वार्षिक हिंदी में कैसे लिखते हैं? - vaarshik hindee mein kaise likhate hain?

दोस्तों हिंदी विषय का पेपर थोड़ा सा लंबा आता है इसमें प्रश्नों की संख्या थोड़ी ज्यादा होती है इसीलिए हमेशा याद रखें कि जब भी परीक्षा दें तब आपको परीक्षा में समय का विशेष ध्यान रखना है | यदि आप समय पर विशेष ध्यान नहीं देंगे तो आपको परीक्षा में समय कम पड़ जाएगा क्योंकि हिंदी के पेपर में थोड़ा सा ज्यादा लिखना होता है | तो तो हिंदी के पेपर में हमें लिखावट पर विशेष ध्यान देना चाहिए किसी भी प्रकार से लिखने का तरीका गलत नहीं होना चाहिए अन्यथा हमारे अंक काटे जा सकते हैं | दोस्तों हिंदी विषय की तैयारी किस प्रकार करना है और पेपर को हल करने का तरीका क्या है कैसे हम पेपर को समय से कुछ देर पहले पूरा हल कर सकते हैं | पेपर में कब किस प्रश्न को हल करना है इन सारी बातों पर चर्चा करेंगे और साथ में हिंदी विषय की तैयारी मैं किन-किन बातों का ध्यान रखना है, इन सारी बातों पर चर्चा करेंगे |

दोस्तों हिंदी का पेपर चार खंडों में विभाजित होता है आपको जिस खंड में प्रश्नों के सही उत्तर मालूम है तब आप पेपर को किसी भी खंड से शुरू कर सकते हैं | प्रथम खंड में आपको बहुविकल्पीय प्रश्न मिल जाएंगे इसके बाद द्वितीय खंड में आपको लघु उत्तरीय प्रश्न मिल जाएंगे जो कि 1 अंक से अधिक वाले प्रश्न होंगे | इसके बाद तृतीय खंड में आपको दीर्घ उत्तरीय प्रश्न मिल जाएंगे जो कि 3 अंक से अधिक वाले प्रश्न होंगे | इसके बाद चौथी खंड में आपको पत्र लेखन वगैरा निबंध बगैरा सारी चीजें मिल जाएंगी | आप जिस खंड से चाहे उस खंड से पेपर को हल कर सकते हैं लेकिन याद रखें कि आपको संपूर्ण पेपर हल करना है |

जब कोई चैप्टर कठिन लगे तब क्या करें?

दोस्तों ऐसा जरूर होता है कि हर एक चैप्टर सरल नहीं होता है कभी-कभी हमें लगता है कि यह चैप्टर बहुत ही कठिन है और हमसे तो याद हो ही नहीं रहा है | दोस्तों आपको बता दें कि जो चीज हमें थोड़ी कठिन लगती है और जिस चीज को हम थोड़ी सी देर में याद कर पाती हैं वही चीज हमेशा देर तक हमें याद बनी रहती है | दोस्तों अगर बात करें कि कोई टॉपिक कठिन है तो वह टॉपिक हमें तब तक कठिन लगता है जब तक हम उस टॉपिक को समझ में नहीं लेते | दोस्तों यदि आपको कोई टॉपिक कठिन लगता है तब आप उस टॉपिक को थोड़ा सा समझने की कोशिश करें | यदि कोई अध्याय याद नहीं हो रहा तब आप उसे लिखकर याद कर सकते हैं और समझने का प्रयत्न कीजिएगा | यदि कोई अध्याय आपको समझ में नहीं आ रहा तब आप उसे रखकर याद कभी मत करना क्योंकि रची हुई चीज हमें थोड़ी देर के लिए याद रहेगी इसके बाद हमें भूल जाएगी | दोस्तों ऐसा कहा जाता है कि जब हम बार-बार कोई अभ्यास करते हैं तब हमें वही चीज याद हो जाती है ठीक वैसे ही अगर कोई अध्याय आपको कठिन लगता है तब आप उस अध्याय को बार-बार समझने का प्रयास कीजिएगा इसके बाद आपको वह अध्याय भी सरल लगने लगेगा |

क्या पढ़ाई के दौरान खेलना जरूरी है?

