वाइमर गणराज्य के समर्थक कौन थे? - vaimar ganaraajy ke samarthak kaun the?

UP Board Class 9 Social Science History | नात्सीवाद और हिटलर का उदय

UP Board Solutions for Class 9 Social Science History Chapter 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय

नात्सीवाद और हिटलर का उदय

अध्याय 3.

                                              अभ्यास

प्रश्न 1. वाइमर गणराज्य के सामने क्या समस्याएँ थी?

उत्तर― प्रथम विश्व युद्ध के अंत में साम्राज्यवादी जर्मनी की हार के बाद सम्राट केजर विलियम

द्वितीय अपनी जान बचाने के लिए हॉलैण्ड भाग गया। इस अवसर का लाभ उठाते हुए संसदीय 

दल वाइमर में मिले और नवंबर 1918 में वाइमर गणराज्य नाम से प्रसिद्ध एक गणराज्य की स्थापना की। 

इस गणराज्य को जर्मनों द्वारा अच्छी तरह से स्वीकार नहीं किया गया क्योकि प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी 

की हार के बाद मित्र सेनाओं ने इसे जर्मनों पर थोपा था।

वर्साय की मित्र देशों के साथ संधि बहुत कठोर एवं अपमानजनक थी। 

इस संधि के अनुसार जर्मनी ने अपने समुद्र पार के उपनिवेश, 13 प्रतिशत भू-भाग, 75 प्रतिशत 

लौह भंडार, 26 प्रतिशत कोयला भंडार आदि फ्रांस, पोलैण्ड, डेनमार्क और लिथुआनिया के हवाले करने पड़े। 

मित्र शक्तियों ने जर्मनी की शक्तियाँ कम करने के लिए उसकी सेना भंग कर दी। 

इसलिए इस लोकतंत्र की बदनामी हुई और प्रारंभ से ही यह अपने ही लोगों में अलोकप्रिय हो गया। 

बहुत-से जर्मनवासियों ने नए लोकतंत्र को ही युद्ध में पराजय तथा वर्साय में अपमान का जिम्मेदार माना।

वाइमर गणराज्य का समर्थन करने वाले लोग जैसे समाजवादी, कैथोलिक, डेमोक्रेट आदि इसकी

कमजोर स्थिति के कारण कन्जरवेटिव नेशनलिस्ट सर्कल का आसान निशाना बन गए।

जर्मनी ने युद्ध बड़े स्तर पर ऋण लेकर लड़ा था और उसे युद्ध का हरजाना सोने के रूप में देना पड़ा। 

जर्जर सोने के भंडारों, संसाधनों की कमी तथा लाचार आर्थिक हालात के चलते वाइमर गणतंत्र 

हर्जाना दे पाने की स्थिति में नहीं रह गया था। इस हालात में नवजात गणतंत्र को इसके पड़ोसी 

देशों के विरोध का सामना करना पड़ रहा था क्योंकि उन्होंने इसके अग्रणी औद्योगिक क्षेत्र रूर 

के कोयला भंडारों पर कब्जा कर लिया था।

जर्मनी में चारों ओर तबाही, भुखमरी और निराशा व्याप्त थी। देश अति-महँगाई के दौर से गुजर रहा था 

और गणराज्य लोगों की आर्थिक समस्याओं का समाधान करने में विफल रहा। इस सबसे भी अधिक यह था 

कि 1929-1933 के बीच के आर्थिक संकट से जर्मन अर्थव्यवस्था पर सबसे गहरी मार पड़ी।

प्रश्न 2. इस बारे में चर्चा कीजिए कि 1930 तक आते-आते जर्मनी में नात्सीवाद को

लोकप्रियता क्यों मिलने लगी?

उत्तर― जर्मनी में 1930 ई० में नाजीवाद का उत्थान हुआ, जिसके मुख्य कारण निम्न थे―

(i) जर्मनी में नाजीवाद के उत्थान और लोकप्रियता के कारण-जर्मनी को 1919 ई० की

वर्साय की सन्धि पर हस्ताक्षर करने पर विवश किया गया। इस सन्धि द्वारा उसके अनेक

प्रदेश और उपनिवेश उससे छीन लिए गए, उसकी, सैनिक शक्ति को बहुत ही दुर्बल बना

दिया गया और बहुत बड़ी धनराशि उसे युद्ध के जीतने के रूप में देनी पड़ी। यह सन्धि

कठोर नहीं वरन् अपमानजनक भी थी।

(ii) आर्थिक संकट का पूरा लाभ उठाना―प्रथम महायुद्ध के पश्चात् जर्मनी में आर्थिक संकट

पैदा हो गया। जर्मनी की जन-जन की अपार हानि हुई। लाखों सैनिक बेकार हो गए। बस्तियाँ

छिन जाने से उद्योग और व्यापार तबाह हो गए। श्रमिक बेकार हो गए। 1929 ई० में जब

यूरोप में आर्थिक संकट उत्पन्न हुआ, उसका भी जर्मनी में व्यापक प्रभाव पड़ा। देश में

बेकारी और भुखमरी जोरों पर थी। इस समय तक साठ लाख लोग बेकार हो गए थे।

गणतन्त्र आर्थिक संकट दूर करने में असफल रहा। परिणामस्वरूप आर्थिक संकट से पीड़ित

मध्य श्रेणी के लोग, छोटे व्यापारी, कारीगर, श्रमिक, किसान आदि सभी नाजीदल की ओर

आकर्षित हुए। अतः यह दल दिन-प्रतिदिन उन्नति की ओर अग्रसर होने लगा।

(iii) साम्यवाद का विरोध करना―जर्मनी में साम्यवाद का प्रसार दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा था।

रूस की 1917 ई० की क्रांति से प्रभावित होकर साम्यवादियों ने जर्मनी में क्रांति लाने का

प्रयत्न किया। साम्यवादी विचारधारा जर्मनी की राष्ट्रीयता के लिए भारी खतरा थी। हिटलर

को भय हो गया कि साम्यवादी विचारधारा के प्रबल होने से जर्मनी रूस का दास बनकर रह

जाएगा। हिटलर ने साम्यवाद के विनाशकारी परिणामों को जनता के सम्मुख रखा। उसने

जनता में राष्ट्रीयता की भावनाएँ जाग्रत की और उन्हें साम्यवाद के विरुद्ध भड़काकर उससे

दूर रहने का उपदेश दिया। परिणामस्वरूप जन-साधारण और श्रमिक साम्यवाद के खतरों

से बचने के लिए नाजीदल में एक बड़ी संख्या में शामिल हो गए। इस प्रकार नाजीदल को

उन्नति करने में बड़ी सहायता मिली।

(iv) दलीय संघर्ष का पूरा लाभ उठाना―जर्मनी में कई राजनीतिक दल थे जिनमें साम्यवादी,

प्रजातन्त्रवादी, राष्ट्रवादी और समाजवादी प्रमुख थे। उस समय जर्मनी में प्रजातन्त्र दल की

सरकार थी। दलीय संघर्ष खूब जोरों पर था। राजसत्तावादियों ने 1920 ई० में केप (Kapp)

