एकी आंदोलन के संस्थापक कौन थे? - ekee aandolan ke sansthaapak kaun the?

Rajasthan History : Eki Aandolan | एकी आन्दोलन – इस भाग में राजस्थान के जनजातीय आन्दोलन Eki Aandolan (एकी आन्दोलन/ भोमट भील आन्दोलन) के बारे में सम्पूर्ण विस्तृत जानकारी मिलेगी |

एकी आन्दोलन –

Table of Contents

  • एकी आन्दोलन –
  • FAQ ( Eki Aandolan ) –
    • Read Also :

  • राजस्थान में मोतीलाल तेजावत के नेतृत्व में शुरू हुआ।
  • एकी आंदोलन विशुद्ध रूप से आदिवासियों के हकों के लिए पहला राजनीतिक संघर्ष था।
  • भीलों को अन्याय और अत्याचार, शोषण व उत्पीड़न से मुक्त करने हेतु संगठित करने के उद्देश्य से श्री मोतीलाल तेजावत ने उन्हें एकता के सूत्र में आबद्ध किया।
  • भीलों में एकता स्थापित करने के इस अभियान को ही एकी आंदोलन कहा जाता है।
  • चूंकि यह आंदोलन भीलक्षेत्र ‘भोमट‘ में चलाया गया था इसलिए इसे भोमट भील आंदोलन भी कहा जाता है।
  • इस आंदोलन का मुख्य आधार भीलों में उपजा असंतोष था
    • जिसके प्रमुख कारण निम्न थे –
      • ‘बराड‘ आदि राजकीय करों की वसूली में भीलों के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार।
      • डाकन प्रथा पर रोक व अन्य सामाजिक सुधारों से भीलों की धार्मिक भावनाएं आहत।
      • बिना भू-राजस्व चुकाए खेती करने व वनोत्पादों को संचित करने के भीलों के परम्परागत अधिकारों पर रोक लगाना।
      • तम्बाकू, अफीम, नमक आदि पर नए कर लगाना।
      • अत्यधिक लाग-बाग व बैठ बेगार प्रथा।
  • श्री तेजावत ने अहिंसक ‘एकी‘ आंदोलन की शुरुआत चित्तौड़गढ़ की राशमी तहसील के मातृकुण्डिया स्थान से की।
  • उन्होंने कोटड़ा, झाड़ोल व मादड़ी जैसे आदिवासी क्षेत्रों में भीलों को संगठित कर अवैध लागबाग व बेगार न देने हेतु प्रोत्साहित किया।
  • तेजावत ने 21 सूत्री मांग पत्र तैयार किया जिसे ‘मेवाड़ पुकार‘ की संज्ञा दी जाती है।
  • उन्होंने इस संबंध में विजयनगर राज्य के नीमडा गाँव में पाल चितरिया में 7 मार्च, 1922 को एक सम्मेलन बुलाया।
  • जिसे सफल होने से रोकने के लिए मेवाड़ भील कोर के सैनिकों ने अंधाधुंध फायरिंग कर व्यापक नरसंहार किया जिसमें 1200 भील मारे गए।
  • श्री तेजावत अज्ञातवास में चले गए।
  • नीमड़ा हत्याकांड एक दूसरा जलियाँवाला हत्याकांड था।

FAQ ( Eki Aandolan ) –

1. एकी आन्दोलन का नेतृत्त्व किसने किया था?

ANS. मोतीलाल तेजावत ने एकी आन्दोलन का नेतृत्त्व किया था |

2. एकी आन्दोलन की शुरुआत कहाँ से हुई ?

ANS. एकी आन्दोलन की शुरुआत चित्तोडगढ की रश्मी तहसील के मातृकुण्डिया स्थान से हुई थी|

3. ‘मेवाड़ पुकार’ क्या है ?

ANS. मोतीलाल तेजावत द्वारा बनाई गई 21 सूत्री मांग पत्र को मेवाड़ की पुकार कहा जाता है |

4. दूसरा जलियांवाला बाग़ हत्याकांड किसे कहा जाता है ?

ANS. निमडा हत्याकांड को ही दूसरा जलियांवाला हत्याकांड कहा जाता है |

5. नीमडा हत्याकांड कब हुआ था ?

ANS. निमडा हत्याकांड 7 मार्च, 1992 को हुआ था |

Read Also :

  • Rajasthan GK Important Questions in Hindi
  • राजस्थान का परिचय
  • स्थिति और विस्तार
  • राजस्थान के संभाग और जिले
  • राजस्थान के भौतिक प्रदेश : उत्तरी पश्चिमी मरुस्थलीय भाग
  • अरावली पर्वतीय प्रदेश
  • पूर्वी मैदानी भाग
  • दक्षिणी-पूर्वी पठारी भाग
  • राजस्थान के प्रमुख बाँध, झीलें और तालाब

Share this:

  • Twitter
  • Facebook

Like this:

Like Loading...