दोस्तों पढ़ाई के साथ साथ खेलना भी बहुत जरूरी होता है क्योंकि खेलने से हमारे शरीर की फिटनेस और हमारा शरीर स्वस्थ रहता है | खेलने से एक प्रकार से हमारे शरीर का व्यायाम हो जाता है और हमारे शरीर में फुर्ती रहती है किसी भी प्रकार की हालत नहीं आती है खेलने के पश्चात हमें अच्छी नींद भी आती है | दोस्तों हमारा दिमाग पूरी तरह से रिफ्रेश रहता है और दिमाग रिफ्रेश रहने से हम अच्छी पढ़ाई कर पाएंगे | दोस्तों खेलना एक प्रकार से हमारे जीवन का आवश्यक हिस्सा है | एक स्वस्थ शरीर और दिमाग को विकसित करने के लिए खेल हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं | कई प्रकार के खेल होते हैं जो हमारे शरीर के साथ-साथ हमारे मानसिक विकास में मदद करते हैं | दोस्तों आपको बता दें कि जिस तरह से हमारे जीवन में पढ़ाई जरूरी है उसी तरीके से हमारे शरीर के लिए खेलना जरूरी है | खेलने से हमारे शरीर का विकास होता है और पढ़ाई करने से हमारा मानसिक विकास होता है |

कक्षा 9 हिंदी विषय की तैयारी कैसे करें?

दोस्तों खेल का हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है खेलने से हमारे दिमाग का तनाव स्तर कम होता है दिमाग में तनाव कम होने से हम पढ़ाई लिखाई अच्छे तरीके से कर पाते हैं | खेलने से हमारे शरीर में ऊर्जा का सही ढंग से संचार होता है और हमारे शरीर में रक्त का संचार अच्छे तरीके से होता है | दोस्तों कई बार क्या होता है जब हम लगातार पढ़ते रहते हैं तब हमें कभी-कभी पढ़ाई करते वक्त आलस आ जाती है और हम पढ़ते-पढ़ते बोर हो जाते हैं तब ऐसी स्थिति में आप खेलने का ऑप्शन चुन सकते हैं | दोस्तों के लेना से हमारे दिमाग का तनाव तो कम होता ही है साथ में दिमाग रिफ्रेश भी हो जाता है और पढ़ाई के लिए तैयार भी हो जाता है |

दोस्तों वर्तमान समय की अगर बात करें तो स्कूलों कॉलेजों में ज्यादातर पढ़ाई पर विशेष ध्यान दिया जाता है वहीं दूसरी तरफ खेल के बारे में उतना ध्यान नहीं दिया जाता जितना दिया जाना चाहिए | खेल वर्तमान समय में सीमित होकर रह गए हैं खेलों के लिए ना ही सरकार बढ़ावा दे रही है और ना ही अभिभावक अपनी जिम्मेदारी समझते हैं | दोस्तों अभिभावकों की जिम्मेदारी है कि वह खेल से जुड़ने के लिए अपने बच्चों को प्रेरित करें | दोस्तों इस स्कूलों में खेल को बढ़ावा देने के लिए एक प्रकार से नियमित रूप से सब्जेक्ट की तरह इसकी एक्टिविटी स्कूलों को करवाना चाहिए |

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दोस्तों खेलने से हमारा शरीर तो स्वस्थ रहता ही है साथ ही हमें बहुत शेर रोगों से सुरक्षित रहने में भी मदद करता है जैसे गठिया ,मोटापा ,हृदय की समस्याएं ,मधुमेह आदि रोगों से लड़ने की जो शक्ति आती है वह खेलते ही आती है क्योंकि खेल के द्वारा हमारा शरीर स्वस्थ रहता है और सुरक्षित रहता है | दोस्तों वर्तमान समय में छोटी से छोटी उम्र के बच्चे भी आजकल बड़ी बीमारी का शिकार हो रहे हैं | कहीं ना कहीं इसका कारण एक प्रकार से खेल ही है क्योंकि आज के समय में बच्चे शारीरिक खेल के बजाय वह मोबाइल पर ऑनलाइन गेम खेलते हैं वहां पर अपना समय बर्बाद करते हैं | मोबाइल पर गेम खेलने की वजह से उनका ना तो मानसिक विकास हो रहा है और ना ही शारीरिक विकास हो रहा है बच्चों के शरीर पर किसी भी प्रकार की कोई क्रिया ही नहीं हो रही है ना ही फुर्ती आ रही है | तब कहीं ना कहीं ऐसा कहा जा सकता है कि मोबाइल की वजह से बच्चों का शारीरिक एक्टिविटी के खेल से बहुत दूर चले गए हैं | अभिभावकों से मेरा एक निवेदन है कि वह अपने बच्चों को मोबाइल से थोड़ा दूर रखें और शारीरिक एक्टिविटी वाले जिन से शारीरिक और क्रियात्मक विकास हो ऐसे खेल के लिए प्रेरित करें |

