पांडवों की ओर से शांतिदूत बनकर कौन हस्तिनापुर गए? - paandavon kee or se shaantidoot banakar kaun hastinaapur gae?

Mahabharat 28 April Evening Episode 64 Written Updates: शांतिदूत बनकर हस्तिनापुर पहुंचे कृष्ण, दुर्योधन के साथ भोजन करने से किया मना

Mahabharat 28 April Evening Episode 64 Written Updates: शांतिदूत बनकर हस्तिनापुर पहुंचे कृष्ण, दुर्योधन के साथ भोजन करने से किया मना

देश में लगे लॉकडाउन के दौरान दूरदर्शन पर प्रचलित धार्मिक सीरियल 'महाभारत' का प्रसारण हो रहा है। दर्शक इस सीरियल को बहुत पसंद कर रहे हैं। अब तक आपने देखा कि दुर्योधन नारायणी सेना का साथ मिलने...

पांडवों की ओर से शांतिदूत बनकर कौन हस्तिनापुर गए? - paandavon kee or se shaantidoot banakar kaun hastinaapur gae?

Kamtaलाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीTue, 28 Apr 2020 08:14 PM

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देश में लगे लॉकडाउन के दौरान दूरदर्शन पर प्रचलित धार्मिक सीरियल 'महाभारत' का प्रसारण हो रहा है। दर्शक इस सीरियल को बहुत पसंद कर रहे हैं। अब तक आपने देखा कि दुर्योधन नारायणी सेना का साथ मिलने पर बहुत खुश हैं लेकिन इस बात से शकुनि मामा नाराज हैं। वह कहते हैं कि यह सौदा तुम्हें भारी पड़ेगा। निहत्था कृष्ण हर सेना पर भारी है। तुमने यह ठीक नहीं किया दुर्योधन। कृष्ण कहते हैं कि आखिरी बार शांति का प्रस्ताव लेकर मैं खुद हस्तिनापुर जाऊंगा। अब जानिए आगे क्या हुआ... 

08.00PM शकुनि ने दुर्योधन से कहा धैर्य से काम लो। तभी कृष्ण वहां पर पहुंच जाते हैं। दुर्योधन ने कृष्ण से कहा कि मुझे दुख है कि आपने मेरे साथ भोजन करने से मना कर दिया। कृष्ण ने कहा कि जो पांडवों का मित्र नहीं हो सकता वह मेरा कैसे हो सकता है। यदि मैं आपका भोजन करता तो यह धर्म का पालन नहीं होगा। इसके बाद कृष्ण वहां से चले जाते हैं। इस दौरान दुर्योधन गुस्से में पागल हो जाते हैं। वह कहते हैं कि अगर कल कृष्ण ने सभा में कोई अटपटी बात की तो मैं इसे बंदी बना लूंगा।

07.58PM वासुदेव कृष्ण हस्तिनापुर पहुंचते हैं। लोगों ने जयकारे जयकारे लगाकर उनका स्वागत किया। वह भरी सभा में पहुंचते हैं। दुर्योधन, धृतराष्ट्र, भीष्म पितामह, शकुनि  सभी लोग बैठे हुए हैं। धृतराष्ट्र, कृष्ण को भेंट में गाय देते हैं। कृष्ण, दुर्योधन के साथ भोजन करने से मना कर देते हैं और विदुर के यहां ठहरने के लिए चले जाते हैं। कृष्ण, कुंती बुआ से मिलते हैं। कुंती उन्हें देखकर रोने लगती हैं। श्रीकृष्ण कुंती से कहते हैं कि आपके पांचों पुत्र हमेशा रहेंगे। मैं धर्म की रक्षा कर रहा हूं। कुंती के पूछने पर कृष्ण ने कहा कि अगर उन्होंने अन्याय करना चाहा तो युद्ध होगा। वैसे युद्ध के होने और न होने का निर्णय दुर्योधन के हाथ में है।

07.50PM कर्ण, भीष्म पितामह से बात कर रहे हैं। भीष्म ने उनसे कहा कि वह अधर्म का साथ दे रहे हैं। इस दौरान कर्ण भीष्म से पूछते हैं कि क्या वह दुर्योधन को छोड़ सकते हैं तो उन्होंने जवाब में कहा यही तो मेरी विवशता है कि मैं दुर्योधन को छोड़ नहीं सकता हूं।

07.45PM इस दौरान विदुर, धृतराष्ट्र से कहते हैं कि कृष्ण को भेंट देने की गलती न करें। कृष्ण जो भी कहें उनकी बातों को मान लीजिएगा। इस दौरान दुर्योधन कहते हैं कि मैं वासुदेव को बंदी बना लूंगा। भीष्म गुस्सा हो जाते हैं और जाते-जाते कहा कि यदि आपकी सभा में कृष्ण का अपमान किया गया तो पुत्र पर रोने के लिए आपको आंसुओं की कमी पड़ जाएगी।

