शेर-व्यवस्था का प्रतीक Show ‘शेर’ असगर वजाहत की प्रतीकात्मक और व्यंग्यात्मक लघु कथा है। शेर व्यवस्था का प्रतीक है, जो अभी तक खामोश रहती है। जब तक सारी जनता उसके खिलाफ नहीं बोलती। जैसे ही व्यवस्था के खिलाफ उंगली उठती है, सत्ता उसे कुचलने का प्रयास करती है। सत्ता में बैठे लोग जनता को विभिन्न प्रलोभन देकर उसे अपनी और मिलाने का प्रयास करते हैं , जबकि सच्चाई यह है कि वह केवल अपना उल्लू सीधा कर रहे होते हैं। शेर द्वारा दिए गए प्रलोभन से गधा, लोमड़ी, उल्लू और कुत्ता का समूह बिना कुछ सोचे विचारे उसके मुँह में जा रहे थे। प्रमाण से अधिक महत्वपूर्ण विश्वास: भोली-भाली जनता प्रमाण को अधिक महत्व न देते हुए विश्वास के आधार पर शोषक वर्ग सत्ता वर्ग की बात मानती है। यह जानते हुए भी कि शेर एक मांसाहारी जीव है, जो सभी को खा जाता है। सभी जानवरों को यह विश्वास दिला दिया जाता है कि अब शेर, अहिंसा और अस्तित्ववादी का समर्थक हो गया है और वह जानवरों का शिकार नहीं करेगा। अतः जानवर उनकी बात मान कर शेर के मुँह में स्वयं प्रवेश कर लेते हैं। किंतु लेखक जैसे कुछ लोग हैं जो प्रमाण को ही अधिक महत्वपूर्ण मानते हैं, जिन्हें सत्ता कुचलने का प्रयास करती है। लेखक असगर वजाहत द्वारा लिखी लघु कथा शेर में शेर किसका प्रतीक है स्पष्ट करें?कहानी में लेखक ने शेर को सत्ता का प्रतीक बताया है। यह सत्ता आम जनता को धोखा देकर तथा विभिन्न प्रकार के लालच देकर अपनी अँगुलियों में नचाने का प्रयास करती है।
असगर वजाहत द्वारा लिखी लघुकथाओं में से कौन सी लघुकथा आपको सर्वाधिक प्रभावित करती है और?'शेर' असगर वजाहत की प्रतीकात्मक और व्यंग्यात्मक लघु कथा है। शेर व्यवस्था का प्रतीक है, जो अभी तक खामोश रहती है। जब तक सारी जनता उसके खिलाफ नहीं बोलती। जैसे ही व्यवस्था के खिलाफ उंगली उठती है, सत्ता उसे कुचलने का प्रयास करती है।
चार हाथ लघु कथा क्या उजागर करती है?यह लघुकथा पूंजीपतियों द्वारा मजदूरों के शोषण को उजागर करती है। 2- मजदूर विवशता के कारण आधी मजदूरी में भी काम करने को राजी हो जाते हैं।
चार हाथ कहानी के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?Answer: चार हाथ न लग पाने पर मिल मालिक की समझ में आई कि यह प्रयास व्यर्थ है। इससे अच्छा है कि मज़दूरों की मज़दूरी कम करके नए मज़दूर इसी मज़दूरी में रख लो और अपना कार्य तेज़ी से करवाओ।
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