हमेशा सकारात्मक सोचे –

दोस्तों विद्यार्थी जीवन में जब आप अपनी परीक्षा की तैयारी कर रहे होते हैं तब आपके दिमाग में किसी भी प्रकार के नेगेटिव विचार यदि आते हैं तब कहीं ना कहीं आप की तैयारी में यह निगेटिव विचार बाधा बन जाते हैं | यदि आपके दिमाग में नेगेटिव विचार आएंगे अब ऐसी स्थिति में आप अपनी बेहतर तैयारी नहीं कर पाएंगे | दोस्तों आपको हमेशा कोशिश ये करनी है कि आप हमेशा पॉजिटिव रहें | आपको किसी भी प्रकार का अपने दिमाग पर जोर नहीं डालना है अगर आपकी परीक्षा बिल्कुल नजदीक है और आप एक बेहतर तैयारी नहीं कर पाए आपकी औसतन तैयारी है अब ऐसे में आपको अपने दिमाग पर किसी भी प्रकार का तनाव नहीं लेना है | आपको सामान्य तरीके से कोशिश करना है कि एक बेहतर रणनीति से आप अपनी तैयारी कर पाएं | दोस्तों आपको हमेशा जो भी पढ़ना है जो भी याद करते हैं पूरे आत्मविश्वास के साथ आपको पढ़ना है और आप जो भी पढ़े हैं उसको रिवीजन के साथ जरूर पढ़ना है पढ़ने के बाद आप रिवीजन जरूर करते रहें | पढ़ाई के बाद यदि आप रिवीजन नहीं करेंगे तब ऐसी स्थिति में आपको पढ़ी हुई चीजें भूल सकते हैं | दोस्तों आपको को चाहिए करना है कि आपके दिमाग में किसी भी प्रकार के गंदे विचार ना आ पाए | आपको ज्यादा से ज्यादा खुद को पढ़ाई के साथ साथ व्यस्त रखना है अगर आप खुद को व्यस्त रखते हैं तब किसी भी प्रकार से आपके दिमाग में नेगेटिव विचार नहीं आएंगे |

तैयारी के लिए समर्पण –

दोस्तों जब हमारी परीक्षा नजदीक आ जाती है तब कहीं ना कहीं हमें एक चिंता सताने लगती है कि हम इतने कम समय में कैसे बेहतर तैयारी कर पाएंगे | दोस्तों ऐसी स्थिति में आपको परेशान होने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है आप एक बेहतर रणनीति से खुद को तैयारी से बेहतर बना लेंगे |
दोस्तों जब आप परीक्षा की तैयारी करते हैं तब आपको पूरी तरीके से खुद को परीक्षा के प्रति समर्पित कर देना | परीक्षा के लिए समर्पित होने का मतलब यह है कि आपको परीक्षा के लिए तैयारी के प्रति पूरी तरीके से व्यस्त हो जाना है | आपको पढ़ाई के साथ-साथ अपने दिमाग के रिफ्रेश के लिए थोड़ी सी एक्टिविटी कर सकते हैं कोई गीत सुन सकते हैं |समय-समय पर थोड़ा सा खेल सकते हैं, क्योंकि खेलने से हमारा दिमाग अच्छे से काम करता है और हमें नींद भी अच्छी आती है | दोस्तों परीक्षा की तैयारी एक या 2 दिन में नहीं होती इसके लिए हमें शुरुआत से ही प्रतिदिन नियमित रूप से पढ़ते रहना होगा | दोस्तों ऐसा कहा जाता है कि बूंद बूंद गिरते रहने से बाढ़ आ सकती है ठीक उसी प्रकार यदि हम प्रतिदिन नियमित रूप से 3 से 4 घंटे पढ़ते रहेंगे तब हम परीक्षा के नजदीक आते आते परीक्षा की एक बेहतर तैयारी कर पाएंगे | यदि हमने इस तरीके से तैयारी की सब ऐसी स्थिति में परीक्षा का परिणाम निश्चित रूप से बेहतर होगा |
दोस्तों तैयारी के दौरान ना ही आपको कहीं घूमना है और ना ही किसी भी प्रकार से अपना समय बर्बाद करना है | दोस्तों आपका समय बहुत ही कीमती है इसे अन्य चीजों में बर्बाद ना करें | दोस्तों कोई भी विद्यार्थी 1 वर्ष से ज्यादा एक ही क्लास में पढ़ना नहीं चाहेगा ,तब ऐसी स्थिति में प्रत्येक विद्यार्थी को अच्छी तैयारी करना चाहिए |

