के अनुसार न रखते हुए सूर्य के हिसाब से रखने का आदेश दिया जैसा कि मिस्त्र के कैलेंडर में किया जाता था। जुलियस सीजर ने हर वर्ष में 10 दिन जोड़ दिए और हर चौथे वर्ष में एक और दिन। अब हर वर्ष 365 दिन और 6 घंटे लंबा था।

एक प्रचलित कहानी के अनुसार जुलियस सीजर ने हर वर्ष फरवरी में एक दिन जोड़कर इसे 29 दिनों का बना दिया था परंतु जब वहां की संसद में फरवरी का नाम बदलकर सेक्सटिलिस किया गया तो फरवरी में से यह एक दिन कम कर दिया गया और यह दिन अगस्त में जोड़ दिया गया। परंतु इस कहानी को बिल्कुल गलत समझा जाता है और इस बात के कोई प्रमाण उपरलब्ध नहीं हैं कि जुलियस सीजर ने कभी फरवरी में एक अतिरिक्त दिन जोड़ा था।

फरवरी महीने में बच्चे कम क्यों रोते हैं? - pharavaree maheene mein bachche kam kyon rote hain?

बच्चे कौन से महीने में कम रोते हैं?

ऐसे में हर पेरेंट्स को ये लगता है कि शायद उनका बच्चा ही ज्यादा रोता है और ये रोना कब बंद करेगा. साल 1962 के बाद की तमाम स्टडीज बताती रही हैं कि न्यूबॉर्न बेबी अपने जन्म से 6 हफ्ते तक बहुत ज्यादा रोते हैं और 12वें हफ्ते के बाद ये सिलसिला घटता जाता है और फिर नॉर्मल हो जाता है.

फरवरी महीने में बच्चे क्यों कम रोते हैं?

रिसर्च के अनुसार, फरवरी में पैदा होने वाले बच्चों में कम तनाव देखने को मिलता है. इनमें चिड़चिड़ापन भी कम होता है. हालांकि, ये जल्दी ही किसी भी बात को दिल से लगा लेते हैं. शोधकर्ता के मुताबिक, फरवरी में पैदा हुए लोग जरा हटकर पेशा चुनने में ज्यादा विश्वास रखते हैं.