उद्धव में योग संदेश में क्या कहा? - uddhav mein yog sandesh mein kya kaha?

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आपका प्रश्न है योग संदेश का गोपियों पर क्या प्रभाव पड़ा था तो आपको बता दें कि महाभारत में बताया गया है कि जब श्री कृष्ण मथुरा चले गए थे और उनके वियोग में गोपियों की हालत खराब हो रही थी वृंदावन में तब उस समय उद्धव जी को जो कि एक इसमें के मित्र भी थे लेकिन भी अपने ज्ञान पर काफी घमंड था तुम के घमंड को तोड़ने के लिए श्री कृष्ण ने उन्हें गोपियों के पास भेजा तो उधव जी ने उन गोपियों को योग का संदेश दिया योग के बारे में और कई तरह के ज्ञान की बातें करियो गोपियों को समझाया लेकिन वह क्यों पर उनके समझाने का कोई प्रभाव नहीं पड़ा क्योंकि उनके मन में मस्तिष्क में पूरी तरह से श्रीकृष्ण छाए हुए वह प्रेम की बुक की थी प्रेम की दीवानी थी और उन्हें पृथ्वी के अलावा कुछ नहीं चाहिए था तो यह प्रभु की भक्ति पर प्रेम भारी पराठा प्रभु प्रेम के अधीन होते हैं और यही इस गोपी और उद्धव जी के और कृष्ण जी के बीच के संवाद का दृश्य

aapka prashna hai yog sandesh ka gopiyon par kya prabhav pada tha toh aapko bata de ki mahabharat me bataya gaya hai ki jab shri krishna mathura chale gaye the aur unke viyog me gopiyon ki halat kharab ho rahi thi vrindavan me tab us samay uddhav ji ko jo ki ek isme ke mitra bhi the lekin bhi apne gyaan par kaafi ghamand tha tum ke ghamand ko todne ke liye shri krishna ne unhe gopiyon ke paas bheja toh udhav ji ne un gopiyon ko yog ka sandesh diya yog ke bare me aur kai tarah ke gyaan ki batein kariyo gopiyon ko samjhaya lekin vaah kyon par unke samjhane ka koi prabhav nahi pada kyonki unke man me mastishk me puri tarah se shrikrishna chay hue vaah prem ki book ki thi prem ki deewani thi aur unhe prithvi ke alava kuch nahi chahiye tha toh yah prabhu ki bhakti par prem bhari paratha prabhu prem ke adheen hote hain aur yahi is gopi aur uddhav ji ke aur krishna ji ke beech ke samvaad ka drishya

गोपियाँ उद्धव को भाग्यवान कहते हुए व्यंग्य कसती है कि श्री कृष्ण के सानिध्य में रहते हुए भी वे श्री कृष्ण के प्रेम से सर्वथा मुक्त रहे। वे कैसे श्री कृष्ण के स्नेह व प्रेम के बंधन में अभी तक नहीं बंधे?, श्री कृष्ण के प्रति कैसे उनके हृदय में अनुराग उत्पन्न नहीं हुआ? अर्थात् श्री कृष्ण के साथ कोई व्यक्ति एक क्षण भी व्यतीत कर ले तो वह कृष्णमय हो जाता है। परन्तु ये उद्धव तो उनसे तनिक भी प्रभावित नहीं है प्रेम में डूबना तो अलग बात है।

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Question 2:

उद्धव के व्यवहार की तुलना किस-किस से की गई है?

Answer:

गोपियों ने उद्धव के व्यवहार की तुलना निम्नलिखित उदाहरणों से की है -

(1)गोपियों ने उद्धव के व्यवहार की तुलना कमल के पत्ते से की है जो नदी के जल में रहते हुए भी जल की ऊपरी सतह पर ही रहता है। अर्थात् जल का प्रभाव उस पर नहीं पड़ता। श्री कृष्ण का सानिध्य पाकर भी वह श्री कृष्ण  के प्रभाव से मुक्त हैं।

(2)वह जल के मध्य रखे तेल के गागर (मटके) की भाँति हैं, जिस पर जल की एक बूँद भी टिक नहीं पाती। उद्धव पर श्री कृष्ण का प्रेम अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाया है, जो ज्ञानियों की तरह व्यवहार कर रहे हैं।

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Question 3:

गोपियों ने किन-किन उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं?

