बच्चा मां का दूध क्यों नहीं पी रहा है? - bachcha maan ka doodh kyon nahin pee raha hai?

एक नई माँ बनना एक अद्भुत बात है, लेकिन ज्यादातर लोग मानते हैं कि यह अपेक्षाकृत आसान समय हो सकता है, क्योंकि बच्चा बहुत छोटा है। इसके साथ होने वाली भ्रम और तनाव बहुत मुश्किल हो सकता है। स्तनपान जैसा आसान कार्य, जो बिलकुल सरल लगता है, उसे सही तरह से करना पेचीदा हो सकता है। यहां पर कुछ् उपयोगी सुझाव दिए गए हैं जो यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप और आपका शिशु स्तनपान की इस दुनिया को सहजता से अपना सकें।

1. जितनी जल्दी हो सके अपने शिशु को स्तनपान कराएँ–अगर आप और आपका शिशु ठीक हों , तो जन्म के तुरंत बाद इसे कराना आदर्श है।

2. सही स्थिति में स्तनपान कराने के लिए मदद लें। यदि आपको दर्द हो रहा है तो शायद यह स्थिति निर्धारण की समस्या हो सकती है। शुरुआती कोमलता का अनुभव करना सामान्य है, परंतु यदि आप महसूस कर रही पीड़ा बदतर  हो जाती है, तो यह सामान्य नहीं है। अस्पताल की दाई, या समुदाय की दाई जो आपके घर पर आती है,  वह स्थनपान की स्थिति निर्धारण में सुधार करने में आपकी सहायता कर सकती है, जिससे यह दर्दनाक नहीं होगा।

3. अपने शिशु को आपके करीब रखें। जब आपका शिशु आपसे लिपटा हो, तब त्वचा का त्वचा से संपर्क (जैसे और जब संभव हो), आपके शिशु के लिए सुखदायक हो सकता है और भूख लगने पर उनके द्वारा किए जाने वाले संकेतों को आपको प्रतिक्रिया देने में सहायता होगी।   

4. शुरुआती दिनो में बार-बार दूध पीना सामान्य है क्योकि भूख शिशुओं की एक सक्रिय वृत्ति है।

फ़िलहाल एक दिनचर्या बनाने की कोशिश न करें, बस अपने शिशु की आवश्यकता और प्रतिक्रियाओ के साथ चलें। शुरुआती दिनों मे यह बार-बार हो सकता हैं।

5. हर बार दोनों स्तनों से शिशु को दूध पिलाएं, भले ही आपका शिशु सिर्फ एक से ही पीता हो।

6. स्तनपान ऐसी प्रक्रिया है जिसे आपको और आपके शिशु को एक साथ सीखना होगाऔर इसे सामान्य और प्राकृतिक महसूस करने में थोड़ा समय लग सकता है। शुरुआती दिनों और सप्ताह में जो होता है वह अच्छे में बदलता है, और वक्त बीतने पर आप इसे सबसे आरामदायक चीज़ की तरह महसूस करेंगी|

7. जब आप शिशु को स्तनपान करा रहीं हैं, तो बेहतर होगा कि उसे किसी भी प्रकार के बोतल से दूध पिलाने की आदत न डालें। बोतल और चूसक का उपयोग आपके शिशु के स्तनपान के ‘कौशल’ पर प्रभाव डाल सकता है।

8. यदि आप लंबे समय तक पीड़ा-मुक्त स्तनपान के बाद पीड़ा महसूस कर रही हैं, तो यह आपके निप्पल पर मुखव्रण (फंगल संक्रमण) का परिणाम हो सकता हैं। अपने चिकित्सक से संपर्क करें। यदि यह स्थिति होने पर  आपको और आपके शिशु को चिकित्सा की आवश्यकता पड़ेगी ।

9. बेहतर होगा कि स्तनपान के दौरान आप समय न देखें। सफलता के लिए यह अप्रासंगिक है कि स्तन पर आपका शिशु कितने समय तक है और यह प्राप्त किये जाने वाले दूध की मात्रा को नहीं दर्शाता है। कई शिशु कुछ मिनट में जितना उन्हें चाहिए उतना पी लेते हैं  जबकि अन्य कुछ ज्यादा वक्त लेते हैं। बस अपने शिशु की जरुरतों पर बारिकी से नजर रखे।