परीक्षा में पुराने पेपर और सिलेबस का योगदान –

दोस्तों तैयारी में हमें प्रीवियस ईयर के पेपर और सिलेबस से हम बेहतर तैयारी कर सकते हैं | प्रीवियस ईयर के पेपर से हम उन प्रश्नों को देख सकते हैं जो प्रश्न परीक्षा में बार-बार पूछे जाते हैं | परीक्षा में अक्सर बहुत से प्रश्न ऐसे होते हैं जिनको लगातार हर अगले वर्ष में फिर दोबारा पूछ लेता है| प्रीवियस ईयर के पेपर से किस चैप्टर से कौन से प्रश्न ज्यादा इंपोर्टेंट होते हैं इसका पता हम बाड़ी आसानी के साथ लगा सकते हैं | प्रीवियस ईयर के पेपर के माध्यम से हम कुछ इंपोर्टेंट प्रश्नों को एकत्रित सकते हैं इससे क्या होगा कि हमें किसी चैप्टर से बहुत सारा नहीं पढ़ना पड़ेगा | यदि हम एक्सपेक्टेड प्रश्नों को समझ लें तब हमें पूरे चैप्टर को नहीं पढ़ना पड़ेगा | इस तरीके से हम परीक्षा के लिए अपना समय भी बचा पाएंगे और बेहतर तैयारी भी कर पाएंगे |

दोस्तों तैयारी के लिए आपको सिलेबस पर जरूर ध्यान देना है | आपको किस चैप्टर में क्या पढ़ना है और क्या नहीं पढ़ना है इसकी जानकारी आपको सिलेबस के माध्यम से ही मिलेगी | सिलेबस हमें पता लगता है कि किस चैप्टर से क्या आना है और क्या नहीं आना है हम अपनी तैयारी उसी तरीके से कर सकते हैं | दोस्तों तैयारी के दौरान आपको सिलेबस पर विशेष ध्यान देना है और सिलेबस को अच्छी तरीके से समझना है | यदि आप सिलेबस को समझकर और सिलेबस के अनुसार अपनी तैयारी करेंगे तब आप परीक्षा के लिए बेस्ट से बेस्ट तैयारी कर पाएंगे और अपना कीमती समय बचा पाएंगे

पढ़ाई के दौरान कितना ब्रेक लेना चाहिए ?

दोस्तों लगातार पढ़ते रहने से हमारा दिमाग एक प्रकार से थक जाता है | हमारा दिमाग कोई मशीन तो है नहीं कि लगातार उसे काम देते रहे हैं आप और वह करता रहे | जहां तक अगर मशीन को भी समय से ज्यादा चलाते रहे तब ऐसी स्थिति में मशीन के खराब होने की भी ज्यादा चांस होते हैं | हमारा दिमाग भी एक निश्चित समय के बाद आराम चाहता है|
लगातार 1 घंटे पढ़ने के बाद आप अपने दिमाग को 10 मिनट के लिए खाली छोड़ सकते हैं जिसमें आप कोई अन्य क्रिएटिविटी कर सकते हैं | कहीं बाहर टहल सकते हैं अथवा कोई खेल

खेल सकते हैं, कोई गीत सुन सकते हैं जिससे कि आपका दिमाग भी फ्रेश हो जाए | दोस्तों इसके बाद आप दोबारा फिर से पढ़ाई कर सकते हैं और फिर जब आप बोर होने लगे तब ऐसी प्रक्रिया आप दोबारा भी कर सकते हैं जिससे आपका दिमाग पढ़ाई के लिए फिर से तैयार हो जाए | दोस्तों पढ़ाई करने के दौरान आपको पूरे कंसंट्रेट होकर पढ़ना है क्योंकि इस तरीके से पढ़ने वाला विद्यार्थी हो सकता औसतन विद्यार्थी से कहीं ज्यादा अंक ला सकता है |

