बार बार कब्ज बनने का कारण? - baar baar kabj banane ka kaaran?

कब्ज एक सामान्य समस्या है जो सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है। इसका मतलब यह हो सकता है कि आप नियमित रूप से मल पास नहीं कर पा रहे हैं या पूरी तरह से आपका पेट साफ नहीं हो रहा है।

(और पढ़ें - पेट साफ कैसे करे)

आम तौर पर भोजन से बहुत अधिक पानी अवशोषित होने पर कब्ज होती है। कब्ज के कारणों में फिजिकल एक्टिविटी कम होना, कुछ दवाएं और उम्र बढ़ना शामिल हैं।

कब्ज की गंभीरता हर व्यक्ति में भिन्न होती है। बहुत से लोगों को केवल थोड़े समय के लिए कब्ज होती है, लेकिन दूसरों के लिए कब्ज एक दीर्घकालिक (पुरानी) समस्या हो सकती है जो गंभीर दर्द और परेशानी का कारण बनती है और जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करती है। कब्ज होने पर मल त्याग करने के लिए बहुत अधिक जोर लगाने की जरूरत पड़ने के अलावा अन्य लक्षण भी होते हैं, जिनके बारे में आगे बताया गया है। 

पुरानी कब्ज के लिए उपचार अंतर्निहित कारण पर निर्भर करता है। कब्ज के कुछ मामलों में जीवनशैली में बदलाव से राहत मिल सकती है।

कब्ज एक ऐसी स्थिति है, जिसमें मल (विष्ठा) सख्त हो जाता है, मल विसर्जन में मुश्किल होती है या पाचन तंत्र में से बहुत धीरे से निकलता है। यह मल विसर्जन को नियमित रूप से कम कर सकता है और दर्द, भूख न लगना, बवासीर और त्वचा में दरार पड़ना या फटना जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है।

कब्ज, कैंसर और कैंसर के इलाज का एक सामान्य दुष्प्रभाव है। इससे असुविधा पैदा हो सकती है, दैनिक गतिविधियों में बाधा उत्पन्न हो सकती है और जीवन शैली बदल सकती है। कब्ज की गंभीर समस्या से मलाशय में रुकावट महसूस हो सकती है, यह एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें बहुत ज़्यादा सख्त मल आंत या मलाशय में अटक जाता है। सख्त मल के कारण गुदा की त्वचा में या उसके आसपास की त्वचा में दरारें भी पड़ सकती हैं या त्वचा फट सकती है। इस तरह त्वचा फटने को गुदचीर कहा जाता है। कैंसर और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले बच्चों के लिए, त्वचा में इन दरारों से गंभीर संक्रमण हो सकता है।

कब्ज एक ऐसी चीज है, जिसके बारे में बच्चे और विशेषकर किशोर बच्चे शायद बात न करना चाहें। हालांकि, कब्ज की समस्या से निपटने के तरीके हैं। आहार में बदलाव, तरल पदार्थ लेना और शारीरिक रूप से सक्रिय रहने से इसमें मदद मिल सकती है। देखभाल टीम कब्ज की समस्या से निपटने के लिए कुछ दवाइयां लेने की सलाह भी दे सकती है।

जब पाचन तंत्र ठीक से काम न करे और मल त्याग करते समय कठिनाई हो या फिर जोर लगाना पड़े तो उस स्थिति को कब्ज कहते हैं। आयुर्वेद इसे विबंध कहता है। कब्ज की स्थिति में मल सख्त, सूखा और प्राय: दुर्गंधपूर्ण होता है। इसके अलावा मलत्याग करते समय पेट में दर्द होता है।

कारण

- भोजन में पर्याप्त मात्रा में रेशों (फाइबर्स)का सेवन न करना।

- अत्यधिक चिकनाईयुक्त या वसा युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन।