Answer:

गोपियों ने निम्नलिखित उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं -

(1) कमल के पत्ते जो नदी के जल में रहते हुए भी जल के प्रभाव से मुक्त रहता है।

(2) जल के मध्य रखी तेल की मटकी, जिस पर पानी की एक बूँद भी टिक पाती।

(3) कड़वी ककड़ी जो खा ली जाए तो गले से नीचे नहीं उतरती।

(4) प्रेम रुपी नदी में पाँव डूबाकर भी उद्धव प्रभाव रहित हैं।

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Question 4:

उद्धव द्वारा दिए गए योग के संदेश ने गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम कैसे किया?

Answer:

गोपियाँ इसी दिन के इंतज़ार में अपने जीवन की एक-एक घड़ी को काट रही हैं कि श्री कृष्ण हमसे मिलने का वादा करके गए हैं। वे इसी इंतजार में बैठी हैं कि श्री कृष्ण उनके विरह को समझेंगे, उनके प्रेम को समझेंगे और उनके अतृप्त मन को अपने दर्शन से तृप्त करेंगे। परन्तु यहाँ सब उल्टा होता है। श्री कृष्ण तो द्वारका जाकर उन्हें भूल ही गए हैं। उन्हें न तो उनकी पीड़ा का ज्ञान है और न ही उनके विरह के दु:ख का। बल्कि उद्धव को और उन्हें समझाने के लिए भेज दिया है, जो उन्हें श्री कृष्ण के प्रेम को छोड़कर योग साधना करने का भाषण दे रहा है। यह उनके दु:ख को कम नहीं कर रहा अपितु उनके हृदय में जल रही विरहाग्नि में घी का काम कर उसे और प्रज्वलित कर रहा है।

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Question 5:

'मरजादा न लही' के माध्यम से कौन-सी मर्यादा न रहने की बात की जा रही है?

Answer:

गोपियों ने अपने प्रेम को कभी किसी के सम्मुख प्रकट नहीं किया था। वह शांत भाव से श्री कृष्ण के लौटने की प्रतीक्षा कर रही थीं। कोई भी उनके दु:ख को समझ नहीं पा रहा था। वह चुप्पी लगाए अपनी मर्यादाओं में लिपटी हुई इस वियोग को सहन कर रही थीं कि वे श्री कृष्ण से प्रेम करती हैं। परन्तु इस उद्धव के योग संदेश ने उनको उनकी मर्यादा छोड़कर बोलने पर मजबूर कर दिया है। अर्थात् जो बात सिर्फ़ वही जानती थीं आज सबको पता चल जाएगी।

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Question 6:

कृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम को गोपियों ने किस प्रकार अभिव्यक्त किया है?

Answer:

कृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम को गोपियों ने निम्नलिखित उदाहरणों द्वारा व्यक्त किया है -

(1) उन्होंने स्वयं की तुलना चींटियों से और श्री कृष्ण की तुलना गुड़ से की है। उनके अनुसार श्री कृष्ण उस गुड़ की भाँति हैं जिस पर चींटियाँ चिपकी रहती हैं। (गुर चाँटी ज्यौं पागी)

(2) उन्होंने स्वयं को हारिल पक्षी व श्री कृष्ण को लकड़ी की भाँति बताया है, जिस तरह हारिल पक्षी लकड़ी को नहीं छोड़ता उसी तरह उन्होंने मन, क्रम, वचन से श्री कृष्ण की प्रेम रुपी लकड़ी को दृढ़तापूर्वक पकड़ लिया है। (हमारैं हारिल की लकरी, मन क्रम वचन नंद-नंदन उर, यह दृढ़ करि पकरी)

(3) वह श्री कृष्ण के प्रेम में रात-दिन, सोते-जागते सिर्फ़ श्री कृष्ण का नाम ही रटती रहती है। (जागत सोवत स्वप्न दिवस-निसि, कान्ह-कान्ह जक री।)

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Question 7:

गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा कैसे लोगों को देने की बात कही है?