10. ज्यादातर शिशु स्तनपान के समय स्वाभाविक रूप से विश्राम लेते हैं जो कि समय में भिन्न होते हैं। लेकिन लंबे स्तनपान (जैसे, नियमित रूप से एक घंटे से अधिक) जो आपके शिशु को खुश रखने में विफल होते हैं और उन्हें बैचैन कर देते है, एक संकेत है कि शायद कुछ सही नहीं हैं। एक बार फिर स्थिति निर्धारण की जांच करें, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आपका शिशु संतोषजनक मात्रा में दूध पी रहा है।

11. अपने स्तन पैड को नियमित रूप से बदलें क्योंकि गंदे स्तन पैड बैक्टीरिया विकसित कर सकते हैं।

12. स्तनपान रोकने के लिए धीरे से शिशु द्वारा बनाई गई सक्शन सील को समाप्त कर अपने शिशु को निप्पल से हटा लें। यह करने के लिए अपनी उंगली को अपने शिशु के मुंह के कोने तक धीरे से सरकाये और कोमलता से उन्हें दूर खींच लें।

13. अपने निप्पल पर थोड़ा दूध निचोड़े और इससे मालिश करें| यदि संभव हो तो अपने नीपल को थोड़ी देर खुली हवा में सूखने दें। यह स्वास्थ्य और सफाई रखने में मदद करेगा।

अगर नवजात शिशु अपनी माँ का दूध नहीं पी रहा है या पीते हुए बीच में ही छोड़ देता है तो यह एक चिंता का विषय हो सकता है। हालाँकि इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं इसलिए अगर आपका बच्चा दूध नहीं पी रहा है तो सबसे पहले इसके पीछे का कारण पता होना चाहिए क्योंकि हो सकता है कि माँ के स्तनों से दूध न निकल रहा हो या शिशु को मुँह में ऐसी कोई समस्या हों जिसके कारण वो दूध पीने में असमर्थ हो। शिशु अपनी भावनाओं को केवल रो कर या मुस्कुरा कर ही व्यक्त कर सकता है। ऐसे में माँ के लिए यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि वह अपने बच्चे के दूध न पीने के कारण का स्वयं पता लगाएं क्योंकि कारण पता चलने के बाद ही उसका उपाय करना आसान होगा। आइयें जानें बच्चे स्तनपान करने से क्यों (Reasons of Babies Refuse to Breastfeed) मना करते हैं और कैसे निपटें।  

अगर बच्चा स्तनपान ना करें तो क्या करें (Reasons of Babies Refuse to Breastfeed in Hindi)

अगर बच्चा स्तनपान ना करें तो सबसे पहले शिशु ऐसा क्यों कर रहा है यह जानने की कोशिश करनी चाहिए। उन कारणों के बारे में जाने जिसके कारण वो दूध पीने में दिलचस्पी न दिखा रहा हो और उसके बाद बच्चे की उस समस्या को दूर करने का उपाय करना चाहिए। यह कारण कुछ इस प्रकार हो सकते हैं।

#1. दूध कम निकलना (Less milk)

माँ के स्तनों से अगर दूध कम मात्रा में आये, तो यह भी शिशु के दूध न पी पाने का एक कारण हो सकता है। दूध के कम प्रवाह से शिशु को दूध पीने में समस्या हो सकती है। इस परेशानी के कारण शिशु दूध पीने में अपनी रूचि खो सकता है। अगर शिशु स्तन को मुँह में डाल कर दूध न पी पा रहा हो या रो रहा हो तो यह इस बात की तरफ संकेत हो सकता है कि माँ के स्तनों से दूध नहीं आ रहा या कम आ रहा है। ऐसे में माँ को अपने स्तनों में दूध की मात्रा को बढ़ाने के लिए उपाय करने चाहिए जिसके लिए वो विशेषज्ञ की सलाह भी ले सकती हैं। इसके साथ ही स्तनों में दूध का अधिक बहाव भी शिशु के दूध न पीने का एक कारण हो सकता है। अगर ऐसा हो तो दूध पिलाते हुए अपनी पोजीशन बदल लें या शिशु को अपने पेट पर लिटाकर दूध पिलायें। इसे भी पढ़ेंः

