भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 की क्रान्ति, विद्रोह की विफलता के कारण (1857 ki Kranti (Revolution) reason, Causes of failure in Hindi) [18 so 57 ki ladai] Show
भारत में स्वतंत्रता की लड़ाई की चर्चा होते ही, सन 1857 की क्रांति का वर्णन खुद आ जाता है. यह क्रांति सैनिको के विद्रोह के रूप में शुरू हुआ था. ब्रिटिश इंडिया कंपनी के सैनिकों ने सरकार के खिलाफ 10 मई 1857 को आन्दोलन शुरू कर दिया. यह संग्राम मेरठ में शुरू हुआ और जल्द ही अन्य स्थानों पर भी शुरू हो गया. इस विद्रोह में तात्कालिक भारत के उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, दिल्ली, गुडगाँव आदि के लोग शामिल थे. इन क्षेत्रों के सेनानियों ने ब्रिटिश सरकार के सामने अपने विद्रोह की चुनौती बहुत बड़े स्तर पर खड़ी की. इसे भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम भी कहा जाता है.
सन 1857 की क्रांति के कारण (1857 Revolution Reason)सन 1857 की क्रांति के कई महत्वपूर्ण कारण थे. इस विद्रोह के विभिन्न कारणों का वर्णन नीचे दिया जा रहा है. विद्रोह का सैन्य कारण (Military Cause):
राजनैतिक कारण (Political Cause):ब्रिटिश सरकार देश के नवाबों और राजाओं के क्षेत्रों का विलय अपने राज्य में कर रही थी. कई नवाबों से और राजाओं से उनके अधिकार छीन लिए गये थे. इस तरह का भय इस समय उन नवाबों के अन्दर भी बैठ गया था, जिनके पास उनके अधिकार बाकी थे.
सामाजिक और धार्मिक कारण (Religious Cause) :
आर्थिक कारण (Economic Cause) :ब्रिटिश सरकार का आर्थिक भ्रष्टाचार और सरकार की गलत नीतियों से देश के सभी वर्ग के लोग असंतुष्ट थे.
विभिन्न स्थान जहाँ विद्रोह मुखर हुए (Centers/places where the revolt took place and leaders):
विद्रोह की विफलता के कारण (Causes of failure):सन 57 की क्रांति आरम्भ तो बहुत तेज हुई, किन्तु बहुत जल्द ही यह क्रांति विफल भी हो गयी. इसकी विफलता के कई मुख्य कारण थे. सीमित क्षेत्र:हालाँकि यह क्रान्ति बहुत कम समय में बहुत सी जगहों तक पहुंची किन्तु, इसके बाद भी देश के कई बड़े हिस्से इससे अछूते रहे. भारत का दक्षिणी हिस्सा इसमें किसी भी तरह से शामिल नहीं हुआ. यह क्रान्ति सर्वभारतीय क्रान्ति नहीं बन सकी और कई बड़े शासक जैसे सिंधिया, होलकर, जोधपुर के राणा इत्यादि ने इसमें हिस्सा नहीं लिया. नेतृत्व का अभाव :इस क्रांति को सही नेतृत्व भी नहीं मिल सका. यद्यपि इसमें कई वीर जैसे नाना साहब, तात्या टोपे, रानी लक्ष्मीबाई आदि थीं. इन्होंने क्रांति में लड़ाइयाँ की, मगर इसे सही नेतृत्व नहीं दे सके. सीमित साधन:क्रांतिकारियों के बीच साधनों का सीमित होना, इस क्रांति की विफलता के प्रमुख कारणों में एक है. इन क्रांतिकारियों की संख्या भी कम थी, इनके पास अस्त्र- शास्त्र की कमी थी और साथ ही धन का भी अभाव था. दूसरी तरफ अंग्रेजी सेना के सिपाही नये शस्त्रों से सम्पन्न थे. मध्यम वर्ग की उदासीनता:इस क्रांति के समय अंग्रेजी पढ़े मध्यम वर्गीय भारतीयों ने, अमीर व्यापारियों ने, बंगाल के ज़मींदारों ने अंग्रेजों का साथ दिया. इस सहयोग से अंग्रेज और भी शक्तिशाली हो गये. विद्रोह का परिणाम (Result):इस विद्रोह के परिणाम को चार भागों में विभक्त किया जा सकता है, जिसका वर्णन नीचे किया जा रहा है. संवैधानिक तब्दीलियाँ:इस विद्रोह का सबसे बड़ा परिणाम सत्ता का स्थानांतरण था. इस क्रांति के पश्चात भारत का शासन ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथ से ब्रिटेन सरकार के हाथ में चला गया. अब भारत में ‘बोर्ड ऑफ़ कण्ट्रोल’ के अध्यक्ष की जगह पर राज्य महासचिव की नियुक्ति होने लगी. राज्य महासचिव (सेक्रेट्री ऑफ़ स्टेट) के अंतर्गत पंद्रह सदस्यों का दल होता है. इन पंद्रह सदस्यों में से आठ सदस्यों की नियुक्ति ब्रिटेन सरकार करती थी तथा सात सदस्यों की नियुक्ति का काम ‘कोर्ट ऑफ़ डायरेक्टर्स ’ के अंतर्गत होता था. अब गवर्नर जनरल की जगह वाइसराय शासन की देख रेख करने लगे. भारत के शासकों के लिए ये तय किया गया कि ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ हुई उनकी सभी संधियों का सम्मान बना रहेगा और संधियों का पुनर्नविनिकरण की कोई आवश्यकता नहीं होगी सैन्य बल में परिवर्तन:इस विद्रोह के पहले भारत में ब्रिटिश आर्मी दो भागों में बंटा हुआ था, एक भाग को ‘किंग्स फोर्स’ और दूसरे हिस्से को ‘कंपनी ट्रूप’ कहा जाता था, परंतु विद्रोह के बाद इन दोनों भाग को मिला कर एक सेना बनाई गयी, जिसका नाम ‘किंग्स फोर्स’ रखा गया. इस सेना के एक तिहाई हिस्से में यूरोपीय सिपाही होते थे, शस्त्र विभाग को सरकार ने अपने अधीन रखा. सेना में यूरोपीय सैनिकों के होने के कारण सेना का खर्च दुगना बढ़ गया, बंगाल आर्मी को लगभग समाप्त कर दिया गया. सरकार ने सेना में ब्राम्हणों की संख्या कम कर दी और सिक्ख, जाट, गोरखा और राजपूत को सेना में भर्ती करने लगे. धार्मिक, न्यायिक और कुटनीतिक प्रभाव:सत्ता महारानी विक्टोरिया के हाथ में जाने पर उन्होंने कुछ विशेष घोषणा की, ये घोषणाऍ निम्न लिखित हैं.
