मलेरिया में कौन सी जांच होती है? - maleriya mein kaun see jaanch hotee hai?

वहीं, यदि आप संक्रमण को रोकने के लिए दवा ले रहे हैं तो ये लंबा समय ले सकता है। वहीं, अगर आप पहले भी संक्रमण का शिकार रह चुके हैं तो आपके पास इम्यूनिटी होती है जिसकी वजह से आप मलेरिया के गंभीर लक्षणों का शिकार नहीं हो सकते या संक्रमित होने पर भी आपमें इसके सिम्टम्स नहीं दिखते।

​क्या खतरनाक हो सकता है मलेरिया?

मलेरिया में कौन सी जांच होती है? - maleriya mein kaun see jaanch hotee hai?

यदि आपके शरीर में दवा प्रतिरोधी परजीवी (drug-resistant parasite) हैं और आपका इम्यून सिस्टम कमजोर है तो स्थिति जानलेवा हो सकती है। परजीवी मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं (Blood vessels) में सूजन पैदा कर सकता है, जिसे सेरेब्रल मलेरिया भी कहा जाता है।

सोडियम विवैक्स (P. Vivax)-
ज्यादातर लोग इस तरह के मलेरिया बुखार से पीड़ित होते हैं. विवैक्स परजीवी ज्यादातर दिन के समय काटता है. यह मच्छर बिनाइन टर्शियन मलेरिया पैदा करता है जो हर तीसरे दिन अर्थात 48 घंटों के बाद अपना असर दिखाना शुरू करता है. इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को कमर दर्द, सिर दर्द, हाथों में दर्द, पैरों में दर्द, भूख ना लगने के साथ तेज बुखार भी बना रहता है.

झारखंड में 2012 में एक लाख 31 हजार मलेरिया के केसेज मिले थे। 2013 में यह घटकर 97,000 हो गए। एक साल में करीब 34 हजार केस कम मिले। यह संभव हो पाया जांच की समूचित व्यवस्था करके। हमने गावों में सहिया के माध्यम से मलेरिया डायग्नोस्टिक कीट पहुंचाए। उन्हें ट्रेंड किया। लोगों में जागरूकता बढ़ाकर इसे कम किया जा सकता है।

डॉ. प्रदीप बास्के, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम, झारखंड

आणविक विधियां

पॉलीमरेज चेन रिएक्शन ((पीसीआर)) के इस्तेमाल और आणविक विधियों के प्रयोग से भी कुछ परीक्षण होते हैं, लेकिन उनका प्रयोग स्पेशल प्रयोगशालाओं में ही उपलब्ध हैं।

मलेरिया की जांच के लिए कई मलेरिया रैपिड एंटीजन टेस्ट भी उपलब्ध हैं। इन परीक्षणों में रक्त की एक बूंद लेकर 15-20 मिनट में ही परिणाम सामने आ जाते है। हालांकि सूक्ष्मदर्शी जांच के आगे बहुत महत्व नहीं रखते, लेकिन जहां लैब का प्रबंध नहीं होता, वहां मलेरिया परीक्षण के लिए एंटीजन टेस्ट कारगार साबित होते हैं। इन परीक्षणों को लगातार विकसित किया जा रहा है, जिसके चलते इन परीक्षणों का प्रयोग इलाज के सकारात्मक और नकारात्मक परिणाम जानने के लिए भी किया जाने लगा है। इनके माध्यम से मलेरिया का सवरूप क्या है, इसका भी आसानी से पता लगाया जा सकता है।

मलेरिया की पहचान करने के लिए ब्लड प्लेटलेट्स का सूक्ष्मदर्शी से परीक्षण करना सबसे बेहतर, भरोसेमंद और अच्छा तरीका है। इससे मलेरिया के सभी परजीवियों की पहचान कर उसकी रोकथाम अलग-अलग रूपों में की जा सकती है। ब्लड प्लेटलेट्स मुख्य रूप से दो तरह की बनती है। इनमें पतली प्लेटलेट्स में परजीवी की बनावट को सही ढंग से पहचाना जा सकता है। वहीं मोटी प्लेटलेट्स में रक्तकी कम समय में अधिक जांच की जा सकती है। मोटी प्लेटलेट्स के जरिए कम माञा के संक्रमण को भी जांचा जा सकता है। इतना ही नहीं, मलेरिया जांच के दौरान परजीवियों के कई चरणों की जांच के लिए भी इन दोनों ब्लड प्लेटलेट्स की जरूरत पड़ती है।

