ग बालुका स्तूप क्या है इसका निर्माण कैसे होता है? - ga baaluka stoop kya hai isaka nirmaan kaise hota hai?

ग बालुका स्तूप क्या है इसका निर्माण कैसे होता है? - ga baaluka stoop kya hai isaka nirmaan kaise hota hai?

पवन की दिशा से बालुका स्तूप के बनने कि क्रिया को दिखाता चित्र

म्रत वैली राष्ट्रिय उद्यान में बालुका स्तूप

ग बालुका स्तूप क्या है इसका निर्माण कैसे होता है? - ga baaluka stoop kya hai isaka nirmaan kaise hota hai?

ग बालुका स्तूप क्या है इसका निर्माण कैसे होता है? - ga baaluka stoop kya hai isaka nirmaan kaise hota hai?

पवन द्वारा रेत एवं बालू के निक्षेप से निर्मित टीलों को बालुका स्तूप अथवा टिब्बा कहते हैं। भौतिक भूगोल में, एक टिब्बा एक टीला या पहाड़ी है, जिसका निर्माण वायूढ़ प्रक्रियाओं द्वारा होता है। इन स्तूपो के आकार में तथा स्वरुप में बहुत विविधता देखने को मिलती हैं। टिब्बा विभिन्न स्वरूपों और आकारों में निर्मित हो सकता है और यह सब वायु की दिशा और गति पर निर्भर करता है।

बालुका स्तूपो का निर्माण शुष्क तथा अर्धशुष्क भागों के अलावा सागर तटीय भागों, झीलों के रेतीलो तटों पर रेतीले प्रदेशों से होकर प्रवाहित होने वाली सरिताओं के बाढ़ जे क्षेत्रों में, प्लिस्टोसिन हिमानीक्रत क्षेत्रों की सीमा के पास रेतीले भागों में बालुका प्रस्तर वाले कुछ मैदानी भागों में जहां पर बालुका प्रस्तर से रेत अधिक मात्रा में सुलभ हो सके, आदि स्थानों में भी होता हैं। अधिकांश टिब्बे वायु की दिशा की ओर से लम्बे होते हैं क्योंकि इस ओर से हवा रेत को ढकेलती है और रेत को टीले का आकार देती है, तथा वायु की विपरीत दिशा का फलक जिसे "फिसल फलक" कहा जाता है छोटा होता है। टिब्बों के बीच की "घाटी" या गर्त को द्रोण कहा जाता है। एक "टिब्बा क्षेत्र" वह क्षेत्र होता है जिस पर व्यापक रूप से रेत के टिब्बों का निर्माण होता है। एक बडा़ टिब्बा क्षेत्र अर्ग के नाम से जाना जाता है।

बालुका स्तुपो का बनना[संपादित करें]

टिब्बों का निर्माण जलोढ़ प्रक्रियाओं द्वारा भी नदियों, ज्वारनदमुख और समुद्र के रेत के या बजरी के तल पर होता है।

  • रेत कि अधिकता |
  • तीव्र पवन वेग |
  • पवन-मार्ग में अवरोध |

बालुका स्तुपो का वर्गिकरण[संपादित करें]

चाप[संपादित करें]

चापाकार टिब्बे का आकार आमतौर पर लंबाई की तुलना में चौड़ाई में अधिक होता है। टिब्बे का फिसल फलक इसकी अवतल पार्श्व में होता है। इन टिब्बों का निर्माण एक ही दिशा से बहने वाली हवाओं के द्वारा किया जाता है इन्हें बरखान या अनुप्रस्थ टिब्बा भी कहा जाता है।

रेखीय[संपादित करें]

सीधे या थोड़े टेढ़े रेत के टीलों को जिनकी लंबाई, चौड़ाई की तुलना में अधिक होती है उन्हें रैखिक या रेखीय टिब्बा कहते हैं। यह 160 किलोमीटर (99 मील) तक लंबे हो सकते हैं। कुछ रैखिक टिब्बे मिल कर अंग्रेजी के Y (वाई) के सदृश आकार का मिश्रित टिब्बा बनाते हैं। इनका निर्माण अक्सर दो दिशा से आने वाली हवाओं के द्वारा होता है। इन टिब्बों का लंबा अक्ष रेत संचलन की परिणामी दिशा में विस्तारित होता है।

तारा[संपादित करें]

अरीय रूप से सममित, तारे के आकार के टिब्बे पिरामिड सदृश होते हैं, जिनका फिसलफलक इस पिरामिड के केन्द्र से निकलने वाली तीन या इससे अधिक भुजाओं में उपस्थित होता है। यह उन क्षेत्रों में निर्मित होते हैं जहाँ वायु कई दिशाओं से बहती है। यह टिब्बे ऊपर की तरफ बढ़ते हैं। निर्माण जैसलमेर के मोहनगढ व पोखरण में होता है

गुम्बद[संपादित करें]

अंडाकार या गोलाकार दुर्लभ टिब्बे जिनमें आम तौर पर फिसलफलक का अभाव होता है। बालुका स्तूप नेवछा बालुका स्तूप झाड़ियों के चारों और बनते हैं उपनाम सबकाफीज बालुका स्तूप है

परवलय[संपादित करें]

परवलय या यू (U) आकारी टिब्बे वह रेतीले टीले होते हैं, जिनमें एक उत्तल नासिका और दोनो ओर फैली भुजायें होती हैं। इन्हें हेयरपिन टिब्बा भी कहा जाता है और यह अमूमन तटीय रेगिस्तान में पाये जाते हैं।

टिब्बों के अन्य प्रकार[संपादित करें]

  • उप-जलीय टिब्बे
  • प्रस्तरित टिब्बे
  • तटीय टिब्बे

बालुका स्तूप का निर्माण कैसे होता है?

पवन द्वारा रेत एवं बालू के निक्षेप से निर्मित टीलों को बालुका स्तूप अथवा टिब्बा कहते हैं। भौतिक भूगोल में, एक टिब्बा एक टीला या पहाड़ी है, जिसका निर्माण वायूढ़ प्रक्रियाओं द्वारा होता है। इन स्तूपो के आकार में तथा स्वरुप में बहुत विविधता देखने को मिलती हैं।

बालुका स्तूप कौन कौन से हैं?

आकार तथा स्थिति के अनुसार बालुका स्तूप मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं- अनुदैर्ध्य, अनुप्रस्थ तथा परवालयिक स्तूप। सीफ स्तूप (seif dune) और बरखान बालुका स्तूप के ही विशिष्ट रूप हैं

अनुप्रस्थ बालुका स्तूप कैसे होते हैं?

(स) अनुप्रस्थ बालुका स्तूप (Transverse sand dunes) – इनका विस्तार वायु की दिशा के लम्बचत होता है। इनकी आकृति अर्द्धचंद्राकार होती है। जब हवा दीर्घकाल तक एक ही दिशा में चलती रहती है तब इनका निर्माण होता है।

बालुका स्तूप से आप क्या समझते हैं यह भारत में कहां पाए जाते हैं?

बरखान बालुका स्तूप किसे कहते हैं? मरुस्थलीय क्षेत्र में हवाई द्वारा जो अर्धचंद्राकार रेत के टीले बनाए जाते हैं उन्हें बरखान कहा जाता है। ये पवनावर्त्ती/अनुधदेर्य बालुका स्तूप का ही प्रकार है। सर्वाधिक बरखान बालुका स्तूप जोधपुर जिले में पाए जाते हैं