कमज़ोरी ही है अपनी, पर सच तो यह है कि ज़रा-सी कठिनाई पड़ते; बीसों गरमी, बरसात और वसंत देखने के बाद भी, मेरा मन सदा नहीं तो प्रायः अनमना-सा हो जाता है। मेरे शुभचिंतक मित्र मुँह पर मुझे प्रसन्न करने के लिए आनेवाली छुट्टियों की सूचना देते हैं और पीठ पीछे मुझे कमज़ोर और ज़रा-सी प्रतिकूलता से घबरानेवाला कहकर मेरा मज़ाक उड़ाते हैं। Show Question 1. Answer: (b) दादी माँ-शिवप्रसाद सिंह Question 2. Answer: (c) घर की याद सताने की Question 3. Answer: (d) एक लंबा समय का व्यतीत होना Question 4. Answer: (b) भला सोचने वाले Question 5. Answer: (c) छुट्टियों के बारे में बातें करते थे Question 6. Answer: (a) अनुकूलता (2) दिन में मैं चादर लपेटे सोया था। दादी माँ आईं, शायद नहाकर आई थीं, उसी झागवाले जल में। पतले-दुबले स्नेह-सने शरीर पर सफ़ेद किनारीहीन धोती, सन-से सफ़ेद बालों के सिरों पर सद्यः टपके हुए जल की शीतलता। आते ही उन्होंने सर, पेट छुए। आँचल की गाँठ खोल किसी अदृश्य शक्तिधारी के चबूतरे की मिट्टी मुँह में डाली, माथे पर लगाई। दिन-रात चारपाई के पास बैठी रहतीं, कभी पंखा झलतीं, कभी जलते हुए हाथ-पैर कपड़े से सहलाती, सर पर दालचीनी का लेप करतीं और बीसों बार छू-छूकर ज्वर का अनुमान करतीं। Question 1. Answer: (c) लेखक Question 2. Answer: (c) झाग वाले पानी से Question 3. Answer: (d) दोनों तरह की Question 4. Answer: (a) सन के Question 5. Answer: (c) स्नेह का भाव (3) किशन के विवाह के दिनों की बात है। विवाह के चार-पाँच रोज़ पहले से ही औरतें रात-रातभर गीत गाती हैं। विवाह की रात को Question 1. Answer: (b) लेखक के भाई के Question 2. Answer: (c) रातभर गीत गाती हैं Question 3. Answer: (c) अभिनय करती हैं Question 4. Answer: (d) पुत्र + उत्पत्ति (4) स्नेह और ममता की मूर्ति दादी माँ की एक-एक बात आज कैसी-कैसी मालूम होती है। परिस्थितियों का वात्याचक्र जीवन को सूखे पत्ते-सा कैसा नचाता है, इसे दादी माँ खूब जानती थीं। दादा की मृत्यु के बाद से ही वे बहुत उदास रहतीं। संसार उन्हें धोखे की टट्टी मालूम होता। दादा ने उन्हें स्वयं जो धोखा दिया। वे सदा उन्हें आगे भेजकर अपने पीछे जाने की झूठी बात कहा करते थे। Question 1. Answer: (c) स्नेह-ममता की Question 2. Answer: (d) जीवन में अच्छी और बुरी परिस्थितियाँ आती-जाती रहती हैं Question 3. Answer: (d) दादा जी की मृत्यु हो जाने के कारण Question 4. Answer: (c) दादी से पहले मरकर Question 5. Answer: (c) अपने दादी माँ की मृत्यु पर (5) मझे लगता है जैसे क्वार के दिन आ गए हैं। मेरे गाँव के चारों ओर पानी ही पानी हिलोरें ले रहा है। दर के सिवान से बहकर आए हुए मोथा और साईं की अधगली घासें, घेऊर और बनप्याज की जड़ें तथा नाना प्रकार की बरसाती घासों के बीज, सूरज की गरमी में खौलते हुए पानी में सड़कर एक विचित्र गंध छोड़ रहे हैं। रास्तों में कीचड़ सूख गया है और गाँव के लड़के किनारों पर झागभरे जलाशयों में धमाके से कूद रहे