मध्यप्रदेश की प्रमुख लोक कलाएं कौन सी हैं उनका वर्णन करते हुए प्रमुख विशेषताओं को विस्तार? - madhyapradesh kee pramukh lok kalaen kaun see hain unaka varnan karate hue pramukh visheshataon ko vistaar?

मध्यप्रदेश की प्रमुख लोक कलाएं कौन सी हैं उनका वर्णन करते हुए प्रमुख विशेषताओं को विस्तार? - madhyapradesh kee pramukh lok kalaen kaun see hain unaka varnan karate hue pramukh visheshataon ko vistaar?

शिल्पकला

मध्यप्रदेश केविभिन्नअंचलोंमेंआदिवासी एवंग्रामीणजनसंख्याकाबाहुल्य होनेकेकारणविभिन्नतरह कीशिल्पकलाओंकीउत्पत्ति हुईहै।

मध्यप्रदेशकीप्रमुख शिल्पकलाएंइसप्रकारहैं

काष्ठ शिल्प

मध्यप्रदेशमेंकाष्ठशिल्प  कीपरंपराअतिप्राचीनहै। आदिमयुगसेहीमनुष्य नेगाड़ीकेपहियों ,देवी देवताओंकीमूर्ति ,घरोंके दरवाजों, पाटों ,मुकुटआदिके रूपमेंकाष्ठशिल्पका निर्माणकियाहैप्रदेश मेंकोरकूएवंभीलआदिवासी क्षेत्रोंमेंकाष्ठशिल्पका महत्वपूर्णविकासहुआहै।यहां बनीलकड़ीकी  सामग्रियोंकी मांगमहानगरोंसहितयूरोपीयदेशों मेंअच्छीमांगहोतीहै।

कंघीशिल्प

कंघीबनानेकाश्रेयबंजाराजनजातिकोहै।प्रदेशमें कंघीतेलकेप्रमुखकेंद्र उज्जैन, रतलाम ,नीमचहै।आदिवासियों द्वाराकंघियोंपरअलंकरणगोदना भित्तिचित्रोंकानिर्माणकिया जाताहै।

खरादशिल्प

प्रदेशकेश्योपुरकला ,बुधनी घाट, रीवा, मुरैनाकीखराद कलाप्रसिद्धहै।खरादसागवान ,दूधीकदम्ब, गुरजेल, मेडला,सलाई  खैरआदिवृक्षोंकीलकड़ीपर कीजातीहै।खरादकला मेंखिलौनेएवंसजावटकी सामग्रीबनाईजातीहै।

टेराकोटा शिल्प

मंडलाजिलेमेंनिवास करनेवालीजनजातियांगोंडबैगा ,प्रधान ,धीमा ,जिनवार, औरओरिया पटरीटेराकोटाशिल्पके शिल्पीहैं।इसशिल्पमें धार्मिकमान्यताओंऔरपरंपराओंमें कामआनेवालीप्रतिमाओंका निर्माणहोताहैजिसमेंबड़ादेव फुलवारीदेवीकीप्रतिमाएंप्रसिद्ध हैं।इसशिल्पमें तरह-तरहकेखिलौनेसजावटी सामानोंऔरगमलोंकानिर्माण कियाजाताहै।

छीपाशिल्प

छीपाशिल्प, हाथसे  कपड़ेपरबनायाजाताहै, जिसमेंभीलआदिवासियोंकेविभिन्न जातीयप्रतीकोंकासमावेशहोता हैबाघ, कुक्षी ,मनावर, उज्जैनछीपाशिल्पकेप्रमुख केंद्रहैंउज्जैनका छीपाशिल्पकोभेरूगढ़के नामसेदेशएवंविदेश मेंजानाजाताहै।

