कैसे साफ उंगलियों के निशान प्राप्त करने के लिए - kaise saaph ungaliyon ke nishaan praapt karane ke lie

किसी भी जगह पहचान पत्र में फिंगरप्रिंट सबसे अहम भूमिका निभाते हैं. ऊंगलियों के पोरों पर मौजूद ये बारीक निशान किसी अपराधी को पकड़ने में भी महत्वपूर्ण हैं लेकिन क्या हो अगर किसी के पास ये पहचान यानी फिंगरप्रिंट ही न हों तो! दुनिया में ऐसे इक्का-दुक्का अनोखे मामले आ चुके हैं जहां शख्स की ऊंगलियों पर कोई निशान नहीं. वे पहचान-पत्र की कमी से कई मुश्किलें झेलने पर मजबूर हैं.

बांग्लादेश के उत्तरी जिला है राजशाही, जहां ऐसा ही एक परिवार है, जिसमें फिंगरप्रिंट ही नहीं. सरकार सरनेम से इस खानदान में एक-दो नहीं, बल्कि परिवार के कई सदस्यों के साथ ऐसा है. पुराने जमाने में पहचान-पत्र के लिए फिंगरप्रिंट लेने का नियम नहीं था इसलिए परिवार समस्या से बचा हुआ था लेकिन अब इनकी मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. किसी के पास मोबाइल फोन नहीं है और न ही कोई पक्का पहचान पत्र है.

कैसे साफ उंगलियों के निशान प्राप्त करने के लिए - kaise saaph ungaliyon ke nishaan praapt karane ke lie
स्विटरलैंड की एक महिला के ऊंगलियों और अंगूठे में कोई निशान नहीं था (Photo-ctrl)

साल 2008 में बांग्लादेश में राष्ट्रीय पहचान पत्र की शुरुआत हुई. इसमें सभी को अंगूठा लगाना था. लेकिन परिवार के लोग जब इसके लिए सरकारी दफ्तर पहुंचे तो लोग हैरान हो गए. उनकी अंगूठों पर निशान ही नहीं थे. आखिरकार उन्हें पहचान-पत्र तो मिला लेकिन उसपर लिखा था, बगैर फिंगरप्रिंट के. अब सरकार परिवार को ये भी नहीं पता कि किसी समय में उनका पहचान-पत्र उन्हें किस मुसीबत में डाल देगा.

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इसी तरह से स्विटरलैंड की एक महिला के भी ऊंगलियों और अंगूठे में कोई निशान नहीं था. वो मशहूर डर्मेटोलॉजिस्ट पीटर इतिन के पास पहुंची. महिला का अमेरिका जाना था और उसका चेहरा, पासपोर्ट की तस्वीर के साथ मैच कर रहा था लेकिन ऊंगलियों का निशान नहीं था. जांच करने पर पता लगा कि महिला और उसके परिवार के आठ सदस्यों में समान समस्या थी.

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साल 2007 में उनका केस सामने आने पर डर्मेटोलॉजिस्ट में इसे समझने की होड़ लग गई. तब पहली बार इसपर बात हुई और सामने आया कि आखिर दुनिया में कुछ लोगों के साथ ऐसा क्यों है.

कैसे साफ उंगलियों के निशान प्राप्त करने के लिए - kaise saaph ungaliyon ke nishaan praapt karane ke lie
फिंगरप्रिंट के बारे में ये बता दें कि ये किन्हीं भी दो लोगों में एक समान नहीं होते

ये एक दुर्लभ स्थिति है, जिसमें ऊंगलियों पर बारीक लकीरें नहीं होती हैं. इन लकीरों को अंग्रेजी में डर्मैटोग्लिफ कहते हैं. इनके न होने की स्थिति एक बीमारी है, जिसे एडर्मेटोग्लीफिया (Adermatoglyphia) कहते हैं. ये स्थिति एक जीन में म्यूटेशन के कारण पैदा होती है, जिसे SMARCAD1 कहते हैं. ये बीमारी गर्भ में ही हो जाती है लेकिन ये समझ नहीं आ सका कि बीमारी क्यों होती है. बता दें कि गर्भ में आंखों और शरीर के सारे अंदरुनी अंगों के अलावा फिंगरप्रिंट भी बन चुका होता है. यानी गर्भ से ही ये तय होता है, जिसमें कोई बदलाव नहीं आता है.

