‘डर! मैं अन्दर ही अन्दर कांप रहा था, रिचर्ड पर अगर ज़ाहिर कर देता तो तुम, पायलट और दूसरे सब लोग घबरा जाते। ’ ये पढ़कर आपको पता चलेगा की साहस क्या होता है, अपने डर को चेहरे पर ना आने देना ही साहस है, ये साहस था दक्षिण अफ्रीका के ‘मदीबा’ और दुनिया के लिए Nelson Mandela के अंदर और ऊपर लिखी पंक्ति उन्होंने टाइम मैगज़ीन के एडिटर रिचर्ड स्टेंगल से कही थी, इसके पहले जिस प्लेन से दोनों सफर कर रहे थे उस जहाज के पंखे पर लगे प्रोपेलर ने काम करना बंद कर दिया था। जिसका जिक्र उन्होंने ‘लॉन्ग वॉक टू फ्रीडम’ में किया है। Show आज आप पढ़ेंगे नेल्सन मंडेला के बारे और साथ ही जानेंगे रंगभेद का उनके जीवन में क्या प्रभाव रहा? आर्टिकल में काम की बातें-
Nelson Mandela का जीवनएक कैदी से राष्ट्रपति बनने और फिर दुनिया के महानतम शख्सियत में शुमार होने वाले दक्षिण अफ्रीका के सबसे सम्मानित हस्ती की कहानी भी किसी फिल्म से कम नहीं है। साउथ अफ्रीका में ऑरेंज फॉर्म के लिए बच्चे जब सुबह अपने कदम निकालते हैं तो उन्हें पता होता है कि वो किस महान शख्सियत के पदचिन्हों में चलने वाले हैं। नेल्सन मंडेला ने अपने आजादी की कुर्बानी देकर उनको आजादी दिलाई। इन्हें इनका देश वापस दिलवाया।
नेल्सन मंडेला को दक्षिण अफ्रीका के लोग प्यार से ‘मदीबा’ कहकर बुलाते हैं, क्योंकि नेल्सन का ताल्लुक उस खतरनाक ‘मदीबा’ जनजाति से था जो 300 सालों से अपने राजा को ब्रिटिश, जुलो और दक्षिण अफ्रीकी हमलों से बचाती रही। https://www.opennaukri.com/black-lives-matter-a-fight-for-equal-rights/ मंडेला जब छोटे थे तभी उनके पिता की गरीबी और बीमारी से मौत हो गई थी। मासूम मंडेला को उनकी मां नोसकेनी ने अपने पति की ख्वाइश के मुताबिक़ एक शाही कबीले में पहुंचा दिया था, यही वो जगह थी जहां मदीबा ने कबीलाई पंचायत में भाग लेना शुरू किया था, और लीडरशिप की पहली सीढ़ी भी उनहोंने यही चढ़ी थी , काले रंग का होने का क्या मतलब होता है मंडेला को पहली बार इसी जगह पता चला था। Nelson Mandela के अंदर एक क्रांतिकारी का जन्म हो चुका था। नेल्सन मंडेला जिस कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे उसे सिर्फ अश्वेतों के लिए बनाया गया था। कॉलेज के दिनों में ही सरकार की आलोचना करने के कारण मंडेला को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। मां को जब भनक लगी कि बेटा क्रांति की राह पर है तो उन्होंने उसकी शादी फिक्स कर दी थी। शादी की बात से नाराज मंडेला घर से भागकर जोहानसबर्ग पहुंच गए थे। लंबे भटकाव के बाद सबसे पहले सोने की खदान में चौकीदारी की नौकरी करने लगे थे।
Nelson Mandela के जीवन का टर्निंग पॉइंटनेल्सन मंडेला की ऑटोबायोग्राफी ‘लॉन्ग वॉक टू फ्रीडम’ पढ़िए तो पता चलता है कि मंडेला के पिता का फेफड़े के कैंसर से निधन हो गया था, यही घटना उनके जीवन की टर्निंग पॉइंट बनकर आती है।
12 जून और Nelson Mandela के जीवन का कनेक्शन-12 जून 1964 को आखिर ऐसा क्या हुआ था कि ये तारीख नेल्सन मंडेला के जीवन में छाप छोड़ गई? नेल्सन मंडेला फाउंडेशन की वेबसाइट के अनुसार 12 जून साल 1964 को ही नेल्सन मंडेला के साथ 7 अन्य लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। Nelson Mandela पर हिंसक गतिविधि का आरोप लगाया गया था।