महेश्वरीसाड़ी

महेश्वरीसाड़ीउद्योग कलाकोस्थापितकरनेका श्रेयप्रसिद्धशासिकाअहिल्याबाई होल्करकोहै।महेश्वरके पारंपरिकबुनकरोंद्वाराबनाईगई सूतीऔररेशमीसाडि़यांसुंदर, टिकाऊपक्केरंगकीहोती हैंजिनपरजरीऔर केलकेधागोंसे छोटे-छोटेबेलबूटेकाढ़े जातेहैं।

चंदेरीसाड़ी

चंदेरीमेंरेशमीएवंसूतीदोनों तरहकेसाडि़यांबनाईजाती हैं।इनसाडि़योंकीविशेषता हल्केऔरगहरेरंग, कलात्मक चौड़ेबॉर्डरतथासाड़ीके बीचमेंबड़ेआकारके जरी, रेशमीऔरसूतीबेल बूटेहैंचंदेरीसाड़ी कीबनावटप्रायःसादीहोती है ,लेकिनउसकेपल्लूपर विभिन्नरंगीनधागोंसेसंयोजित बड़ेआकारकेबेलबूटे ,मोरबत्तखआदिकीआकृतियां काढ़ीजातीहैं।

भरेवाशिल्प

बैतूलकेआदिवासियोंद्वाराधातु सेदैनिकउपयोगकीकलात्मक वस्तुएंतथादेवी-देवताओंकी मूर्तियांबनाईजातीहैं।

पीतल शिल्प

पीतलएवंतांबेसेनरसिंहपुरजिलेमेंकलात्मकवस्तुएंबनाईजातीहैं।यहांप्रमुखरूपसे बर्तनबनानेकाकामहोता हैजिसमेंपरातडेकचीगंज शामिलहैं।

धातुशिल्प

सतनाकेउचहेराकस्बेमेंकहां सेकीप्रसिद्धबटलोही हीनामकपात्रबनाएजाते हैं।

सुपारीशिल्प

रीवा मेंसुपारीपरमूर्तियांबनाई जातीहैं।

खिलौनाशिल्प

सीहोरजिलेकेबुधनीतहसीलकाष्ठ कलाकृतियोंकेलिएप्रसिद्धहै ।यहांपरलकड़ीकेखिलौने बनाएजातेहैं।

लाखशिल्प

मध्यप्रदेशमेंउज्जैन, इंदौर ,रतलाम, मंदसौरमहेश्वर  लाखशिल्पके परंपरागतकेंद्रहैं।प्रदेशमें लखारजनजातिद्वारालाखके चूड़े, कलात्मकखिलौने ,श्रंगारपेटियां, डिबियाँ, अलंकृतपशु-पक्षीआदि कलात्मकवस्तुएंबनाईजातीहैं।

भीलीशिल्प

धारएवं झाबुआक्षेत्रमेंभीलीमहिलाएं दैनिकउपयोगकेलिएसुंदर कोमलबटवामोतीमालाएवं थैलियांबनातीहैं।

प्रस्तरशिल्प

प्रदेशमेंप्रस्तरशिल्पका विकासमंदसौरएवंरतलामजिले मेंहुआहैइनजिलों मेंगुर्जर, गायरी ,जाटऔर भीलजातियोंद्वारापत्थरोंसे मूर्तियां,  सौंदर्यत्मकएवंदैनिकउपयोग कीविभिन्नवस्तुओंकोबनाया जाताहै।

मिट्टीशिल्प

मिट्टीशिल्पसर्वाधिकप्राचीनशिल्पकला है।मनुष्यनेअपनेआरंभिक समयसेहीविभिन्नतरह केखिलौनेमूर्तियांआदिबनाए हैं।प्रदेशमेंमिट्टीशिल्प झाबुआ ,मंडलाकेकुम्हारोंद्वारा विशेषरूपसेबनाएजाते हैंबैतुलकेशिल्प भीअपनीनिजीविशेषताओंके कारणप्रसिद्धहै।