Answer:

गोपियों के अनुसार योग की शिक्षा उन्हीं लोगों को देनी चाहिए जिनकी इन्द्रियाँ व मन उनके बस में नहीं होते। जिस तरह से चक्री घूमती रहती है उसी तरह उनका मन एक स्थान पर न रहकर भटकता रहता है। परन्तु गोपियों को योग की आवश्यकता है ही नहीं क्योंकि वह अपने मन व इन्द्रियों को श्री कृष्ण के प्रेम के रस में डूबो चुकी हैं। वे इन सबको श्री कृष्ण में एकाग्र कर चुकी हैं। इसलिए उनको इस योग की शिक्षा की आवश्यकता नहीं है।

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Question 8:

प्रस्तुत पदों के आधार पर गोपियों का योग-साधना के प्रति दृष्टिकोण स्पष्ट करें।

Answer:

प्रस्तुत पदों में योग-साधना के ज्ञान को निरर्थक बताया गया है। यह ज्ञान गोपियों के अनुसार अव्यवाहरिक और अनुपयुक्त है। उनके अनुसार यह ज्ञान उनके लिए कड़वी ककड़ी के समान है जिसे निगलना बड़ा ही मुश्किल है। सूरदास जी गोपियों के माध्यम से आगे कहते हैं कि ये एक बीमारी है। वो भी ऐसा रोग जिसके बारे में तो उन्होंने पहले कभी न सुना है और न देखा है। इसलिए उन्हें इस ज्ञान की आवश्यकता नहीं है। उन्हें योग का आश्रय तभी लेना पड़ेगा जब उनका चित्त एकाग्र नहीं होगा। परन्तु कृष्णमय होकर यह योग शिक्षा तो उनके लिए अनुपयोगी है। उनके अनुसार कृष्ण के प्रति एकाग्र भाव से भक्ति करने वाले को योग की ज़रूरत नहीं होती।

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Question 9:

गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए?

Answer:

गोपियों के अनुसार राजा का धर्म उसकी प्रजा की हर तरह से रक्षा करना होता है तथा नीति से राजधर्म का पालन करना होता। एक राजा तभी अच्छा कहलाता है जब वह अनीति का साथ न देकर नीति का साथ दे।

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Question 10:

गोपियों को कृष्ण में ऐसे कौन-से परिवर्तन दिखाई दिए जिनके कारण वे अपना मन वापस पा लेने की बात कहती हैं?

Answer:

उनके अनुसार श्री कृष्ण द्वारका जाकर राजनीति के विद्वान हो गए हैं। जो उनके साथ राजनीति का खेल खेल रहे हैं। उनके अनुसार श्री कृष्ण पहले से ही चतुर थे अब तो ग्रंथो को पढ़कर औऱ भी चतुर बन गए हैं। द्वारका जाकर तो उनका मन बहुत बढ़ गया है, जिसके कारण उनहोंने गोपियों से मिलने के स्थान पर योग की शिक्षा देने के लिए उद्धव को भेज दिया है। श्री कृष्ण के इस कदम से उनका हृदय बहुत आहत हुआ है अब वह अपने को श्री कृष्ण के अनुराग से वापस लेना चाहती हैं।

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Question 11:

गोपियों ने अपने वाक्चातुर्य के आधार पर ज्ञानी उद्धव को परास्त कर दिया, उनके वाक्चातुर्य की विशेषताएँ लिखिए?