पर्याप्त नींद –

दोस्तों पढ़ाई के साथ -साथ नींद भी पर्याप्त मात्रा में लेना जरूरी है यदि हम पर्याप्त मात्रा में नींद नहीं लेंगे तब हम ऐसी स्थिति में बीमार भी पड़ सकते हैं | दोस्तों ना ही हम दिन रात पढ़ाई कर सकते हैं और ना ही हम बिल्कुल कम पढ़ाई कर सकते हैं | दोस्तों पढ़ाई के साथ-साथ पर्याप्त मात्रा में नींद भी जरूरी है लेकिन समय-समय पर जरूरत के हिसाब से हमें पढ़ाई भी करनी है और पर्याप्त मात्रा में नींद भी लेनी है | यदि हम पर्याप्त मात्रा में नींद लेते हैं तब हम पूरी तरीके से स्वस्थ रहते हैं | दोस्तों ऐसा भी नहीं हो सकता कि कोई विद्यार्थी रात रात भर पढ़ता रहे और नींद कम से कम ले तब ऐसी स्थिति में वह बीमार पड़ सकता है | दोस्तों पढ़ने के लिए पूरी रात या पूरे दिन पढ़ना जरूरी नहीं आप प्रतिदिन 4 से 5 घंटे यदि एक बेहतर रणनीति से तैयारी करते हैं तब आप परीक्षा के लिए बेहतर तैयारी कर सकते हैं | तैयारी करने के लिए आपको मालूम होना चाहिए कि किस समय क्या पढ़ना है और क्या नहीं पढ़ना है | दोस्तों 10-12 घंटे पढ़ाई करने से कुछ नहीं होता | जहां एक तरफ 10 -12 घंटे पढ़ाई करने के बाद कोई विद्यार्थी 60% से ज्यादा अंक नहीं ला पाता है |
वहीं दूसरी तरफ 3 से 4 घंटे पढ़ने वाला विद्यार्थी 95% से अधिक अंक हासिल कर लेता है | 95% से अधिक अंक हासिल करने वाला विद्यार्थी एक अच्छी रणनीति से तैयारी करता है | वह जो भी पड़ता है पूरे कंसंट्रेट तरीके से पड़ता है जिस वजह से वह जो भी पड़ता है सारी चीजें लंबे समय तक याद रखता है |

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हिंदी में निबंध कैसे लिखें?

दोस्तों हिंदी में निबंध लिखने के लिए आपको शब्द सीमा का विशेष ध्यान रखना यदि प्रश्न में 200 से 250 में निबंध लिखने का निर्देश दिया गया है ऐसी स्थिति में आपको 300
या इससे अधिक शब्दों में निबंध नहीं लिखना है आप को जितना प्रश्न की निर्देश में दिया गया है उतने शब्दों में ही निबंध को लिखना है | यदि आप जरूरत से ज्यादा शब्दों में निबंध को लिखते हैं तब आपका समय तो बर्बाद होगा ही साथ ही आपके प्रश्न की शोभा भी चली जाएगी और हो सकता है कि आपके अंक काटे जाएं | इसलिए आपको ध्यान रखना है कि जितना प्रश्न के निर्देश में कहा गया है आपको उतने ही शब्दों में में ही निबंध को लिखना है |

दोस्तों निबंध लिखना एक प्रकार से कला है निबंध लिखने के दौरान परीक्षक आपकी स्किल डेवलपमेंट को चेक करता है कि आप का विकास कितना हुआ है | दोस्तों निबंध के निर्देश में यदि आपको 8 या 10 अंक का प्रश्न दिया गया है और आप निबंध को हेडिंग के माध्यम से लिखते हैं तब आपको 8 या 10 से ज्यादा हेडिंग निबंध में नहीं लिखना है| निबंध में ज्यादा लिखने से आपका समय तो बर्बाद जाएगा ही साथ ही आप अपना पूरा पेपर करने से वंचित रह जाएंगे | आपको किसी एक प्रश्न पर ध्यान नहीं देना है आपको पूरा पेपर हल करना है ,तब आपको प्रत्येक प्रश्न की शब्द सीमा पर जरूर ध्यान देना है ,जितना प्रश्न के निर्देश में कहा जाए उतना ही शब्दों में उसका उत्तर देना है | दोस्तों निबंध लिखने के लिए दो आपके पास इतने शब्द हो जाएंगे कि आप 1000 से 2000 शब्दों में भी निबंध को लिख सकते हैं | लेकिन क्या फायदा ऐसी लिखावट का जिसका कोई अंक ही ना मिलना हो अब आपको याद रखना है किस शब्द सीमा के अनुसार ही निबंध को लिखना है |

क्या पढ़ाई के साथ मनोरंजन जरूरी है?