हैं। अपने-अपने मौसम की अपनी-अपनी बातें होती हैं। आषाढ़ में आम और जामुन न मिलें, चिंता नहीं, अगहन में चिउड़ा और गुड़ न मिले दुख नहीं, चैत के दिनों में लाई के साथ गुड़ की पट्टी न मिले, अफ़सोस नहीं, पर क्वार के दिनों में इस गंधपूर्ण झागभरे जल में कूदना न हो तो बड़ा बुरा मालूम होता है। Question 1. Answer: पाठ का नाम- दादी माँ, लेखक का नाम- शिवप्रसाद सिंह। Question 2. Answer: क्वार के दिन आते ही लेखक को लगता था कि गाँव के चारों ओर पानी हिलोरें मार रहा है। नालों में मोथा व साईं की घासें, घेऊर और वनप्याज की जड़ें, सूरज की गरमी से तपते जलाशयों में सड़कर गंध छोड़ रहे हैं। Question 3. Answer: गाँव में क्वार के महीने में तालाबों में भरे पानी में घास सड़ने की अजीब-सी गंध उठती है। इस झागदार पानी में नहाने का आनंद लेते हैं। Question 4. Answer: क्वार के दिनों में सिवान (नाले) में मोथा और साईं की अधगली घासें, घेऊर और बनप्याज की जड़ें व अनेक किस्म की घासों के बीज बहकर आते थे। Question 5. Answer: लेखक को तालाब के झाग भरे पानी में न नहा पाना बुरा लगता था। (6) दिन में मैं चादर लपेटे सोया था। दादी माँ आईं, शायद नहाकर आई थीं, उसी झागवाले जल में। पतले-दुबले स्नेह-सने शरीर पर सफ़ेद किनारीहीन धोती, सन-से सफ़ेद बालों के सिरों पर सद्यः टपके हुए जल की शीतलता। आते ही उन्होंने सर, पेट छुए। आँचल की गाँठ खोल किसी अदृश्य शक्तिधारी के चबूतरे की मिट्टी मुँह में डाली, माथे पर लगाई। दिन-रात चारपाई के पास बैठी रहतीं, कभी पंखा झलतीं, कभी जलते हुए हाथ-पैर कपड़े से सहलाती, सर पर दालचीनी का लेप करतीं और बीसों बार छू-छूकर ज्वर का अनुमान करतीं। Question 1. Answer: लेखक चादर लपेटे सोया था, क्योंकि वह झागवाले पानी में नहाया था और उसे बुखार था, इसलिए वह चादर लपेटे सोया था। Question 2. Answer: लेखक ने दादी माँ की छवि का वर्णन दुबली-पतली रूप में किया है। वह बिना किनारी वाली सफ़ेद धोती पहनती थीं, उनके बाल सफ़ेद हो चुके थे। वह स्नेह एवं ममता की मूर्ति थीं। Question 3. Answer: दादी माँ ने आते ही लेखक का सिर और पैर छुआ। आँचल की गाँठ खोलकर किसी शक्तिधारी चबूतरे की थोड़ी मिट्टी मुँह में डाली और थोड़ी माथे पर लगाई। Question 4. Answer: दादी चारपाई के पास बैठकर कभी पंखा से हवा करती, कभी हाथ-पैर को कपड़े से सहलाती, कभी सिर पर दालचीनी का लेप करती और कभी हाथ से छूकर बुखार का अंदाजा लगाती। Question 5. Answer: जब स्नान कर दादी माँ अपने आँचल में शक्तिधारी चबूतरे की मिट्टी लाई थी, जिसे उन्होंने लेखक के मुँह में डाला और सिर पर लगाया ताकि बीमार लेखक शीघ्र स्वस्थ हो जाए। इससे पता चलता है कि दादी माँ अंधविश्वासी थीं। (7) किशन के विवाह के दिनों की बात है। विवाह के चार-पाँच रोज़ पहले से ही औरतें रात-रातभर गीत गाती हैं। विवाह की रात को अभिनय भी होता है। यह प्रायः एक ही कथा का हुआ करता है, उसमें विवाह से लेकर पुत्रोत्पत्ति तक के सभी दृश्य दिखाए जाते हैं-सभी पार्ट औरतें ही