Answer:

गोपियों के वाक्चातुर्य की विशेषताएँ इस प्रकार है -

(1) तानों द्वारा (उपालंभ द्वारा)  - गोपियाँ उद्धव को अपने तानों के द्वारा चुप करा देती हैं। उद्धव के पास उनका कोई जवाब नहीं होता। वे कृष्ण तक को उपालंभ दे डालती हैं। उदाहरण के लिए -

इक अति चतुर हुते पहिलैं ही, अब गुरु ग्रंथ पढ़ाए।

बढ़ी बुद्धि जानी जो उनकी, जोग-सँदेस पठाए।

(2) तर्क क्षमता  - गोपियों ने अपनी बात तर्क पूर्ण ढंग से कही है। वह स्थान-स्थान पर तर्क देकर उद्धव को निरुत्तर कर देती हैं। उदाहरण के लिए -

"सुनत जोग लागत है ऐसौ, ज्यौं करुई ककरी।"

सु तौ ब्याधि हमकौं लै आए, देखी सुनी न करी।

यह तौ 'सूर' तिनहि लै सौंपौ, जिनके मन चकरी।।

(3) व्यंग्यात्मकता  - गोपियों में व्यंग्य करने की अद्भुत क्षमता है। वह अपने व्यंग्य बाणों द्वारा उद्धव को घायल कर देती हैं। उनके द्वारा उद्धव को भाग्यवान बताना उसका उपहास उड़ाना था।

(4) तीखे प्रहारों द्वारा  - गोपियों ने तीखे प्रहारों द्वारा उद्धव को प्रताड़ना दी है।

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Question 12:

संकलित पदों को ध्यान में रखते हुए सूर के भ्रमरगीत की मुख्य विशेषताएँ बताइए?

Answer:

भ्रमरगीत की निम्नलिखित विशेषताएँ इस प्रकार हैं -

(1) सूरदास ने अपने भ्रमर गीत में निर्गुण ब्रह्म का खंडन किया है।

(2) भ्रमरगीत में गोपियों के कृष्ण के प्रति अनन्य प्रेम को दर्शाया गया है।

(3) भ्रमरगीत में उद्धव व गोपियों के माध्यम से ज्ञान को प्रेम के आगे नतमस्तक होते हुए बताया गया है, ज्ञान के स्थान पर प्रेम को सर्वोपरि कहा गया है।

(4) भ्रमरगीत में गोपियों द्वारा व्यंग्यात्मक भाषा का प्रयोग किया गया है।

(5) भ्रमरगीत में उपालंभ की प्रधानता है।

(6) भ्रमरगीत में ब्रजभाषा की कोमलकांत पदावली का प्रयोग हुआ है। यह मधुर और सरस है।

(7) भ्रमरगीत प्रेमलक्षणा भक्ति को अपनाता है। इसलिए इसमें मर्यादा की अवहेलना की गई है।

(8) भ्रमरगीत में संगीतात्मकता का गुण विद्यमान है।

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Question 13:

गोपियों ने उद्धव के सामने तरह-तरह के तर्क दिए हैं, आप अपनी कल्पना से और तर्क दीजिए।

Answer:

गोपियों ने उद्धव के सामने तरह-तरह के तर्क दिए हैं। हम भी निम्नलिखित तर्क दे सकते हैं −

(i) कृष्ण की प्रवृत्ति भौंरे के समान है। एक जगह टिककर नहीं रह सकते। प्रेम रस को पाने के लिए अलग-अलग डाली पर भटकते रहते हैं।

(ii) उद्धव पर कृष्ण का प्रभाव तो पड़ा नहीं परन्तु लगता है कृष्ण पर उद्धव के योग साधना का प्रभाव अवश्य पड़ गया है।

(iii) निर्गुण अर्थात् जिस ब्रह्म के पास गुण नहीं है उसकी उपासना हम नहीं कर सकते हैं।

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Question 14:

उद्धव ज्ञानी थे, नीति की बातें जानते थे; गोपियों के पास ऐसी कौन-सी शक्ति थी जो उनके वाक्चातुर्य में मुखिरत हो उठी?

