एनबीटी न्यूज, नोएडा : विश्व जनसंख्या दिवस पर आज जनसंख्या नियंत्रण करने के उपायों को लेकर जागरूक करने की मंशा से रैली निकाली जा रही है। इसके साथ ही जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में परिवार नियोजन के उपायों के बारे में बताया जाएगा। सीएमओ डॉ. अनुराग भार्गव ने बताया कि आज से 31 जुलाई तक जनसंख्या पखवाड़ा मनाया जाएगा। इसमें लोगों को जनसंख्या नियंत्रण के फायदे बताए जाएंगे। साथ ही परिवार नियोजन के स्थायी उपाय जैसे नसबंदी कराने पर जोर दिया जाएगा। Show
डा. सुनील कुमार मिश्र। भारत एक विकासशील देश है और विकसित राष्ट्र के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। परंतु तेजी से बढ़ती जनसंख्या इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में सबसे बड़ी बाधा के रूप में दिखाई देती है। हमारा देश जनसंख्या की दृष्टि से विश्व में दूसरे स्थान पर है और पिछले कुछ वर्षो में जनसंख्या वृद्धि की जो दर रही है, जल्द ही सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश चीन को पीछे छोड़ सकता है। निरंतर बढ़ती जनसंख्या न केवल आर्थिकी को क्षति पहुंचा रही है, अपितु सरकार द्वारा रोजगार प्रदान करने की राह में प्रमुख बाधा के रूप में भी दिख रही है। उदाहरणस्वरूप सरकार जब तक एक करोड़ रोजगार के अवसर सृजित करती है, तब तक उसकी तुलना में जनसंख्या बहुत अधिक बढ़ जाती है। इस कारण तमाम समस्याएं कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही हैं। तेजी से बढ़ रही जनसंख्या कई प्रकार के सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक परिवर्तन का कारक भी है जिसके भविष्य में गंभीर दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं। कोरोना को लेकर भारत में भी अलर्ट, अदार पूनावाला ने कहा- घबराएं नहीं, हमारे पास पर्याप्त संख्या में वैक्सीन यह भी पढ़ेंबड़ी जनसंख्या किसी भी देश के विकास को गति देने में सक्षम है। विशाल भूभाग में फैले चीन जैसे देश के लिए तो यह सही है, परंतु भारत जैसे देश में जहां तुलनात्मक रूप से संसाधनों पर अधिक आबादी का बोझ हो, वहां यह विकास की राह में बाधक ही साबित हो रही है। स्वाधीनता के बाद से भारत की जनसंख्या में लगभग सौ करोड़ की वृद्धि हो चुकी है, परंतु संरचनागत संसाधनों में यह वृद्धि दर बेहद धीमी रही है। कोविड महामारी से उत्पन्न स्वास्थ्य चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा जिसके मूल में जनसंख्या अनुपात एवं स्वास्थ्य सुविधाओं में बड़ा अंतर स्पष्ट रूप से नजर आया। यही नहीं, इस दौरान सरकार द्वारा व्यापक आबादी को खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने के लिए सरकारी खजाने को खाली करना पड़ा जिसका महंगाई पर असर पड़ा। जनसंख्या और महंगाई बढ़ने में प्रत्यक्ष संबंध है। जनसंख्या वृद्धि एवं उपलब्ध संसाधनों में अनुपातिक वृद्धि न होने की वजह से देश संसाधनों की कमी का सामना करता है जिसकी पूर्ति के लिए सरकार को संबंधित वस्तुओं का विदेश से आयात करना पड़ता है। Telangana News: ऑनलाइन गेम के चक्कर में लुट गया किसान! मुआवजे में मिले 92 लाख रुपये गंवाए यह भी पढ़ेंकिसी भी राष्ट्र के समग्र विकास के लिए आवश्यक है कि उसके विकास में वहां की समग्र जनसंख्या सहभागी बने। यह तभी संभव है जब सभी को समान अवसर उपलब्ध हों। सरकार के