यूरोप में मध्यकालीन मठों का क्या कार्य था - yoorop mein madhyakaaleen mathon ka kya kaary tha

यूरोपीय इतिहस के सन्दर्भ में, 5वीं शताब्दी से लेकर 15वीं शताब्दी की कालावधि कि मध्य युग (मिडिल एज़) कहा जाता है। रोमन साम्राज्य के पतन के उपरान्त, पाश्चात्य सभ्यता एक हजार वर्षों के लिये उस युग में प्रविष्ट हुई, जो साधारणतया मध्ययुग (मिडिल एजेज) के नाम से विख्यात है। ऐतिहासिक रीति से यह कहना कठिन है कि किस किस काल अथवा घटना से इस युग का प्रारम्भ और अन्त होता है। मोटे तौर से मध्ययुग का काल पश्चिमी यूरोप में पाँचवीं शताब्दी के प्रारम्भ से पंद्रहवीं तक कहा जा सकता है।

तथाकथित मध्ययुग में एकरूपता नहीं है और इसका विभाजन दो निश्चित एवं पृथक् युगों में किया जा सकता है। 11वीं शताब्दी के पहले का युग सतत संघर्षों, अनुशासनहीनता, तथा निरक्षरता के कारण 'अंधयुग' कहलाया, यद्यपि इसमें भी यूरोप को रूपांतरित करने के कदम उठाए गए। इस युग का प्रारंभ रोमन साम्राज्य के पश्यिमी यूरोप के प्रदेशों में, बर्बर गोथ फ्रैंक्स वैंडल तथा वरगंडियन के द्वारा स्थापित जर्मन साम्राज्य से होता है। यहाँ तक कि शक्तिशाली शार्लमेन (742-814) भी थोड़े ही समय के लिये व्यवस्था ला सका। शार्लमेन के प्रपौलों की कलह तथा उत्तरी स्लाव और सूरासेन के आक्रमणों से पश्चिमी यूरोप एक बार फिर उसी अराजकता को पहुँचा जो सातवीं और आठवीं शताब्दी में थी। अतएव सातवीं और आठवीं शताब्दी का ईसाई संसार, प्रथम शताब्दी के लगभग के ग्रीक रोम जगत् की अपेक्षा सभ्यता एवं संस्कृति की निम्न श्रेणी पर था। गृहनिर्माण विद्या के अतिरिक्त, शिक्षा, विज्ञान तथा कला किसी भी क्षेत्र में उन्नति नहीं हुई थी। फिर भी अंधयुग उतना अंध नहीं था, जितना बताया जाता है। ईसाई भिक्षु एवं पादरियों ने ज्ञानदीप को प्रज्वलित रखा।

11वीं शताब्दी के अंत से 15वीं शताब्दी तक के उत्तर मध्य युग में मानव प्रत्येक दिशा में उन्नतिशील रहा। राष्ट्रीय एकता की भावना इंग्लैंड में 11वीं शताब्दी में, तथा फ्रांस में 12वीं शताब्दी में आई। शार्लमैन के उत्तराधिकारियों की शिथिलता तथा ईसाई चर्च के अभ्युदय ने, पोप को ईसाई समाज का एकमात्र अधिष्टाता बनने का अवसर दिया। अतएव, पोप तथा रोमन सम्राट् की प्रतिस्पर्धा, पावन धर्मयुद्ध, विद्या का नियंत्रण तथा रोमन केथोलिक धर्म के अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप इत्यादि में इस प्रतिद्वंद्विता का आभास मिलता है।