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एडर्मेटोग्लीफिया नाम की इस दुर्लभ बीमारी के मरीज पर हाथों में इस बदलाव के अलावा और कोई फर्क नहीं पड़ता है. उसका स्वास्थ्य सामान्य रहता है और शरीर की किसी संरचना या अंग पर फर्क नहीं दिखता लेकिन ये बीमारी देखा जाए तो अपने-आप में गंभीर है. फिंगरप्रिंट न होने के कारण बायोमैट्रिक आइडेंटिफिकेशन नहीं हो पाता है. इससे विदेश यात्रा तो दूर की बात है, अपने देश में ही स्थानीय स्तर पर मरीज को पहचान की समस्या से जूझना होता है.

कैसे साफ उंगलियों के निशान प्राप्त करने के लिए - kaise saaph ungaliyon ke nishaan praapt karane ke lie
फिंगरप्रिंट न होने के कारण बायोमैट्रिक आइडेंटिफिकेशन नहीं हो पाता है

फिंगरप्रिंट के बारे में ये बता दें कि ये किन्हीं भी दो लोगों में एक समान नहीं होते. सबके फिंगरप्रिंट और आंखों की पुतलियां अलग होती हैं. यही कारण है कि इनसे पहचान पत्र तैयार किया जाता है. इसी वजह से अपराधियों को पकड़ने में भी फिंगरप्रिंट अहम भूमिका निभाते हैं. फिंगरप्रिंट मिटाना आसान काम नहीं. इसके लिए त्वचा की कई परतें हटाई जाती हैं, जो कि बेहद तकलीफदेह है, इसके बाद भी पक्का नहीं कि स्किन की नई परत बनने पर उसमें रिजेस न दिखाई दें.

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ऊंगलियों के निशान न होने पर बांग्लादेश के सरकार परिवार ने कई समस्याओं का सामना किया. यहां तक कि ये बात इंटरनेशनल मीडिया तक में आ गई, तब जाकर परिवार के बीमार सदस्यों के लिए अलग तरह का पहचान-पत्र बना, जिसमें रेटिना और चेहरे के अलग-अलग एंगल से फोटो लेकर पहचान पक्की की गई. दूसरी ओर स्विस महिला का पहचान उजागर न होने के कारण ये पता नहीं चल सका कि वे और उनका परिवार अब किस हाल में हैं.

आधार कार्ड बनवाने के लिए फिंगर प्रिंट, आईआरआईएस और फोटो आदि की आवश्यकता है, जिसके बाद किसी शख्स का आधार कार्ड बनता है. कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके फिंगर प्रिंट नहीं आते हैं.

बैंक से लेकर अस्पतालों तक कई परिस्थितियों में आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया गया है. अब बहुत से लोगों ने यह कार्ड बनवा भी लिया है. आधार कार्ड बनवाने के लिए फिंगर प्रिंट, आईआरआईएस और फोटो आदि की आवश्यकता है, जिसके बाद किसी शख्स का आधार कार्ड बनता है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके फिंगर प्रिंट नहीं आते हैं. कई बार किसी बीमारी या फिर अन्य कारणों से अंगुली के फिंगर प्रिंट नहीं आते है.

आपने भी कुछ लोगों से सुना होगा कि कई लोगों के फिंगर प्रिंट नहीं आते हैं. ऐसे में आपने कभी सोचा है कि जिन लोगों के साथ फिंगर प्रिंट की दिक्कत है, उनका आधार कार्ड कैसे बनता है. किस तरह से उनकी पहचान की पुष्टि की जाती है. अगर नहीं, तो आज हम जानते हैं कि आखिर किस तरह से इन लोगों का कार्ड बनवाया जा सकता है और इसकी क्या प्रक्रिया है?

