वन के मार्ग में जल्दी कौन थक गया था? - van ke maarg mein jaldee kaun thak gaya tha?

         इस पोस्ट के माध्यम से हम वसंत भाग-1 के कक्षा-6  का पाठ-16 (NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant Bhag 1 Chapter 16) के वन के मार्ग में पाठ का प्रश्न-उत्तर (Van Ke Marg Me Class 6 Question Answer) के बारे में  जाने जो की तुलसीदास (Tulsidas ) द्वारा लिखित हैं । उम्मीद करती हूँ कि आपको हमारा यह पोस्ट पसंद आया होगा। पोस्ट अच्छा लगा तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूले। किसी भी तरह का प्रश्न हो तो आप हमसे कमेन्ट बॉक्स में पूछ सकतें हैं। साथ ही हमारे Blogs को Follow करे जिससे आपको हमारे हर नए पोस्ट कि Notification मिलते रहे।

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वन के मार्ग में


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पुर तें निकसी रघुबीर-बधू,धरि धीर दये मग में डग द्वै।
झलकीं भरि भाल कनी जल की,पुट सूखि गये मधुराधर वै।।
फिरि बूझति हैं-”चलनो अब केतिक,पर्णकुटी करिहौ कित है?”
तिय की लखि आतुरता पिय की, अँखिया अति चारू चलीं जल च्वै।।

वन के मार्ग में जल्दी कौन थक गया था? - van ke maarg mein jaldee kaun thak gaya tha?
वन के मार्ग मेंव्याख्या - प्रस्तुत सवैया में तुलसीदास ने कहा है कि राम के वनवास के समय ,नगर के निकलते ही सीता जी कुछ दूर चलने में थक गयी।उनके माथे पर पसीना बहने लगा और ओंठ पानी न मिलने के कारण सूख गए।वे अपनी पति श्री रामचंद से पूछती है कि अभी कितनी दूर चलना है और पर्णकुटी कहाँ बनायेंगे। पत्नी सीता की आतुरता एवं दुःख देखकर श्रीराम की आँखों में आंसू आ जाते हैं। 



जल कों गए लक्खनु, हैं लरिका,परिखौ, पिय! छाँह घरीक ह्वै ठाढ़े।
पोंछि पसेउ बयारि करौं , अरु पांय पखारिहौं भूभुरि-डाढ़े।
तुलसी रघुबीर प्रिया-श्रम जानि कै ,बैठि बिलंब लौं कंटक काढ़े। 
जानकी नाहकौ नेहु लख्यौ,पुलकौ तनु, बारि बिलोचन बाढ़े।

व्याख्या -  प्रस्तुत सवैया में तुलसीदास जी कहते हैं कि लक्ष्मण जी पानी की खोज में गए हैं। तब सीता जी अपने पति से कहती है कि जब तक लक्ष्मण जी पानी लेकर आते हैं।तब तक आप वृक्ष की छाया में आराम कर लीजियेगा। श्रीराम सीता जी के कहने पर वृक्ष की छाया में कुछ देर के लिए विश्राम करने लगते हैं। इसी बीच वे सीता जी के पैसे में काँटा गडा हुआ देखते हैं ,जिसे वे अपने हाथों से निकालना शुरू कर देते हैं ,जिसे देखकर सीता जी बहुत प्रसन्न हो जाती है। 



वन के मार्ग में प्रश्न उत्तर 


प्र.१. नगर से बाहर निकलकर दो पग चलने के बाद सीता की क्या दशा हुई ?

उ. नगर से बाहर निकलकर दो पग चलने के बाद सीता जी बहुत थक गयी। उनके माथे से श्रम के कारण पसीना बहने लगा और प्यास के कारण ओंठ सूख गए। 


प्र.२. "अब और कितनी दूर चलना है ,पर्णकुटी कहाँ बनाइएगा "- किसने किससे पूछा और क्यों ?

उ. अब और कितनी दूर चलना ,पर्णकुटी कहाँ बनाइएगा - आदि प्रश्न सीता जी ने अपने पति श्रीराम से पूछा ,क्योंकि अत्यधिक परिश्रम के कारण वे थक गयी थी। 


प्र.३. राम ने थकी हुई सीता की क्या सहायता की ?