https://www.opennaukri.com/history-of-blacks-in-the-us/ आत्मकथा-नेल्सन मंडेला 1962 से 90 तक जेल में थे, इस दौरान उन्होंने गुप्त तरीके से आत्मकथा भी लिख डाली थी।
जेल से रिहाई और पहले अश्वेत राष्ट्रपति –तारीख थी 11 फ़रवरी और साल था 1990, कारावास में 27 साल गुजारने के बाद रिहाई हुई विश्व के सबसे बड़े क्रांतिकारी नेल्सन मंडेला की, जिन्हें दक्षिण अफ्रीका में राष्ट्रपिता के रूप में लोग बहुत प्यार करते हैं।
तारीख आई 10 मई 1994 दक्षिण अफ्रीका अपने लिए एक नया इतिहास बनाने जा रहा था, इसी दिन नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति चुने गए थे। सम्मान-नेल्सन मंडेला फाउंडेशन की वेबसाइट के अनुसार- नेल्सन मंडेला ने रंगभेद के खिलाफ पुरजोर तरीके से लड़ाई लड़ी थी, जिसके लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने नवंबर 2009 में 18 जुलाई को ‘मंडेला दिवस’ घोषित किया था।
मृत्यु-नेल्सन मंडेला ने 95 साल की उम्र में 5 दिसंबर 2013 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया, और अपने पीछे छोड़ गए जीवन का सार कि – ‘जब तक काम ना किया जाए तो असंभव ही लगता है’। नेल्सन ने बता दिया कि मंडेला कभी मर नहीं सकते वो हमेशा लोगों के दिलों में ‘मदीबा’ बनकर जिंदा रहेंगे। सारांश-नेल्सन मंडेला ने कहा था कि ‘शिक्षा सबसे बड़ा हथियार है, जिसका इस्तेमाल दुनिया को बदलने के लिए किया जा सकता है’। इसी शिक्षा के कारण ही नेल्सन मंडेला दुनिया के लिए एक प्रतिबिंब छोड़कर गए हैं। इसी के साथ ये बताकर गए हैं कि – ‘बड़े गर्व की बात कभी न गिरने में नहीं है बल्कि हर बार गिर कर उठने में है’ इसलिए ही इस विश्व के इतिहास में एक महात्मा गांधी और एक ही नेल्सन मंडेला हुए हैं, इतना आसान नहीं किसी का ‘मदीबा’ हो जाना। नेल्सन मंडेला कितने साल तक देशद्रोह के आरोप में जेल में रहे?नेल्सन मंडेला का जन्म 18 जुलाई 1918 को दक्षिण अफ्रीका में हुआ था. नेल्सन मंडेला ऐसे महापुरुष थे जिन्होंने रंगभेद के खिलाफ लम्बी लड़ाई लड़ी. 27 साल जेल में बिताए.
नेल्सन मंडेला जेल क्यों गए थे?देशद्रोह का मुकदमा चला
गिरफ्तारी के बाद उनपर मुकदमा चलाया गया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. वहीं साल 1964 से 1990 तक रंगभेद के खिलाफ शुरू किए आंदोलन के चलते भी उन्हें अपनी जीवन का 27 साल जेल में बिताना पड़ा. सजा के दौरान उन्हें रॉबेन द्वीप के कारागार में रखा गया था जहां उन्हें कोयला खनिक का काम करना पड़ा था.
नेल्सन मंडेला कौन थे इन हिंदी?मंडेला, भारत रत्न पाने वाले पहले विदेशी हैं। 10 मई 1994 को मंडेला अपने देश के सर्वप्रथम अश्वेत राष्ट्रपति बने। नवम्बर 2009 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने रंगभेद विरोधी संघर्ष में उनके योगदान के सम्मान में उनके जन्मदिन (18 जुलाई) को 'मंडेला दिवस' घोषित किया।
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