वह तो पढ़ाई के साथ-साथ मनोरंजन बहुत जरूरी होता है मनोरंजन आप हर क्षेत्र में कर सकते हैं शारीरिक और मानसिक स्थिति को अच्छा बनाए रखने के लिए | दोस्तों पढ़ाई के साथ -साथ आप खेल भी सकते हैं और अन्य क्रियाएं भी कर सकते हैं जिससे आपका शारीरिक और मानसिक विकास हो सके | दोस्तों अब ऐसा तो है नहीं कि आप दिन और रात पढ़ाई ही करते रहेंगे पढ़ाई के साथ -साथ
आपके लिए खेलना उतना ही जरूरी है जितना आपके जीवन में पढ़ाई करना | जहां एक तरफ खेलने से हमारे शरीर की फिटनेस और हमारा शरीर स्वस्थ रहता है वहीं दूसरी तरफ पढ़ाई के दौरान हमारा मानसिक विकास होता है |

पत्र लेखन में क्या- क्या सावधानी रखें?

दोस्तों पत्र लेखन में आपको शब्दों की सीमा पर विशेष ध्यान देना है जितना प्रश्न के निर्देश में बताया जाए उतने ही शब्दों में आपको पत्र लिखना है | जरूरत से ज्यादा शब्दों में यदि आप पत्र लिखते हैं तब आपके पत्र लिखने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि आपको अंक उतने ही शब्दों के दिए जाएंगे जितने शब्दों का प्रश्न में उल्लेख किया गया है | इसीलिए आपको पत्र लेखन में उतने ही शब्दों में पत्र लिखना है जितना प्रश्न के निर्देश में कहा गया है | दोस्तों पत्र लेखन में आपको पत्र लिखने का तरीका जरूर याद रखना है सीधी पैराग्राफ से आप पत्र को नहीं लिख सकते कहां किस शब्द को लिखना है इसके बारे में आपको सारी जानकारी होना चाहिए | परीक्षा में लिखने से पहले आपको तैयारी के दौरान पत्र लेखन पर प्रैक्टिस कर लेना चाहिए | प्रैक्टिस के माध्यम से परीक्षा में होने वाली गलती से आप बच सकते हैं यदि आप प्रैक्टिस नहीं करते हैं तब स्वाभाविक है कि आप परीक्षा में गलती कर सकते हैं | अभ्यास करने के लिए आप मॉडल पेपर को सॉल्व कर सकते हैं और प्रीवियस ईयर के पेपर के सहयोग से आप पत्र लेखन के साथ-साथ निबंध लेखन आदि चीजें बड़ी आसानी से सीख सकते हैं |

अपठित गद्यांश/ पद्यांश को कैसे हल करें?

दोस्तों जैसा कि आपको मालूम है अपठित गद्यांश का अर्थ होता है ऐसा गद्यांश जो आपने अभी तक कहीं नहीं पढ़ा होगा | दोस्तों इस प्रकार के गद्यांश को आपको मोस्ट इंपोर्टेंट एक्सपेक्टेड शब्दों के साथ प्रश्नों के उत्तर देने होते हैं | दोस्तों आपको ध्यान रखना है कि आप पठित गद्यांश की प्रश्नों के उत्तर ज्यादा शब्दों में नहीं देने होते हैं और ना ही इसका उत्तर लंबा होता है | अपठित गद्यांश के जो उत्तर होते हैं उनमें शब्दों का बहुत बड़ा रोल होता है कम शब्दों में प्रश्न के उत्तर देने का प्रयास करना है | दोस्तों अपठित गद्यांश में कभी-कभी बहुत मुश्किल होता है कि गद्यांश का प्रमुख टाइटल क्या है? अब दोस्तों ऐसी स्थिति में आपको अपठित गद्यांश का ध्यान पूर्वक पढ़ना और उसे समझना बहुत आवश्यक होता है | दोस्तों आप पठित गद्यांश में जब किसी शब्द को आप बार-बार देखें या फिर किसी विशेष शब्द की उस गद्यांश में व्याख्या की जाए तब आप ऐसी स्थिति में औसत शब्द को टाइटल के रूप में ले सकते हैं | दोस्तों अपठित गद्यांश को हल करते समय आपको याद रखना है की प्रश्नों के उत्तर ज्यादा शब्दों में नहीं देना है | हर प्रश्न का उत्तर आप को कम शब्दों में देने का प्रयास करना है और ऐसे शब्दों का प्रयोग करना है जो कि एक्सपेक्टेड हैं |

हिंदी का Paper कैसे Attempt करें?