07.40PM भीष्म, धृतराष्ट्र को समझा रहे हैं कि कृष्ण के सामने अच्छे से पेश आए। वह शांतिदूत बनकर आ रहे हैं। वह कहते हैं कि दुर्योधन को बहुत चाह लिए अब हस्तिनापुर को चाहकर देखिए। वह दुर्योधन को कहते हैं कि वह कृष्ण को अपने स्वाभिमान के कांटे से न छुए। धृतराष्ट्र, विदुर को तैयारी करने के लिए कहते हैं। वह आगे कहते हैं कि मैं स्वयं वासुदेव की पूजा करूंगा।

07.30PM विदुर बताते हैं कि वासुदेव कृष्ण शांतिदूत बनकर हस्तिनापुर आ रहे हैं। भीष्म बोलेत हैं कि कृष्ण आशा और निराशा दोनों से परे हैं। कृष्ण मुझसे और तुमसे यह कहने आ रहे हैं कि युद्ध का विकल्प नहीं रह गया है। वह हमसे युद्ध की आज्ञा लेने आ रहे हैं। जब वह यहां आएंगे तो दुर्योधन सब खत्म कर देगा। विदुर कहते हैं जो प्रस्ताव लेकर कृष्ण हस्तिनापुर आ रहे हैं उसे धृतराष्ट्र स्वीकार करें यह बात महाराज धृतराष्ट्र को समझाइए। 

07.28PM भीष्म से विदुर मिलने के लिए पहुंचते हैं। विदुर कहते हैं कि आप खुली खिड़की के पास क्यों खडे़ हैं। भीष्म बोलते हैं कि मैं देख रहा हूं इस युद्ध को लेकिन हस्तक्षेप नहीं कर पा रहा हूं। मैं वह अभागा व्यक्ति हूं जो जीना नहीं चाहता लेकिन जीना पड़ रहा है। 

07.20PM कुमार शिखंडी कृष्ण से मिलने के लिए पहुंचते हैं। वह कृष्ण से कहते हैं कि मैं यह जानना चाहता हूं कि युद्ध होगा कि नहीं। कृष्ण ने कहा कि मैं शांतिदूत बनकर जा रहा हूं। शिखंडी बोलते हैं कि क्या अपमान का घाव शांति से भर सकता हूं। कृष्ण ने कहा कि यह अपमान पांडवों के हिस्से का है।

07.15PM भीष्म पितामह बहुत दुखी हैं। वह गुरुद्रोण से बात कर रहे हैं। वह कहते हैं कि अब जो युद्ध होने वाला है वह ह्रदय की ईट से ईट बजाकर रख देगा। गुरुद्रोण ने कहा कि हम हस्तिनापुर को बचाने की कोशिश करेंगे।

07.12PM द्रौपदी ने कहा कि मैं नहीं चाहती कि उसी राजसभा में हमारी तरफ से कोई शांतिदूत बनकर जाए। यदि पांडव भाई शांति चाहते हैं तो वे अवश्य ले लें, लेकिन मेरे बाल दुर्योधन के खून का इंतजार कर रहे हैं और इसे मेरे भाई और बेटे पूरा करेंगे। इस दौरान कृष्ण, द्रौपदी को समझाते हैं और उसे कहते हैं कि मत रो। 

07.10PM द्रौपदी ने कृष्ण से कहा कि मैं नहीं चाहती कि आप शांति दूत बनकर हस्तिनापुर जाए। पिताजी के राजदूत के साथ जो व्यवहार किया हुआ है वह किसी से छिपा नहीं है। वे दुष्ट शांति नहीं दंड के अधिकारी हैं। कृष्ण बोलते हैं मैं सब जानता हूं तुम्हारे खुले केश देख रहा हूं। इसकी दुर्गंध मुझे आ रही हैं, लेकिन शांति सिर्फ शांति है। 

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शांति दूत के रूप में कौन हस्तिनापुर गया?

शांति दूत बनकर हस्तिनापुर जा रहे श्री कृष्ण

पांडवों की ओर से कौन शांति दूत बनकर हस्तिनापुर गए थे?

07.30PM विदुर बताते हैं कि वासुदेव कृष्ण शांतिदूत बनकर हस्तिनापुर आ रहे हैं।

पांडवों की ओर से शांतिदूत के रूप में हस्तिनापुर कौन गया था क कृष्ण ख अर्जुन ग विराट घ संजय?

Answer: श्रीकृष्ण शांति वार्तालाप करने के उद्देश्य से हस्तिनापुर गए थे।