Source पर्यावरण प्रदूषण : एक अध्ययन, हिंद-युग्म, नई दिल्ली, अप्रैल 2016 प्रदूषण इन्सानी सेहत के लिये एक बहुत बड़ी समस्या बनता जा रहा है। उसके बहुत से कारण हैं। हवा में प्रदूषण का एक कारण कुदरती जरिया है उड़ती हुई धूल। कारखानों के परिचालन या जंगल की आग से तमाम किस्म के हानिकारक कण हवा में दाखिल हो जाते हैं, जिनसे पर्यावरण में प्रदूषण फैलता रहता है। जब जंगल में आग लगती है तो उससे जंगल जलकर राख हो
जाते हैं और यही राख जब हवा में दाखिल होती है तो प्रदूषण फैलाती है। दूसरी सबसे बड़ी वजह आबादी का बढ़ना और लोगों का खाने-पीने और आने-जाने के लिये साधन उपलब्ध करवाना है जिसकी वजह से स्कूटर, कारों और उनके उद्योगों का बढ़ना, थर्मल पावर प्लाण्ट का बढ़ना, कारों की रफ्तार का बढ़ना, प्राकृतिक पर्यावरण में बदलाव का होना है। प्रदूषण की खासतौर पर तीन किस्में होती हैं। जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण। लेकिन हम यहाँ पर वायु प्रदूषण और मानव जीवन के बारे में बताना चाहेंगे। वायु प्रदूषण एक ऐसा प्रदूषण है जिसके कारण रोज-ब-रोज मानव स्वास्थ्य खराब होता चला जा रहा है और पर्यावरण के ऊपर भी इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। यह प्रदूषण ओजोन की परत को पतला करने में मुख्य भूमिका निभा रहा है, जिसकी वजह से जैसे ही आप घर के बाहर कदम रखेंगे आप महसूस करेंगे कि हवा किस कदर प्रदूषित हो चुकी है। धुएँ के बादलों को बसों, स्कूटरों, कारों, कारखानों की चिमनियों से निकलता हुआ देख सकते हैं। थर्मल पावर प्लान्ट्स से निकलने वाली फ्लाई ऐश (हवा में बिखरे राख के कण) किस कदर हवा को प्रदूषित कर रहा है, कारों की गति रोड पर किस कदर प्रदूषण को बढ़ा रही है। सिगरेट का धुआँ भी हवा को प्रदूषित करने में पीछे नहीं है। वायु प्रदूषण के कारण
वायु प्रदूषण और उसकी बुनियादकार्बन मोनो ऑक्साइड: यह एक अधजला कार्बन है जोकि पेट्रोल डीजल ईंधन और लकड़ी के जलने से पैदा होता है। यह सिगरेट से भी पैदा होता है। यह ऑक्सीजन में कमी पैदा करता है जिससे हम अपनी नींद में परेशानी महसूस करते हैं। कार्बन डाइ ऑक्साइड: यह एक ग्रीन हाउस गैस है। जब मानव कोयला ऑयल और प्राकृतिक गैस को जलाता है तो इन सबके जलने से कार्बन डाइ ऑक्साइड गैस पैदा होती है। क्लोरो-फ्लोरो कार्बन: यह ओजोन को नष्ट करने वाला एक रसायन है। जब इसको एयर कन्डीशनिंग और रेफ्रीजरेटर के लिये उपयोग किया जाता है तब इसके कण हवा से मिलकर हमारे वायुमंडल के समताप मंडल (stratosphere) तक पहुँच जाते हैं और दूसरी गैसों से मिलकर ओजोन परत को हानि पहुँचाते हैं। यही ओजोन परत जमीन पर जीव-जन्तुओं तथा वनस्पतियों को सूर्य की नुकसान पहुँचाने वाली पराबैंगनी किरणों (Ultravoilet rays) से बचाती हैं। यही कारण है कि क्लोरो-फ्लोरो कार्बन मनुष्य और अन्य जैविक जगत के लिये बहुत बड़ा खतरा है। सीसा (Lead) : सीसा, डीजल, पेट्रोल, बैटरी, पेंट और हेयर डाई आदि में पाया जाता है। लेड खासतौर से बच्चों को प्रभावित करता है। इससे दिमाग और पेट की क्रिया खराब हो जाती है। इससे कैन्सर भी हो सकता है। ओजोन (Ozone) : ओजोन लेयर वायुमंडल में समताप मंडल (stratosphere) की सबसे ऊपरी परत है। यह एक खास और अहम गैस है। इसका काम सूरज की हानि पहुँचाने वाली पराबैंगनी किरणों को भूमि की सतह पर आने से रोकना है। फिर भी यह जमीनी सतह पर बहुत ज्यादा दूषित है और जहरीली भी है। कल-कारखानों से ओजोन काफी तादाद में निकलती है। ओजोन से आँखों में पानी आता है और जलन होती है। नाइट्रोजन ऑक्साइड : इसकी वजह से धुन्ध और अम्लीय वर्षा होती है। यह गैस पेट्रोल, डीजल और कोयला के जलने से पैदा होती है। इससे बच्चों में बहुत से प्रकार के रोग हो जाते हैं जोकि सर्दियों में आम होते हैं। निलम्बित अभिकणीय पदार्थ (Suspended Particulate Matter : SPM) : यह हवा में ठोस, धुएँ, धूल के कण के रूप में होते हैं जो एक खास समय तक हवा में रहते हैं। जिसकी वजह से फेफड़ों को हानि पहुँचता है और साँस लेने में परेशानी होती है। 'सल्फर डाइ ऑक्साइड' : जब कोयला को थर्मल पावर प्लान्ट में जलाया जाता है तो उससे जो गैस निकलती है वो 'सल्फर डाइ ऑक्साइड' गैस होती है। धातु को गलाने और कागज को तैयार करने में निकलने वाली गैसों में भी 'सल्फर डाइ ऑक्साइड' होती है। यह गैस धुन्ध पैदा करने और अम्लीय वर्षा में बहुत ज्यादा सहायक है। सल्फर डाइ ऑक्साइड की वजह से फेफड़ों की बीमारियाँ हो जाती हैं। वायु प्रदूषण से कैसे बचें
वायु प्रदूषण के स्रोत क्या है इसके मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?हवा में प्रदूषण का एक कारण कुदरती जरिया है उड़ती हुई धूल। कारखानों के परिचालन या जंगल की आग से तमाम किस्म के हानिकारक कण हवा में दाखिल हो जाते हैं, जिनसे पर्यावरण में प्रदूषण फैलता रहता है। जब जंगल में आग लगती है तो उससे जंगल जलकर राख हो जाते हैं और यही राख जब हवा में दाखिल होती है तो प्रदूषण फैलाती है।
वायु प्रदूषण का प्रमुख स्रोत क्या है?वायु प्रदूषण के प्राकृतिक स्रोत ज्वालामुखी विस्फोट, जंगल की आग, समुद्री लवण स्प्रे, जैविक क्षय, टेरपेन के फोटोकैमिकल ऑक्सीकरण, दलदल, अलौकिक निकाय फूलों, बीजाणुओं के पराग कण आदि हैं, पृथ्वी की पपड़ी में मौजूद रेडियोधर्मी खनिज रेडियोधर्मिता के स्रोत हैं। वातावरण में।
प्रदूषण का मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है कोई चार लिखिए?प्रश्न 151 : प्रदूषण से मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है? बताइए। (ii) प्रदूषित पेय जल अनेक रोगों के कीटाणु, विषाणु मनुष्य के शरीर में पहुँचाकर रोगों को उत्पन्न कर देता है। प्रदूषित जल के सेवन से पेचिश, हैजा, अतिसार, टायफाइड, चर्मरोग; खाँसी, जुकाम, लकवा, अन्धापन, पीलिया व पेट के रोग हो जाते हैं।
वायु प्रदूषण क्या है वायु प्रदूषण के प्रभाव?जब वायुमंडल के बाह्य से विविध प्रदूषक तथा धूल, गैस और वाष्प आदि इतनी मात्रा में और अवधि में एकत्रित हो जाये कि उससे वायु के प्राकृतिक गुण में अन्तर आने लगे तथा उससे मानव स्वास्थ्य, सुखी जीवन और संपत्ति को हानि होने लगे व जीवन की गुणवत्ता बाधित हो तो उसे वायु प्रदूषण कहते हैं।
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