दोस्तों हिंदी के पेपर में 4 खंड होते हैं – खंड ‘क’ , खंड ‘ख’ , खंड ‘ग’ , खंड ‘घ’ दोस्तों इनमें से जरूरी नहीं है कि आप पेपर को शुरुआती से ही हल करें | आपको जिस खंड में पूरे प्रश्न अच्छे तरीके से याद हैं जिनको आप अच्छे तरीके से कर सकते हैं उस खंड से आप पेपर को शुरू कर सकते हैं | दोस्तों यदि आप किसी खंड के कुछ प्रश्न करने के बाद कुछ प्रश्नों को छोड़ देते हैं तब ऐसे में यदि आप छूटे हुए प्रश्नों को बाद में करते हैं तब आप प्रश्नों का क्रमांक जरुर डाल दीजिएगा प्रश्नों का क्रमांक प्रत्येक जगह आवश्यक है | प्रश्न का क्रमांक, कॉपी चेक करने वाले के लिए बहुत ही आसान होता है |

हिंदी के Paper में Answers कैसे लिखें ?

दोस्तों जब भी आप पेपर को हल करते हैं तब आपके लिखने का तरीका परीक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होता है | आपकी लिखावट इस प्रकार होना चाहिए कि चेक करने वाले को बहुत ही सुंदर और आकर्षक लगे | यदि आपके लिखावट सुंदर और आकर्षित होगी प्रश्न सटीक और शोध होंगे तब ऐसी स्थिति में आपको पूरे अंक मिलने की संभावना होती है | दोस्तों जब भी आप किसी प्रश्न का उत्तर लिखें सब आपको याद रखना है की प्रश्न में शब्द सीमा का कितना निर्देश दिया गया है प्रश्नों में दिए गए शब्द सीमा के निर्देश के अनुसार ही आपको उत्तर लिखना है | प्रश्न की शब्द सीमा के अनुसार यदि आप शब्द सीमा से अधिक उत्तर लिखते हैं तब ऐसी स्थिति में आपको प्रश्न के अनुसार ही अंक मिलेंगे और ज्यादा लिखने से आपका समय बर्बाद जाएगा | आपको परीक्षा में प्रश्न के अनुसार ही उत्तर लिखना है जितना प्रश्न में बोला गया है उतना ही लिखना है उससे ज्यादा नहीं लिखना है | जब भी आप किसी प्रश्न का उत्तर लिखें तब उस प्रश्न का क्रमांक जरूर ध्यान से डाल दें | दोस्तों यदि कोई प्रश्न लंबा है और आप हेडिंग के माध्यम से लिखना चाहते हैं तब आपको बहुत ही सुंदर लिखावट के साथ शुद्ध और सटीक उत्तर लिखना है | किसी भी प्रश्न का उत्तर आपको फालतू शब्दों के साथ नहीं देना है जो प्रश्न में कहा गया है उसी के अनुसार उत्तर लिखना है |

वार्षिक कैसे लिखते हैं?

वार्षिक (Varshik) meaning in English - वार्षिक मीनिंग - Translation.

वार्षिक शब्द क्या है?

- 1. वर्ष संबंधी 2. वर्ष में एक बार होने वाला 3. एक वर्ष की अवधिवाला 4.

वार्षिक इंग्लिश में कैसे लिखते हैं?

Annual quantities or rates relate to a period of one year.

वार्षिक परीक्षा का मतलब क्या होता है?

यह एक पाठ्यक्रम में मूल्यांकन और आकलन के लिए दिए गए कुल भार का 60 या 70 प्रतिशत वहन करता है, और शेष भार निरंतर मूल्यांकन (रचनात्मक मूल्यांकन) को दिया जाता है। सामान्यतौर पर, सत्रांत परीक्षा या तो लिखित या मौखिक परीक्षा के माध्यम से सेमेस्टर के अंत में या वर्ष के अंत में आयोजित की जाती है।