किन लोगों के नहीं आते आधार कार्ड

इस तरह के लोगों के आधार कार्ड बनवाने की प्रक्रिया जानने से पहल आपको बताते हैं कि किन लोगों के फिंगल प्रिंट नहीं बन पाते हैं. दरअसल, कुछ लोगों को ‘ऐडरमैटोग्लीफिया’ नाम की एक बीमारी होती है और जिन लोगों को यह रोग होता है, उनके फिंगर प्रिंट नहीं आते हैं. वैसे इस तरह के केस बहुत कम सामने आते हैं यानी 5 फीसदी से भी कम लोगों को ये रोग होता है. इस बीमारी में आदमी की दोनों हथेलियों पर एक मोती खुरदरी परत बन जाती है, जिससे हाथ की लकीरें खत्म हो जाती हैं.

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इस वजह से उनके फिंगर प्रिंट स्कैन नहीं हो पाते हैं. साथ ही कई बार कुछ लोगों की अंगुली ना होने या अंगुली कटी होने की स्थिति में भी फिंगर प्रिंट नहीं आ पाते हैं. वहीं, कई बार ज्यादा उम्र के लोगों के साथ भी यह दिक्कत होती है. साथ ही कई लोगों का ऐसा काम होता है, जिससे उनकी उंगलियों पर काफी निशान बन जाते हैं और उनके फिंगर प्रिंट नहीं आते हैं.

दरअसल, आधार कार्ड बनवाने के लिए फिंगर प्रिंट की आवश्यकता होती है. मगर ऐसे व्यक्ति फिंगर प्रिंट नहीं दे सकते हैं, इसलिए उनके लिए यूआईडीएआई की ओर से खास व्यवस्था की गई है. ऐसी स्थिति में एक विशेष प्रावधान है और एक फॉर्म भरना होता है, इसके बाद फोटो के आधार पर ही पहचान कर ली जाती है. आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, अगर किसी के उंगली नहीं है या हाथ नहीं है तो उनकी पहचान फोटो के आधार पर की जाएगी.

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साथ ही इन लोगों की फोटो और आंखों की रेटिना के आधार पर पहचान की पुष्टि कर दी जाती है. आप आधार कार्ड सेंटर पर जाकर जानकारी दे सकते हैं और उसके बाद ऑपरेटर उसी के आधार पर आधार कार्ड की प्रक्रिया की जाती है.

फिंगरप्रिंट नहीं आए तो क्या करें?

दरअसल, आधार कार्ड बनवाने के लिए फिंगर प्रिंट की आवश्यकता होती है. मगर ऐसे व्यक्ति फिंगर प्रिंट नहीं दे सकते हैं, इसलिए उनके लिए यूआईडीएआई की ओर से खास व्यवस्था की गई है. ऐसी स्थिति में एक विशेष प्रावधान है और एक फॉर्म भरना होता है, इसके बाद फोटो के आधार पर ही पहचान कर ली जाती है.

क्या उंगलियों के निशान बदलते हैं?

मनुष्य की उंगलियों के निशान कभी नहीं बदलते. मनुष्य के उंगलियों के निशान (fingerprint) उसकी एक प्राकृतिक पहचान होती है. कभी भी दो अलग-अलग आदमी के उंगलियों के निशान एक समान नहीं होते. जुड़वा बच्चों के भी उंगलियों के निशान अलग-अलग होते हैं.

फिंगर अपडेट कैसे होता है?

आप अपने बायोमेट्रिक (www.uidai.gov.in पर उपलब्ध सूची) का अद्यतन करने के लिए निकटतम स्थायी नामांकन केंद्र पर जाएँ कर सकते हैं। हम सुझाव देते हैं कि आप पहचान और पत्राचार पते के लिए प्रमाण साथ ले जाएँ।

हर किसी के उंगलियों के निशान अलग क्यों होते हैं?

गर्भ से ही बनते हैं फिंगरप्रिंट जब इंसान का जन्म भी नहीं होता है तभी से फिंगरप्रिंट बनने लगते हैं। जी हां, मां के गर्भ में ही फिंगरप्रिंट बनने लगते हैं। इन निशानों के बनने के पीछे व्यक्ति के जीन्स और वातावरण जिम्मेदार होते हैं