के और 1923 ई० में जनरल ल्यूडैण्ड्राफ के नेतृत्व में राजसत्ता हथियाने के प्रयत्न किए,

परन्तु वे असफल रहे। साम्यवादी दल का बढ़ता हुआ प्रभाव भी सरकार के लिए सिरदर्द

बना हुआ था। अत: 1919 ई० से 1933 ई० तक जर्मनी में गणतन्त्र का इतिहास विभिन्न

दलों का सत्तारूढ़ होने के लिए दलीय संघर्ष का इतिहास है। इससे गणतन्त्र दुर्बल हो गया

और नाजीवाद को राजसत्ता पर अधिकार करने का अच्छा अवसर मिल गया।

(v) जर्मन लोगों का प्रजातन्त्र में अविश्वास का लाभ उठाना―जर्मनी के लोगों का स्वभाव से

ही प्रजातन्त्र में विश्वास नहीं था और वहाँ प्राचीनकाल से ही एकतन्त्र रहा। प्रजातन्त्र उनकी

सभ्यता और परम्पराओं के विरुद्ध था। जर्मनी के लोग बहादुर और अनुशासित थे जो अपने

शासकों की आज्ञा का पालन बड़े गर्व से करते थे। वे पार्लियामेंटरी संस्थाओं को समझने में

असमर्थ थे। अत: वाइमर संविधान बड़े प्रतिकूल वातावरण में लागू हुआ, जिसका सफल

होना कठिन था। जर्मनी के लोगों की मनोवृत्ति नाजीदल के विकास और हिटलर के

अधिनायक बनने में बड़ी सहायक सिद्ध हुई।

(vi) अपने व्यक्तित्व का प्रभाव―हिटलर एक प्रतिभाशाली और प्रभावशाली व्यक्तित्व का

स्वामी था। वह शक्तिशाली और उच्चकोटि का वक्ता था। उसके भाषण बहुत जोशीले थे

और उनमें अद्भुत जादू होता था। श्रोतागण उससे प्रभावित हुए बिना न रह सके। लोग

दूर-दूर से उसके भाषणों को सुनने के लिए आया करते थे। लोगों का उस पर अन्धविश्वास

हो गया और उसे वे दैवतुल्य समझने लगे। परिणामस्वरूप नाजीदल अधिक लोकप्रिय होता

गया और उसके सदस्यों की संख्या बढ़ती चली गई।

3. नात्सी सोच के खास पहलू कौन-से थे?

उत्तर― प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात जर्मनी से वर्साय की सन्धि द्वारा जो कठोर और अपमानजनक

व्यवहार किया गया उसका यह परिणाम हुआ कि जर्मनी में नाजीवाद के नाम से एक तानाशाही 

राज्य स्थापित हो गया।

नाजीदल की मुख्य विशेषताएँ या मुख्य विचार या मुख्य सिद्धान्त―प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात्

जर्मनी में हिटलर के नेतृत्व का आरम्भ हुआ। इस आन्दोलन के मुख्य सिद्धान्त निम्नलिखित थे―

(i) राज्य सबसे ऊपर है। नाजीवाद के अनुसार, “लोग राज्य के लिए है, न कि राज्य लोगों

     के लिए।”

(ii) नाजीवाद सभी प्रकार की संसदीय संस्थाओं को समाप्त करने के पक्ष में था और एक महान

      नेता के नेतृत्व की सराहना करता था।

(iii) यह युद्ध को उचित ठहराता था और शक्ति के प्रयोग की सराहना करता था।

(iv) यह उदारवाद, समाजवाद और साम्यवाद को जड़ से उखाड़ फेंकना चाहता था।

(v) यह जर्मनी में यहूदी लोगों को बिल्कुल मिटा देने के पक्ष में था, क्योंकि वे ही जर्मन के लोग

     की आर्थिक मुसीबतों के कारण थे।

(vi) यह हर विरोध को समाप्त कर देना चाहता था और हर प्रकार के दल-संगठन के विरुद्ध था।

(vii) नाजीवाद जर्मनी साम्राज्य का विस्तार करना चाहता था और उन सभी बस्तियों को वापस

        लेना चाहता था, जो प्रथम विश्वयुद्ध से पहले जर्मनी के अधीन थीं।

(viii) नाजीवाद जर्मनी की सैनिक शक्ति को बढ़ाना चाहता था और उसे विश्व की महान् शक्ति के

        रूप में देखना चाहता था।

प्रश्न 4. नात्सियों का प्रोपेगैंडा यहूदियों के खिलाफ नफरत पैदा करने में इतना असरदार

कैसे रहा?

उत्तर― 1933 में जर्मनी में शक्ति पकड़ने के शीघ्र ही पश्चात् हिटलर ने यहूदियों के विरुद्ध सर्वत्र

घृणा का प्रचार करना शुरू कर दिया और इस उद्देश्य में उसे काफी सफलता भी प्राप्त हुई। 

उसकी इस सफलता के लिये अनेक कारण उत्तरदायी थे, जिनमें से कुछ मुख्य निम्नलिखित हैं―

(i) अपनी सभी कठिनाइयों के लिए, जो जर्मनी के लोगों को प्रथम विश्वयुद्ध के बाद सहनी

पड़ीं, उन्होंने वाइमर गणतन्त्र (Weimer Republic) को उत्तरदायी ठहराया क्योंकि उन्होंने

मित्र राष्ट्रों से होने वाली कठोर और अपमानजनक सन्धि पर हस्ताक्षर किये थे। सारी जर्मन

जाति ने ऐसा महसूस करना शुरू कर दिया जैसे कोई उनका जानबूझकर निरादर कर रहा है।

चारों तरफ अशान्ति, निरादर और बेकारी का बोलबाला था। जब हिटलर ने 1933 ई० में

वाइमर गणतन्त्र से छुटकारा पाया तो लोगों ने चैन की सांस ली। लोगों की नजरों में हिटलर

का आदर बहुत बढ़ गया और देखते-ही-देखते वह लोगों का मसीहा बन गया। यदि उसने

हाँ कहा तो सारे जर्मन लोग हाँ कहने लगे और यदि उसने न कहा तो सभी न कहने लगे,

यदि उसने यह कहना शुरू कर दिया कि यहूदी बुरे हैं तो बस सबने यही कहना शुरू कर

दिया कि वे बुरे हैं। इस प्रकार हिटलर के व्यक्तित्व ने ऐसा करिश्मा कर दिया कि उसका

यहूदियों के विरुद्ध प्रचार सफल होता चला गया।

(ii) नाजियों, विशेषकर हिटलर ने, ईसाइयों की यहूदियों के विरुद्ध परम्परागत घृणा का खूब

लाभ उठाया। ईसाई पहले ही यहूदियों को ईसा मसीह की मृत्यु के लिये उत्तरदायी मानते थे,