उ. राम ने सीता जी के साथ वृक्ष के नीचे विश्राम किया।सीता जी के पैरों में गड़े हुए काटों को अपने हाथों से निकाला ,जिससे उनकी थकान कम हो जाए। उनकी प्यास बुझाने के लिए लक्ष्मण से पानी मंगवाया। 


प्र.४. दोनों सवैयों के प्रसंगों में अंतर स्पष्ट करो।  

उ. दोनों सवैयों में विषम को लेकर अंतर है। पहले सवैये में श्रीराम जी के सीता ,लक्ष्मण वन गमन के लिए जाते हैं। सीता जी बहुत थक गयी है।वे वृक्ष के नीचे विश्राम करती है।वे व्याकुल होकर पूछती है कि अभी और कितनी दूर चलना और पर्णकुटी कहाँ बनायीं जायेगी। राम जी सीता जी के पैरों के काटें निकालते हैं। सीता जी के दुःख को देखकर उनकी आँखें भर आती है। दोनों ही सवैये में पति - पत्नी प्रेम को दर्शाया गया है। 


प्र.५. पाठ के आधार पर वन के मार्ग का वर्णन अपने शब्दों में करो। 

उ. वन का मार्ग वैसे ही कठिन होता है। विश्राम की जगह नहीं होती है।पर्णकुटी बनाकर रहना पड़ता है। जंगली जानवरों का खतरा अलग से होते हैं।मार्ग में कांटे होते हैं ,जो पैरों में चुभ जाते हैं। अतः वन का जीवन कठिन होता है ,जिसमें मनुष्य को रहने के लायक बनाने में बहुत परिश्रम करना पड़ता है। 

यह पंक्तियाँ तुलसीदास द्वारा रचित ग्रंथ से लिए गए हैं| जब राम को चौदह वर्षों का वनवास मिला तब राम, लक्ष्मण और सीता जी को जंगल की और निकलना पड़ा|

कवि कहते हैं राम की पत्नी सीताजी नगर से वन के मार्ग में बहुत धैर्य धारण करके निकली। वन के मार्ग में अभी वह केवल दो कदम ही चली थीं कि उनके माथे पर पसीने की बूंदें झलकने लगीं। उनके मधुर होंठ भी सूख गए। उसके बाद उन्होंने श्री राम से पूछा कि अभी कितनी दूर और चलना है? आप पत्तों वाली कुटिया कहाँ बनाएँगे?पत्नी सीता जी की यह व्याकुलता देखकर श्रीराम की सुन्दर आँखों से आँसू बहने लगे|


सीताजी श्री राम से कहती हैं कि जल लाने गए लक्ष्मण तो बालक ही हैं, उन्हें समय लग जाएगा। उनके आने तक आप छाया में कुछ देर खड़े होकर उनकी प्रतीक्षा कर लीजिए। मैं आपके पसीने को पोंछकर हवा कर देती हूँ। मैं आपके गरम रेत से तपे हुए चरणों को भी धो देती हूँ। तुलसीदास जी कहते हैं कि अपनी पत्नी के ऐसे वचनों को सुनकर और सीताजी की व्याकुलता देखकर श्री रामचंद्र बैठकर बहुत देर तक उनके पाँवों से गड़े काँटों को निकालते रहे। राम के इस प्रेम को देखकर

वन के मार्ग में कौन जल्दी थक गया *?

सीता वन के मार्ग पर थोड़ी दूर चलने से ही थक गईं।

वन के मागग में पाठ के कवि कौन हैं?

Answer: 'वन के मार्ग में' पाठ के कवि तुलसीदास जी है।

कविता वन के मार्ग में राम ने थकी हुई सीता की क्या सहायता की?

प्रश्न 16-3: राम ने थकी हुई सीता की क्या सहायता की? उत्तर 16-3: राम ने थकी हुई सीता को देखकर लक्ष्मण को जल लेने के लिए भेज दिया और स्वयं पेड़ के नीचे बैठकर अपने पैरों की धूल को साफ करने लगे तथा पैरों के कॉंटे धीरे-धीरे निकालने लगे जिससे सीता कुछ देर और विश्राम कर सकें।

वन के मार्ग में कुछ कदम चलते ही सीता की क्या दशा हुई?

उत्तर: वन के मार्ग में चलते हुए सीता थोड़ी ही देर में थक गई थी और उनके माथे पर से पसीना बहने लगा और होंठ भी सूख गए । वन के मार्ग में चलतेचलते उनके कोमल पैरों में काँटें चुभने लगे थे । 12 .