- पानी और तरल पदार्थों का अपर्याप्त मात्रा में सेवन करना।

- नियमित रूप से व्यायाम न करना।

- दर्द निवारक दवाओं का अत्यधिक सेवन करना।

- कई दिनों से रोग से ग्रस्त होना।

- कब्ज की समस्या आंत के रोग से भी उत्पन्न होती है। कब्ज का कारण कुछ भी हो, यदि आप इससे ग्रस्त हैं तो आपके शरीर और मन पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

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शारीरिक प्रभाव

कब्ज के कारण पाचन क्रिया बिगड़ जाती है। इसके अलावा सिरदर्द होना, गैस बनना, पेट में गैस बनना, भूख कम होना, कमजोरी महसूस होना और जी-मिचलाना आदि समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसी तरह चेहरे पर मुंहासे निकलना, काले दाग उत्पन्न होना, शौच के बाद भी ऐसा महसूस होना कि मानो पेट साफ नहीं हुआ हो। पेट में भारीपन महसूस होना और मरोड़ होना। इसके अलावा जीभ का रंग सफेद या मटमैला हो जाना, मुंह से बदबू आना, कमर दर्द होना, मुंह में बारबार छाले होना आदि भी कब्ज के सामान्य शारीरिक लक्षण हैं। शौच के समय अधिक जोर लगाने से हर्निया जैसी गंभीर बीमारी भी हो सकती है।

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मानसिक प्रभाव

कब्ज पीडि़तों में प्राय: आलस्य, नींद न आना या पर्याप्त नींद न लेना। उदासी, बेवजह चिंता होना, निराशा, किसी भी काम में मन न लगना, भूख न लगना आदि लक्षण प्रकट होते हैं। आधुनिक शोध से पता चला है कि सेरोटोनिन नामक हार्मोन हमारे मन को प्रसन्न रखता है। कब्ज के कारण उसके स्राव में कमी आ आती है। परिणामस्वरूप, मन अकारण उदास रहने लगता है। यह समस्या लंबे समय तक बनी रहे तो बार-बार चिंता, तनाव, अवसाद और हाई ब्लड प्रेशर जैसी परेशानियां शुरू हो जाती हैं।

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इलाज

1. संतुलित भोजन लें और उसमें रेशेदार आहार को शामिल करें। फल,सब्जियां, फलियां और कई अनाज रेशेदार आहार के अच्छे स्रोत हैं।

2. रात को सोने से पहले 10 से 12 मुनक्का खाने से कब्ज में राहत मिलती है।

3. किशमिश या अंजीर को कुछ देर तक पानी में गलाने के बाद इसका सेवन करने से भी कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।

कब्ज पाचन तंत्र की उस स्थिति को कहते हैं जिसमें कोई व्यक्ति (या जानवर) का मल बहुत कड़ा हो जाता है तथा मलत्याग में कठिनाई होती है। कब्ज अमाशय की स्वाभाविक परिवर्तन की वह अवस्था है, जिसमें मल निष्कासन की मात्रा कम हो जाती है, मल कड़ा हो जाता है, उसकी आवृति घट जाती है या मल निष्कासन के समय अत्यधिक बल का प्रयोग करना पड़ता है।

सामान्य आवृति और अमाशय की गति व्यक्ति विशेष पर निर्भर करती है। (एक सप्ताह में 7 से 12 बार मल निष्कासन की प्रक्रिया सामान्य मानी जाती है। कब्ज होने से शौच करने में बाधा उत्पन्न होती है, पाचनतंत्र प्रभावित होता है,जिसके कारण शौच करने में बहुत पीड़ा होती होती है ,किसी को केवल गैस की समस्या होती है. किसी को खाने का पाचन ठीक से नहीं हो पाता है। और आजकल कब्ज की समस्याओ से बच्चे और युवा पीढ़ी दोनों परेशान हो चुके है। व्यक्ति दो या तीन दिन तक शौच नहीं  हो पाता है।तो कब्ज की समस्या उत्पन्न हो जाती है।  