13वीं शताब्दी के अंत तक राष्ट्रीय राज्य इतने शक्तिशाली हो गए थे कि चर्च की शक्ति का ह्रास निश्चित प्रतीत होने लगा। नवीं शताब्दी से 14वीं शताब्दी तक, पश्चिमी यूरोप का भौतिक, राजनीतिक तथा सामाजिक आधार सामंतवाद था, जिसके उदय का कारण राजा की शक्तियों का क्षीण होना था। समाज का यह संगठन भूमिव्यवस्था के माध्यम से पैदा हुआ। भूमिपति सामंत को अपने राज्य के अंतर्गत सारी जनता का प्रत्यक्ष स्वामित्व प्राप्त था। मध्ययुग नागरिक जीवन के विकास के लिये उल्लेखनीय है। अधिकांश मध्ययुगीन नगर सामंतों की गढ़ियों, मठों तथा वाणिज्य केंद्रों के आस पास विकसित हुए। 12वीं तथा 13वीं शताब्दी में यूरोप में व्यापार की उन्नति हुई। इटली के नगर विशेषतया वेनिस तथा जेनोआ पूर्वी व्यापार के केंद्र बने। इनके द्वारा यूरोप में रूई, रेशम, बहुमूल्य रत्न, स्वर्ण तथा मसाले मँगाए जाते थे। पुरोहित तथा सामंत वर्ग के समानांतर ही व्यापारिक वर्ग का ख्याति प्राप्त करना मध्ययुग की विशेषताओं में है। इन्हीं में से आधुनिक मध्यवर्ग प्रस्फुटित हुआ। मध्ययुग की कला तथा बौद्धिक जीवन अपनी विशेष सफलताओं के लिये प्रसिद्ध है। मध्ययुग में लैटिन अंतरराष्ट्रीय भाषा थी, किंतु 11वीं शताब्दी के उपरांत वर्नाक्यूलर भाषाओं के उदय ने इस प्राचीन भाषा की प्राथमिकता को समाप्त कर दिया। विद्या पर से पादरियों का स्वामित्व भी शीघ्रता से समाप्त होने लगा। 12वीं और 13वीं शताब्दी से विश्वविद्यालयों का उदय हुआ। अरस्तू की रचनाओं के साथ साथ, कानून, दर्शन, तथा धर्मशास्त्रों का अध्ययन सर्वप्रिय होने लगा। किंतु वैज्ञानिक साहित्य का सर्वथा अभाव था। भवन-निर्माण-कला की प्रधानता थी, जैसा वैभवशाली चर्च, गिरजाघरों तथा नगर भवनों से स्पष्ट है। भवननिर्माण की रोमन पद्धति के स्थान पर गोथिक पद्धति विकसित हुई। आधुनिक युग की अधिकांश विशेषताएँ उत्तर मध्ययुग के प्रवाहों की प्रगाढ़ता है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • यूरोपीय पुनर्जागरण (european renaissance)
  • यूरोपीय ज्ञानोदय (European enlightment)

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • Internet Medieval Sourcebook Project Primary source archive
  • The Online Reference Book of Medieval Studies Academic peer reviewed articles
  • The Labyrinth Resources for Medieval Studies.
  • NetSERF The Internet Connection for Medieval Resources.
  • The Middle Ages - an informational site for teachers and students
  • Information from the Medieval Period.
  • De Re Militari: The Society for Medieval Military History
  • Medievalists.net
  • Medievalmap.org Interactive maps of the Medieval era (Flash plug-in required)
  • Middle Ages, library of books available at Internet Archive
  • "MacKinney Collection of Medieval Medical Illustrations"
  • Medieval Realms Learning resources from the British Library including studies of beautiful medieval manuscripts
  • Medieval Knights Medieval Knights is a medieval educational resource site geared to students and medieval enthusiasts.
  • Charles Raymond Beazley. A Note-Book of Mediaeval History, A.D. 323- A.D. 1453. Oxford: Clarendon Press. 1917. Annotated time-line of medieval history.
  • The Soldier in later Medieval England Detailed service records of 250,000 medieval soldiers are online.
  • Clio History Journal, Medieval History Page
  • The Medieval Review

मध्यकालीन यूरोप के मठों का क्या कार्य था?

मध्यकालीन मठों में भिक्षु रहते थे। वे धार्मिक कार्य तथा अध्ययन करने के साथ-साथ कृषि कार्य भी करते थे। ... इस प्रकार मध्यकालीन मठ धार्मिक एवं कलात्मक गतिविधियों के केंद्र थे। ये लोगों को नैतिक शिक्षा देते थे तथा रोगियों की सेवा करते थे।

मध्यकालीन मठों के प्रमुख कार्य कौन कौन से थे?

एक मठ में इन कार्यो के अतिरिक्त सामाजिक सेवा, साहित्य इत्यादि से सम्बन्धित कार्य भी होते हैं।

मठ क्या थे मध्यकालीन यूरोप के किन्हीं दो प्रसिद्ध मठों के नाम बताइये?

श्रृंगेरी मठ: श्रृंगेरी शारदा पीठ भारत के दक्षिण में रामेश्वरम् में स्थित है. श्रृंगेरी मठ कर्नाटक के सबसे प्रसिद्ध मठों में से एक है. इसके अलावा कर्नाटक में रामचन्द्रपुर मठ भी प्रसिद्ध है.

मध्यकालीन यूरोप के इतिहास के पुनर्निर्माण में चर्च का क्या योगदान है?

इसका मतलब यह हुआ कि feudalism कोई विश्व - व्यवस्था नहीं था, पूँजीवाद ही सबसे पहली विश्व व्यवस्था बना । Feudalism शब्द का प्रयोग उस सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक संगठन के लिए किया जाता है जिसका योरुप में Roman साम्राज्य के पतन के बाद विकास हुआ।