इसलिये यहूदियों के विरुद्ध हिटलर की घृणा की विचारधारा सफल होती चली गई।

(iii) नाजी लोग (या हिटलर) की इस धारणा ने कि जर्मन लोग उच्च आर्य जाति से सम्बन्ध

रखते हैं जबकि यहूदी लोग निम्न जाति के हैं, इस आपसी अन्तर को और भी बढ़ा दिया।

 इसलिए जब यहूदियों को हजारों की मात्रा में गैस-चैम्बरों में मारा जाने लगा तो

जन-साधारण बिल्कुल चुप रहे।

(iv) नाजी लोगों ने यहूदियों के प्रति घृणा की भावना का प्रचार स्कूल के छोटे-छोटे बच्चों से ही

करना शुरू कर दिया। ऐसे में बड़े होकर वे स्वयं इस घृणित सिद्धान्त के प्रचारक बन गए।

स्कूलों में यहूदी अध्यापकों को बर्खास्त कर दिया गया और यहूदी बच्चों को भी जबरन

निकाल दिया गया। इस शुद्धीकरण की नीति और नई पीढ़ी को यहूदियों के विरुद्ध बचपन से

ही तैयार करने की नीति का यह परिणाम निकला कि लोग अपने-आप यहूदियों से घृणा

करने लगे।

प्रश्न 5. नात्सी समाज में औरतों की क्या भूमिका थी? फ्रांसीसी क्रांति के बारे में जानने के

लिए अध्याय 1 देखें। फ्रांसीसी क्रांति और नात्सी शासन में औरतों की भूमिका के

बीच क्या फर्क था? एक पैराग्राफ में बताएँ।

उत्तर― नाजी समाज में औरतों की भूमिका एक बड़े पैमाने पर पितृसत्तात्मक या पुरुष-प्रधान 

समाज के नियमों का पालन करने की थी। हिटलर ने महिलाओं को उसके जर्मनी की ‘सबसे महत्त्वपूर्ण’ 

नागरिक कहा था किन्तु यह केवल उन आर्य महिलाओं तक ही सच था जो शुद्ध एवं ‘वांछित’ आर्य बच्चे 

पैदा करती थीं। उन्हें अच्छी पत्नी बनने और पारंपरिक रूप से घर को संभालने व अच्छी पत्नी बनने के 

अतिरिक्त एकमात्र मातृत्व लक्ष्य की प्राप्ति की ही शिक्षा दी जाती थी। नाजी जर्मनी में महिलाएं पुरुषों से 

मूलतः भिन्न थीं। उन्हें अपने घर की देख-रेख करनी पड़ती और अपने बच्चों को नाजी मूल्य पढ़ाने होते थे।

जो माताएँ नस्ली तौर पर वांछित दिखने वाले बच्चों को जन्म देतीं उन्हें इनाम दिए जाते और कई प्रकार की 

सुविधाएँ पातीं। दूसरी ओर वे औरतें जो यहूदी, पोलिश और रूसी पुरुषों से शादी करके नस्ली तौर पर 

अवांछित दिखने वाले बच्चों को जन्म देतीं, उन्हें बुरी तरह दंडित किया जाता और ऐसा माना जाता जैसे कि 

उन्होंने कोई दंडनीय अपराध किया हो। इस प्रकार नाजी समाज में महिलाओं के साथ बराबरी का व्यवहार 

नहीं किया जाता था।

यह फ्रांसीसी क्रांति में महिलाओं की भूमिका के मुकाबले सर्वथा पलट था जहाँ महिलाओं ने आंदोलनों का 

नेतृत्व किया और शिक्षा एवं समान मजदूरी के अधिकार के लिए लड़ाई की। उन्हें राजनैतिक क्लब बनाने 

की अनुमति थी और फ्रांसीसी क्रांति के बाद उनका स्कूल जाना अनिवार्य कर दिया गया था।

प्रश्न 6. नात्सियों ने जनता पर पूरा नियंत्रण हासिल करने के लिए कौन-कौन से तरीके

अपनाए?

उत्तर― नाजी सरकार ने हर उचित एवं अनुचित ढंग से लोगों को अपने ही ढंग से जीवन व्यतीत

करने के लिए प्रेरित किया। उनके अनुसार चलने वालों को जहाँ इनाम दिए गए वहाँ उनके विरुद्ध

चलने वालों को कठोर दण्ड भी दिये गये। लोगों पर अपना पूर्ण नियन्त्रण स्थापित करने के लिये 

उन्होंने अनेक कदम उठाए जिनमें से कुछ मुख्य निम्नलिखित हैं―

(i) 1934 ई० में सत्ता सम्भालते ही हिटलर ने सारी शक्तियों को स्वयं समेट लिया। उसने एक

शक्तिशाली केन्द्रीय सरकार की स्थापना की। उसने धीरे-धीरे प्रजातन्त्रीय व्यवस्था को

धराशायी कर दिया। उसकी प्रशासन व्यवस्था के तीन मुख्य नियम थे-एक पार्टी, एक नेता

और एक सुव्यवस्थित प्रशासन व्यवस्था। नाजी पार्टी के स्वेच्छाचारी शासन द्वारा उसने

जर्मनी में राष्ट्रीय एकता (National Unity) लाने का प्रयत्न किया।

(ii) हर प्रकार के विरोध को जबर्दस्ती कुचल दिया गया। नाजी पार्टी के अतिरिक्त अन्य सभी

राजनीतिक दलों पर पाबन्दी लगा दी गई। क्या समाजवादी दल और क्या साम्यवादी दल के 

लोगों को कुचलकर रख दिया गया। इन राजनीतिक दलों के नेताओं को जेल में भेज दिया

गया और कुछ का वध कर दिया गया। हिटलर ने अपने दल के ऐसे सदस्यों को भी दण्ड

देने से नहीं छोड़ा जिन पर विरोध करने का थोड़ा-सा भी संदेह था। ट्रेड यूनियनों को पूरी

तरह से मिट्टी में मिला दिया गया।

(iii) जर्मनी को एक पुलिस-राज्य में बदल दिया गया। विरोधियों की गतिविधियों पर ध्यान रखने

के लिये देश के चप्पे-चप्पे पर जासूस छोड़ दिए गए। हजारों की मात्रा में साम्यवादियों,

समाजवादियों, विरोध करने वालों को यातना शिविरों (Concentration Camps) में मरने

के लिये छोड़ दिया गया। इसीलिये तो कई बार यह कहा जाता है कि हिटलर का शासन

इतिहास का सबसे भयंकर नशंस शासन था।

(iv) हिटलर और उसकी नाजी पार्टी ने यहदियों से बड़ा दुर्व्यवहार किया। उन्हें देशद्रोही और

घोखेबाज तक कहा गया। उन्हें जर्मनी की हार के लिये जिम्मेदार माना गया। उनके विरुद्ध

अत्याचारों की इतनी भरमार की गई कि उनमें से बहुत-से जर्मनी छोड़कर दूसरे देशों में चले

गए।

(v) संचार के सभी माध्यम; जैसे―प्रेस, समाचार पत्र-पत्रिकाएँ, पुस्तकें, थियेटर आदि सरकार

के कठोर नियन्त्रण में कर लिए गए।

(vi) ऐसी शिक्षा प्रणाली की स्थापना की गई कि हर विद्यार्थी नाजी पार्टी का समर्थक बनकर ही

स्कूल से निकले। स्कूल में विद्यार्थियों को नाजीवाद के असूल ही लिखाए जाते और पढ़ाए