समक्ष, गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाली जनसंख्या को विकास प्रक्रिया में सहभागी बनाने की चुनौती है। विकास एक बहुआयामी प्रक्रिया है जिसे समग्र सहभागिता द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है। साथ ही सहभागिता तभी संभव है जब हम तेज गति से बढ़ रही जनसंख्या को जल्द से जल्द रोकने के लिए ठोस उपाय करें। बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण अत्यंत आवश्यक है, ताकि भारतीय जनमानस के लिए मूलभूत आवश्यकताओं की आपूर्ति को सुनिश्चित किया जा सके। Coronavirus latest News India: कोरोना ने फिर चीन में मचाया हाहाकार, भारत में आज आए इतने नए मामले ऐसे में सरकार को जनसंख्या नियंत्रण से संबंधित कानून बनाने में अब देरी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इस संदर्भ में देरी जनता पर भारी पड़ती हुई दिख रही है। विविध राजनीतिक दलों से जुड़े राजनेताओं एवं धर्मगुरुओं को आगे बढ़कर जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग करनी चाहिए जिससे यह कानून संसद के आगामी सत्र में लाया जा सके और आसानी से पारित हो सके। हमें अपनी प्राथमिकताओं को भी समझना होगा और निश्चित रूप से जाति आधारित जनगणना से पहले आबादी नियंत्रण के प्रभावी उपायों को प्रोत्साहित करना होगा। दुनिया में सबसे अधिक तेजी से जनसंख्या वृद्धि भारत में होती है। आज यह भारत की सबसे बड़ी समस्या बन गयी है। क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत की जनसंख्या बहुत अधिक है। जनसंख्या वृद्धि के अनेक कारण है जैसे अशिक्षा, बेहतर चिकित्सा सुविधा, बाल विवाह, अंधविश्वास आदि। जनसंख्या वृद्धि से अनके समस्याएं उत्पन्न हो रही है जिनमें प्रमुख है पर्यावरण प्रदूषण, गरीबी, बेरोजगारी, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं इन समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए प्रयास करना आवश्यक है तथा इसके लिए जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण करना सबसे ज्यादा आवश्यक है। जनसंख्या वृद्धि में नियंत्रण रखने में विज्ञान द्वारा किये गए उपाय कारगर साबित हो सकते है। आज विज्ञान ने इतनी प्रगति कर ली है। कि इसके माध्यम से जनसंख्या वृद्धि जैसी जटिल समस्या पर काबू पाया जा सकता है तथा हमारा भारत देश विकास की ओर अग्रसर हो सकता है। हमारे देश में विज्ञान ने काफी विकास किया है। आज विश्व में जब कही भी विज्ञान के विकास की चर्चा होती है तो हमारे देश का नाम अवश्य लिया जाता है। विज्ञान के क्षेत्र में व्यापक स्तर पर विकास कर लेने के बाद भी हमारे देश का नाम विकसित देशों की सूची में नहीं आता आज भी भारत की गिनती विकासशील देशों में होती है। इसका कारण है, हमारे देश की बढ़ती हुई जनसंख्या। अधिक जनसंख्या होने के कारण विज्ञान का लाभ सही ढंग से हर व्यक्ति के नहीं पहुँच पाता। इसीलिए हमारे देश का जितना विकास होना चाहिए नहीं हो पा रहा है। जनसंख्या वृद्धि का स्वरूपजनसंख्या वृद्धि का स्वरूप जानने से पहले हमें जन्म दर और मृत्यदर को समझना आवश्यक है। जन्म दर प्रतिवर्ष प्रति हजार व्यक्ति पर पैदा होने वाले जीवित बच्चों की संख्या को जन्म दर कहते है। मृत्यु दर प्रतिवर्ष प्रति हजार व्यक्ति पर मृत व्यक्तियों की संख्या को मृत्यु दर कहते है। अर्थात एक वर्ष में पैदा हुए बच्चों की संख्या में से उस वर्ष में मरने वालों की संख्या को घटा दें तो जनसंख्या वृद्धि का पता चल जाता है।