अंधे की लाठी मुहावरे का अर्थ andhe kee laathee muhaavare ka arth – एकमात्र सहारा होना । दोस्तो इस संसार मे न जाने केसे केसे लोग रहते है । उनमे से ही अनेक लोगो का एक ही सहारा होता है यानि उनका इस दुनिया मे एक ही व्यक्ति है वह बेटा बेटी पत्नी कोई भी हो सकता है । जब भी उससे कोई कहता की इसे अपने साथ क्यो रखते हो कोई काम करने के लिए भेज दो । तब वह कहता है की अगर इसे कुछ हो गया तो मेरा क्या होगा यह तो मेरा एकमात्र जीने
का सहारा है इसे ही अंधे की लाठी कहते है । यानि एकमात्र सहारा होना ही अंधे की लाठी का सही अर्थ है। कुछ समय पहले की बात है एक गाव मे रामानन्द नाम का एक आदमी रहता था । उसके घर मे उसके अलावा उसके दो बेटे और रहते थे । जिनमे से बडा बेटा पडा लिखा था और नोकरी की तैयारी कर रहा था पर छोटा बेटा अभी भी पढाई कर रहा था । बडे बेटे की पढाई को देखकर रामानन्द को लग रहा था की यह नोकरी तो अवश्य ही लग जाएगा । क्योकी वह दिन व रात बस पढता ही रहता था यहा तक की खाना भी समय पर नही खाता । जब
उसके पिता उसे खाना खाने के लिए कह देते थे तो वह खाना खा लिया करात था और जिस दिन उसके पिता घर मे नही होते तो वह पुरे दिन खाना नही खाता । इस तरह की तैयारी को देखकर रामानन्द ने अपने बडे बेटे से कहा की बेटा तुम किस नोकरी की तैयारी कर रहे हो तो वह कहने लगा की पिताजी मै तो फोजी बनुगा और देश की सेवा करुगा । तब रामानन्द ने कहा की तो इस बार जो नोकरी आएगी तुम ऐसा करना की मेरे से पैसे लेजाना और वह फोर्म अवश्य ही भरवा देना । अपने पिता की बात सुनकर उसने कहा की ठिक है पिताजी । जब वह नोकरी लग गया तो उसके पिता बहुत खुश हो गए और गाव मे जाकर सभी को मिठाई बाटकर आने लगा । जब गाव के लोगो को पता चला की रामनन्द का बेटा फोजी बन गया है । तब सभी गाव के लोग बहुत खुश हो गए और कहने लगे की अच्छा ही है । इससे हमारे गाव का नाम भी होगा की उस गाव के लडके ने दुश्मनो को मार भगाया है । कुछ ही दिनो के बादमे वह नोकरी करने के लिए चला गया । अपने बडे भाई को नोकरी करते देखकर रामानन्द का छोटा बेटा भी फोज की तैयारी करने लग गया था। छोटा बेटा भी 12 पास कर लिया था जिसके कारण वह आगे और न पढ कर नोकरी की तैयारी करने लग गया । गाव के लोग भी उसकी इस हिम्मत पर भरोसा करते थे और कहते की जिस तरह से रामानन्द का बडा बेटा नोकरी लग गया है इसी तरह से उसका छोटा बेटा भी नोकरी लग जाएगा । उसके पिता भी बहुत खुश थे की उसका बेटा भी नोकरी कि तैयारी करने मे लगा है । धिरे धिरे रामनन्द की उर्म बड रही थी और एक साल के बाद मे कुछ फोजी रामानन्द के घर मे एक बडा सा बक्सा लेकर आए थे जब गाव के लोगो को पता चला की रामानन्द के घर मे फोजी आए है तो गाव के लोग भी रामानन्द के घर गए । और वहा जाने पर उन्हे पता चला की रामानन्द का बडा बेटा जो फोजी बना था वह देश के लिए सहीद हो गया था । इस कारण सभी फोजी व गाव के लोग उसका अंतिम संसकार करते समय उसे सलूट किया। किसी तरह से रामानन्द ने अपने आप को सम्भाल लिया था । और सोचने लगा की मेरा एक बेटा देश के लिए अपना बलिदान दे दिया है तो क्या मेरा दुसरा बेटा तो मेरे पास ही है । समय बितता गया और 6 माह के बाद मे रामनन्द का छोटा बेटा