गुडि़याशिल्प

प्रदेशमेंनएपुरानेवस्त्रों एवंकागजोंसेगुडि़याबनाने कीलोकपरंपराहै।ग्वालियरअंचल मेंकपड़े ,लकड़ीऔरकागज सेबनाईजानेवालीगुडि़यों कीपरंपराअनुष्ठानिकहै ग्वालियरअंचलकीगुडि़याएंअपने विशिष्टआकार, प्रकारएवंवेशभूषा केकारणअधिकप्रसिद्धहै।

कठपुतलीशिल्प

कठपुतलीके द्वाराऐतिहासिकघटनाओंएवंकथाओं कोनाटकीयअंदाजमेंप्रस्तुत कियाजाताहै।कठपुतलीकी प्रसिद्धपात्रअनारकली ,बीरबलअकबर, पुंगीवालाघुड़सवार, सांपऔर जोगीहोतेहैं।प्रदेशके सभीअंचलोंमेंकठपुतलीशिल्प प्रचलितहै।

तीरधनुषकला

तीरधनुषकलाप्रदेशकी भील ,पहाड़ीकोरवा,कमारआदि जनजातियोंमेंतीरधनुषकला विशेषप्रचलितहै।तीरधनुषबांस, मोरपंख ,लकड़ी, लोहा, रस्सी आदिसेबनाएजातेहैं।

बांसशिल्प

प्रदेशमेंबांसशिल्पकाप्रमुखकेंद्रझाबुआमंडलाहै यहांकेआदिवासीबातसे सौंदर्यपरकएवंजीवनउपयोगी वस्तुओंकानिर्माणकरतेहैं।

पत्ताशिल्प

पेड़केपत्तोंसेकलात्मकखिलौने ,चटाई, आसनदूल्हा दुल्हनकेमोढ़े़आदिबनाए जातेहैं।पत्तोंकीकोमलता केअनुरूपहोनेमेंविभिन्न कलाकृतियोंकोबनायाजाताहै ।पत्ता  शिल्पकेकलाकारमुख्यतः झाड़ूबनानेवालेहोतेहैं।

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मध्यप्रदेश की प्रमुख लोक कलाएं कौन कौन सी है वर्णन कीजिए?

शिल्प कला.
खराद शिल्प प्रदेश के श्योपुर कला ,बुधनी घाट, रीवा, मुरैना की खराद कला प्रसिद्ध है। ... .
महेश्वरी साड़ी महेश्वरी साड़ी उद्योग कला को स्थापित करने का श्रेय प्रसिद्ध शासिका अहिल्या बाई होल्कर को है । ... .
भरेवा शिल्प ... .
पीतल शिल्प ... .
सुपारी शिल्प ... .
लाख शिल्प ... .
मिट्टी शिल्प ... .
कठपुतली शिल्प.

लोक कला की विशेषताएं क्या है?

लोक कला एक स्वदेशी संस्कृति या किसानों या अन्य श्रमिक परंपराओं से निर्मित कला को शामिल करती है। ललित कला के विपरीत, लोक कला विशुद्ध रूप से सौंदर्य की बजाय मुख्य रूप से उपयोगितावादी और सजावटी है। लोक कला एक भोली शैली की विशेषता है, जिसमें अनुपात और परिप्रेक्ष्य के पारंपरिक नियम नियोजित नहीं हैं।

मध्य प्रदेश की लोक कलाएं कितने भागों में बांटा गया है?

लोकवार्ता में लोककलाएं, लोकअनुष्ठान, लोकमार्ग तथा लोकसाहित्य सभी आते हैं। लोकसाहित्य लोकवार्ता के अन्य भागों से पृथक नहीं है।

लोक कला कितने प्रकार के होते हैं?

भारत की लोक चित्रकला.
मधुबनी चित्रकला.
पट्टचित्र कला.
पिथोरा चित्रकला.
कलमकारी चित्रकला.
कालीघाट चित्रकला.
फर्श चित्रकला (पट चित्रकला).
वर्ली चित्रकला.
थांका चित्रकला.