प्रतिवर्ष पैदा होने वाले बच्चों की संख्या-मरने वाले व्यक्तियों की संख्या = जनसंख्या वृद्धि दुनिया में सबसे अधिक तेजी से जनसंख्या वृद्धि भारत में हो रही है। पूरे विश्व में हर साल 8 करोड की जनसंख्या वृद्धि होती है जिसमें से 2 करोड़ की वृद्धि अकेले भारत करता है। अर्थात पूरी दुनिया की कुल जनसंख्या वृद्धि का एक चौथाई हिस्सा अकेले भारत के हिस्से में आता है। भारत में प्रति मिनट 52 बच्चे पैदा होते है। जनसंख्या की दृष्टि से भारत विश्व का दूसरा सबसे बडा देश है। पहले स्थान पर चीन है। किन्तु क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का स्थान विश्व में सातवाँ है। क्षेत्रफल के अनुपात में भारत की जनसंख्या कई गुना है। इसलिए यहाँ जनसंख्या वृद्धि के कारण जनजीवन से जुडी अनेक समस्याएं पैदा हो गई है। भारत की 70 प्रतिशत जनसंख्या गांवों में रहती है। वहाँ जनसंख्या नियंत्रण के उपायों का प्रयोग न हो पाने के कारण जन्म दर अधिक है। किन्तु शहरों में रोजगार की तलाश में गांव के लोगों का पलायन होने से शहरों की जनसंख्या में वृद्धि हो रही है। इससे शहरों में स्थान की कमी, पीने के पानी की समस्या , बिजली और यातायात की समस्या बढ जाती है। विश्व में जनसंख्या वृद्धि का स्वरूपदुनिया की कुल आबादी छ: अरब से भी अधिक है। ध्यान देने की बात तो यह है कि इस बढती आबादी का सबसे अधिक हिस्सा विकासशील देशों का है। जहाँ अमेरिका, फ्रांस , ब्रिटेन, जर्मनी आदि जैसे विकसित देशों की जनसंख्या वृद्धि की दर 0.1 प्रतिशत है। चीन समेंत अन्य विकासशील देशो की औसत जनसंख्या वृद्धि 2.0 प्रतिशत है। इस बढती हुई जनसंख्या में अधिकांश योगदान अफ्रीकी और एशियाई देशों का है। 1900 से लेकर 1975 तक दुनिया में हुई कुल जनसंख्या वृद्धि का 80 प्रतिशत हिस्सा विकासशील देशो का रहा जो अब बढकर 98 प्रतिशत पहुँच गया है।अफ्रीकी देशों में जनसंख्या वृद्धि का औसत दर 2.5 प्रतिशत है। ईरान, इराक, कुवैत, यमन, ओामान, कतर, सीरिया आदि मुस्लिम देशो में जनसंख्या वृद्धि की औसत दर 2.2 प्रतिशत है। भारत , पाकिस्तान, श्री लंका, अफगानिस्तान, बंगला देश नेपाल और भूटान जैसे दक्षेस (सार्क) देशों में औसत जनसंख्या वृद्धि की दर 1.9 प्रतिशत है। यही कारण है कि इन्ही देशों में बेरोजगारी, निरक्षरता तथा भ्रष्टाचार जैसी जटिल समस्याएं है। सन 2000 तक भारत की कुल आबादी बढकर 1 अरब हो गई थी। इस दृष्टि से दुनिया का हर 60वां व्यक्ति भारतीय है। 2007 में भारत की जनसंख्या 1,02,87,37,436 है। जिनमें 53,22,23,090 पुरुष तथा 49,65,14,436 महिलाएँ है। जिनमें 53,22,23,090 पुरुष तथा महिलाएँ है। जनसंख्या वृद्धि के कारण भारत दुनिया के कुछ समस्याग्रस्त देशों में से एक है। जनसंख्या वृद्धि के कारण - हमारे देश में जनसंख्या वृद्धि के अनेक कारण है। उन्ही कारणो में से एक यह भी है कि चिकित्सा पद्धतियों, दवाइयों तथा वैज्ञानिक उपकरणो की खोज व प्रयोगों से विज्ञान ने मृत्युदर में तो नियंत्रण पा लिया है परंतु जन्मदर में नियंत्रण पाने में असमर्थ है। जनसंख्या वृद्धि को रोकने में विज्ञान की काफी बडी भूमिका है फिर भी जनसंख्या वृद्धि में पूरी तरह नियंत्रण नहीं हो पाया है। जनसंख्या वृद्धि को रोकने के उपाय