अपनी तैयारी वापस सुरु कर दी। वह अभी भी देश की हिफाजत करने के लिए फोजी बनना चहाता था। जब अपने पिता के पास आकर उसने फोम भराने के लिए पैसे मागे तो रामानन्द कहने लगा की नही बेटा अब तु ही मेरी अंधे की लाठी है तुम्हे मै फोज मे नही भेज सकता । अपने पिता की बात सुनकर उसने अपने सपनो को मार दिया । अब जब भी रामानन्द से कोई मिलता तो वह कहते की आपका छोटा बेटा भी तो तैयारी कर रहा था वह अभी तक नोकरी नही लगा क्या । तब रामानन्द कहता की अब इस दुनिया मे इस अंधे की लाठी वही तो है उसे मै फोज मे कैसे भेज सकता हूं । इस तरह से आप इस काहानी का अर्थ समझ गए होगे । अंधे की लाठी मुहावरे पर निबंधसाथियो आज के समय मे हर किसी को जिने के लिए कोई न कोई वजह तो चाहिए होती है और जब उनकी उर्म होने लग जाए तो उनकी अंधे की लाठी भी बनने वाला चाहिए होता है जो उसकी बुडापे मे सेवा कर सके । कुछ लोगो की तो सेवा करने वाले अनेक होते है पर कुछ लोग ऐसे ही होते है जिनका इस दुनया मे कोई भी नही है उनका तो केवल एक ही सहारा है ।
जो उनका बेटा बेटी व भाई आदी मे से कोई भी हो सकता है । वे चहाते है की इनको कुछ भी न हो इस कारण ऐसे लोग उन्हे अपने से दुर नही जाने देते है । और वे भी सोचते है की हम ही हमारे पिता का ऐकमात्र सहारा है अगर हमे कुछ हो गया तो यह हमारे बिना अकेले नही जी पाएगे । इस कारण वे भी अपनो के पास रहेते है और उनकी सेवा करते है। इस तरहे से वे अपने पिता व माता या अन्य किसी का एक मात्रसहारा बने रहेते है और उनकी सेवा करते है इसे ही अंधे की लाठी होना कहते है । जिसका सिधा सा अर्थ यह है की अपने जिवन मे एक ही ऐसा है जो हमारा है उसके अलावा और हमारा कोई भी नही है । अगर वह न हो तो हम इस दुनिया मे रह नही सकते है । वह ही हमारा एकमात्र सहारा है । इस तरह से आप समझ गए होगे की इस मुहावरे का सही अर्थ क्या है ।
Mohammad Javed Khanमेरा नाम मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं। अंधे की लाठी मुहावरे का क्या अर्थ होगा?अंधे की लाठी मुहावरे का अर्थ andhe kee laathee muhaavare ka arth – एकमात्र सहारा होना ।
अंधे की लाठी वाक्यों में प्रयोग?अंधे की लाठी मुहावरे का अर्थ - एकमात्र सहारा, एकमात्र उम्मीद। वाक्य प्रयोग: सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारी को मिलने वाली पेंशन ही अंधे की लाठी है । वाक्य प्रयोग: बड़े भाई की अचानक मृत्यु के बाद अब तो मदन ही अपने वृद्ध माता-पिता की अंधे की लाठी है।
अक्ल का दुश्मन का वाक्य क्या होगा?मेरे इतना समझाने पर भी उस अक्ल के दुश्मन ने फिर गाड़ी तेज चलायी। मैं तो शीला को अकल्मन्द मानती थी, लेकिन वह तो अक्ल की दुश्मन निकली। उन अक्ल के दुश्मनों को कौन समझाए। तुम उसे कितना भी समझाओ, वह समझने वाला नहीं वह अक्ल का दुश्मन जो है।
बुढ़ापे की लाठी होना मुहावरे का अर्थ क्या है?अर्थ — एकमात्र सहारा होना। वाक्य प्रयोग — राजाराम ने अपने बेटे मोहन को बड़े जतन से पाल-पोस कर बड़ा किया था कि वह बड़ा होकर उसके बुढ़ापे की लाठी बनेगा, लेकिन मोहन अपनी शादी होते ही अलग होकर अपने पिता को छोड़कर अपनी पिता के साथ चला गया।
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