पेट में शुष्क मल का जमा होना ही कब्ज है। यदि कब्ज का शीघ्र ही उपचार नहीं किया जाये तो शरीर में अनेक विकार उत्पन्न हो जाते हैं। कब्जियत का मतलब ही प्रतिदिन पेट साफ न होने से है। एक स्वस्थ व्यक्ति को दिन में दो बार यानी सुबह और शाम को तो मल त्याग के लिये जाना ही चाहिये। दो बार नहीं तो कम से कम एक बार तो जाना आवश्यक है। नित्य कम से कम सुबह मल त्याग न कर पाना अस्वस्थता की निशानी है।[1]

  • कम रेशायुक्त भोजन का सेवन करना ; भोजन में फायबर (Fibers) का अभाव।
  • अल्पभोजन ग्रहण करना।
  • शरीर में पानी का कम होना
  • कम चलना या काम करना ; किसी तरह की शारीरिक मेहनत न करना; आलस्य करना; शारीरिक काम के बजाय दिमागी काम ज्यादा करना।
  • कुछ खास दवाओं का सेवन करना
  • बड़ी आंत में घाव या चोट के कारण (यानि बड़ी आंत में कैंसर)
  • थायरॉयड हार्मोन का कम बनना
  • कैल्सियम और पोटैशियम की कम मात्रा
  • मधुमेह के रोगियों में पाचन संबंधी समस्या
  • कंपवाद (पार्किंसन बीमारी)
  • चाय, कॉफी बहुत ज्यादा पीना। धूम्रपान करना व शराब पीना।
  • गरिष्ठ पदार्थों का अर्थात् देर से पचने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन ज्यादा करना।
  • आँत, लिवर और तिल्ली की बीमारी।
  • दु:ख, चिन्ता, डर आदि का होना।
  • सही समय पर भोजन न करना।
  • बदहजमी और मंदाग्नि (पाचक अग्नि का धीमा पड़ना)।
  • भोजन खूब चबा-चबाकर न करना अर्थात् जबरदस्ती भोजन ठूँसना। जल्दबाजी में भोजन करना।
  • बगैर भूख के भोजन करना।
  • ज्यादा उपवास करना।
  • भोजन करते वक्त ध्यान भोजन को चबाने पर न होकर कहीं और होना।
  • सासों की बदबू
  • लेपित जीब
  • बहती नाक
  • भूख में कमी
  • सरदर्द
  • चक्कर आना
  • जी मिचलाना
  • चहरे पर दाने
  • मुँह में अल्सर
  • पेट में लगातार परिपूर्णता
  • रेशायुक्त भोजन का अत्यधित सेवन करना, जैसे साबूत अनाज
  • ताजा फल और सब्जियों का अत्यधिक सेवन करना
  • पर्याप्त मात्रा में पानी पीना
  • ज्यादा व्यायाम करना चाहिए जिससे शरीर में गतिविधिया बढ़ती है। कब्ज के समस्या नहीं होती है।
  • वसा युक्त भोजन का सेवेन कम करे