जाते थे। उन्हें बार-बार यही समझाया जाता था कि केवल नाजी पार्टी ही लोगों की सेवक है

और केवल यही सच्ची देशभक्त है।

(vii) धर्म को भी राज्य के अधीन लाया गया क्योंकि चर्च कभी भी और किसी भी वक्त राज्य के

लिये समस्या बन सकता था।

(viii) जर्मनी को सैन्य शक्ति को बढ़ाने का हर सम्भव प्रयत्न किया गया। हिटलर और उसकी

नाजी पार्टी को यह धारणा थी कि यदि जर्मनी का विश्व में नाम पैदा करना है तो उसे अपनी

सेना को शक्तिशाली बनाना होगा और उसे नवीनतम हथियारों से लैस करना होगा। समुद्री

जहाज और हवाई जहाज से लेकर लड़ाई का हर प्रकार का सामान एक बड़ी मात्रा में तैयार

किया जाने लगा। हिटलर स्वयं यह कहा करता था, “हमें बंदूकें चाहिए न कि मक्खन।”

                                  अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1. नाजी जर्मनी में किसे हीन एवं अवांछित माना जाता था?

(क) यहूदियों को

(ख) जिप्सी एवं अश्वेतों को

(ग) रूसी एवं पोलिशों को

(घ) इन सभी को

                    उत्तर―(घ) इन सभी को

प्रश्न 2. नाजियों के अधीन जर्मनी में बच्चों को क्या पढ़ाया जाता था?

(क) वफादार एवं विनम्र बनना

(ख) यहूदियों से नफरत करना

(ग) हिटलर की पूजा करना

(घ) ये सभी

             उत्तर―(घ) ये सभी

प्रश्न 3. किस दल का नाम नाजी पड़ा?

(क) जर्मन वर्कर्स पार्टी

(ख) राष्ट्रीय समाजवादी जर्मन वर्कर्स पार्टी

(ग) समाजवादी जर्मन वर्कर्स पार्टी 

(घ) राष्ट्रीय जर्मन वर्कर्स पार्टी

                             उत्तर―(ख) राष्ट्रीय समाजवादी जर्मन वर्कर्स पार्टी

प्रश्न 4.घेटो क्या थे?

(क) राजनैतिक संगठन

(ख) क्षेत्र जहाँ यहूदी रहते थे

(ग) जर्मन बच्चों के खेल के मैदान 

(घ) यहूदियों के स्कूल

                          उत्तर―(ख) क्षेत्र जहाँ यहूदी रहते थे

प्रश्न 5.रीस्टाख का क्या अर्थ है?

(क) जर्मन सिक्का 

(ख) जर्मन राज्य 

(ग) जर्मन संसद 

(घ) जर्मन मुद्रा

                    उत्तर―(ग) जर्मन संसद

प्रश्न 6. यातनागृह…….थे।

(क) यहूदियों के लिए सुरक्षित स्थान 

(ख) जर्मनों के लिए असुरक्षित स्थान

(ग) करंट से घिरे तारों वाले स्थान 

(घ) यहूदियों के लिए कारागार

                                     उत्तर―(घ) यहूदियों के लिए कारागार

प्रश्न 7.30 जनवरी, 1933 को हिटलर को चांसलर किसने बनाया?

(क) सोवियत लाल सेना

(ख) सम्राट केजर विलियम द्वितीय

(ग) राष्ट्रपति हिंडनबर्ग

(घ) हैमलर शाख्त

                        उत्तर―(ग) राष्ट्रपति हिंडनबर्ग

प्रश्न 8. हैमलर शाख्त कौन था?

(क) अर्थशास्त्री

(ख) चांसलर 

(ग) जर्मन सैनिक 

(घ) इनमें से कोई नहीं

                           उत्तर―(क) अर्थशास्त्री

प्रश्न 9. उस शहर का नाम बताइए जहाँ अमेरिका ने पहला परमाणु बम गिराया-

(क) हिरोशिमा

(ख) ऑस्विज 

(ग) नागासाकी 

(घ) इनमें से कोई नहीं

                          उत्तर―(क) हिरोशिमा

प्रश्न 10.दूसरा विश्वयुद्ध कब समाप्त हुआ?

(क) 11 जून, 1945

(ख) 9 मई, 1945

(ग) 9 मई, 1944

(घ) 9 जून, 1945

                         उत्तर―(ख) 9 मई, 1945

प्रश्न 11. उस घटना का नाम बताइए जिसने दूसरा विश्वयुद्ध प्रारंभ किया?

(क) वर्साय की संधि

(ख) वाइमर गणराज्य का जन्म

(ग) जातिसंहार युद्ध

(घ) जर्मनी का पोलैण्ड पर आक्रमण

                               उत्तर―(घ) जर्मनी का पोलैण्ड पर आक्रमण

प्रश्न 12.जर्मनी में विशेषाधिकार अधिनियम कब पारित किया गया?

(क) 22 मार्च, 1983 को

(ख) 3 मार्च, 1933 को

(ग) 3 फरवरी, 1903 को

(घ) 14 मार्च, 1932 को

                            उत्तर―(ख) 3 मार्च, 1933 को

प्रश्न 13. ऑस्विज किसके लिए प्रसिद्ध था?

(क) नाजी जर्मनी में यहूदियों के सामूहिक संहार के लिए

(ख) नाजी जर्मनी के दौरान बच्चों की शिक्षा का केन्द्र

(ग) नाजी जर्मनी के दौरान युवाओं को सैनिक प्रशिक्षण देने के लिए

(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं

               उत्तर―(क) नाजी जर्मनी में यहूदियों के सामूहिक संहार के लिए

प्रश्न 14.हिटलर शासन के दौरान यहूदियों के बड़े पैमाने पर किए गए नरसंहार को क्या

नाम दिया गया?

(क) हॉलोकास्ट

(ख) विशेष उपचार

(ग) नवंबर के अपराधी

(घ) इनमें से कोई नहीं

                         उत्तर―(ख) विशेष उपचार

प्रश्न 15. जर्मनी ने ………. के विरुद्ध प्रथम विश्वयुद्ध लड़ा।

(क) इंग्लैण्ड

(ख) फ्रांस

(ग) रूस

(घ) ये सभी

               उत्तर―(घ) ये सभी

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. ईसाइयों के यहूदियों पर किस तरह के आरोप थे?

उत्तर― ईसाइयों का आरोप था कि ईसा मसीह को यहूदियों ने ही मारा था। ईसाइयों की नजर में

यहूदी आदतन हत्यारे और सूदखोर थे।

प्रश्न 2. सन् 1933 से 1945 तक नात्सियों ने यहूदियों को किस तरह से आतंकित किया?

उत्तर― यहूदियों को दरिद्र कर आजीविका के साधनों से हीन कर दिया और उन्हें शेष समाज से

अलग-थलग कर डाला। 1939-45 के दूसरे दौर में यहूदियों को कुछ खास इलाकों में इकट्ठा करने 

और अंतत: पोलैंड में बनाए गए गैस चैंबरों में ले जाकर मार देने की रणनीति अपनाई गई।

प्रश्न 3. विशेषाधिकार अधिनियम के तहत जर्मनी में किस तरह का शासन स्थापित किया

गया?