एंटीजन टेस्ट

सूक्ष्मदर्शी जांच

मलेरिया की जांच कैसे होती है

मलेरिया को जांचने के लिए भी ब्लड टेस्ट करवाए जाते हैं। मलेरिया परजीवी के कौन से कण रोगी में मौजूद हैं इसका पता भी मलेरिया सूक्ष्मदर्शी परीक्षण से लगता है।

निदान

ञ्चरक्‍त की जांच

ञ्चबुखार होने पर क्‍लोरोक्विन की गोलियां देने से पहले जांच के लिए खून लेना आवश्‍यक है। रक्‍त की जांच से ही यह पता चलता है कि बुखार मलेरिया है या नहीं।

मलेरिया के लक्षण

ञ्चअचानक सर्दी लगना ((कंपकंपी लगना, अधिक से अधिक रजाई-कंबल ओढऩा))।

ञ्चफिर गर्मी लगकर तेज बुखार होना।

ञ्चपसीना आकर बुखार कम होना व कमजोरी महसूस करना।

मच्छरों की रो‍कथाम करके बचाव संभव

ञ्चघरो के अं‍दर डी.डी.टी. जैसी कीटनाशकों का छिड़काव करवाना चाहिए, जिससे मच्‍छरों को नष्‍ट किया जा सके।

ञ्चघरो में व आसपास गड्डों, नालियों, बेकार पड़े खाली डिब्‍बों, पानी की टंकियों, गमलों, टायर-ट्यूब में पानी इकट्ठा न होने दें।

ञ्चचंूकि आमतौर पर यह मच्‍छर साफ पानी में पनपता है, इसलिए सप्‍ताह में एक बार पानी से भरी टंकियों, मटके, कूलर आदि खाली करके सुखा दें।

ञ्चपानी के स्‍थाई स्रोतों मेंमछलियां छुड़वाने हेतु स्‍वास्थ्य कार्यकर्ता से सं‍पर्क करें।

ञ्चजहां पानी एकत्रित होने से रोका नहीं जा सके, वहां पानी पर मिट्टी का तेल या जला हुआ तेल ((मोबिल ऑयल )) छिड़कें।

ञ्चखिड़कियों, दरवाजों में जालियां लगवा लें। मच्‍छरदानी इस्‍तेमाल करें या मच्‍छर निवारक क्रीम, सरसों का तेल आदि इस्‍तेमाल करें।

मलेरिया का मच्छर सामान्यतया गर्म इलाकों में पाया जाता है। जिन गर्म इलाकों में बारिश होती रहती है या फिर गंदा पानी ठहरा हुआ रहता है, वहां मलेरिया होने की संभावनाएं ज्यादा रहती हैं। भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, म्यांमार, इंडोनेशिया, मध्य व दक्षिण अफ्रीकी देशों और दक्षिण अमेरिका के कुछ देशों में मलेरिया का खतरा बढ़ा है। झारखंड में पश्चिम सिंहभूम, लातेहार, संथाल परगना, साहेबगंज, पाकुड़, गोड्डा, दुमका आदि ज्यादा प्रभावित क्षेत्र हैं। मलेरिया जंगल-पहाड़ी इलाकों में ज्यादा होता है। धनबाद, लोहरदगा, खूंटी में भी इसका प्रभाव है। जलवायु परिवर्तन के बाद अब इस खतरे का दायरा अमीर और ठंडे देशों तक फैल गया है।

मलेरिया के विषाणु से संक्रमित मच्छर अपनी लार के साथ इस विषाणु को इंसान के शरीर में पहुंचा देता है। खून के जरिए शरीर में घुसते ही विषाणु यकृत ((लीवर)) तक पहुंच जाता है। लीवर में मलेरिया का विषाणु परिपक्व हो जाता है और बच्चे पैदा करने लगता है। विषाणुओं की संख्या बढऩे के साथ ही शरीर बीमार होने लगता है। शुरुआत में रोगी को शरीर में दर्द के साथ बुखार, सिरदर्द, उल्टी या गले में सूखे कफ की शिकायत होती है। ऐसा होने पर अगर खून की जांच कराई जाए तो मलेरिया का पता आसानी से चल जाता है। लापरवाही की जाए या समय से इलाज न किया जाए तो रोगी कोमा में जा सकता है या उसकी मौत भी हो सकती है।