2. परिवार नियोजन- जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए परिवार नियोजन के विभिन्न कार्यक्रमों का प्रचार-प्रसार अति आवश्यक है। परिवार नियोजन कार्यक्रम को जन आंदोलन का रूप दिया जाना चाहिए। 3. विवाह की आयु में वृद्धि करना- हमारे देश में आज भी बाल विवाह की प्रथा है। अत: बाल-विवाह पर कारगर कानूनी रोक लगायी जानी चाहिए। साथ ही लड़के-लडकियों की विवाह की उम्र को भी बढ़ाई जानी चाहिए 4. संतानोत्पत्ति की सीमा निर्धारण- परिवार, समाज और राष्ट्र के हित में संतान की सीमा निर्धारण करना अति आवश्यक है। जनसंख्या विस्फोट से बचने के लिए प्रत्येक दम्पत्ति के संतानों की संख्या 1 या 2 करना अति आवश्यक है। चीन में इसी उपाय को अपनाकर जनसंख्या वृद्धि में नियंत्रण पा लिया गया है। 5. सामाजिक सुरक्षा- हमारे देश में वृद्धावस्था, बेकारी अथवा दुर्घटना से सुरक्षा न होने के कारण लोग बड़े परिवार की इच्छा रखते हैं। अतएव यहॉं सामाजिक सुरक्षा के कार्यक्रमों में बेराजगारी भत्ता, वृद्धावस्था, पेंशन, वृद्धा-आश्रम चलाकर लोगों में सुरक्षा की भावना जाग्रत की जाय। 6. सन्तति सुधार कार्यक्रम- जनसंख्या की वृद्धि को रोकने के लिए सन्तति सुधार कार्यक्रमों को भी अपनाया जाना चाहिए। संक्रामक रोगों से ग्रस्त व्यक्तियों के विवाह और सन्तानोत्पत्ति पर प्रतिबंध लगाया जाये। 7. जीवन-स्तर को ऊॅंचा उठाने का प्रयास- देश में कृषि व औद्योगिक उत्पादन को बढ़ाकर लोगों के जीवन स्तर को ऊॅंचा उठाने के प्रयास किये जाने चाहिए । जीवन स्तर के ऊॅंचा उठ जाने पर लोग स्वयं ही छोटे परिवार के महत्व को समझने लग जायेंगे। 8. स्वास्थ्य सेवा व मनोरजन के साधन- देश के नागरिकों की कार्यकुशलता एवं आर्थिक उत्पादन की क्षमता को बनाये रखने के लिए सार्वजनिक व घरेलू स्वास्थ्य सुविधा एवं सफाई पर ध्यान देना आवश्यक है। डाक्टर, नर्स एवं परिचारिकाओं आदि की संख्या में वृद्धि किया जाना चाहिए। ग्रामीणों को स्वास्थ्यप्रद जीवन व्यतीत करने तथा मनोरंजन के लिए पर्याप्त साधन उपलब्ध कराया जाना चाहिए और इस बात का विशेष ध्यान रखा जाये कि गॉंवों में स्त्री पुरुषों के लिए एकमात्र मनोरंजन का साधन न रहे। 9. जनसंख्या शिक्षा- ये एक ऐसा कार्यक्रम है जो सरकार तथा स्वयं सेवी संगठनो द्वारा अपने अपने स्तर पर चलाया जा रहा है। उसके माध्यम से लोगो की बढती हुई जनसंख्या से उत्पन्न कठिनाईयाँ, दुष्प्रभावो, खान पान, बीमारी, स्वास्थ्य संबंधी गडबडियाँ, विवाह योग्य सही उम्र आदि की जानकारी दी जाती है। अब तो जनसंख्या शिक्षा अनिवार्य कर दी गई है। ताकि युवाओ में जनसंख्या के प्रति जागरूकता आ सके। लोगो को जागरूक बनाकर जनसंख्या वृद्धि को कम किया जा सकता है। 10. परिवार नियोजन संबंधी शिक्षा- लोगो को परिवार नियोजन की जानकारी देकर जनसंख्या वश्द्धि में नियंत्रण किया जा सकता है। गर्भ निरोधकों के प्रयोग से जिसमें निरोध, कापरटी, नसबंदी, गर्भ निरोधको की गोलियों का सेवन इत्यादि की जानकारी देकर तथा इनका प्रचार, प्रसार करके जनसंख्या वृद्धि मे काबू पाया जा सकता है। 11. महिला शिक्षा- हमारे देश में आज भी महिलाओं की शिक्षा का स्तर पुरूषों की अपेक्षा काफी कम है। महिलाओं के शिक्षित न होने के कारण व जनसंख्या वृद्धि के दृष्परिणामों को नही समझ पाती। वे अपने खान पान पर भी ध्यान नहीं देपाती तथा जनसंख्या नियंत्रण में अपना योगदान नहीं दे पाती। जिन क्षेत्रों मे महिलाओं का शिक्षा स्तर कम है। वहां जनसंख्या वृद्धि दर अधिक है। पढ़ी लिखी महिलाएं जनसंख्या नियंत्रण के प्रति जागरूक होती है। इस तरह महिलाएं शिक्षित होंगी तो वे अपने बच्चों के खानपान, पोषण तथा स्वास्थ्य पर भी ध्यान देंगी तथा जनसंख्या पर भी नियंत्रण होगा और एक स्वस्थ समाज का निर्माण होगा। 