उत्तर― विशेषाधिकार अधिनियम के तहत जर्मनी में तानाशाही शासन स्थापित किया गया। इस

कानून ने हिटलर को संसद के हाशिए पर धकेलने और केवल अध्यादेशों के जरिए शासन चलाने का 

निरंकुश अधिकार प्रदान कर दिया। नात्सी पार्टी और उसके जुड़े संगठनों के अलावा सभी राजनीतिक 

पार्टियों और ट्रेड यूनियनों पर पाबंदी लगा दी गई।

प्रश्न 4. पूरे समाज को नात्सियों के हिसाब से नियंत्रित और व्यवस्थित करने के लिए किस

तरह के सुरक्षा दस्ते गठित किए गए?

उत्तर― पूरे समाज को नात्सियों के हिसाब से नियंत्रित और व्यवस्थित करने के लिए विशेष निगरानी 

और सुरक्षा दस्ते गठित किए गए। पहले से मौजूद हरी वर्दीधारी पुलिस और स्टार्म टूपर्स (एस०ए०) के 

अलावा गेस्तापो (गुप्तचर राज्य पुलिस), एस०एस० (अपराध नियंत्रण पुलिस) और सुरक्षा सेवा (एस०डी०) 

का गठन किया गया।

प्रश्न 5.1923 में जर्मनी ने मित्र राष्ट्रों को कर्ज और हर्जाना चकाने से क्यों इनकार कर दिया?

उत्तर― जर्मनी ने पहला विश्वयुद्ध मोटे तौर पर कर्ज लेकर लड़ा था और युद्ध के बाद तो उसे स्वर्ण 

मुद्रा में हर्जाना भी भरना पड़ा। इस दोहरे बोझ से जर्मनी के स्वर्ण भंडार लगभग समाप्त होने की 

स्थिति में पहुंँच गए थे। 1923 में जर्मनी ने मित्र राष्ट्रों को कर्ज और हर्जाना चुकाने से इंकार कर दिया।

प्रश्न 6. 1933 ई० में हिटलर ने कम्युनिस्टों के खिलाफ क्या कार्रवाई की?

उत्तर― ज्यादातर कम्युनिस्टों को रातों-रात कंसन्ट्रेशन कैंपों में बंद कर दिया गया। कम्युनिस्टों 

का बर्बर दमन किया गया। लगभग पाँच लाख की आबादी वाले ड्युस्सलडॉर्फ शहर में गिरफ्तार किए 

गए लोगों की बची-खुची 6808 फाइलों में से 1440 सिर्फ कम्युनिस्टों की थी।

प्रश्न 7.निर्धारित आचार-संहिता का उल्लंघन करने वाली औरतों को किस प्रकार दंड

दिया जाता था?

उत्तर― निर्धारित आचार-संहिता का उल्लंघन करने वाली ‘आर्य’ औरतों की सार्वजनिक रूप से

निंदा की जाती थी। बहुत सारी औरतों को गंजा करके, मुँह पर कालिख पोतकर और उनके गले में 

तख्ती लटकाकर पूरे शहर में घुमाया जाता था। उनके गले में लटकी तख्ती पर लिखा होता था―

“मैंने राष्ट्र के सम्मान को मलिन किया है। इस आपराधिक कृत्य के लिए बहुत सारी औरतों को न 

केवल जेल की सजा दी गई बल्कि उनसे तमाम नागरिक सम्मान और उनके पति व परिवार भी छीन लिए गए।

प्रश्न 8. मित्र राष्ट्र शब्द का अर्थ बताइए।

उत्तर― मित्र राष्ट्रों का नेतृत्व शुरू में ब्रिटेन और फ्रांस के हाथों में था। 1941 में सोवियत संघ और 

अमेरिका भी इस गठबंधन में शामिल हो गए। उन्होंने धुरी शक्तियों यानी जर्मनी, इटली और जापान 

का मिलकर सामना किया।

प्रश्न 9. नात्सी शब्द का अर्थ बताइए।

उत्तर― नात्सी शब्द जर्मन भाषा के शब्द ‘नात्सियोणाल’ के प्रारंभिक अक्षरों को लेकर बनाया गया है। 

‘नात्सियोणाल’ शब्द हिटलर की पार्टी के नाम का पहला शब्द था इसलिए इस पार्टी के लोगों को नात्सी कहा जाता था।

प्रश्न 10.नार्डिक जर्मन आर्य का अर्थ बताइए।

उत्तर― आर्य बताए जाने वालों की एक शाखा। ये लोग उत्तरी यूरोपीय देशों में रहते थे और 

जर्मन या मिलते-जुलते मूल के लोग थे।

प्रश्न 11. पहली दो योजनाओं से अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर― पहली दो ‘योजनाओं (1927-1932 और 1933-38) के दौरान औद्योगिक विकास को

बढ़ावा देने के लिए सरकार ने सभी तरह की कीमतें स्थिर कर दीं। केंद्रीकृत नियोजन से आर्थिक

विकास को काफी गति मिली। औद्योगिक उत्पादन बढ़ने लगा। तेल, कोयले, स्टील के उत्पादन में 

100 प्रतिशत की वृद्धि हुई। नए-नए औद्योगिक शहर अस्तित्व में आए।

प्रश्न 12.नासियों द्वारा जर्मनी में कितने लोगों का जनसंहार किया गया था?

उत्तर― नात्सियों द्वारा 60 लाख यहूदी, 2 लाख जिप्सी, 10 लाख पोलैंड के नागरिक, साथ ही

मानसिक व शारीरिक रूप से अपंग घोषित किए गए 70,000 जर्मन नागरिक भी मार डाले गए। 

इनके अलावा न जाने कितने ही राजनीति विरोधियों को भी मौत की नींद सुला दिया गया।

प्रश्न 13.प्रथम विश्वयुद्ध में जर्मनी ने किसके विरुद्ध लड़ा था? इस युद्ध के सबसे

महत्त्वपूर्ण परिणाम क्या निकले?

उत्तर― जर्मनी ने ऑस्ट्रियाई साम्राज्य के साथ मिलकर मित्र राष्ट्रों (इंग्लैंड, फ्रांस और रूस) के

खिलाफ पहला विश्वयुद्ध लड़ा था। इस युद्ध में जर्मनी की हार हुई थी।

प्रश्न 14.नासियों द्वारा किए गए जनसंहार के लिए अदालत ने उन्हें क्या सजा दी?

उत्तर― न्यूरेम्बर्ग अदालत ने केवल 11 मुख्य नात्सियों को ही मौत की सजा दी। बाकी आरोपियों 

में से बहुतों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई। सजा तो मिली लेकिन नात्सियों को जो सजा दी गई 

वह उनकी बर्बरता और उनके जुल्मों के मुकाबले बहुत छोटी थी।

प्रश्न 15.किसे नवंबर के अपराधी कहकर खुलेआम मजाक उड़ाया गया?