सिंहभूम, लातेहार, संथाल परगना हैं प्रभावित

खून की जांच से चलता है पता

मलेरिया जीवन चक्रके दो प्रवाह होते हैं

मलेरिया कैसे फैलता है

संक्रमित मच्‍छर से स्‍वस्‍थ मनुष्‍य को

जब संक्रमित मादा एनाफिलीज मच्‍छर किसी स्‍व‍स्‍थ्‍य व्‍यक्ति को काटता है तो वह अपनी लार के साथ उसके रक्‍त में मलेरिया परजीवियों को पहुंचा देता है। संक्रमित मच्‍छर के काटने के 10-12 दिनों के बाद उस व्‍यक्तिमें मलेरिया रोग के लक्षण प्रकट हो जाते हैं।

मलेरिया रोगी से असंक्रमित मच्‍छर से होकर अन्‍य स्‍वस्‍थ व्‍यक्तियों को

मलेरिया के रोगी को काटने पर असंक्रमित मादा एनाफिलीज मच्‍छर रोगी के खून के साथ मलेरिया परजीवी को भी चूस लेते हैं व 12-14 दिनो में ये मादा एनाफिलीज मच्‍छर भी संक्रमित होकर मलेरिया फैलाने में सक्षम होते हैं तथा जितने भी स्‍वस्‍थ्‍य मनुष्‍यों को काटते हैं। उन्‍हें मलेरिया हो जाता है। इस तरह एक मलेरिया रोगी से यह रोग कई स्‍वस्‍थ्‍य मनुष्‍यों में फैलता है।

मलेरिया के केसेज भारत में घटे हैं, लेकिन फिर भी हर साल हजारों लोग इससे मारे जाते हैं। जलवायु परिवर्तन जैसी गंभीर समस्याओं ने इस बीमारी के खतरे को और बढ़ा दिया है। मलेरिया मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से होने वाली बीमारी है। ये मच्छर प्लाज्मोडियम परजीवी के माध्‍यम से शरीर में पहुंचते हैं। प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम परजीवी मलेरिया का सबसे खतरनाक जीवाणु है। इस परजीवी से न सिर्फ घातक बीमारियां होती हैं, बल्कि मौत का खतरा भी सदैव बना रहता है। आंकड़ों के मुताबिक मलेरिया ग्रसित रोगियों में सबसे ज्यादा मौतें इसी परजीवी के कारण हुई हैं।

मलेरिया के लिए कौन सा टेस्ट किया जाता है?

मलेरिया को जांचने के लिए भी ब्लड टेस्ट करवाए जाते हैं। मलेरिया परजीवी के कौन से कण रोगी में मौजूद हैं इसका पता भी मलेरिया सूक्ष्मदर्शी परीक्षण से लगता है। ञ्चबुखार होने पर क्‍लोरोक्विन की गोलियां देने से पहले जांच के लिए खून लेना आवश्‍यक है। रक्‍त की जांच से ही यह पता चलता है कि बुखार मलेरिया है या नहीं।

मलेरिया की जांच कितने में होती है?

मलेरिया का जो टेस्ट अभी कम से कम 100 रुपये में होता है, वह महज 10 रुपये में हो सकेगा।

मलेरिया का पता कैसे चलता है?

मलेरिया के लक्षण- बुखार, पसीना आना, शरीर में दर्द और उल्टी आना इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं. इस रोग से बचने के लिए घर के आस-पास गंदगी और पानी इकठ्ठा न होने दें. ऐसी कोई भी चीज जिससे मच्छर पैदा हो सकते हो उसे करने से बचें.

मलेरिया बुखार में कौन सा इंजेक्शन लगाया जाता है?

लैरियैगो 40mg इन्जेक्शन एक एंटीपैरासिटिक दवा है, जिसे मलेरिया की रोकथाम और इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है.