#2. साँस लेने में समस्या (Breathing problem)

नवजात शिशु कई बार दूध पीते समय सही से सांस नहीं ले पाते और जब वो दूध पीते हैं तो उनका मुँह भी बंद हो जाता है जिसके कारण उन्हें साँस लेने में अधिक समस्या होती है और यह भी उनके दूध न पीने का एक कारण हो सकता है। सर्दी जुकाम के कारण भी बच्चे का नाक बंद हो जाता है और जब वो मुँह से दूध पीता है तो उस को सांस लेने से परेशानी होती है। अगर ऐसा है तो बच्चे को किसी अन्य तरीके से दूध पिलायें जैसे कटोरी और चम्मच से ताकि बच्चे का पेट भर सके।

#3. दर्द (Pain)

अगर शिशु को शरीर में कहीं दर्द हो तो भी वो स्तनपान (Stanpan) नहीं कर पाता। जैसे अगर बच्चे को पेट या कान में दर्द, गैस या अन्य कोई समस्या हो तो शिशु दूध पीने में रूचि नहीं दिखाता और रोता रहता या उसके स्वभाव में चिड़चिड़ापन दिखने को मिलता है। इसके अलावा अगर बच्चे को बुखार या सर्दी-जुकाम हो तब भी शिशु दूध पीना छोड़ सकता है। अगर आपको ऐसा लगे कि बच्चा दर्द में है तो डॉक्टर से सलाह लें और उपचार कराएं। स्वस्थ होने पर बच्चा अवश्य दूध पियेगा।

#4. मुँह से जुड़ी समस्या (Problems with mouth)

अगर शिशु स्तन को मुँह ही नहीं लगा रहा और रो रहा हो तो हो सकता है कि शिशु के मुँह में कोई समस्या हो जैसे मुँह में छाले या किसी तरह का इन्फेक्शन। ऐसे में शिशु को जबरदस्ती दूध पिलाने की कोशिश न करें बल्कि उसका उपचार कराएं। इसे भी पढ़ेंः

#5. एलर्जी (Allergy)

शिशु बोल न पाने के कारण अपनी भावनाओं को केवल रो कर व्यक्त करते हैं। अगर बच्चा दूध न पी रहा हो तो उसका यह अर्थ भी हो सकता है कि उसे दूध से एलर्जी हो। हालाँकि इसकी संभावना बहुत कम होती है या ऐसा तब हो सकता हो जब माँ ने कुछ ऐसा खाया हो जिससे शिशु को एलर्जी हो क्योंकि जो माँ खाती है, वही उसके दूध के माध्यम से शिशु ग्रहण करता है। इसके लिए आप केवल यही उपाय कर सकती हैं कि अपने खान-पान का ध्यान रखें। ऐसे खाद्य पदार्थों से दूर रहें जो आपके शिशु की परेशानी की वजह बने।

#6. स्तनपान कराने का तरीका (Way of Breastfeeding)

कई बार शिशु को माँ के स्तनपान (Stanpaan) कराने के तरीका पसंद नहीं आता जिसके कारण वो दूध नहीं पीता। शिशु को दूध पिलाते समय माँ को अपनी पोजीशन और जिस जगह वो दूध पिलाती है, उसका खास ध्यान रखना चाहिए। माँ को ऐसी पोजीशन में दूध पिलाना चाहिए जिसमें शिशु बेहद आरामदायक महसूस करे और अच्छे से दूध पी सके। इसके साथ ही स्थान ऐसा होना चाहिए जहां न तो अधिक शोर हो न ही रोशनी। शोर और रोशनी दोनों चीज़ें शिशु का ध्यान भटका सकती है जिसके कारण शिशु की दूध पीने में दिलचस्पी कम हो सकती है।

#7. दांत निकलना (Teething)