उत्तर― वाइमर गणराज्य के हिमायतियों में मुख्य रूप से समाजवादी, कैथोलिक और डेमोक्रैट 

खेमे के लोग थे। रूढ़िवादी/पुरातनपंथी राष्ट्रवादी मिथकों की आड़ में उन्हें तरह-तरह के हमलों का 

निशाना बनाया जाने लगा। ‘नवंबर के अपराधी’ कहकर उनका मजाक उड़ाया गया।

                                   लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. प्रथम विश्वयुद्ध के यूरोप पर क्या प्रभाव पड़े?

उत्तर― प्रथम विश्वयुद्ध के यूरोप पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े-

(i) यूरोप कर्ज देने वाले महाद्वीप से कर्जदारों का महाद्वीप बन गया।

(ii) पहले महायुद्ध ने यूरोपीय समाज और राजनीतिक व्यवस्था पर अपनी गहरी छाप छोड़ दी

थी। सिपाहियों को आम नागरिकों के मुकाबले ज्यादा सम्मान दिया जाने लगा। राजनेता और

प्रचारक इस बात पर जोर देने लगे कि पुरुषों को आक्रामक, ताकतवर और मर्दाना गुणों

वाला होना चाहिए।

(iii) मीडिया में खंदकों की जिंदगी का महिमामंडन किया जा रहा था लेकिन सच्चाई यह थी कि

सिपाही इन खंदकों में बड़ी दयनीय जिंदगी जी रहे थे। वे लाशों को खाने वाले चूहों से घिरे

रहते। वे जहरीली गैस और दुश्मनों की गोलाबारी का बहादुरी से सामना करते हुए भी अपने

साथियों को पल-पल मरते देखते थे।

(iv) सार्वजनिक जीवन में आक्रामक फौजी प्रचार और राष्ट्रीय सम्मान व प्रतिष्ठा की चाह के

सामने बाकी सारी चीजें गौण हो गई जबकि हाल ही में सत्ता में आए रूढ़िवादी तानाशाहों

को व्यापक जनसमर्थन मिलने लगा।

प्रश्न 2. वर्साय की संधि की कोई चार शर्ते लिखें। आप इसे एक कठोर संधि क्यों मानते हैं?

उत्तर― मित्र देशों के नाम से प्रसिद्ध इंग्लैण्ड, फ्रांस और रूस ने जर्मनी को प्रथम विश्वयुद्ध में हरा

दिया और वर्साय की संधि नामक एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस संधि के नियम व शर्त 

अत्यधिक कठोर एवं अपमानजनक थे। इस संधि के अनुसार निम्नलिखित शर्ते हैं-

(i) जर्मनी ने अपने समुद्र पार के उपनिवेश, 13 प्रतिशत भू-भाग, 75 प्रतिशत लौह-भंडार, 26

प्रतिशत कोयला भंडार आदि फ्रांस, पोलैण्ड, डेनमार्क और लिथुआनिया के हवाले करने पड़े।

(ii) जर्मनी की रही-सही शक्ति समाप्त करने के लिए मित्र राष्ट्रों ने उसकी सेना भी भंग कर दी।

(iii) युद्ध अपराधबोध अनुच्छेद के तहत युद्ध के कारण मित्र देशों को हुई हानि और सारी तबाही

के लिए जर्मनी को जिम्मेदार ठहराया गया। इसके एवज में उस पर छः अरब पौंड का

जुर्माना लगाया गया।

(iv) खनिज संसाधनों वाले राईनलैंड पर भी बीस के दशक में ज्यादातर मित्र राष्ट्रों का ही कब्जा रहा।

प्रश्न 3. वाइमर संविधान में क्या दोष थे?

उत्तर― वाइमर गणतंत्र आनुपातिक प्रतिनिधित्व पर निर्भर था। इसने किसी एक दल द्वारा बहुमत 

पाना लगभग असंभव बना दिया जिससे गठबंधन सरकार बनानी पड़ी।

एक अन्य दोष अनुच्छेद 48 था जो राष्ट्रपति नागरिक अधिकार समाप्त करते हुए आपातकाल लागू

करके डिक्री द्वारा शासन करने की शक्ति देता था। अल्प काल में ही वाइमर रिपब्लिक ने 20 अलग-अलग

मन्त्रिमण्डल देखे जिनका औसत कार्यकाल 239 दिन था और साथ ही अनुच्छेद 48 का भी भरपूर प्रयोग हुआ।

फिर भी संकट का समाधान नहीं हो सका। परिणामस्वरूप लोगों का लोकतांत्रिक संसदीय प्रणाली से विश्वास उठ गया।

प्रश्न 4. विश्व को महाध्वंस के बारे में कैसे पता चला?

उत्तर― नाजी तौर-तरीकों की जानकारी नाजी साम्राज्य के अंतिम वर्षों में जर्मनी से बाहर आई। 

युद्ध के समाप्त हो जाने व जर्मनी के हार जाने के बाद ही विश्व यह जान पाया कि क्या हो चुका था। 

यहूदी चाहते थे कि पूरा विश्व नाजियों के हाथों उनके द्वारा झेली गई यातनाओं व मौतों को याद करे 

जिन्हें महाध्वंश (होलोकास्ट) कहा जाता था। घेटो एवं कैम्प निवासियों ने जो डायरियाँ लिखीं, नोटबुक लिखीं 

और दस्तावेजों के संग्रह बनाए, वे महाध्वंस के ज्ञान के स्रोत बन गए।

प्रश्न 5. अमेरिका ने दूसरे विश्वयुद्ध के प्रारंभ में स्वयं को अलग रखा; किन्तु यह लंबे

समय तक इससे अलग नहीं रह पाया। क्यों?

उत्तर― अमेरिका प्रथम विश्वयुद्ध का परिणाम भूला नहीं था। युद्ध के कारण पैदा हुई आर्थिक

समस्याएँ बहुत भयानक थीं। अमेरिका दोबारा से इन सबका सामना करने का इच्छुक नहीं था। 

किन्तु यह लंबे समय तक इससे अलग नहीं रह पाया।

जापान पूर्व में अपनी शक्ति बढ़ा रहा था। उसने फ्रेंच-इंडो-चाइना पर कब्जा कर लिया और 

अब यह अमेरिका के प्रशांत महासागर स्थित नौसैनिक ठिकानों पर हमला करने की योजना बना रहा था। 

जब जापान ने हिटलर को समर्थन दे दिया और अमेरिका के पर्ल-हार्बर पर बम वर्षा की तो अमेरिका भी दूसरे विश्वयुद्ध में कूद पड़ा।

प्रश्न 6. महामंदी ने नाजीवाद को एक जन-आन्दोलन बनाने में कैसे सहायता की?