करती हैं। मैं बीमार होने के कारण बारात में न जा सका। मेरा ममेरा भाई राघव दालान में सो रहा था (वह भी बारात जाने के बाद पहुँचा था)। औरतों ने उस पर आपत्ति की। Question 1. Answer: लेखक के बड़े भैया किशन की शादी का उल्लेख है। Question 2. Answer: गाँव में यह प्रथा थी कि विवाह के चार-पाँच दिन पहले से ही औरतें रात-रातभर गीत गाती थी व शादी की रात अभिनय करती थी। यह एक प्रकार की कथा होती थी जिसमें विवाह से पुत्र की प्राप्ति तक दृश्य दिखाए जाते थे। ये सभी अभिनय महिलाओं द्वारा ही संपन्न किए जाते हैं। Question 3. Answer: बाहर दालान में लेखक का ममेरा भाई सो रहा था, क्योंकि वह बारात जाने के बाद पहुंचा। Question 4. Answer: लेखक बीमार होने के कारण व उसका ममेरा भाई देर से आने के कारण बारात में न जा सका। Question 5. Answer: पुत्रोत्पत्ति = पुत्र + उत्पत्ति। (8) दिन काफ़ी चढ़ आया है। पास के लंबे खजूर के पेड़ से उड़कर एक कौआ अपनी घिनौनी काली पाँखें फैलाकर मेरी खिड़की पर बैठ गया। हाथ में अब भी किशन भैया का पत्र काँप रहा है। काली चींटियों-सी कतारें धूमिल हो रही हैं। आँखों पर विश्वास नहीं होता। मन बार-बार अपने से ही पूछ बैठता है-‘क्या सचमुच दादी माँ नहीं रहीं?’ Question 1. Answer: लेखक की खिड़की पर कौआ आकर बैठ जाता था। Question 2. Answer: लेखक को कौए का पंख फैलाकर खिड़की पर बैठना अपशकुन लगता था। Question 3. Answer: लेखक के हाथ में जो पत्र था उसमें दादी की मृत्यु का संदेश था, इसलिए लेखक का हाथ कांप रहा था। Question 4. Answer: लेखक को दादी माँ की मृत्यु पर विश्वास नहीं हो रहा था। Question 5. Answer: ‘पाँख’ शब्द तद्भव है। कहानी से प्रश्न 1.
प्रश्न 2. प्रश्न 3. कहानी से आगे प्रश्न 1. आषाढ़ – यह वर्षा का पहला महीना है जिसका तापमान अधिक होता है और गर्मी अपने चरम पर होती है। आसमान पर काले-काले बादल छा जाते हैं, जिससे खूब वर्षा होती है। गर्मी से राहत मिलती है। माघ – इस महीने में तापमान अत्यंत कम हो जाता है। कड़ाके की सर्दी पड़ती है। कभी-कभी पाला पड़ जाता है। पछुवा हवाएँ सर्दी को और बढ़ा देती हैं। यह सर्दी हड्डियों में समाती हुई प्रतीत होती है। गांव में विवाह की रात औरतें क्या करती हैं?Answer: गाँव में यह प्रथा थी कि विवाह के चार-पाँच दिन पहले से ही औरतें रात-रातभर गीत गाती थी व शादी की रात अभिनय करती थी। यह एक प्रकार की कथा होती थी जिसमें विवाह से पुत्र की प्राप्ति तक दृश्य दिखाए जाते थे। ये सभी अभिनय महिलाओं द्वारा ही संपन्न किए जाते हैं।
विवाह से पहले औरतें क्या करती है?Answer. Answer: रात भर गीत करती थी।
विवाह के चार पांच दिन पहले औरतें क्या करती है?विवाह के चार-पाँच रोज़ पहले से ही औरतें रात-रातभर गीत गाती हैं। विवाह की रात को अभिनय भी होता है। यह प्रायः एक ही कथा का हुआ करता है, उसमें विवाह से लेकर पुत्रोत्पत्ति तक के सभी दृश्य दिखाए जाते हैं - सभी पार्ट औरतें ही करती हैं।
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