12. यौन शिक्षा- आज भी हमारे समाज में यौन संबंधों को छिपाने की चीज समझा ज्ञाता है। लोग यौन संबंधी बातें तथा उससे जुड़ी समस्याओं पर खुलकर बातें करने से कतराते है। यौन संबंधी जानकारी न होने के कारण लोग असमय तथा अधिक बच्चे पैदा करते है। यौन संबंधी जानकारी से जनसंख्या वृद्धि को रोकने में सहायता मिल सकती है। 13. जन संपर्क- कई स्वयं सेवी संगठन भी लोगों के बीच जाकर उनसे बातचीत कर जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न समस्याओं की जानकारी देते हैं। उन्हें नुक्कड नाटकों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों तथा तरह-तरह की प्रतियोगिताएं कराकर जनसंख्या वृद्धि के कारणों तथा समस्याओं की जानकारी देकर उन्हे जागरूक बनाते है। 14. जनसंचार माध्यमों द्वारा प्रचार प्रसार- सरकार समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, रेडियों, टेलीविजन पर परिवार नियोजन तथा जनसंख्या शिक्षण संबंधी कार्यक्रमों को बढ़ावा दे रही है। इस प्रकार जनसंख्या वृद्धि से होने वाली समस्याओं तथा उन्हें रोकने के उपायों का प्रचार प्रसार भी करती है। 1970 के बाद चीन ने ‘एक दम्पत्ति एक सन्तान’ का नारा देकर अपनी बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने में सफलता प्राप्त की है। जनसंख्या नियंत्रण के लिए कौन कौन से उपाय हैं?जनसंख्या वृद्धि को रोकने के उपाय. 1- शिक्षा का प्रसार- भारत की 80 प्रतिशत जनसंख्या गॉंवों में निवास करती है। ... . 2- परिवार नियोजन- ... . 3- विवाह की आयु में वृद्धि करना- ... . 4- संतानोत्पत्ति की सीमा निर्धारण- ... . 5- सामाजिक सुरक्षा- ... . 6- सन्तति सुधार कार्यक्रम- ... . 7- जीवन-स्तर को ऊॅंचा उठाने का प्रयास- ... . 8- स्वास्थ्य सेवा व मनोरजन के साधन-. भारत में जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए कौन से उपाय किए गए हैं?परिवार नियोजन- जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए परिवार नियोजन के विभिन्न कार्यक्रमों का प्रचार-प्रसार अति आवश्यक है। परिवार नियोजन कार्यक्रम को जन आंदोलन का रूप दिया जाना चाहिए। 4. संतानोत्पत्ति की सीमा निर्धारण- परिवार, समाज और राष्ट्र के हित में संतान की सीमा निर्धारण करना अति आवश्यक है।
जनसंख्या वृद्धि को रोकने में कौन सहायक है?भारत में जनसंख्या वृद्धि दर ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक है, इसका प्रमुख कारण परिवार नियोजन के बारे में लोगों में जागरूकता का अभाव है। यदि नियोजन द्वारा बच्चों को जन्म दिया जाए तो यह जनसंख्या नियंत्रण का सबसे कारगर साधन हो सकता है।
जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने का सबसे अच्छा तरीका कौन सा है?Solution : जनसँख्या वृद्धि नियत्रण के दो उपाय है- <br> (अ) योजनाबद्ध आबादी का नियत्रण-संसार की जनसंख्या को नियत्रित करने का सीधा तरीका जन्मदर को कम करना। जन्मदर निम्न के द्वारा कम की जा सकती है- <br> शिक्षा- लोगों को बड़े परिवार से होने वाले नुक्सार तथा छोटे परिवार से होने वाले लाभ का ज्ञान होना चाहिए।
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