उत्तर― 1930 के दशक के प्रारंभ में नाजी विशेष लोकप्रिय नहीं हो पाए थे। महामंदी के दौरान

नाजीवाद एक जन-आन्दोलन बन गया। 1929 के बाद बैंक दिवालिया हो चुके थे, काम-धंधे बंद 

होते जा रहे थे, मजदूर बेरोजगार हो रहे थे और मध्यवर्ग को लाचारी और भुखमरी का डर सता रहा था। 

ऐसे में लोगों को नाजी प्रोपेगैन्डा में एक बेहतर भविष्य की उम्मीद दिखाई देती थी। 1929 में नाजियों को 

जर्मन संसद ‘राइखस्टाग’ में केवल 2-6 प्रतिशत वोट मिले। 1932 तक यह सबसे बड़ा दल बन गई और 

इसे 27 प्रतिशत वोट मिले।

नाजियों ने बड़ी रैलियाँ की, हिटलर का समर्थन दिखाने और एकता की भावना का संचार करने के 

लिए जनसभाएं कीं। हिटलर ने काम के इच्छुक लोगों को रोजगार देने और युवाओं के बेहतर भविष्य का वादा किया।

प्रश्न 7. जर्मनी को अति-मुद्रास्फीति की ओर ले जाने वाले कारक कौन-से थे?

उत्तर― जर्मनी को अति-मुद्रास्फीति की ओर ले जाने वाले कारक निम्नलिखित हैं―

(i) जर्मनी ने युद्ध बड़े स्तर पर ऋण लेकर लड़ा था और उसे युद्ध का हरजाना सोने के रूप में

देना पड़ा। 1923 में जर्मनी ने हरजाना देने से मना कर दिया और फ्रांसीसियों ने इसके प्रमुख

औद्योगिक क्षेत्र के कोयले के लिए रूर पर कब्जा कर लिया।

(ii) घाटे को पूरा करने के लिए जर्मनी ने कागज की मुद्रा की अंधाधुंध छपाई शुरू कर दी। इतने

अधिक मुद्रित धन के प्रचलन में आने से जर्मन मुद्रा मार्क की कीमत गिर गई। अप्रैल में एक

अमेरिकी डॉलर 24,000 मार्क के बराबर था जो जुलाई में 353,000 मार्क, अगस्त में 4,621,000 मार्क 

और दिसंबर तक 98,860,000 मार्क तक पहुंच गया और यह संख्या

खरबों में पहुंँच गई।

(iii) जैसे-जैसे मार्क की कीमत गिरी, सामान की कीमत बढ़ गई। यह संकट अति-मुद्रास्फीति के

नाम से जाना जाता है जिस स्थिति में कीमतें अत्यधिक बढ़ जाती हैं।

प्रश्न 8. अमेरिका में महामंदी कैसे आई? इसने अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव

डाला?

उत्तर― जर्मन निवेश एवं औद्योगिक वसूली पूरी तरह अल्पावधि ऋण पर निर्भर थी जो अधिकतर 

अमेरिका से लेता था। 1929 में जब अमेरिका का सबसे बड़ा शेयर बाजार वाल स्ट्रीट एक्सचेंज औंधे 

मुँह गिरा तो यह सुविधा वापस ले ली गई। कीमतों में गिरावट के डर से लोगों ने अपने शेयर बेचने के लिए 

उन्मत्त प्रयास किए। एक अकेले दिन 24 अक्टूबर को ही 130 लाख शेयर बेच दिए गए। यह आर्थिक महामंदी 

की शुरुआत थी। अगले तीन वर्षों में 1929 से 1932 के बीच अमेरिका की राष्ट्रीय आमदनी गिरकर एक तिहाई 

रह गई। इसके फलस्वरूप कारखाने बंद हो गए, निर्यात कम हो गया, किसानों को अपार घाटा हुआ और 

सट्टेबाजों ने बाजार से अपना पैसा वापस खींच लिया।

प्रश्न 9. आम आदमी की नाजीवाद के प्रति क्या प्रतिक्रिया थी?

उत्तर― (i) कई लोगों ने नाजियों की दृष्टि से देखा और नाजियों की भाषा में उनके मस्तिष्क की

बातें बताईं। उन्होंने यहूदियों के प्रति गुस्सा और घृणा विकसित कर ली थी। यहूदियों के घर 

चिह्नित किए गए और संदिग्ध पड़ोसी के रूप में उनकी शिकायत की गई। उनका विश्वास था 

कि नाजीवाद खुशहाली लाएगा और उनके जीवन को सुखी बना देगा।

(ii) बहुत-से लोग नाजीवाद की निरंकुश पुलिस, दमन एवं हत्याओं के विरुद्ध खड़े हो गए।

(iii) किन्तु अधिकतर जर्मनीवासी निष्क्रिय मूकदर्शक एवं उदासीन बने रहे। वे इतने भयभीत थे

कि वे न तो कुछ कर पाए, न मतभेद जता पाए और न ही विरोध कर पाए।

प्रश्न 10.विशेषाधिकार अधिनियम कब पारित किया गया? इसमें क्या प्रावधान थे?

उत्तर― प्रसिद्ध विशेषाधिकार अधिनियम 3 मार्च, 1933 को पारित किया गया। इस अधिनियम के मुख्य प्रावधान निम्नलिखित थे―

(i) इसने जर्मनी में तानाशाही स्थापित कर दी।

(ii) इसने हिटलर की संसद को दरकिनार करते हुए डिक्री से शासन करने की सारी शक्तियाँ दे दी।

(iii) नाजियों व उनके सहयोगियों को छोड़कर अन्य सभी राजनैतिक दलों व ट्रेड यूनियनों पर

प्रतिबंध लगा दिया।

(iv) अर्थव्यवस्था, मीडिया, सेना और न्यायपालिका पर राज्य ने पूर्ण रूप से नियंत्रण कर लिया।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. जर्मन अर्थव्यवस्था पर आर्थिक महामंदी का क्या असर पड़ा?

उत्तर― आर्थिक संकट से जर्मन अर्थव्यवस्था पर सबसे गहरी मार पड़ी। इसका प्रभाव निम्नलिखित देखा जा सकता है―

(i) 1932 तक औद्योगिक उत्पादन 1929 के मुकाबले 40 प्रतिशत तक घट गया।

(ii) मजदूर या तो बेरोजगार हो गए या उन्हें घटी हुई मजदूरी मिली।

(iii) बेरोजगारी एक गंभीर समस्या बन गई। बेरोजगार नौजवान या तो ताश खेलते पाए जाते थे 

या नुक्कड़ों पर झुंड लगाए रहते थे या फिर रोजगार दफ्तरों के बाहर लंबी-लंबी कतार में खड़े

पाए जाते थे।

(iv) जैसे-जैसे मुद्रा का अवमूल्यन होता जा रहा था, मध्यवर्ग, खासतौर से वेतनभोगी कर्मचारी

और पेंशनधारियों की बचत भी सिकुड़ती जा रही थी।

(v) कारोबार ठप हो जाने से छोटे-मोटे व्यवसायी, स्वरोजगार में लगे लोग और खुदरा

व्यापारियों की हालत भी खराब होती जा रही थी।

(vi) बड़ा व्यापार भी संकट में था।

(vii) किसानों का एक बहुत बड़ा वर्ग कृषि उत्पादों की कीमतों में बेहिसाब गिरावट की वजह से

परेशान था। महिलाएंँ अपने बच्चों का पेट भर पाने में असफल हो रही थीं।

प्रश्न 2. हिटलर ने जर्मनी में एक नस्लवादी राज्य स्थापित करने का प्रयास कैसे किया?