जब बच्चों के दाँत निकलता हैं तो शिशु को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे दस्त, बुखार, दर्द आदि। इस दौरान भी शिशु दूध पीना छोड़ देते हैं क्योंकि निकल रहे दांत दूध पीते समय शिशु को चुभते हैं जिससे शिशु को दूध पीने में समस्या होती है। हालाँकि यह अस्थायी समस्या है लेकिन आप चाहे तो शिशु को गिलास या चम्मच-कटोरी से दूध पिलाने की कोशिश करें या आप उसे कोई अन्य आहार भी दे सकती हैं।   इसके अलावा अन्य कुछ कारण (Reasons of Babies Refues to Breastfeed) भी हो सकते हैं जिसके कारण शिशु को दूध पीने में दिलचस्पी नहीं रहती जैसे किशिशु को भूख न होना या दूध से बदबू आना आदि। सबसे पहले कारण का पता लगाएँ और अगर आप किसी निष्कर्ष पर न पहुंचे या आपका हर प्रयास असफल हो रहा हो तो किसी डॉक्टर या विशेषज्ञ की सलाह ले लें। इसे भी पढ़ेंः ध्यान रखेंः माँ के दूध का शिशु के लिए क्या महत्व है इसके बारे में सभी जानते है। माँ के दूध की अहमियत के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए आजकल सरकार भी कई अभियान चला रही है ताकि कोई भी शिशु अपने माँ के दूध से वंचित न रह जाए। यही नहीं माँ के दूध की तुलना अमृत से की जाती है क्योंकि यह बच्चों को कई बीमारियों से बचाने में मदद करता है। छह माह तक को शिशु को मां के दूध के अलावा कुछ अन्य नहीं देना चाहिए। क्या आप एक माँ के रूप में अन्य माताओं से शब्दों या तस्वीरों के माध्यम से अपने अनुभव बांटना चाहती हैं? अगर हाँ, तो माताओं के संयुक्त संगठन का हिस्सा बने। यहाँ क्लिक करें और हम आपसे संपर्क करेंगे।

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बच्चा मां का दूध न पिए तो क्या करें?

स्तनों को हाथ से दबाकर हल्का छोड़ने का प्रयास करें, ताकि यह थोड़ा नियंत्रित होकर बच्चे के मुंह में जाए। कम आपूर्ति: दूध की कमी से भी बच्चा अपनी भूख शांत नहीं कर पाता और चिड़चिड़ा होकर स्तनपान करने को मना कर देता है। यह देखते रहें कि दूध बच्चे के मुंह में जा रहा है या नहीं। यदि नहीं तो स्तन को दबाकर प्रयास करें

बच्चा मां का दूध क्यों नहीं पीना चाहता है?

बच्चे का अचानक से दूध पीना बंद करने के पीछे मां के स्तनों में दूध की कमी हो सकता है। यानि कि जब मां के स्तनों में दूध कम हो जाता है तो उस स्थिति में बच्चे को ज्यादा एनर्जी लगानी पड़ती है। जिसके चलते वह दूध पीना अचानक से छोड़ देते हैं और फिर भूख की वजह से रोते हैं। ऐसी स्थिति में आप बच्चे को बोतल का दूध पिला सकती हैं।

मां का दूध क्यों सूख जाता है?

​अपर्याप्त ग्रंथि संबंधी ऊतक यानी ग्रैंड्युलर टिश्यू यह समस्या ज्यादातर पहली बार माँ बनने वाली महिलाओं के साथ होती है। इस स्थिति में, दूध नलिकाएं ठीक से नहीं बनती हैं, जिससे दूध की आपूर्ति बाधित होती है। दूसरी और तीसरी गर्भावस्था के दौरान स्थिति ठीक हो जाती है।

बच्चे को मां का दूध ना मिलने पर किसका दूध दिया जाता है?

पिला सकते हैं बकरी का दूध शिशु को 6 महीने तक मां का दूध ही पिलाया जाता है और इसके बाद शिशु को गाय या भैंस का दूध दिया जाता है. इसके अलावा अन्‍य पशुओं का दूध बच्‍चों का कम ही पिलाया जाता है जबकि ऐसा नहीं है कि उनमें पोषण की मात्रा कम होती है.