पाहुन ज्यों आए हो गाँव में शहर के - काव्य पंक्ति में उचित अलंकार कौन सा है? - paahun jyon aae ho gaanv mein shahar ke - kaavy pankti mein uchit alankaar kaun sa hai?

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Question

काव्य-सौंदर्य लिखिए - (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।मेघ आए बड़े बन-ठन के सवँर के। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});

Solution

यहाँ पाहुन (दामाद) के माध्यम से प्रकृति का मानवीकृत रुप प्रस्तुत किया गया है। कविता में चित्रात्मक शैली का प्रयोग किया गया है। कविता में भाषा का सहज तथा सरल रुप प्रस्तुत किया गया है। कहीं कहीं पर ग्रामीण शब्दों जैसे- 'पाहुन' का प्रयोग किया गया है। 'बड़े बन-ठन के' में 'ब' वर्ण का प्रयोग बार-बार हुआ है। अत: यहाँ अनुप्रास अलंकार है। मेघों को पाहुन के रुपक द्वारा प्रस्तुत किया गया है। अत: यहाँ रुपक अलंकार है।

पाहुन ज्यों आए हो गांव में शहर के में कौन सा अलंकार है * 1 Point?

अत: यहाँ अनुप्रास अलंकार है।

पाहुन ज्यों आए हो गाँव में शहर के '

" पाहून ज्यों आये हों गाँव में शहर के " में उत्प्रेक्षा अलंकार हैं। समानता होने के कारण उपमेय में उपमान के होने कि कल्पना की जाए या संभावना हो तब वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। अलंकार शब्द का अर्थ होता है आभूषण या श्रंगार। जो शब्द काव्य की शोभा को बढ़ाते हैं उसे अलंकार कहते हैं।