उत्तर― नाजी एक नस्लवादी राज्य स्थापित करना चाहते थे। नाजी ‘शुद्ध एवं स्वस्थ नोर्डिक आर्यो’ का समाज चाहते थे। अपनी योजना को लागू करने के लिए वे उन सभी का खात्मा चाहते थे जिन्हें वे अवांछित मानते थे। वे केवल नोर्डिक आर्यों को ही वांछित मानते थे। केवल उन्हें ही तरक्की और वंश विस्तार के योग्य माना गया था और अन्य सभी अवांछित थे।

नाजी जर्मनी में रहने वाले यहूदी, जिप्सी, रूसी, पोलिश और अश्वेत सहित सभी को निम्न श्रेणी का व अवांछित माना गया। इसलिए उनके साथ बड़े स्तर पर दुर्व्यवहार किया गया। जब जर्मनी ने पोलैण्ड तथा रूस के कुछ भागों पर अधिकार कर लिया तो गिरफ्तार नागरिकों को दासों की तरह काम करने के लिए मजबूर किया गया। उनमें से बहुत-से लोग कठोर मेहनत और भुखमरी से ही मर गए। नाजी जर्मनी में सबसे बुरा हाल यहूदियों का हुआ क्योंकि इन पर ईसा की हत्या का आरोप था। वे अलग से चिह्नित घेटो नामक क्षेत्र में रहते थे। इनको सताने के लिए समय-समय पर नस्ली हिंसा की जाती और तब इन्हें इनकी बस्तियों से खदेड़ दिया जाता। 1933 से 1938 तक नाजियों ने यहूदियों को आतंकित किया, उन पर हिंसा की और उन्हें अलग किया तथा उन्हें देश छोड़कर जाने के लिए मजबूर किया। 1939-1945 तक नाजियों ने उन्हें विशेष स्थानों पर एकत्र करने और अंतत: उन्हें पोलैण्ड में गैस चैम्बर में मारने पर

ध्यान दिया। जो बच गए उन्हें महाध्वंस का सामना करना पड़ा। नाजी जर्मन दुकानों व रेस्तरां में

यहूदी-विरोधी प्रोपेगैन्डा फैल गया।

प्रश्न 3. नाजियों के अधीन स्कूलों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।

उत्तर― हिटलर देश के युवाओं में बहुत रुचि रखता था। उसने अनुभव किया कि नाजी समाज का निर्माण बच्चों को नाजी विचारधारा सिखाकर ही संभव है। इस कारण निम्नलिखित दृश्य उभरकर सामने आया―

(i) सभी स्कूलों में सफाई और शुद्धीकरण किया गया जिसका अर्थ था कि वे अध्यापक जो

यहूदी थे अथवा जो ‘राजनैतिक रूप से अविश्वसनीय’ थे उन्हें बर्खास्त कर दिया गया।

(ii) जर्मनों व यहूदियों को एक साथ खेलने या बैठने नहीं दिया जाता था।

(iii) ‘अवांछित बच्चे’, यहूदी, शारीरिक विकलांग, जिप्सी आदि को स्कूलों से बाहर निकाल

दिया गया और अंतत: 1940 में इन्हें गैस चैम्बरों में ले जाया गया।

(iv) स्कूलों की पाठ्य-पुस्तकें पुनः लिखी गईं। नस्ल के बारे में नाजी विचारधारा को सही ठहराने

के लिए नस्ल विज्ञान विषय लागू किया गया।

(v) यहाँ तक कि गणित की कक्षाओं के जरिए भी यहूदियों की खास छवि गढ़ने का प्रयास किया

जाता।

(vi) बच्चों को वफादार, आज्ञाकारी बनना। यहूदियों से घृणा करना और हिटलर की पूजा करना

सिखाया जाता था।

(vii) खेल सिखाने का उद्देश्य बच्चों में हिंसा एवं आक्रामकता पैदा करना था। हिटलर का

विश्वास था कि मुक्केबाजी लड़कों को पत्थरदिल, मजबूत एवं मर्दाना बना देगी।

(viii) युवा संगठनों को जर्मन युवकों को ‘राष्ट्रीय समाजवाद की भावना’ से लैस करने की

जिम्मेदारी सौंपी गई।

(ix) 10 वर्ष की आयु के बच्चों को युंगफ्रोक (14 वर्ष से कम आयु के नाजी बच्चों का

संगठन) में दाखिल कराया जाता। 14 वर्ष की आयु में सभी लड़कों को नाजी युवा संगठन-

हिटलर यूथ का सदस्य बनना पड़ता, जहाँ वे युद्ध की पूजा, हिंसा व आक्रामकता को

गौरवान्वित करने, लोकतन्त्र की निन्दा करने, यहूदियों, कम्युनिस्टों, जिप्सी और अन्य इसी

प्रकार के ‘अवांछित’ वर्ग के लोगों से घृणा करना सीखते थे।

(x) 18 वर्ष की आयु में वे लेबर सर्विस में शामिल हो जाते जिसके बाद उन्हें सेना में काम

करना पड़ता था और किसी एक नाजी संगठन की सदस्यता लेनी पड़ती।

(xi) नाजियों द्वारा यूथ लीग की स्थापना 1922 में की गई जिसका नाम बदलकर बाद में हिटलर

यूथ रख दिया गया।

                                              ■

वाइमर गणराज्य की स्थापना कब हुई थी?

9 नवंबर 1918वायमार रिपब्लिक / स्थापना की तारीख और जगहnull

वाइमर गणराज्य का जन्म कैसे हुआ वर्णन करें?

सन् १९१९ ई. में वाइमर में एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया जहाँ जर्मन राइख (शासन) के लिए नया संविधान लिखा गया और उसी वर्ष के ११ अगस्त को अपना लिया गया। उदार लोकतंत्र का वह काल १९३० के दशक आने तक समाप्त हो चुका था, जिसके फलस्वरूप सन् १९३३ ई. अडोल्फ़ हिटलर तथा उसकी नाट्सी पार्टी का उत्थान हुआ

वाइमर गणराज्य का क्या अर्थ है?

वाइमर गणराज्य इतिहासकारों द्वारा जर्मनी की उस प्रतिनिधिक लोकतांत्रिक संसदीय सरकार को दिया हुआ नाम है जिसने जर्मनी में प्रथम विश्वयुद्ध के बाद १९१९ से १९३३ तक शाही सरकार के बदले में कार्यभार संभाला था। इसका नाम उस जगह से पड़ा जहाँ संवैधानिक सदन का गठन किया गया और वहीं यह पहली बार एकत्रित हुआ।

वाइमर संविधान में क्या दोष थे?

उत्तर: वाइमर गणतंत्र ने आनुपातिक प्रतिनिधित्व पर निर्भर ऐसी प्रणाली का विकास किया जिसमें किसी एक दल को बहुमत पाना लगभग असंभव था, फलस्वरूप देश में गठबन्धन सरकारें बनती थीं। अनुच्छेद 48 राष्ट्रपति को नागरिक अधिकार समाप्त करते हुए आपातकाल लागू करके डिक्री द्वारा शासन करने की शक्ति देता था।