Answer:

गोपियों के पास श्री कृष्ण के प्रति सच्चे प्रेम तथा भक्ति की शक्ति थी जिस कारण उन्होंने उद्धव जैसे ज्ञानी तथा नीतिज्ञ को भी अपने वाक्चातुर्य से परास्त कर दिया।

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Question 15:

गोपियों ने यह क्यों कहा कि हरि अब राजनीति पढ़ आए हैं? क्या आपको गोपियों के इस कथन का विस्तार समकालीन राजनीति में नज़र आता है, स्पष्ट कीजिए।

Answer:

गोपियों ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि श्री कृष्ण ने सीधी सरल बातें ना करके रहस्यातमक ढंग से उद्धाव के माध्यम से अपनी बात गोपियों तक पहुचाई है।

गोपियों का यह कथन कि हरि अब राजनीति पढ़ आए हैं। कहीं न कहीं आज की भ्रष्ट राजनीति को परिभाषित कर रहा है। इस कथन का विस्तार समकालीन राजनीति में नज़र आ रहा है। जिस तरह से श्री कृष्ण ने अपनी बात सीधे-सीधे न करके घुमा-फिराकर उद्धव के माध्यम से गोपियों के समक्ष रखी है, उसी तरह आज के राजनीतिज्ञ भी अपनी बात को घुमा-फिराकर जनता के समक्ष रखते हैं। दूसरी तरफ यहाँ गोपियों ने राजनीति शब्द को व्यंग के रूप में कहा है। आज के समय में भी राजनीति शब्द का अर्थ व्यंग के रूप में लिया जाता है।

गोपियाँ उद्धव से क्या संदेश भिजवा रही है?

उद्धव गोपियों के पास योग साधना का संदेश लेकर गए थे| उद्धव गोपियों को कहा की वह अपने मन में नियन्त्रण रखने की सलाह दी | गोपियों ने इस योग संदेश की कल्पना भी नहीं की थी | उस संदेश से उनकी सहनशक्ति टूट गई| इस योग संदेश ने गोपियों की विरह अग्नि में घी का काम किया | उद्धव उन्हें योग मार्ग पर चलने का उपदेश देने लगे, जिससे ...

उद्धव श्री कृष्ण का कौन सा संदेश लेकर आए थे?

उद्धव कृष्ण का योग का संदेश लेकर गोपियों के पास गए थे। उन्हें पता था गोपियां उनके प्रेम के विरह में तड़प रही हैं। इसलिए उन्होंने गोपियों के मन को शांत करने के लिए उद्धव के हाथों योग का संदेश भिजवाया ताकि योग एवं ध्यान के जरिए वह अपने मन के विरह की पीड़ा को कम कर सकें।

उद्धव से योग की शिक्षा कैसे लोगों को देने की बात कही?

गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा ऐसे लोगों को देने की बात कही है जिनके मन में चकरी हो, जो अस्थिर बुद्धि हो, जिनका मन चंचल हो। योग की शिक्षा तो उन्हीं को दी जानी चाहिए, जिनके मन प्रेम-भाव के कारण स्थिरता पा चुके हैं। उनके लिए योग की शिक्षा की कोई आवश्यकता ही नहीं है।

गोपियों ने उद्धव के योग संदेश को किसकी संज्ञा दी है?

गोपियाँ श्रीकृष्ण के प्रेम में पूर्णरूप से आसक्त हैं, उद्धव द्वारा दिया गया संदेश उन्हें कड़वी ककड़ी के समान निरर्थक लगता है, जिसके बारे में गोपियों ने न कभी देखा न कभी सुना। 3. 'नंद-नंदन' शब्द का प्रयोग नन्द बाबा के पुत्र श्रीकृष्ण के लिए किया गया है।