सामजिक प्रभाव:इस विद्रोह के बाद यूरोपीय और भारतीय लोगों के बीच एक गहरी खाई बन गयी. भारतीयों ने सरकार के शिक्षण संस्थानों में अपनी इच्छा से जाना छोड़ दिया और लोगों के बीच जाति, धर्म, धार्मिक अंधविश्वास आदि को भी बढ़ते देखा गया. इस विद्रोह का एक प्रभाव ये भी था, कि हिन्दू मुसलमानों के बीच में नफरत बढ़ने लगी. इस नफरत का परिणाम हमें भारत विभाजन में देखने मिलता है. विद्रोह के बाद के समय में मुसलमानों में भी पुनर्नवीनीकरण और आधुनिकता की कमी नजर आती है. विद्रोह के अन्य नाम (Nomenclature for 1857 revolt) :इस विद्रोह को अन्य कई नामों से भी जाना जाता है. वीर सावरकर के अनुसार यह हिंदुस्तान की स्वतंत्रता की पहली लड़ाई थी. आर सी मजुमदार ने इस विद्रोह का वर्णन सिपाही विद्रोह के नाम से किया है. आम तौर पर इस विद्रोह को सन 57 की क्रान्ति भी कहा जाता है. इस युद्ध के कारण हिन्दूस्तान और यूरोप के बीच की खाई और भी बढ़ गयी. अंग्रेज भारत के लोगों को बदले की भावना से देखने लगे. इस विद्रोह के बाद इस के प्रभाव से हिन्दू और मुसलमानों के बीच भी नफरत फैलने लगी. अंग्रेजों ने इस साम्प्रदायिकता को हवा देने का काम किया. इस विद्रोह के बाद ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों का प्रयोग केवल एक गुलाम के रूप में किया. FAQQ-1857 के संग्राम में सबसे पहले कौन शहीद हुआ था? Ans- मंगल पांडे हुए थे 1857 के संग्राम में सबसे पहले शहीद। Q- 1857 क्रांति का चिन्ह क्या था? Ans- रोटी और खिलता हुआ कमल था 1857 की क्रांति का चिन्ह। Q- 1857 के क्रांति योद्धा कौन थे? Ans- बहादुरशाह जफर, तात्या टोपे तथा नाना फड़नवीस, राव राजा तुलाराम व राव गोपालदेव शामिल थे। Q- 1857 की क्रांति के दौरान कौन था भारत का गवर्नर जनरल? Ans- चार्ल्स जॉन कैनिंग थे भारत के पहले गवर्नर जनरल। Q- भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम कहां हुआ? Ans- कानपुर, बरेली, झांसी, दिल्ली और अवध। अन्य पढ़े:
1857 की क्रांति के प्रतीक चिन्ह कौन से थे?बलिया: देश के क्रांतिकारी बहादुर शाह जफर, तात्या टोपे, वीर कुंवर सिंह, रानी लक्ष्मीबाई आदि ने बडे़ सुनियोजित ढंग से क्रांति की तिथि 10 मई 'रोटी और खिलता हुआ कमल' को प्रतीक मानकर पूरे अखंड भारत में गुप्त ढंग से सूचना भेज रखी थी।
1857 की क्रांति का दूसरा नाम क्या है?१८५७ का भारतीय विद्रोह, जिसे प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, सिपाही विद्रोह और भारतीय विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है ब्रिटिश शासन के विरुद्ध एक सशस्त्र विद्रोह था।
Which symbol was used in the revolt of 1857 1857 की क्रांति में कौन सा प्रतीक इस्तेमाल किया गया था?सही विकल्प 1 है, अर्थात कमल और रोटी। कमल और रोटी को 1857 के विद्रोह का प्रतीक माना जाता है। कमल शुद्ध होता है और भगवान से संबंधित है।
1857 की क्रांति का मुख्य कारण क्या है?1857 के विद्रोह का प्रमुख राजनीतिक कारण ब्रिटिश सरकार की 'गोद निषेध प्रथा' या 'हड़प नीति' थी। यह अंग्रेजों की विस्तारवादी नीति थी जो ब्रिटिश भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी के दिमाग की उपज थी। कंपनी के गवर्नर जनरलों ने भारतीय राज्यों को अंग्रेजी साम्राज्य में मिलाने के उद्देश्य से कई नियम बनाए।
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