वैसे तो व्यवसाय शब्द से हम सभी परिचित है। व्यवसाय एक आर्थिक क्रिया है। जिसमें वस्तुओं का क्रिय-विक्रय क्या जाता है। वास्तविकता मे हम व्यापार को ही व्यवसाय समझते है लेकिन व्यवसाय का एक विशिष्ट अर्थ है। इस लेख मे हम व्यवसाय की परिभाषा, विशेषताएं और प्रकार के बारे चर्चा करेंगे। Show
व्यवसाय का अर्थ (vyavsay ka arth)व्यवसाय एक ऐसी आर्थिक क्रिया है जिसमें लाभ कमाने के उद्देश्य से वस्तुओं और सेवाओं का नियमित रूप से उत्पादन क्रय-विक्रय विनियम और हस्तांतरण किया जाता है। व्यवसाय को हम तभी व्यवसाय कहेगें जब उसमे आर्थिक क्रियाओं मे नियमितता हो। व्यसाय मे उन सभी क्रियाओं को सम्मिलित किया जाता है, जिसमें वस्तुओं के उत्पादन से लेकर वितरण तक क्रियाएं की जाती है। व्यवसाय का मुख्य उद्देश्य समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए धन प्राप्त करना होता है। व्यवसाय की परिभाषा (vyavsay ki paribhasha)व्यवसाय की परिभाषा मैल्विवन ऐन्सन के अनुसार इस प्रकार है-- व्यवसाय की मुख्य विशेषताएं (vyavsay ki visheshta)1. व्यवसाय एक मानवीय आर्थिक क्रिया है। व्यवसाय के प्रकार (vyavsay pirakary)डाॅ. डी. खुल्लर के आर्थिक क्रियाओं के आधार पर व्यवसाय चार प्रकार बतायें हैं---- 1. प्राथमिक क्रियाकलाप जिन क्रियाओं मे मनुष्य प्रकृति प्रदत्त संसाधनो का सीधा उपयोग करता है और अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने का प्रयास करता है वे सभी क्रियाकलाप प्राथमिक क्रियाकलाप कहलाएँगे। इनसे प्राथमिक व्यवसाय की श्रेणी का निर्धारण होता है। प्राथमिक क्रियाकलाप के उदाहरण हैं, वनो से संग्रह, शिकर करना, लकड़ी काटना, पशुपालन, मछली पालन, कृषि कार्य आदि। 2. द्दितीयक क्रियाकलाप द्दितीयक क्रियाकलापों मे कृति प्रदत्त संसाधनो का सीधा उपयोग नही किया जाता। बल्कि प्रकृति प्रदत्त वस्तुओं को परिष्कृत कर उपयोग मे लाया जाता है। जैसे गेहूँ से आटा, कपास से सूत बनाना, लोहे से इस्पात, लकड़ी से फर्नीचर आदि। द्वितीय व्यवसाय की यह अवस्था औधोगिक विकास की अवस्था होती है। 3. तृतीयक क्रियाकलाप तृतीयक क्रियाकलाप मे समुदाय को दी जाने वाली सेवाओं से संबंधित क्रियाकलाप आते है। जीवन के विविध क्षेत्रों से जुड़ी सेवाएं जैसे- शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रशासन, संचार, व्यापार, यातायात इत्यादि। इन्हें तृतीयक व्यवसाय कि श्रेणी मे रखा जा सकता हैं। 4. चतुर्थक क्रियाकलाप चतुर्थक क्रियाकलाप एक अन्य तरह का क्रियाकलाप है जिससे संबंधित सेवाओं को चतुर्थक व्यवसाय के अंतर्गत रखा जा सकता है। उदाहरण के लिए शोध कार्य, वैज्ञानिक, कलाकार, नेतृत्व, वकालत आदि। दोस्तों इस लेख में हमने व्यवसाय का अर्थ, परिभाषा, प्रकार और विशेषताओं के बारे मे जाना आशा करता हूं कि आपको व्यवसाय का अर्थ और परिभाषा शीघ्र ही समझ में आ गई होगी। अगर इस लेख या व्यवसाय से सम्बन्धित आपका कोई प्रश्न या सवाल है तो नीचे comment कर जरूर
बताएं मै आपके comment का इंतजार कर रहा हूं। व्यवसाय क्या है इसकी विशेषताओं का वर्णन?व्यवसाय वित्त कि विशेषताएँ
''व्यवसाय एक ऐसी क्रिया है, जिसमें लाभ कमाने के उद्देश्य से वस्तुओं अथवा सेवाओं का नियमित उत्पादन क्रय-विक्रय तथा विनिमय सम्मिलित है''। संलग्न होते हैं। इन वस्तुओं में ब्रेड, मक्खन, दूध, चाय आदि जैसी उपभोक्ता वस्तुएं भी हो सकती हैं और संयन्त्रा, मशीनरी, उपकरण आदि जैसी पूंजीगत वस्तुएँ भी।
व्यवसाय से आप क्या समझते हैं व्यवसाय के मुख्य उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए?व्यवसाय का अर्थ (vyavsay ka arth)
व्यवसाय को हम तभी व्यवसाय कहेगें जब उसमे आर्थिक क्रियाओं मे नियमितता हो। व्यसाय मे उन सभी क्रियाओं को सम्मिलित किया जाता है, जिसमें वस्तुओं के उत्पादन से लेकर वितरण तक क्रियाएं की जाती है। व्यवसाय का मुख्य उद्देश्य समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए धन प्राप्त करना होता है।
व्यापार की विशेषताएं क्या है?इसकी विशेषता निम्नलिखित होती है :जैसे :1)इसमें क्रेता एवं विक्रेता दोनों पक्षों का होना जरूरी होता है! 2) इसमें दोनों पक्षों को लाभ प्राप्त होता है! 3) इसमें वस्तु और सेवाओं दोनों का क्रय विक्रय कर सकते हैं! 4) बिजनेस में भाग लेने वाले संस्थाओं, दलाल, बैंक, बीमा,परिवहन,कंपनियां आदि को भी व्यापारी कहा जा सकता है!
व्यवसाय का प्रमुख उद्देश्य क्या है?लाभ कमाने का उद्देश्य : व्यावसायिक क्रियाओं का प्राथमिक उद्देश्य लाभ के माध्यम से आय अर्जित करना है। बिना लाभ के कोई भी व्यवसाय अधिक समय तक चालू नहीं रह सकता । लाभ कमाना व्यवसाय के विकास और विस्तार की दृष्टि से भी आवश्यक होता है।
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