ज्यादा समस्या आने पर चिकित्सक से सलाह लेना चाहिए।

खाने में ऐसी चीजें ले, जि‍नसे पेट स्‍वयं ही साफ हो जाय।

  • नमक – छोटी हरड और काला नमक समान मात्रा में मि‍लाकर पीस लें। नि‍त्‍य रात को इसकी दो चाय की चम्‍मच गर्म पानी से लेने से दस्‍त साफ आता हैं।
  • ईसबगोल – दो चाय चम्‍मच ईसबगोल 6 घण्‍टे पानी में भि‍गोकर इतनी ही मि‍श्री मि‍लाकर जल से लेने से दस्‍त साफ आता हैं। केवल मि‍श्री और ईसबगोल मि‍ला कर बि‍ना भि‍गोये भी ले सकते हैं।
  • चना – कब्‍ज वालों के लि‍ए चना उपकारी है। इसे भि‍गो के खाना श्रेष्‍ठ है। यदि‍ भीगा हुआ चना न पचे तो चने उबालकर नमक अदरक मि‍लाकर खाना चाहि‍ए। चेने के आटे की रोटी खाने से कब्‍ज दूर होती है। यह पौष्‍ि‍टक भी है। केवल चने के आटे की रोटी अच्‍छी नहीं लगे तो गेहूं और चने मि‍लाकर रोटी बनाकर खाना भी लाभदायक हैं। एक या दो मुटठी चने रात को भि‍गो दें। प्रात: जीरा और सौंठ पीसकर चनों पर डालकर खायें। घण्‍टे भर बाद चने भि‍गोये गये पानी को भी पी लें। इससे कब्‍ज दूर होगी।
  • बेल – पका हुआ बेल का गूदा पानी में मसल कर मि‍लाकर शर्बत बनाकर पीना कब्‍ज के लि‍ए बहुत लाभदायक हैं। यह आँतों का सारा मल बाहर नि‍काल देता है।
  • नीबू – नीम्‍बू का रस गर्म पानी के साथ रात्रि‍ में लेने से दस्‍त खुलकर आता हैं। नीम्‍बू का रस और शक्‍कर प्रत्‍येक 12 ग्राम एक गि‍लास पानी में मि‍लाकर रात को पीने से कुछ ही दि‍नों में पुरानी से पुरानी कब्‍ज दूर हो जाती है।
  • नारंगी – सुबह नाश्‍ते में नारंगी का रस कई दि‍न तक पीते रहने से मल प्राकृति‍क रूप से आने लगता है। यह पाचन शक्‍ति‍ बढ़ाती हैं।
  • मेथी – के पत्‍तों की सब्‍जी खाने से कब्‍ज दूर हो जाती है।
  • गेहूँ के पौधों (गेहूँ के जवारे) का रस लेने से कब्‍ज नहीं रहती है।
  • धनिया – सोते समय आधा चम्‍मच पि‍सी हुई सौंफ की फंकी गर्म पानी से लेने से कब्‍ज दूर होती है।
  • दालचीनी – सोंठ, इलायची जरा सी मि‍ला कर खाते रहने से लाभ होता है।
  • टमाटर कब्‍जी दूर करने के लि‍ए अचूक दवा का काम करता है। अमाश्‍य आँतों में जमा मल पदार्थ नि‍कालने में और अंगों को चेतनता प्रदान करने में बडी मदद करता है। शरीर के अन्‍दरूनी अवयवों को स्‍फूर्ति‍ देता है|

१) इसबगोल की की भूसी कब्ज में परम हितकारी है। दूध या पानी के साथ २-३ चम्मच इसबगोल की भूसी रात को सोते वक्त लेना फ़ायदे मंद है। दस्त खुलासा होने लगता है।यह एक कुदरती रेशा है और आंतों की सक्रियता बढाता है।

२) नींबू कब्ज में गुण्कारी है। मामुली गरम जल में एक नींबू निचोडकर दिन में २-३बार पियें। जरूर लाभ होगा।

नीम्‍बू का रस गर्म पानी के साथ रात्रि‍ में लेने से दस्‍त खुलकर आता हैं। नीम्‍बू का रस और शक्‍कर प्रत्‍येक 12 ग्राम एक गि‍लास पानी में मि‍लाकर रात को पीने से कुछ ही दि‍नों में पुरानी से पुरानी कब्‍ज दूर हो जाती है।

३) एक गिलास दूध में १-२ चाम्मच घी मिलाकर रात को सोते समय पीने से भी कब्ज रोग का समाधान होता है।

४) एक कप गरम जल में १ चम्म्च शहद मिलाकर पीने से कब्ज मिटती है। यह मिश्रण दिन में ३ बार पीना हितकर है।

५) जल्दी सुबह उठकर एक लिटर मामूली गरम पानी पीकर २-३ किलोमीटर घूमने जाएं। कब्ज का बेहतरीन उपचार है।

