(ख) विनाशी व्यतिकरण से आप क्या समझते हो - (kh) vinaashee vyatikaran se aap kya samajhate ho

  • व्यतिकरण
    • व्यतिकरण का व्यंजक
    • संपोषी व्यतिकरण
    • विनाशी व्यतिकरण

व्यतिकरण

व्यतिकरण किन्हीं दो तरंगों के बीच होने वाली घटना है।
जब किसी माध्यम में समान आवृत्ति की दो तरंगे एक साथ समान (एक ही) दिशा में चलती हैं तो इनके अध्यारोपण से माध्यम के कुछ बिंदुओं पर परिणामी तीव्रता बहुत अधिक होती है। तथा इसके विपरीत माध्यम के कुछ बिंदुओं पर परिणामी तीव्रता बहुत कम होती है। तरंगों की इस घटना को व्यतिकरण interference in Hindi कहते हैं।

व्यतिकरण का व्यंजक

माना किसी माध्यम में एक ही आवृत्ति की दो सरल आवर्त प्रगामी तरंगे हैं। जो समान दिशा में गति कर रही है जिनके आयाम क्रमशः a1 , a2 हैं। एवं इनके बीच कलांतर ɸ है तथा इनकी तीव्रता I1 व I2 हैं तो परिणामी तीव्रता
\footnotesize \boxed { I = I_1 + I_2 + 2\sqrt{I_1\,I_2} cosΦ }

इस प्रकार स्पष्ट है कि किसी बिंदु पर परिणाम तीव्रता उस बिंदु पर मिलने वाली दोनों तरंगों के बीच कलांतर पर निर्भर करती है।

संपोषी व्यतिकरण

व्यतिकरण के जिन बिंदुओं पर तीव्रता अधिकतम होती है उन बिंदुओं पर हुए व्यतिकरण को संपोषी व्यतिकरण (constructive interference) कहते हैं।

संपोषी व्यतिकरण के लिए cosɸ = +1
चूंकि तीव्रता आयाम, के वर्ग के अनुक्रमानुपाती होती है इसलिए
I ∝ a2 या I = ka2
तब परिणामी तीव्रता
Imax = I1 + I2 + 2 \sqrt{I_1\,I_2} × 1
Imax = (\sqrt{I_1} + \sqrt{I_2})^2 {(a +b)2 के सूत्र से}
Imax = k(a_1 + a_2)^2

जिन बिंदुओं पर व्यतिकरण करने वाली तरंगें एक ही कला में मिलती है। इन बिंदुओं पर परिणामी तीव्रता अधिकतम होती है।

विनाशी व्यतिकरण

व्यतिकरण में जिन बिंदुओं पर तीव्रता न्यूनतम होती है उन बिंदुओं पर हुए व्यतिकरण को विनाशी व्यतिकरण (destructive interference) कहते हैं।

संपोषी व्यतिकरण के लिए cosɸ = -1
चूंकि I ∝ a2 तथा I = ka2
तब परिणामी तीव्रता
Imin = I1 + I2 + 2 \sqrt{I_1\,I_2} × -1
Imin = (\sqrt{I_1} - \sqrt{I_2})^2 {(a -b)2 के सूत्र से}
Imin = k(a_1 - a_2)^2

पढ़ें… 12वीं भौतिकी नोट्स | class 12 physics notes in hindi pdf

जिन बिंदुओं पर व्यतिकरण करने वाली तरंगें विपरीत कला में मिलती है। तो उन बिंदुओं पर परिणामी तीव्रता न्यूनतम होती है।

physics July 5, 2020 August 18, 2018

सब्सक्राइब करे youtube चैनल

(what is interference in hindi) व्यतिकरण की परिभाषा क्या है , उदाहरण , प्रकार , सम्पोषी और विनाशी व्यतिकरण , अंतर : जब दो तरंगे जिनकी आवृति , तरंग दैर्ध्य और आयाम समान हो एक ही माध्यम में गति करते है और एक दूसरे पर अध्यारोपित हो जाती है तो परिणामी तरंग में तीव्रता का मान अलग अलग तरंगो की तीव्रता के योग से अलग प्राप्त होता है कुछ स्थानों पर परिणामी तीव्रता का मान अधिकतम होता है और कुछ बिन्दुओं पर तीव्रता का मान न्यूनतम अर्थात शून्य होता है , तरंगो की इस घटना को ही तरंग का व्यतिकरण कहते है।

(ख) विनाशी व्यतिकरण से आप क्या समझते हो - (kh) vinaashee vyatikaran se aap kya samajhate ho

यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है की व्यतिकरण की घटना एक ऊर्जा संरक्षण पर आधारित घटना है अर्थात इसमें ऊर्जा का न तो निर्माण होता है और न ही इसमें ऊर्जा की हानि होती है।
चूँकि हमने ऊपर बाताया की व्यतिकरण की घटना में परिणामी तरंग में कुछ बिन्दुओ पर तीव्रता का मान अधिकतम होता है और कुछ स्थानों पर न्यूनतम होता है इस आधार पर तरंगो के व्यतिकरण को दो भागों में बाँटा गया है –
1. सम्पोषी व्यतिकरण (constructive interference) : जब दोनों तरंग आपस में समान कला में संचरित होकर एक दूसरे पर अध्यारोपित होती है तो तीव्रता का मान अधिकतम प्राप्त होता है इसे ही सम्पोषी व्यतिकरण कहते है।
अर्थात व्यतिकरण की घटना में जिन बिन्दुओं पर तीव्रता का मान अधिकतम प्राप्त होता है , उस बिन्दुओ पर होने वाली व्यतिकरण की घटना को सम्पोषी व्यतिकरण कहते है।

(ख) विनाशी व्यतिकरण से आप क्या समझते हो - (kh) vinaashee vyatikaran se aap kya samajhate ho

2. विनाशी व्यतिकरण (destructive interference) : जब दो तरंगे किसी बिंदु पर विपरीत कला में मिलकर अध्यारोपित होती है तो उस बिंदु पर तीव्रता का मान न्यूतम प्राप्त होता है अर्थात शून्य तीव्रता बिंदु प्राप्त होता है , इन बिन्दुओं पर घटित व्यतिकरण की घटना को विनाशी व्यतिकरण कहते है।
अर्थात
व्यतिकरण की घटना में जिन स्थानों पर शून्य तीव्रता प्राप्त होती है उस स्थान पर जो व्यतिकरण की घटना घटित होती है उसे विनाशी व्यतिकरण कहते है।

(ख) विनाशी व्यतिकरण से आप क्या समझते हो - (kh) vinaashee vyatikaran se aap kya samajhate ho

प्रकाश तरंगों का व्यतिकरण

जब समान आवृत्ति की दो प्रकाश तरंगें किसी माध्यम में एक ही दिशा में गमन करती है, तो उनके अध्यारोपण के फलस्वरूप प्रकाश की तीव्रता में परिवर्तन हो जाता है। इस घटना को प्रकाश का व्यतिकरण कहते है। व्यतिकरण दो प्रकार के होते है-

1 . संपोषी व्यतिकरण।

2. विनाशी व्यतिकरण।

1. संपोषी व्यतिकरण– माध्यम के जिस बन्द पर दोनों तरंगे समान कला में मिलती है, वहाँ प्रकाश की परिणामी तीव्रता अधिकतम होती हैं, इसे संपोषी व्यतिकरण कहते है।

2. विनाशी व्यतिकराण– माध्यम के जिस बिन्दु पर दोनों तरंगे विपरीत कला में मिलती है, वहाँ प्रकाश की तीव्रता न्यूनतम या शून्य होती है। इस प्रकार के व्यतिकरण को विनाशी व्यतिकरण कहते है।

प्रकाश के व्यत्तिकरण के उदाहरण

1.  जल की सतह पर फैली हुई केरोसीन तेल की परत का सूर्य के प्रकाश में रंगीन दिखाई देना।

2. साबुन के बुलबुलों का रंगीन दिखाई देना, आदि।

विनाशी व्यतिकरण से आप क्या समझते हैं?

विनाशी व्यतिकरण (destructive interference) : जब दो तरंगे किसी बिंदु पर विपरीत कला में मिलकर अध्यारोपित होती है तो उस बिंदु पर तीव्रता का मान न्यूतम प्राप्त होता है अर्थात शून्य तीव्रता बिंदु प्राप्त होता है , इन बिन्दुओं पर घटित व्यतिकरण की घटना को विनाशी व्यतिकरण कहते है।

संतोषी तथा विनाशी व्यतिकरण से क्या तात्पर्य है?

विनाशी व्यक्तिकरण: जब लगभग समान आयाम व समान आवृत्ति व नियत कालान्तर की दो या दो से अधिक प्रकाश तरंगे माध्यम में संचरित होती हुई विपरीत कला में अध्यारोपित होती है तो अध्यारोपण के फलस्वरूप जिन बिन्दुओ पर परिणामी आयाम व तीव्रता न्यूनतम प्राप्त होती है तो इस घटना को विनाशी व्यतिकरण कहते है।

`( ख व्यतिकरण से आप क्या समझते हैं प्रकाश के व्यतिकरण के लिए आवश्यक शर्तें लिखिए?

Solution : (1) दोनों तरंगों की आवृत्तियाँ समान होनी चाहिए। <br> (2) दोनों तरंगों के आयाम लगभग समान या बिल्कुल समान होने चाहिए। <br> (3) दोनों तरंगों को एक ही दिशा में चलना चाहिए। <br> (4) दोनों स्रोत (स्लिटें) एक-दूसरे के निकट होने चाहिए।

व्यतिकरण कितने प्रकार के होते हैं?

व्यतिकरण के प्रकार :- व्यतिकरण दो प्रकार का होता है। समतोषी व्यतिकरण :- व्यतिकरण की इस घटना में जब प्रकाश तरंगें एक ही कला में अध्यारोपित होती है तो परिणामी की तीव्रता व आयाम अधिकतम हो जाता है तो इसे समतोषी व्यतिकरण कहते हैं