Related

भगत आंदोलन

  • यह आंदोलन मुख्यतः भील जनजाति के किसानों द्वारा शुरू किया गया था।
  • सरजी भगत व गोविन्द गुरु ने मिलकर इसकी शुरुआत की।
  • 1883 AD में गोविन्द गिरी ने सम्प सभा की स्थापना की जिसका पहला अधिवेशन 1903 AD में मानगढ़ की पहाड़ियों पर हुआ।
  • 1913 में आश्विन शुक्ल पूर्णिमा को मानगढ़ की पहाड़ी पर हो रही बैठक को घेर कर मेवाड़ भील कोर ने गोलियां चलाई जिसमे 1500 से अधिक भील मारे गए।
  • मेवाड़ भील कोर का गठन खैरवाड़ा में 1841AD में किया गया था।
  • आज भी इस स्थान पर आश्विन शुक्ल पूर्णिमा को मेला लगता है।

एकी आंदोलन

  • यह आंदोलन भोमट क्षेत्र के भीलो ने किया था अतः इसे भोमट भील आंदोलन भी कहा जाता है।
  • चित्तोड़गढ़ के मातृकुंडिया नामक स्थान से वैशाख शुक्ल पूर्णिमा को इस आंदोलन की शुरुआत हुई थी।
  • मातृकुंडिया को राजस्थान का हरिद्वार भी कहा जाता है।
  • इस आंदोलन के मुख्य नेता 'मोतीलाल तेजावत' थे जो कि मेवाड़ रियासत के झाड़ोल ठिकाने के कामदार थे।
  • झाड़ोल कोटला व गोगुन्दा से शुरू होकर यह आंदोलन डूंगरपुर बांसवाड़ा में फ़ैल गया था।
  • तेजावत द्वारा मेवाड़ महाराणा को दी गई 21 सूत्री मांगों को मेवाड़ की पुकार कहा जाता है।
  • 1922 में नीमडा गांव में एक सभा पर पुलिस ने फायरिंग कर दी जिसे दूसरा जलियावाला हत्याकांड भी कहा जाता है।
  • तेजावत इसके बाद भूमिगत हो गए लेकिन गांधीजी के कहने पर 1928 में ईडर रियासत में पुलिस के सामने समर्पण किया।
  • 1936 में तेजावत को रिहा कर दिया गया।

1917 ई. में भीलों व गरासियों ने मिलकर दमनकारी नीति व बेगार के विरुद्ध महाराणा को पत्र लिखा। इसका कोई परिणाम नहीं निकालता देखकर 1921 में बिजौलिया के किसान आन्दोलन से प्रभावित होकर भीलों ने पुनः महाराणा को शिकायत की। इन सभी अहिंसात्मक प्रयासों को जब कोई परिणाम नहीं निकला तो भोमट के खालसा क्षेत्र के भीलों ने लगाने व बेगार चुकाने से इनकार कर दिया।

1921 ई में मोतीलाल तेजावत ने इस आन्दोलन को नेतृतव प्रदान किया। इस आन्दोलन को जनजातियों में राजनितिक जागरण का प्रतिक माना जाता है। यह आन्दोलन भोमट क्षेत्र के अतिरिक्त सिरोही व गुजरात राज्यों में भी फैला।

  • इस आन्दोलन का कार्यक्षेत्र भोमट था इसलिए इस अन्दोलन को 'भोमट का भील आन्दोलन' भी कहते हैं।
  • इस अहिंसात्मक आन्दोलन का श्रीगणेश फलासियाँ गाँव में हुआ।
  • महात्मा गाँधी की सलाह पर 1929 में तेजावत जी ने आत्मसमर्पण कर दिया।

एकी आंदोलन के जनक कौन है?

सही उत्तर है मोतीलाल तेजावत । मोतीलाल तेजावत ने राजस्थान में ईकी आंदोलन का उद्घाटन किया। मोतीलाल तेजावत को ' आदिवासियों के मसीहा ' के रूप में भी जाना जाता है। ईकी आंदोलन की शुरुआत 1920 में हुई थी ।

एकी आंदोलन की शुरुआत कहाँ से हुई?

गुजरात एवं राजस्थान के सीमांत पर बसा आदिवासी बाहुल्य सिरोही जिला शौर्य व वीरता का प्रतीक रहा है। हमारे जिले के एक छोटे से गांव भूला में अंग्रेजों की ओर से कृषि कार्य पर वसूले जाने वाले लगान के विरोध में 5 मई 1922 को लीलूडी बडली में मोतीलाल तेजावत के नेतृत्व में आदिवासियों ने एकी आंदोलन किया था।

एकी आंदोलन का नारा क्या था?

सही उत्तर है किसानों को भारी राजस्व और अनुचित श्रम से मुक्त करना। 'एकी आंदोलन' का मुख्य उद्देश्य किसानों को भारी राजस्व और अनुचित श्रम से मुक्त करना था

एकी आंदोलन से आप क्या समझते हैं?

एकी आंदोलन विशुद्ध रूप से आदिवासियों के हकों के लिए पहला राजनीतिक संघर्ष था। भीलों को अन्याय और अत्याचार, शोषण व उत्पीड़न से मुक्त करने हेतु संगठित करने के उद्देश्य से श्री मोतीलाल तेजावत ने उन्हें एकता के सूत्र में आबद्ध किया। भीलों में एकता स्थापित करने के इस अभियान को ही एकी आंदोलन कहा जाता है।