६) दो सेवफ़ल प्रतिदिन खाने से कब्ज में लाभ होता है।

७) अमरूद और पपीता ये दोनो फ़ल कब्ज रोगी के लिये अमॄत समान है। ये फ़ल दिन में किसी भी समय खाये जा सकते हैं। इन फ़लों में पर्याप्त रेशा होता है और आंतों को शक्ति देते हैं। मल आसानी से विसर्जीत होता है।

८) अंगूर में कब्ज निवारण के गुण हैं। सूखे अंगूर याने किश्मिश पानी में ३ घन्टे गलाकर खाने से आंतों को ताकत मिलती है और दस्त आसानी से आती है। जब तक बाजार में अंगूर मिलें नियमित रूप से उपयोग करते रहें।

९) अलसी के बीज का मिक्सर में पावडर बनालें। एक गिलास पानी में २० ग्राम के करीब यह पावडर डालें और ३-४ घन्टे तक गलने के बाद छानकर यह पानी पी जाएं। बेहद उपकारी ईलाज है। अलसी में प्रचुर ओमेगा फ़ेटी एसिड्स होते हैं जो कब्ज निवारण में महती भूमिका निभाते हैं।

१०) पालक का रस या पालक कच्चा खाने से कब्ज नाश होता है। एक गिलास पालक का रस रोज पीना उत्तम है। पुरानी से पुरानी कब्ज भी इस सरल उपचार से मिट जाती है।

११) अंजीर कब्ज हरण फ़ल है। ३-४ अंजीर फ़ल रात भर पानी में गलावें। सुबह खाएं। आंतों को गतिमान कर कब्ज का निवारण होता है।

१२) बड़ी मुनक्का पेट के लिए बहुत लाभप्रद होती है। मुनका में कब्ज नष्ट करने के तत्व हैं। ७ नग मुनक्का रोजाना रात को सोते वक्त लेने से कब्ज रोग का स्थाई समाधान हो जाता है। एक तरीका ये हैं कि मुनक्का को दूध में उबालें कि दूध आधा रह जाए | गुन गुना दूध सोने के आधे घंटे पाहिले सेवन करें। मुनक्का में पर्याप्त लोह तत्व होता है और दूध में आयरन नहीं होता है इसलिए दूध में मुनक्का डालकर पीया जाय तो आयरन की भी पूर्ती हो जाती है।

पेट में कब्ज होने से कौन सी बीमारी होती है?

कब्ज के कारण पाचन क्रिया बिगड़ जाती है। इसके अलावा सिरदर्द होना, गैस बनना, पेट में गैस बनना, भूख कम होना, कमजोरी महसूस होना और जी-मिचलाना आदि समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसी तरह चेहरे पर मुंहासे निकलना, काले दाग उत्पन्न होना, शौच के बाद भी ऐसा महसूस होना कि मानो पेट साफ नहीं हुआ हो।

बार बार कब्ज होने का क्या कारण है?

प्रमुख कारण कम रेशायुक्त भोजन का सेवन करना ; भोजन में फायबर (Fibers) का अभाव। अल्पभोजन ग्रहण करना। कम चलना या काम करना ; किसी तरह की शारीरिक मेहनत न करना; आलस्य करना; शारीरिक काम के बजाय दिमागी काम ज्यादा करना।

कब्ज के गंभीर लक्षण?

कब्ज के लक्षण (Constipation Symptoms in Hindi).
सांस से बदबू आना.
लगातार नाक बहना.
कुछ समय के अंतराल पर सिर में दर्द होना.
चक्कर आना.
जी मिचलाना.
चेहरे पर मुंहासे निकलना.
पेट में भारीपन महसूस होना.
पाचन खराब होना.

कब्ज को जड़ से खत्म करने के उपाय?

डॉक्टर दीक्षा बताती हैं कि 1 चम्मच मेथी के बीज को रात भर भिगो कर सुबह सबसे पहले खाया जा सकता है। इसके अलावा आप इन बीजों का पाउडर भी बना सकते हैं और सोते समय गर्म पानी के साथ 1 चम्मच इसका सेवन भी स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।